योग के जन्मदाता कौन सा देश है? - yog ke janmadaata kaun sa desh hai?

योग की परम्परा भारत में हजारों साल से चली आ रही है, योग दर्शन के प्रणेता महर्षि पतंजलि द्वारा ‘योग सूत्र’ की रचना से भी पहले से। भारतीय संस्कृति में शिव को पहला योगी माना गया है। उन्होंने...

योग के जन्मदाता कौन सा देश है? - yog ke janmadaata kaun sa desh hai?

लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 16 Sep 2013 10:11 PM

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योग की परम्परा भारत में हजारों साल से चली आ रही है, योग दर्शन के प्रणेता महर्षि पतंजलि द्वारा ‘योग सूत्र’ की रचना से भी पहले से। भारतीय संस्कृति में शिव को पहला योगी माना गया है। उन्होंने ही योग विज्ञान की नींव डाली थी।

योग की बातें तो हम सब करते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि योग की शुरुआत कब और कैसे हुई?
भारत में आध्यात्मिक प्रकृति की बात करें तो हर किसी का एक ही लक्ष्य रहा है- मुक्ति। आज भी हर व्यक्ति मुक्ति शब्द का अर्थ जानता है। कभी सोचा है, ऐसा क्यों है? दरअसल इस देश में आध्यात्मिक विकास और मानवीय चेतना को आकार देने का काम सबसे ज्यादा एक ही शख्सियत के कारण है। जानते हैं, कौन है वह?
वह हैं शिव।

आदि योगी शिव ने ही इस संभावना को जन्म दिया कि मानव जाति अपने मौजूदा अस्तित्व की सीमाओं से भी आगे जा सकती है। सांसारिकता में रहना है, लेकिन इसी का होकर नहीं रह जाना है। अपने शरीर और दिमाग का हर संभव इस्तेमाल करना है, लेकिन उसके कष्टों को भोगने की जरूरत नहीं है।

कहने का मतलब यह है कि जीने का एक और भी तरीका है। हमारे यहां यौगिक संस्कृति में शिव को ईश्वर के तौर पर नहीं पूजा जाता। इस संस्कृति में शिव को आदि योगी माना जाता है। यह शिव ही थे, जिन्होंने मानव मन में योग का बीज बोया।

योग विद्या के मुताबिक 15 हजार साल से भी पहले शिव ने सिद्धि प्राप्त की और हिमालय पर एक प्रचंड और भावविभोर कर देने वाला नृत्य किया। वे कुछ देर परमानंद में पागलों की तरह नृत्य करते, फिर शांत होकर पूरी तरह से निश्चल हो जाते। उनके इस अनोखे अनुभव के बारे में कोई कुछ नहीं जानता था। आखिरकार लोगों की दिलचस्पी बढ़ी और इसे जानने को उत्सुक होकर धीरे—धीरे लोग उनके पास पहुंचे। लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं लगा, क्योंकि आदि योगी तो इन लोगों की मौजूदगी से पूरी तरह बेखबर थे। उन्हें यह पता ही नहीं चला कि उनके इर्द-गिर्द क्या हो रहा है। उन लोगों ने वहीं कुछ देर इंतजार किया और फिर थक-हार कर वापस लौट आए। लेकिन उन लोगों में से सात लोग ऐसे थे, जो थोड़े हठी किस्म के थे। उन्होंने ठान लिया कि वे शिव से इस राज को जान कर ही रहेंगे। लेकिन शिव ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया।

अंत में उन्होंने शिव से इस रहस्य के बारे में बताने की प्रार्थना की। शिव ने उनकी बात नहीं मानी और कहने लगे, ‘मूर्ख हो तुम लोग! अगर तुम अपनी इस स्थिति में लाखों साल भी गुजार दोगे तो भी इस रहस्य को नहीं जान पाआगे। इसके लिए बहुत ज्यादा तैयारी की आवश्यकता है। यह कोई मनोरंजन नहीं है।’

ये सात लोग भी कहां पीछे हटने वाले थे। शिव की बात को उन्होंने चुनौती की तरह लिया और तैयारी शुरू कर दी। दिन, सप्ताह, महीने, साल गुजरते गए और ये लोग तैयारियां करते रहे, लेकिन शिव थे कि उन्हें नजरअंदाज ही करते जा रहे थे। 84 साल की लंबी साधना के बाद ग्रीष्म संक्रांति के शरद संक्रांति में बदलने पर पहली पूर्णिमा का दिन आया, जब सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायण में चले गए। पूर्णिमा के इस दिन आदि योगी शिव ने इन सात तपस्वियों को देखा तो पाया कि साधना करते-करते वे इतने पक चुके हैं किज्ञान हासिल करने के लिए तैयार हैं। अब उन्हें और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था।

शिव ने उन सातों को अगले 28 दिनों तक बेहद नजदीक से देखा और अगली पूर्णिमा पर उनका गुरु बनने का निर्णय लिया। इस तरह शिव ने स्वयं को आदि गुरु में रूपांतरित कर लिया। तभी से इस दिन को गुरु पूर्णिमा कहा जाने लगा। केदारनाथ से थोड़ा ऊपर जाने पर एक झील है, जिसे कोति सरोवर कहते हैं। इस झील के किनारे शिव दक्षिण दिशा की ओर मुड़ कर बैठ गए और अपनी कृपा लोगों पर बरसानी शुरू कर दी। इस तरह योग विज्ञान का संचार होना शुरू हुआ।

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21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भारत में ही नही बल्कि दुनिया में मनाया जाता है. योग मानव शरीर की एक ऐसी जरूरत है जिसे पूरा करने से हजारों फायदे होते हैं. योग मानव सभ्यता की एक ऐसी देन है जो आपको स्वस्थ रहने में मदद करती है. इसे नजरांदाज कर मनुष्य स्वयं के साथ धोखा करता है.

योग दिवस पिछले चार वर्षों से देश के विभिन्न स्थानों पर मनाया जाता है, पांचवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का मेजबान शहर रांची है, इस बार की थीम 'योग फॉर हार्ट केयर’ है.

योग की शुरुआत

भारत में योग का इतिहास लगभग 5000 साल पुराना है. मानसिक, शारीरिक एवं अध्यात्म के रूप में लोग प्राचीन काल से ही इसका अभ्यास करते आ रहे हैं. अगस्त नामक सप्त‌ऋषि ने ही पूरे भारतीय उपमहाद्वीप का दौरा कर यौगिक तरीके से जीवन जीने की संस्कृति को गढ़ा था. योग की उत्पत्ति सर्वप्रथम भारत में ही हुई थी इसके बाद यह दुनिया के अन्य देशों में लोकप्रिय हुआ. योग की बात होती है तो पतंजलि का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। ऐसा क्यों? क्योंकि पतंजलि ही पहले और एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने योग को आस्था, अंधविश्वास और धर्म से बाहर निकालकर एक सुव्यवस्थित रूप दिया था. योग भारत की प्राचीन परम्परा का एक अमूल्य उपहार है जो न केवल देश में बल्कि एशिया, मध्यपूर्व, उत्तरी अफ्रीका एवं दक्षिण अमेरिका सहित विश्व के भिन्न- भिन्न भागों में फैला हुआ है.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को सयुंक्त राष्ट्र महासभा में योग की पहल की. इसके बाद 11 दिसम्बर 2014 को सयुंक्त राष्ट्र में 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मंजूरी मिली. पहली बार 21 जून 2015 को यह दिवस मनाया गया, माना जाता है कि 21 जून वर्ष का सबसे बड़ा दिन होता है और योग भी मनुष्य की आयु को बढ़ाता है.

आसान व प्राणायाम का महत्व

योग में विभिन्न प्रकार के प्राणायाम और कपालभाति जैसी योग क्रियाएं शामिल हैं, जो सबसे ज्यादा प्रभावी सांस की क्रियाएं हैं. इनका नियमित अभ्यास करने से लोगों को सांस संबंधी समस्याओं और उच्च व निम्न रक्तदाब जैसी बीमारियों में आराम मिलता है. योग वह इलाज है जिसका प्रतिदिन नियमित रूप से अभ्यास किया जाए, तो यह बीमारियों से धीरे-धीरे छुटकारा पाने में काफी सहायता करता है. यह हमारे शरीर में कई सारे सकारात्मक बदलाव लाता है और शरीर के अंगों की प्रक्रियाओं को भी नियमित करता है.

कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी एवं भस्त्रिका प्राणायाम स्वास्थ्य के साथ आपके वजन को कम करने में भी लाभकारी होते हैं. प्राणायाम के द्वारा डायबि‍टीज, अत्यधिक वजन, मानसिक तनाव आदि से छुटकारा पा सकते हैं.

स्वस्तिकासन से पैरों के दर्द में, गोमुखासन से यकृत, गुर्दे एवं गाठिया को दूर करने में, गोरक्षासन से मांसपेशियो में रक्त संचार बढ़ाने एवं योगमुद्रासन चेहरा सुन्दर व मन को एकाग्र करने में मदद मिलती है. योग के सभी आसनों से लाभ प्राप्त करने के लिए सुरक्षित और नियमित अभ्यास की आवश्यकता है. योग के दौरान श्वसन क्रिया में ऑक्सीजन लेना और छोड़ना सबसे मुख्य है.

योग के फायदे

योग के फायदे बच्चों से लगाकर बुजूर्गों, महिलाओं एव गर्भवती महिलाओं सभी को होते है. योग में हजारों बिमारियों को ठीक करने के गुण छुपे हुए हैं. दैनिक जीवन में योग का अभ्यास करना हमें बहुत सी बीमारियों से बचाने के साथ ही कई सारी भयानक बीमारियों जैसे- कैंसर, मधुमेह (डायबिटीज़), उच्च व निम्न रक्त दाब, हृदय रोग, किडनी का खराब होना, लीवर का खराब होना, गले की समस्याओं तथा अन्य बहुत सी मानसिक बीमारियों से भी हमारी रक्षा करता है. इस बात को देश-विदेश के चिकित्सक तक मान चुकें हैं. जो बीमारियां दवाइयों से ठीक नहीं हो पाती उनका इलाज भी योग में सम्भ्व है. नियमित योग करने से शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से कार्य करने लगते हैं, योग के विभिन्न आसनों से शरीर के अलग-अलग हिस्सों को फायदा पहुचंता है.

योग में शरीर के हर छोटे से छोटे अंग का व्यायाम होता है जिससे फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है. छोटे व्यक्ति से लेकर बुजुर्ग व्यक्ति तक कोई भी आसान कर सकता है. इसके द्वारा मनुष्य के अंदर की नकारात्मकता को खत्म किया जा सकता है. योग तन के अलावा मन को भी शांति देता है. योग के कई आसान व ध्यान आपके विचारों को नियंत्रित करता है जिससे मन शांत रहता है.

बच्चों में बढ़ रही मानसिकता और तनाव को देखते हुए सरकार ने स्कूलों में योगा क्लास लगाने का निर्णय भी लिया है जिसके तहत ज्यादातर स्कूल में योगा करवाया भी जाता है. योग शिक्षा को बचपन से ही ग्रहण करना चाहिए ताकि आगे आने वाली बीमारियों से बचा जा सकें. योग के प्रति बच्चों से लेकर बुजूर्गों तक सभी को जागरुक रहना भी चाहिए और जागरुक करना भी चाहिए.

योग के जन्मदाता कौन है?

योग की परम्परा भारत में हजारों साल से चली आ रही है, योग दर्शन के प्रणेता महर्षि पतंजलि द्वारा 'योग सूत्र' की रचना से भी पहले से। भारतीय संस्कृति में शिव को पहला योगी माना गया है। उन्होंने ही योग विज्ञान की नींव डाली थी।

योग की शुरुआत कहाँ से हुई?

पूर्व वैदिक काल (ईसा पूर्व 3000 से पहले) अभी हाल तक, पश्चिमी विद्वान ये मानते आये थे कि योग का जन्म करीब 500 ईसा पूर्व हुआ था जब बौद्ध धर्म का प्रादुर्भाव हुआ। लेकिन हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में जो उत्खनन हुआ, उससे प्राप्त योग मुद्राओं से ज्ञात होता है कि योग का चलन 5000 वर्ष पहले से ही था।

योग कौन सा देश है?

दुनिया को योगा भारत देश की देन हैयोग एक ऐसी विधि है जिसमें शरीर मन और आत्मा को साथ लाने का काम होता है

योग के रचयिता कौन है?

योगसूत्र, योग दर्शन का मूल ग्रंथ है। यह छः दर्शनों में से एक शास्त्र है और योगशास्त्र का एक ग्रंथ है। योगसूत्रों की रचना ३००० साल के पहले पतंजलि ने की।