भारत में सिनेमा की शुरुआत कब और कैसे हुई? - bhaarat mein sinema kee shuruaat kab aur kaise huee?

भारतीय फिल्म इतिहास में पहली-पहली बार

प्रथम सिनेमा प्रदर्शन : 7 जुलाई 1896 बंबई के वॉटसन हॉल में।

प्रथम सिनेमा विज्ञापन : टाइम्स ऑफ इंडिया के 7 जुलाई 1896 के अंक में प्रकाशित

प्रथम सिनेमा हॉल : एलफिन्सटन पिक्चर पैलेस, कलकत्ता 1907 में जेएफ मदान ने बनाया।

प्रथम नगर जहां फिल्म निर्माण हुआ : बंबई, 1912।

प्रथम थिएट्रिकल फिल्म : 'पुंडलिक', मई 1912 में प्रदर्शित।

प्रथम भारतीय फीचर फिल्म : 'राजा हरीशचन्द्र', दादा साहेब फालके द्वारा निर्मित और बंबई में 3 मई, 1913 को
प्रदर्शित।

प्रथम भारतीय फिल्म जो विदेश में प्रदर्शित हुई : 'राजा हरीशचन्द्र' 1914 में लंदन में दिखाई गई।

प्रथम सिनेमा पोस्टर : बाबूराव पेंटर ने 1920 में अपनी फिल्म 'वत्सलाहरण' का पोस्टर द्वारा विज्ञापन किया।

प्रथम फीचर फिल्म जो बंगाल में निर्मित हुई : 'नल-दमयंती' 1917 में जेएफ मदान द्वारा निर्मित।

प्रथम दक्षिण भारतीय फिल्म : 'भीष्म प्रतिज्ञा' 1921 में मद्रास में ईस्ट फिल्म कंपनी केआर वेंकैया और आर.
प्रकाश द्वारा निर्मित।

प्रथम बोलती फिल्म जो भारत में प्रदर्शित हुई : 'मेलॉडी ऑफ लव' 1929 में कलकत्ता के एलफिन्सटन पिक्चर पैलेस में प्रदर्शित।

प्रथम भारतीय बोलती फिल्म : 'आलम आरा' आर्देशिर ईरानी द्वारा निर्मित। 14 मार्च, 1931 को बंबई के मैजेस्टिक सिनेमा में प्रदर्शित।

प्रथम मराठी बोलती फिल्म : 'अयोध्याचा राजा' (मराठी) और 'अयोध्या का राजा' (हिन्दी) प्रभात फिल्म कंपनी द्वारा 1932 में निर्मित।

प्रथम बंगाली में बोलती फिल्म- 'जमाई षष्टी', मदान थिएटर्स द्वारा 1931 में निर्मित।

प्रथम बोलती तमिल फिल्म- 'कालिदास', सागर मूवीटोन द्वारा निर्मित।

प्रथम पंजाबी में बोलती फिल्म- 'हीर-रांझा', (हिन्दी) हकीम रामप्रसाद द्वारा 1932 में निर्मित।

दक्षिण में प्रथम नि‍र्मित बोलती फिल्म : 'श्रीनिवास कल्याणम्' (1934) मद्रास में श्रीनिवास सिनेटोन द्वारा निर्मित।

प्रथम तेलुगु बोलती फिल्म : 'सीताकल्याणम्' (1934) पीवी हास द्वारा निर्मित।

प्रथम मलयालम बोली फिल्म : बालन (1938) मॉडर्न थिएटर्स द्वारा सलेम में निर्मित।

दक्षिण से प्रथम हिन्दी बोलती फिल्म : 'प्रेमसागर' (1939) के. सुब्रमण्यम द्वारा निर्देशित और निर्मित।

प्रथम कार्टून फिल्म : ऑन ए मुनलिट नाइट, आरसी बोराल द्वारा निर्मित।

प्रथम सिनेमास्कोप फिल्म : कागज के फूल (1959) गुरुदत्त द्वारा निर्मित।

प्रथम एक ही अभिनेता द्वारा अभिनीत ‍फीचर फिल्म : यादें (1964), सुनील दत्त द्वारा निर्मित-निर्देशित।

प्रथम 70 एमएम टेक्नीकलर फिल्म : अराउंड द वर्ल्ड (1967) पाछी द्वारा निर्मित।

प्रथम सिल्वर जुबली हिंदी फिल्म : अमृत मंथन- 1934 में प्रभात फिल्म कंपनी द्वारा निर्मित।

प्रथम भारतीय फिल्मों का अभिनेता (नायक-नायिका) : ए. सालुंके ने 1917 में फालके द्वारा निर्मित 'लंका दहन' में राम और सीता दोनों का अभिनय किया।

प्रथम महिला अभिनेत्री : कमला बाई गोखले। एक महाराष्ट्रीयन महिला ने 1013 में 'भस्मासुर मोहिनी' में अभिनय किया।

प्रथम पुरुष अभिनेता द्वारा महिला भूमिका : ए. सालुंके द्वारा राजा हरिश्चन्द्र (1913) में तारामती की भूमिका अभिनीत।

प्रथम नायक : दत्तात्रय दामोदर डबके ने 1913 में 'राजा हरिश्चन्द्र' में अभिनय किया।

प्रथम हॉलीवुड प्रशिक्षित भारतीय : सुचेतसिंह ने 1918 में चार्ली चैप्लिन के सहयोगी के रूप में कार्य किया और ओरिएंटल फिल्म मैन्युफैक्चरिंग कंपनी की स्थापना कर 'शंकुतला' फिल्म बनाई।

विदेश में प्रथम प्रशिक्षित भारतीय तकनीशियन : दादा साहेब फालके।

प्रथम महिला फिल्म निर्देशक : बेगम फातिमा सुलतान।

प्रथम फिल्म गीत : 'दे दे खुदा के नाम पर।' 1931 में आलमआरा फिल्म के लिए रिकॉर्ड हुआ।

प्रथम फिल्म गायक : डब्ल्यू.एक. खान- इंपीरियल फिल्म कंपनी में 'आलमआरा' का गीत गाया।

प्रथम संगीत निर्देशक : फिरोज शाह मिस्त्री, 'आलमआरा' में संगीत निर्देशक।

प्रथम सर्वाधिक गीतों वाली फिल्म : 'इंद्रसभा', 1932 में मदान थिएटर्स द्वारा निर्मित इस फिल्म में 71 गाने थे।

प्रथम बार पार्श्वगायन का आरंभ : फिल्म 'भाग्यचक्र' (1934)। निर्देशक- नितिन बोस।

प्रथम अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाली फिल्म : नीचा नगर (1946)। निर्देशक- चेतन आनंद।

अंग्रेजी में निर्मित प्रथम भारतीय फिल्म कोर्ट डांसर (1941) निर्देशक : वाडिया।

राष्ट्रपति का स्वर्ण पदक पाने वाली प्रथम फिल्म- श्यामची आई (1953- मराठी)। निर्देशक पीके अत्रे।

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हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को बॉलीवुड के नाम से जाना जाता है। इस इंडस्ट्री में प्रत्येक साल सैकड़ों फिल्में बनाई जाती हैं। इस साल कोरोना महामारी के बाद पहली बार बॉक्स ऑफिस पर फिल्मों की रौनक देखने को मिली। भारतीय सिनेमा का ब्लैक एंड व्हाइट से लेकर रंगीन फिल्मों तक का सफर बेहद शानदार रहा है। इस इंडस्ट्री ने अलग-अलग दौर में कई सुपरस्टार दिए। आइए भारतीय सिनेमा के इतिहास पर गौर फरमाते हैं।

1913 में बनी भारत की पहली मूक फिल्म

भारतीय सिनेमा की शुरुआत 1913 में हुई, जब भारत की पहली मूक फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' बनी थी। यह फिल्म जाने-माने लेखक भारतेंदु हरिशचंद्र के नाटक 'हरिशचंद्र' पर आधारित थी। इसे महान फिल्ममेकर दादा साहब फाल्के ने बनाया था। फाल्के के प्रयासों से ही भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की नींव पड़ी। यही वजह है कि फाल्के को भारतीय सिनेमा का पितामाह कहा जाता है। इन्हीं के नाम पर सिने जगत का सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिया जाता है।

भारत की पहली बोलती फिल्म

14 मार्च, 1931 की तारीख को भारतीय सिनेमा को आवाज मिली। इसी दिन मुंबई के मैजेस्टिक सिनेमा हॉल में 'आलम आरा' रिलीज हुई। यह भारत की पहली बोलती फिल्म थी। बोलती फिल्म कहने का मतलब उस फिल्म से है, जिसमें आवाज (ध्वनि) हो। आर्देशिर ईरानी ने इसका निर्देशन किया था। हालांकि, इससे पहले फाल्के ने भी फिल्मों में आवाज डालने के प्रयास किए थे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई।

पहली बोलती फिल्म बनाने में आईं परेशानियां

पहली बोलती फिल्म 'आलम आरा' बनाने में मेकर्स को कई परेशानियां झेलनी पड़ी थीं। ईरानी और उनकी यूनिट इंपीरियल स्टूडियो ने इसके लिए टैनोर सिंगल सिस्टम कैमरा विदेश से मंगवाया था। इसकी शूटिंग के दौरान बहुत आवाजें आती थीं, जो साथ में रिकॉर्ड हो जाती थीं। ऐसे में दिन में शूटिंग करना मुश्किल भरा काम था। फिल्म के ज्यादातर कलाकार मूक फिल्मों के दौर के थे। उन्हें घंटों तक सिखाया जाता था कि माइक पर कैसे बोलना है।

कब शुरू हुआ रंगीन फिल्मों का दौर?

बोलती फिल्में ब्लैक एंड व्हाइट में प्रदर्शित होती थीं। 1937 में निर्देशक मोती बी गिडवानी ने 'किसान कन्या' बनाई, जो भारतीय सिनेमा की पहली रंगीन फिल्म थी। इस फिल्म को अमेरिका की एक कंपनी ने कलर किया था। इसकी पटकथा और संवाद सआदत हसन मंटो ने लिखे थे। यह फिल्म किसानों की जिंदगी से रूबरू कराती है। गिडवानी ने इसे 'आलम आरा' के निर्देशक ईरानी के साथ मिलकर बनाया था।

1950 और 1960 हिंदी सिनेमा का स्वर्ण युग

1950 से लेकर 1960 के दौर को भारतीय सिनेमा का स्वर्ण युग कहा जा सकता है। इस दौरान ही गुरु दत्त, राज कपूर, दिलीप कुमार, मीना कुमारी, मधुबाला और नरगिस जैसे कलाकारों को स्टारडम मिली। दिलीप और मधुबाला की ऐतिसाहिक फिल्म 'मुगल-ए-आजम' 1960 में ही रिलीज हुई थी। इसमें दोनों की केमिस्ट्री ने लोगों का दिल जीत लिया था। राज कपूर की 'आवारा' 1951 में और नरगिस की 'मदर इंडिया' 1957 में आई थी।

बॉलीवुड में मसाला फिल्मों का दौर

1970 के दशक में बॉलीवुड में मसाला फिल्मों का दौर शुरू हुआ। राजेश खन्ना, धर्मेंद्र, संजीव कुमार और हेमा मालिनी जैसे सितारों ने इस दौर में दर्शकों के दिलों पर राज किया। रमेश सिप्पी द्वारा निर्देशित फिल्म 'शोले' (1975) ने अमिताभ बच्चन को अलग मुकाम दिया। 1990 के दशक में शाहरुख खान, सलमान खान, माधुरी दीक्षित, जूही चावला, आमिर खान जैसे कलाकारों ने अपना दबदबा कायम किया। इनमें से ज्यादातर कलाकार मौजूदा दौर में भी सक्रिय हैं।

भारतीय सिनेमा में काम कर रही हैं कई इंडस्ट्रियां

भाषाओं के आधार पर देश में फिल्म निर्माण की कई इंडस्ट्रियां विकसित हो चुकी हैं। हम इन विभिन्न इंडस्ट्रियों को अलग-अलग नामों से जानते हैं। पंजाबी सिनेमा को पॉलीवुड, तेलुगु सिनेमा को टॉलीवुड, तमिल फिल्म इंडस्ट्री को कॉलीवुड, मलयालम सिनेमा को मॉलीवुड और कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री को सैंडलवुड कहा जाता है। आजकल मेकर्स पैन इंडिया फिल्में बनाते हैं और उसे कई भाषाओं में रिलीज करते हैं। इससे भारत में सिनेमा का दायरा विस्तृत हुआ है।

भारत में सिनेमा की शुरूआत कब और कैसे हुई?

इंडियन सिनेमा के 109 साल पूरे हो चुके हैं। 3 मई, 1913 को रिलीज हुई फिल्म राजा हरिश्चंद्र से शुरू हुआ सिनेमा का सफर आज तक जारी है। 109 साल में भारतीय सिनेमा ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। 'आलम आरा' फिल्म भारतीय सिनेमा इतिहास की एक खास फिल्म है।

सिनेमा की शुरुआत कैसे हुई?

भारत में सिनेमा का इतिहास फिल्म युग की शुरुआत तक फैला हुआ है। ल्यूमियर (Lumière)और रॉबर्ट पॉल की लंदन (1896) में चलती हुई तस्वीरों की स्क्रीनिंग के बाद, व्यावसायिक छायांकन दुनिया भर में सनसनी बन गया और 1896 के मध्य तक बंबई (अब मुंबई) में लुमीएरे और रॉबर्ट पॉल दोनों फिल्मों को दिखाया गया था।

सिनेमा कहां और कब शुरू हुआ?

प्रथम सिनेमा प्रदर्शन : 7 जुलाई 1896 बंबई के वॉटसन हॉल में। प्रथम सिनेमा हॉल : एलफिन्सटन पिक्चर पैलेस, कलकत्ता 1907 में जेएफ मदान ने बनाया। प्रथम नगर जहां फिल्म निर्माण हुआ : बंबई, 1912। प्रथम थिएट्रिकल फिल्म : 'पुंडलिक', मई 1912 में प्रदर्शित।

हिंदी सिनेमा की शुरुआत कब हुई?

भारतीय सिनेमा के प्रवर्तक : दादा साहब फालके राजा हरिश्चंद्र (१९१३) भारत में बनी पहली हिंदी फिल्म थी। इसे दादासाहेब फाल्के ने निर्देशित किया था।