भारतीय फिल्म इतिहास में पहली-पहली बार Show
प्रथम सिनेमा प्रदर्शन : 7 जुलाई 1896 बंबई के वॉटसन हॉल में। हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
1913 में बनी भारत की पहली मूक फिल्मभारतीय सिनेमा की शुरुआत 1913 में हुई, जब भारत की पहली मूक फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' बनी थी। यह फिल्म जाने-माने लेखक भारतेंदु हरिशचंद्र के नाटक 'हरिशचंद्र' पर आधारित थी। इसे महान फिल्ममेकर दादा साहब फाल्के ने बनाया था। फाल्के के प्रयासों से ही भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की नींव पड़ी। यही वजह है कि फाल्के को भारतीय सिनेमा का पितामाह कहा जाता है। इन्हीं के नाम पर सिने जगत का सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिया जाता है। भारत की पहली बोलती फिल्म14 मार्च, 1931 की तारीख को भारतीय सिनेमा को आवाज मिली। इसी दिन मुंबई के मैजेस्टिक सिनेमा हॉल में 'आलम आरा' रिलीज हुई। यह भारत की पहली बोलती फिल्म थी। बोलती फिल्म कहने का मतलब उस फिल्म से है, जिसमें आवाज (ध्वनि) हो। आर्देशिर ईरानी ने इसका निर्देशन किया था। हालांकि, इससे पहले फाल्के ने भी फिल्मों में आवाज डालने के प्रयास किए थे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। पहली बोलती फिल्म बनाने में आईं परेशानियांपहली बोलती फिल्म 'आलम आरा' बनाने में मेकर्स को कई परेशानियां झेलनी पड़ी थीं। ईरानी और उनकी यूनिट इंपीरियल स्टूडियो ने इसके लिए टैनोर सिंगल सिस्टम कैमरा विदेश से मंगवाया था। इसकी शूटिंग के दौरान बहुत आवाजें आती थीं, जो साथ में रिकॉर्ड हो जाती थीं। ऐसे में दिन में शूटिंग करना मुश्किल भरा काम था। फिल्म के ज्यादातर कलाकार मूक फिल्मों के दौर के थे। उन्हें घंटों तक सिखाया जाता था कि माइक पर कैसे बोलना है। कब शुरू हुआ रंगीन फिल्मों का दौर?बोलती फिल्में ब्लैक एंड व्हाइट में प्रदर्शित होती थीं। 1937 में निर्देशक मोती बी गिडवानी ने 'किसान कन्या' बनाई, जो भारतीय सिनेमा की पहली रंगीन फिल्म थी। इस फिल्म को अमेरिका की एक कंपनी ने कलर किया था। इसकी पटकथा और संवाद सआदत हसन मंटो ने लिखे थे। यह फिल्म किसानों की जिंदगी से रूबरू कराती है। गिडवानी ने इसे 'आलम आरा' के निर्देशक ईरानी के साथ मिलकर बनाया था। 1950 और 1960 हिंदी सिनेमा का स्वर्ण युग1950 से लेकर 1960 के दौर को भारतीय सिनेमा का स्वर्ण युग कहा जा सकता है। इस दौरान ही गुरु दत्त, राज कपूर, दिलीप कुमार, मीना कुमारी, मधुबाला और नरगिस जैसे कलाकारों को स्टारडम मिली। दिलीप और मधुबाला की ऐतिसाहिक फिल्म 'मुगल-ए-आजम' 1960 में ही रिलीज हुई थी। इसमें दोनों की केमिस्ट्री ने लोगों का दिल जीत लिया था। राज कपूर की 'आवारा' 1951 में और नरगिस की 'मदर इंडिया' 1957 में आई थी। बॉलीवुड में मसाला फिल्मों का दौर1970 के दशक में बॉलीवुड में मसाला फिल्मों का दौर शुरू हुआ। राजेश खन्ना, धर्मेंद्र, संजीव कुमार और हेमा मालिनी जैसे सितारों ने इस दौर में दर्शकों के दिलों पर राज किया। रमेश सिप्पी द्वारा निर्देशित फिल्म 'शोले' (1975) ने अमिताभ बच्चन को अलग मुकाम दिया। 1990 के दशक में शाहरुख खान, सलमान खान, माधुरी दीक्षित, जूही चावला, आमिर खान जैसे कलाकारों ने अपना दबदबा कायम किया। इनमें से ज्यादातर कलाकार मौजूदा दौर में भी सक्रिय हैं। भारतीय सिनेमा में काम कर रही हैं कई इंडस्ट्रियांभाषाओं के आधार पर देश में फिल्म निर्माण की कई इंडस्ट्रियां विकसित हो चुकी हैं। हम इन विभिन्न इंडस्ट्रियों को अलग-अलग नामों से जानते हैं। पंजाबी सिनेमा को पॉलीवुड, तेलुगु सिनेमा को टॉलीवुड, तमिल फिल्म इंडस्ट्री को कॉलीवुड, मलयालम सिनेमा को मॉलीवुड और कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री को सैंडलवुड कहा जाता है। आजकल मेकर्स पैन इंडिया फिल्में बनाते हैं और उसे कई भाषाओं में रिलीज करते हैं। इससे भारत में सिनेमा का दायरा विस्तृत हुआ है। भारत में सिनेमा की शुरूआत कब और कैसे हुई?इंडियन सिनेमा के 109 साल पूरे हो चुके हैं। 3 मई, 1913 को रिलीज हुई फिल्म राजा हरिश्चंद्र से शुरू हुआ सिनेमा का सफर आज तक जारी है। 109 साल में भारतीय सिनेमा ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। 'आलम आरा' फिल्म भारतीय सिनेमा इतिहास की एक खास फिल्म है।
सिनेमा की शुरुआत कैसे हुई?भारत में सिनेमा का इतिहास फिल्म युग की शुरुआत तक फैला हुआ है। ल्यूमियर (Lumière)और रॉबर्ट पॉल की लंदन (1896) में चलती हुई तस्वीरों की स्क्रीनिंग के बाद, व्यावसायिक छायांकन दुनिया भर में सनसनी बन गया और 1896 के मध्य तक बंबई (अब मुंबई) में लुमीएरे और रॉबर्ट पॉल दोनों फिल्मों को दिखाया गया था।
सिनेमा कहां और कब शुरू हुआ?प्रथम सिनेमा प्रदर्शन : 7 जुलाई 1896 बंबई के वॉटसन हॉल में। प्रथम सिनेमा हॉल : एलफिन्सटन पिक्चर पैलेस, कलकत्ता 1907 में जेएफ मदान ने बनाया। प्रथम नगर जहां फिल्म निर्माण हुआ : बंबई, 1912। प्रथम थिएट्रिकल फिल्म : 'पुंडलिक', मई 1912 में प्रदर्शित।
हिंदी सिनेमा की शुरुआत कब हुई?भारतीय सिनेमा के प्रवर्तक : दादा साहब फालके
राजा हरिश्चंद्र (१९१३) भारत में बनी पहली हिंदी फिल्म थी। इसे दादासाहेब फाल्के ने निर्देशित किया था।
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