नचिकेता और यमराज के बीच हुए संवाद का उल्लेख हमें कठोपनिषद में मिलता है। नचिकेता के पिता जब विश्वजीत यज्ञ के बाद बूढ़ी एवं बीमार गायों को ब्राह्मणों को दान में देने लगे तो नचिकेता ने अपने पिता से पूछा कि आप मुझे दान में किसे देंगे? तब नचिकेता के पिता क्रोध से भरकर बोले कि मैं तुम्हें यमराज को दान में दूंगा। चूंकि ये शब्द यज्ञ के समय कहे गए थे, अतः नचिकेता को यमराज के पास जाना ही पड़ा। यमराज अपने महल से बाहर थे, इस कारण नचिकेता ने तीन दिन एवं तीन रातों तक यमराज के महल के बाहर प्रतीक्षा की। तीन दिन बाद जब यमराज आए तो उन्होंने इस धीरज भरी प्रतीक्षा से प्रसन्न होकर नचिकेता से तीन वरदान मांगने को कहा। नचिकेता ने पहले वरदान में कहा कि जब वह घर वापस पहुंचे तो उसके पिता उसे स्वीकार करें एवं उसके पिता का क्रोध शांत हो। दूसरे वरदान में नचिकेता ने जानना चाहा कि क्या देवी-देवता स्वर्ग में अजर एवं अमर रहते हैं और निर्भय होकर विचरण करते हैं! तब यमराज ने नचिकेता को अग्नि ज्ञान दिया, जिसे नचिकेताग्नि भी कहते हैं। तीसरे वरदान में नचिकेता ने पूछा कि 'हे यमराज, सुना है कि आत्मा अजर-अमर है। मृत्यु एवं जीवन का चक्र चलता रहता है। लेकिन आत्मा न कभी जन्म लेती है और न ही कभी मरती है।' नचिकेता ने पूछा कि इस मृत्यु एवं जन्म का रहस्य क्या है? क्या इस चक्र से बाहर आने का कोई उपाय है? तब यमराज ने कहा कि यह प्रश्न मत पूछो, मैं तुम्हें अपार धन, संपदा, राज्य इत्यादि इस प्रश्न के बदले दे दूंगा। लेकिन नचिकेता अडिग रहे और तब यमराज ने नचिकेता को आत्मज्ञान दिया। नचिकेता द्वारा प्राप्त किया गया आत्मज्ञान आज भी प्रासंगिक और विश्व प्रसिद्ध है। सत्य हमेशा प्रासंगिक ही होता है। यमराज-नचिकेता संवाद का वर्णन संक्षिप्त में... नचिकेता प्रश्न : किस तरह शरीर से होता है ब्रह्म का ज्ञान व दर्शन? यमराज उत्तर : मनुष्य शरीर दो आंखं, दो कान, दो नाक के छिद्र, एक मुंह, ब्रह्मरन्ध्र, नाभि, गुदा और शिश्न के रूप में 11 दरवाजों वाले नगर की तरह है, जो ब्रह्म की नगरी ही है। वे मनुष्य के हृदय में रहते हैं। इस रहस्य को समझकर जो मनुष्य ध्यान और चिंतन करता है, उसे किसी प्रकार का दुख नहीं होता है। ऐसा ध्यान और चिंतन करने वाले लोग मृत्यु के बाद जन्म-मृत्यु के बंधन से भी मुक्त हो जाता है। नचिकेता प्रश्न : क्या आत्मा मरती या मारती है? यमराज उत्तर : जो लोग आत्मा को मारने वाला या मरने वाला मानते हैं, वे असल में आत्मा को नहीं जानते और भटके हुए हैं। उनकी बातों को नजरअंदाज करना चाहिए, क्योंकि आत्मा न मरती है, न किसी को मार सकती है। नचिकेता प्रश्न : कैसे हृदय में माना जाता है परमात्मा का वास? यमराज उत्तर : मनुष्य का हृदय ब्रह्म को पाने का स्थान माना जाता है। यमदेव ने बताया मनुष्य ही परमात्मा को पाने का अधिकारी माना गया है। उसका हृदय अंगूठे की माप का होता है। इसलिए इसके अनुसार ही ब्रह्म को अंगूठे के आकार का पुकारा गया है और अपने हृदय में भगवान का वास मानने वाला व्यक्ति यह मानता है कि दूसरों के हृदय में भी ब्रह्म इसी तरह विराजमान है। इसलिए दूसरों की बुराई या घृणा से दूर रहना चाहिए। नचिकेता प्रश्न : क्या है आत्मा का स्वरूप? यमराज उत्तर : यमदेव के अनुसार शरीर के नाश होने के साथ जीवात्मा का नाश नहीं होता। आत्मा का भोग-विलास, नाशवान, अनित्य और जड़ शरीर से इसका कोई लेना-देना नहीं है। यह अनन्त, अनादि और दोष रहित है। इसका कोई कारण है, न कोई कार्य यानी इसका न जन्म होता है, न मरती है। नचिकेता प्रश्न : यदि कोई व्यक्ति आत्मा-परमात्मा के ज्ञान को नहीं जानता है तो उसे कैसे फल भोगना पड़ते हैं? यमराज उत्तर : जिस तरह बारिश का पानी एक ही होता है, लेकिन ऊंचे पहाड़ों पर बरसने से वह एक जगह नहीं रुकता और नीचे की ओर बहता है, कई प्रकार के रंग-रूप और गंध में बदलता है। उसी प्रकार एक ही परमात्मा से जन्म लेने वाले देव, असुर और मनुष्य भी भगवान को अलग-अलग मानते हैं और अलग मानकर ही पूजा करते हैं। बारिश के जल की तरह ही सुर-असुर कई योनियों में भटकते रहते हैं। नचिकेता प्रश्न : कैसा है ब्रह्म का स्वरूप और वे कहां और कैसे प्रकट होते हैं? यमराज उत्तर : ब्रह्म प्राकृतिक गुणों से एकदम अलग हैं, वे स्वयं प्रकट होने वाले देवता हैं। इनका नाम वसु है। वे ही मेहमान बनकर हमारे घरों में आते हैं। यज्ञ में पवित्र अग्रि और उसमें आहुति देने वाले भी वसु देवता ही होते हैं। इसी तरह सभी मनुष्यों, श्रेष्ठ देवताओं, पितरों, आकाश और सत्य में स्थित होते हैं। जल में मछली हो या शंख, पृथ्वी पर पेड़-पौधे, अंकुर, अनाज, औषधि हो या पर्वतों में नदी, झरने और यज्ञ फल के तौर पर भी ब्रह्म ही प्रकट होते हैं। इस प्रकार ब्रह्म प्रत्यक्ष देव हैं। नचिकेता प्रश्न : आत्मा निकलने के बाद शरीर में क्या रह जाता है? यमराज उत्तर : जब आत्मा शरीर से निकल जाती है तो उसके साथ प्राण और इन्द्रिय ज्ञान भी निकल जाता है। मृत शरीर में क्या बाकी रहता है, यह नजर तो कुछ नहीं आता, लेकिन वह परब्रह्म उस शरीर में रह जाता है, जो हर चेतन और जड़ प्राणी में विद्यमान हैं। नचिकेता प्रश्न : मृत्यु के बाद आत्मा को क्यों और कौन सी योनियां मिलती हैं? यमराज उत्तर : यमदेव के अनुसार अच्छे और बुरे कामों और शास्त्र, गुरु, संगति, शिक्षा और व्यापार के माध्यम से देखी-सुनी बातों के आधार पर पाप-पुण्य होते हैं। इनके आधार पर ही आत्मा मनुष्य या पशु के रूप में नया जन्म प्राप्त करती है। जो लोग बहुत ज्यादा पाप करते हैं, वे मनुष्य और पशुओं के अतिरिक्त अन्य योनियों में जन्म पाते हैं। अन्य योनियां जैसे पेड़-पौध, पहाड़, तिनके आदि। नचिकेता प्रश्न : क्या है आत्मज्ञान और परमात्मा का स्वरूप? यमराज उत्तर : मृत्यु से जुड़े रहस्यों को जानने की शुरुआत बालक नचिकेता ने यमदेव से धर्म-अधर्म से संबंध रहित, कार्य-कारण रूप प्रकृति, भूत, भविष्य और वर्तमान से परे परमात्म तत्व के बारे में जिज्ञासा कर की। यमदेव ने नचिकेता को ‘ऊँ’ को प्रतीक रूप में परब्रह्म का स्वरूप बताया। उन्होंने बताया कि अविनाशी प्रणव यानी ऊंकार ही परमात्मा का स्वरूप है। ऊंकार ही परमात्मा को पाने के सभी आश्रयों में सबसे सर्वश्रेष्ठ और अंतिम माध्यम है। सारे वेद कई तरह के छन्दों व मंत्रों में यही रहस्य बताए गए हैं। जगत में परमात्मा के इस नाम व स्वरूप की शरण लेना ही सबसे बेहतर उपाय है। यम नचिकेता संवाद क्या है?नचिकेता और यमराज के बीच हुए संवाद का उल्लेख हमें कठोपनिषद में मिलता है। नचिकेता के पिता जब विश्वजीत यज्ञ के बाद बूढ़ी एवं बीमार गायों को ब्राह्मणों को दान में देने लगे तो नचिकेता ने अपने पिता से पूछा कि आप मुझे दान में किसे देंगे? तब नचिकेता के पिता क्रोध से भरकर बोले कि मैं तुम्हें यमराज को दान में दूंगा।
नचिकेता ने यमराज से क्या क्या वर्णमाला?यमराज ने नचिकेता की पिता की आज्ञा के पालन और तीन दिन तक कठोर प्रण करने के लिए तीन वर मांगने के लिए कहा। तब नचिकेता ने पहला वर पिता का स्नेह मांगा। दूसरा अग्नि विद्या जानने के बारे में था। तीसरा वर मृत्यु रहस्य और आत्मज्ञान को लेकर था।
नचिकेता की कहानी क्या है?कठोपनिषद में नचिकेता की कहानी आती है, जो एक पांच साल का बालक था। उसके पिता ने एक यज्ञ किया, जिसमें उन्होंने कहा- मैं अपना सब कुछ दान कर दूंगा । लेकिन बाद में वो बीमार गायें दान करने लगे। नचिकेता को यह अच्छा नहीं लगा कि बीमार व बूढी गाय दान की जा रही हैं।
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