जंतु कोशिका का नामांकित चित्र बनाइए - jantu koshika ka naamaankit chitr banaie

Solution : 

जंतु कोशिका का नामांकित चित्र बनाइए - jantu koshika ka naamaankit chitr banaie

माइटोकॉन्ड्रिया-यह सभी पादप तथा जन्तु कोशिका में पाए जाते हैं और सूक्ष्म कणिकाओं या धागे के टुकड़ों जैसे दिखाई देते हैं। इनमें दोहरी झिल्ली होती है। बाहरी झिल्ली छिद्रित होती है। भीतरी झिल्ली बहुत अधिक वलित होती है। ये वलय ATP बनाने वाली रासायनिक क्रियाओं के लिए एक बड़ा क्षेत्र बनाते हैं। इनका अपना DNA और राइबोसोम होते हैं। अत: माइटोकॉन्ड्रिया अपना कुछ प्रोटीन स्वयं बनाते हैं।
कार्य-यह कोशिका का बिजलीघर होता है। जीवन के लिए आवश्यक विभिन्न रासायनिक क्रियाओं को करने के लिए यह ATP के रूप में ऊर्जा प्रदान करते हैं | ATP कोशिका की ऊर्जा है। शरीर नए रासायनिक यौगिकों को अनाने तथा यांत्रिक कार्य के लिए ATP में संचित ऊर्जा का उपयोग करता है।
2. लाइसोसोम- यह कोशिका का अपशिष्ट निपटाने वाला तंत्र होता है। इसमें झिल्ली से घिरी हुई संरचना होती है, जिनमें पाचक एन्जाइम होते हैं। RER इन एन्जाइमों को बनाते हैं। कार्य-यह बाहरी पदार्थों के कोशिका अंगकों के टूटे-फूटे भागों को पाचित करके कोशिका को साफ करते हैं। कोशिका के अन्दर आने वाले बाहरी पदार्थ जैसे-जैक्टीरिया अथवा भोजन तथा पुराने अंगक इसमें चले जाते हैं, जो इन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है। इसमें बहुत शक्तिशाली पाचनकारी एन्जाइम होते हैं, जो सभी कार्बनिक पदार्थों को तोड़ सकने में सक्षम होते हैं।
3. गॉल्जी उपकरण-ये झिल्लीयुक्त पुटिका है, जो एक-दूसरे के ऊपर समान्तर रूप से सजी रहती हैं। इन्हें कुंडिका कहते हैं। इन झिल्लियों का सम्पर्क अन्तव्यी जालिका से होता है और इसलिए जटिल कोशिकीय झिल्ली तंत्र के दूसरे भाग को बनाती है।
कार्य-(i) अन्तद्रव्यी जालिका (ER) में संश्लेषित पदार्थ गॉल्जी उपकरण में पैक किए जाते हैं। उन्हें कोशिका के बाहर तथा अन्दर विभिन्न क्षेत्रों में भेज दिया जाता है। इस कार्य में पुटिका के पदार्थों का संचयन, रूपान्तरण तथा बन्द करना सम्मिलित है।
(ii) गॉल्जी उपकरण लाइसोसोम का निर्माण करते हैं तथा ये सामान्य शक्कर से जटिल शक्कर का भी निर्माण करते हैं। 4. अन्तर्द्रव्यी जालिका (ER)- यह झिल्लीयुक्त नलिकाओं का तंत्र है। इनकी रचना प्लेज्मा झिल्ली के समान है। ये आकार में लम्बी नलिका अथवा गोल या थैली की तरह होती है।
अन्तर्पद्रव्यी जालिका दो प्रकार की होती है। कणिकामय अन्त:प्रद्रव्यो जालिका की सतह पर कण के रूप में राइबोसोम पाए जाते हैं। इस कारण ये प्रोटीन-संश्लेषण करती हैं। चिकनी अन्तःप्रद्रव्यी जालिका पर राइबोसोम नहीं पाए जाते। यह बसा अथवा लिपिड अणुओं को बनाने में सहायता करती है। कुछ प्रोटीन तथा बसा कोशिका झिल्ली को बनाने में सहायता करते हैं। इस प्रक्रिया को .झिल्ली जीवात् जनन. कहा जाता है।
कार्य-अन्त: प्रद्रव्यी जालिका कोशिका एवं बाह्य माध्यम से पदार्थों के परिवहन में मदद करती है। कोशिकांगों का संश्लेषण इनसे होता है। प्रोटीन तथा स्टीरॉयड हारमोन्स संश्लेषण में भी इनकी भूमिका होती है । यह केन्द्रक झिल्ली एवं गॉल्जीकाय का निर्माण करती है।

जंतु कोशिका क्या होती है?

जंतु कोशिका (Animal Cells) : जंतु कोशिका जंतुओं के ऊतकों की एक बुनियादी और महत्वपूर्ण कार्यात्मक इकाई है। आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की पादप कोशिका की तरह, यह एक प्रकार की यूकेरियोटिक कोशिकाएं होती हैं, जिसमें नाभिक और कई विशिष्ट अंग होते हैं।

जंतु कोशिका किसका बना होता है?

कोशिका के तीन मुख्य भाग हैं- (i) कोशिका झिल्ली, (ii) कोशिका द्रव्य जिसमें छोटी-छोटी संरचनाएँ पाई जाती हैं एवं (iii) केन्द्रक। केन्द्रक और कोशिका द्रव्य को केन्द्रक झिल्ली अलग करती है। कोशिका जिसमें सुसंगठित केन्द्रक नहीं होता अर्थात केन्द्रक झिल्ली अनुपस्थित होती है, वह प्रोकैरियोटिक कोशिका कहलाती है।

जंतु कोशिका और पादप कोशिका में क्या अंतर है?

पादप कोशिका में कोशिका भित्ति उपस्थिति होती है। जंतु कोशिका में कोशिका भित्ति अनुपस्थिति होती है। पादप कोशिका में हरितलवक पाया जाता है। जंतु कोशिका में हरितलवक नहीं पाया जाता है।

कोशिका कितने प्रकार के होते हैं?

कोशिका कितने प्रकार के होते हैं.
पहला प्रोकैरियोटिक कोशिका.
दूसरा यूकैरियोटिक कोशिका.