घबराहट होने पर कौन सी टेबलेट लेनी चाहिए? - ghabaraahat hone par kaun see tebalet lenee chaahie?

कुछ लोगों को हर समय घबराहट होती है रहती है तो कुछ लोगों को अचानक ही इस तरह की समस्या कभी भी और कहीं भी घेर लेती है। अगर आप भी इस तरह की समस्या का शिकार होते हैं तो यहां जानें, इसके कारण और समाधान के तरीके...

घबराहट को कैसे पहचानें?

घबराहट होने पर कौन सी टेबलेट लेनी चाहिए? - ghabaraahat hone par kaun see tebalet lenee chaahie?

-घबराहट एक मानसिक और भावनात्मक समस्या है लेकिन इसके लक्षण शारीरिक तौर पर नजर आते हैं। जैसे, घबराहट के दौरान पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में समस्या हो सकती है, बहुत बेचैनी महसूस हो सकती है।

पेट से जुड़ी कई दिक्कतें एक साथ होना

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-घबराहट के दौरान व्यक्ति को पेट से जुड़ी कई दिक्कतें एक साथ हो सकती हैं। जैसे, पेट में खालीपन महसूस होना, मोशन के लिए प्रेशर बनना, यूरिन आना, पेट में हल्की मरोड़ उठना, जी मिचलाना आदि।

ये भी लक्षण

घबराहट होने पर कौन सी टेबलेट लेनी चाहिए? - ghabaraahat hone par kaun see tebalet lenee chaahie?

-गला सूखना, मुंह से तेज स्मेल आना, पसीना-पसीना होना, अचानक बहुत ठंड या बहुत अधिक गर्मी लगना और सिर घूमना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

ऐसी रहती है मानसिक स्थिति

घबराहट होने पर कौन सी टेबलेट लेनी चाहिए? - ghabaraahat hone par kaun see tebalet lenee chaahie?

-जिन लोगों को घबराहट की समस्या होती है, उनके दिमाग में हर समय विचार चलते रहते हैं। मानसिक रूप से वे लोग खुद को शांत महसूस नहीं करते हैं।

- इनका मूड लगातार स्विंग करता रहता है। कई बार ये लोग खुद से बातें करते हैं और इस दौरान अचानक रोना, हंसना और फिर कभी भी घबराहट से भर जाना जैसी समस्याएं इनके साथ होती हैं।

घबराहट को बढ़ानेवाली समस्याएं

घबराहट होने पर कौन सी टेबलेट लेनी चाहिए? - ghabaraahat hone par kaun see tebalet lenee chaahie?

-मानसिक विकार जैसे एडीएचडी की समस्या होना।

-ब्लड प्रेशर का अधिक रहना या बहुत कम रहना।

-थायरॉइड का अधिक बढ़ना

-लंबे समय से दवाओं का सेवन करना।

-नर्वस सिस्टम यानी तंत्रिका तंत्र को अधिक ऐक्टिव करनेवाले फूड्स का सेवन करना। जैसे बहुत अधिक मात्रा में चाय या कॉफी का सेवन करना।

समस्या से बचने के तरीके

घबराहट होने पर कौन सी टेबलेट लेनी चाहिए? - ghabaraahat hone par kaun see tebalet lenee chaahie?

-घबराहट की समस्या से बचने के लिए आप वॉक, ध्यान और योग की सहायता लें।

-ऐसे कामों, बातों और माहौल से दूर रहें, जो आपके लिए मानसिक तनाव बढ़ाने का काम करता हो।

-शाकाहारी भोजन का सेवन अधिक करें। कैफीन युक्त पदार्थों का सेवन सीमित करें। यदि इन सबके बाद भी आपको आराम ना मिले तो डॉक्टर से उपचार अवश्य लें।

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घबराहट और बेचैनी में दवाई का विकल्प सीताफल

घबराहटऔर बेचैनी यानि एन्जायटी होने पर जितना काम एलोपैथी दवा करती है, इसके समान ही फायदा सीताफल का सेवन करने से भी होता है। सीताफल का सेवन करने से दिमाग शांत हाेता है तो मन संतुलित अवस्था में आने लगता है। इस तथ्य को शोध के माध्यम से साबित कर लिया गया है।

जीजेयू के फार्मास्यूटीकल विभाग में पीएचडी कर रहे स्कॉलर कैलाश शर्मा ने एक रिसर्च स्टडी में यह पाया है कि सीताफल में वो सभी तत्व मौजूद हैं, जो एन्जायटी को कम करने के लिए ली जाने वाली दवा में होते हैं। साथ ही दवा तैयार करने के लिए कृत्रिम तत्वों का समावेश किया जाता है, लेकिन सीताफल में वो तत्व पहले से मौजूद होते हैं। सीताफल एन्जायटी में किस तरह से काम करता है इसके लिए शोध कर्ता ने चूहों पर परीक्षण किया है। रिसर्च की स्टडी को देखते हुए इसके प्रकाशन के लिए स्वीकृति भी मिल गई है। जीजेयू कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि विवि में किए जाने वाले शोधकार्य मानकों पर खरे उतर रहे हैं, इसलिए शोधार्थी बधाई के पात्र हैं।

सीताफल फाइल फोटो।

एंजायटी पर शोध करने वाले जीजेयू के शोधार्थी कैलाश शर्मा।

ये है एनिक्सिटी, इसलिए हानिकारक

शोधार्थीने बताया कि जब हम ऊंचाई से, पानी में से या किसी जानवर से डरते हैं तो घबराहट पैदा होती है। यह एक विकार होता है जिसे एनेक्सिटी कहते हैं। साक्षात्कार या किसी नए व्यक्ति या नई जगह जाने के दौरान घबराना भी इसी में शामिल है। यह एक बीमारी है, जो हानिकारक है, क्योंकि घबराहट और बेचैनी की स्थिति में हम निर्णय लेने की क्षमता खो देते हैं, साथ ही इससे किसी तरह का अटैक भी सकता है। और हाथ आए अवसर भी छूटने का भय रहता है।

सीताफल में ये तत्व हैं मौजूद

सीताफलमें पी कोमुरिक एसिड होता है जो ब्रेन में गाबा रिस्पेटर को एक्टिवेट कर देता है, इससे एनेक्सिटी ठीक होती है। प्रोटोकैटेक्यूिक विटामिन-सी न्यूट्रोप्रोटेक्टिव हैं और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं। गेलिक केफिक एसिड निट्रिजिक सिस्टम में आई नोज और एन नोज को बंद कर देता है जिससे एनेक्सिटी ठीक होती है। सीताफल को मान्यता के अनुसार पवित्र फल भी माना जाता है और इसे पूजा पाठ के दौरान प्रयोग किया जाता है। शोधार्थी कैलाश शर्मा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि कई जगह यह फल महंगा तो कहीं पर कम रेट में भी मिल जाता है।

इस तरह से की स्टडी, ये निष्कर्ष

शोधार्थीकैलाश शर्मा ने बताया कि सीताफल पर स्टडी करने के लिए अलग-अलग मॉडल बनाए गए। जिसमें 6-6 चूहों के पांच ग्रुप बनाए गए। इसके बाद इस तरह की स्थिति पैदा की गई जिससे चूहों में घबराहट और तनाव बढ़ जाए। एन्जायटी की स्थिति में चूहे किस तरह से व्यवहार करते हैं और मॉडल में किस तरह सुरक्षित रहने के लिए छुपते हैं, इसकी मेजरमेंट की गई। इसमें एक ग्रुप को सिर्फ पानी, दूसरे ग्रुप को बाजार में मिलने वाली ड्रग्स और तीसरे ग्रुप को सीताफल के जूस में पानी मिलाकर 3 प्रतिशत, चौथे ग्रुप को 6 प्रतिशत और पांचवें ग्रुप को 9 प्रतिशत वॉल्यूम की डाइट दी गई। इस दौरान देखा गया कि बाजार में मिलने वाली डायजापाम ड्रग्स और सीताफल के जूस लेने वाले चूहे के व्यवहार में कितना फर्क है, तो पाया कि दोनों का असर एक बराबर ही है।

घबराहट होने पर कौन सी गोली दी जाती है?

नाइट्रेक 10mg टैबलेट के सभी विकल्प.
बैरोनाइट 10mg टैबलेट बड़ौदा फार्मा प्राइवेट लिमिटेड द्वारा ₹1.15/tablet. ... .
इनसोमिन फोर्ट 10mg टैबलेट सायकोरमेडिज द्वारा ₹1.3/tablet. ... .
निरा 10mg टैबलेट डी डी फार्मास्यूटिकल्स द्वारा ₹2.5/tablet. ... .
नैप 10mg टैबलेट शाइन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड द्वारा ... .
नट्प टैबलेट कीवी लैब्स लिमिटेड द्वारा.

बहुत ज्यादा घबराहट हो तो क्या करना चाहिए?

घबराहट का रामबाण इलाज.
सक्रिय रहें नियमित व्यायाम केवल शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में नहीं हैं – यह आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी एक बड़ी मदद हो सकती हैं।.
बादाम ... .
मालिश ... .
कैमोमाइल ... .
ध्यान ... .
साँस लेना ... .
गर्म पानी का स्नान.

घबराहट होने के क्या लक्षण होते हैं?

इस स्थिति में बॉडी से बहुत ज्यादा पसीना आता है. बहुत लंबे समय घबराहट महसूस होती है. बैचेनी बढ़ने लगती है और ध्यान केंद्रित करना मुश्किल होता है. सांस लेने में दिक्कत हो सकती है और घुटन महसूस होती है.

शरीर में बेचैनी और घबराहट क्यों होती है?

हर व्यक्ति को किसी घटना, स्थिति को लेकर डर या चिंता रहती है। लेकिन अगर चिंता का स्तर लंबे वक्त तक बना रहे, या व्यक्ति इसे इग्नोर करे, तो यह एंग्जायटी अटैक का रूप ले लेती है। एंग्जायटी अटैक में व्यक्ति हर वक्त चिंता, डर और बेचैनी का अनुभव करता है। उसकी दिल की धड़कन तेज होने लगती है और घुटन की हद तक सांस फूलने लगती है।