परिश्रम करने वाला कौन होता है? - parishram karane vaala kaun hota hai?

Comprehension

निर्देश- नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

संसार के विकसित देशः जैसे जापान, अमेरिका, रूस तथा जर्मनी आदि समृद्धिशाली कैसे बने हैं? निश्चय ही कठोर परिश्रम द्वारा। जिस राष्ट्र के लोग दृढ़ संकल्प तथा परिश्रमपूर्वक कर्म में लीन हैं। उनकी उन्नति तथा प्रगति अवश्यंभावी है। परिश्रमी व्याक्ति विश्वासपूर्वक मार्ग की बाधाओं को हटाता हुआ निरंतर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहता है जो परिश्रम से जी चुराता है वह सदा ही दीन-हीन ही बना रहता है। संसार में जितने भी महापुरुष हुए हैं उनकी महानता के पीछे कठिन परिश्रम ही रहा है चाहे न्यूटन और रमन जैसे वैज्ञानिक हों या शेक्सपियर और टैगोर जैसे कवि, बिरला जैसे व्यापारी हो या लिंकन, गाँधी जैसे जन-नेता। सभी ने अपने-अपने क्षेत्र में कठोर संघर्ष तथा अथक परिश्रम किया है। 

परिश्रम से जी चुराने वाले व्यक्ति क्या कहलाते हैं?

This question was previously asked in

CTET Paper 1 - 12th Jan 2022 (English-Hindi-Sanskrit)

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  1. परिश्रमी व्यक्ति
  2. मेहनती व्यक्ति
  3. आलसी व्यक्ति
  4. असहाय व्यक्ति

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : आलसी व्यक्ति

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10 Questions 10 Marks 10 Mins

सही उत्तर 'आलसी व्यक्तिहै।

  • परिश्रम से जी चुराने वाले व्यक्ति को 'आलसी व्यक्ति' कहलाते हैं।
  • गद्यांश की पंक्ति, "परिश्रमी व्याक्ति विश्वासपूर्वक मार्ग की बाधाओं को हटाता हुआ निरंतर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहता है जो परिश्रम से जी चुराता है वह सदा ही दीन-हीन ही बना रहता है।"

परिश्रम करने वाला कौन होता है? - parishram karane vaala kaun hota hai?
Key Points

  • परिश्रमी व्यक्ति विश्वास के साथ मार्ग की बाधाओं को हटाता है। अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है तथा सफल होता है, परंतु आलसी व्यक्ति काम से जी चुराता है, इसलिए असफल होकर दीन-हीन बना रहता है।
  • आलसी का विलोम शब्द विश्राम, परिश्रमी होता है।
  • किसी शब्द का उल्टा अर्थ व्यक्त करने वाला शब्द विलोम/विलोमार्थक शब्द कहलाता है।

Last updated on Oct 25, 2022

Detailed Notification for  CTET (Central Teacher Eligibility Test) December 2022 cycle released on 31st October 2022. The last date to apply is 24th November 2022. The CTET exam will be held between December 2022 and January 2023. The written exam will consist of Paper 1 (for Teachers of class 1-5) and Paper 2 (for Teachers of classes 6-8). Check out the CTET Selection Process here. Candidates willing to apply for Government Teaching Jobs must appear for this examination.

Essay on Parishram Ka Mahatva in Hindi: नमस्कार दोस्तों, परिश्रम को सफलता की कुंजी कहा जाता है। परिश्रम मनुष्य के जीवन को आवाज बनाता है। परिश्रम के बिना मनुष्य का जीवन फिजूल है। बिना परिश्रम ना तो सफलता मिलती है ना ही मनुष्य आगे बढ़ता है।

परिश्रम ही मनुष्य को कठोर और सफल बनाता है और परिश्रम से मिली हुई सफलता लंबे समय तक टिकती है। जिन लोगों को परिश्रम नहीं करना है, वह लोग किस्मत के भरोसे बैठे रहते हैं। लेकिन कर्म करने वालों की कभी हार नहीं होती।

परिश्रम करने वाला कौन होता है? - parishram karane vaala kaun hota hai?
Essay on Parishram Ka Mahatva in Hindi

आज हम बात करने जा रहे हैं परिश्रम के महत्व के बारे में। परिश्रम का अर्थ होता है मेहनत करना। परिश्रम से ही हम अपने भोजन की व्यवस्था कर सकते हैं। आइए इससे जुड़ी कुछ बातें जानते हैं। हम यहां पर परिश्रम का महत्व पर निबंध शेयर कर रहे है।

इस निबंध में परिश्रम का महत्व (parishram ka mahatva nibandh) के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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    • परिश्रम का महत्व पर निबंध 250 शब्द में (Parishram ka Mahatva Par Nibandh)
    • परिश्रम का महत्व पर निबंध 500 शब्दों में (Parishram ka Mahatva Essay in Hindi)
    • परिश्रम का महत्व पर निबंध 850 शब्द में (Parishram ka Mahatva Per Nibandh)
    • अंतिम शब्द

परिश्रम का महत्व पर निबंध 250 शब्द में (Parishram ka Mahatva Par Nibandh)

हमारे जीवन में परिश्रम का उतना ही महत्वपूर्ण होता है, जितना जीवित रहने के लिए भोजन। परिश्रम को सफलता की कुंजी कहा जाता है। आज तक इतिहास में किसी भी व्यक्ति को देखा जाए तो वह अपने आप अचानक से सफल नहीं होता। सफल होने के लिए कठिन परिश्रम करने की आवश्यकता होती है।

आसान शब्दों में कहा जाए तो परिश्रम का अर्थ है किसी काम को करने में हमारे द्वारा किया जाने वाला श्रम ही परिश्रम कहलाता है। देखा जाए तो हर व्यक्ति ही परिश्रम करता है लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि कौन अधिक परिश्रम करता है और कौन कम परिश्रम करता है। परिश्रम ही तय करता है कि हम कितना सफल हो पाएंगे।

परिश्रम दो मुख्य प्रकार के होते हैं एक परिश्रम वह होता है, जो हम आमतौर पर शरीर के द्वारा करते हैं, जिसे हम शारीरिक परिश्रम कहते हैं। अधिकतर यह परिश्रम मजदूर वर्ग के लोगों में देखा जा सकता है।

दूसरा परिश्रम वह होता है, जिसमें हम अपनी मानसिक एवं बौद्धिक क्षमताओं का उपयोग करते हैं। वह मानसिक परिश्रम कहलाता है। किसी भी नई चीज के शुरुआत करने के लिए शारीरिक और मानसिक परिश्रम दोनों ही बहुत जरूरी है।

देखा जाए तो परिश्रम के बिना मनुष्य का जीवन पशु के समान है। एक पशु भी अपने भोजन के लिए ही परिश्रम करता है। यदि हम भी सिर्फ इतने के लिए ही परिश्रम करेंगे तो फिर हम में और जानवर में कोई अंतर नहीं रह जाएगा।

परिश्रम करने वाला कौन होता है? - parishram karane vaala kaun hota hai?
Image: परिश्रम का महत्व हिंदी में निबंध (parishram ka mahatva essay in hindi)

परिश्रम का महत्व पर निबंध 500 शब्दों में (Parishram ka Mahatva Essay in Hindi)

प्रस्तावना

हर मनुष्य परिश्रम से ही सफलता हासिल करता है। किस्मत से सफलता किसी को नहीं मिलती और यदि किसी को मिल जाती है तो वह लंबे समय तक नहीं दिखती है। परिश्रम से हासिल की गई सफलता जिंदगी को आबाद बना देती है। मनुष्य की असली दुनिया परिश्रम यह है। परिश्रम के जरिए ही मनुष्य अपने व्यक्तित्व को महान बनाता है।

परिश्रम किसे कहते हैं और इसका क्या महत्व है?

किसी भी मनुष्य और व्यक्ति द्वारा किया गया शारीरिक और मानसिक रूप से कार्य परिश्रम कहलाता है। परिश्रम जो मनुष्य के जीवन के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण इकाई है। आज के समय में परिश्रम सिर्फ शारीरिक रूप से नहीं रहा है। मानसिक रूप से किया गया परिश्रम भी मनुष्य को अत्यंत महत्वपूर्ण सफलता दिलाता है।

पुराने जमाने में सिर्फ लोगों के पास शारीरिक परिश्रम ही एक विकल्प था और उसी के सहारे लोगों की जिंदगी निकलती थी। लेकिन आज के समय में शारीरिक परिश्रम से ज्यादा मानसिक परिश्रम की जरूरत है। हर मनुष्य के लिए परिश्रम बहुत जरूरी है।

हर व्यक्ति को अपने जीवन में परिश्रम करके जीवन को सरल और संगीन बनाना चाहिए। इस धरती पर ऐसा कोई भी काम नहीं है, जो परिश्रम करने के बावजूद भी नहीं हो पाए या ऐसी कोई सफलता नहीं है। जो परिश्रम के बावजूद भी नहीं मिल पाए परिश्रम है तो सब मुमकिन है।

हिंदी में एक कहावत भी है “मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती” यह पूरी तरह से इसी पर आधारित कहावत है।

परिश्रम करना क्यों जरूरी है?

हर मनुष्य को अपने जीवन में परिश्रम करते रहना चाहिए। परिश्रम करना ही मनुष्य के लिए एक उत्तम कार्य होता है और इसी से व्यक्ति आगे बढ़ता है। परिश्रम करने से आलस्य दूर होता है।

निरंतर परिश्रम करने से व्यक्ति को सफलता मिलती है और नए-नए रास्ते मिलते हैं। परिश्रम करने से व्यक्ति को स्किल सीखने का मौका मिलता है। हर क्षेत्र में रिजल्ट परिश्रम के बाद ही मिलता है, इसलिए परिश्रम करना जरूरी है।

परिश्रम नहीं करने से क्या होगा?

यदि व्यक्ति अपने जीवन में परिश्रम नहीं करता है और किस्मत के भरोसे बैठा रहता है तो उस व्यक्ति को कभी सफलता नहीं मिलती और सफलता नहीं मिलने की वजह से व्यक्ति और ज्यादा हताश हो जाता है।

लेकिन परिश्रम के बिना सफलता मिलना असंभव है। परिश्रम नहीं करने से व्यक्ति अपने लेवल को नहीं बढ़ा सकता है। परिश्रम नहीं करने से व्यक्ति को ना तो नए रास्ते मिलेंगे और ना ही कोई नई स्कील सीखने का मौका मिलेगा।

उपसंहार

व्यक्ति के लिए जितना भोजन करना जरूरी है। उतना ही परिश्रम करना जरूरी है। परिश्रम दो प्रकार का होता है। पहला शारीरिक परिश्रम और दूसरा मानसिक परिश्रम और यदि दोनों परिश्रम साथ हो तो व्यक्ति को सफलता मिलने से कोई नहीं रोक सकता है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 850 शब्द में (Parishram ka Mahatva Per Nibandh)

प्रस्तावना

अगर हम जीवन में सफलता और खुशी चाहते हैं तो इसका हमारे पास एकमात्र तरीका है परिश्रम करना। परिश्रम से संबंधित भर्तृहरि जी ने एक श्लोक कहा है।

उद्यमें नहि सिध्यंति
कार्याणि ना मनोरथि
न हीं सुप्तस्य सिंहस्य
प्रविशांति मुखे मृगा

इसका मतलब है सिर्फ मन में कामना कर लेने भर से कोई कार्य संपन्न नहीं हो जाता है, उसके लिए हमें कठिन परिश्रम करना पड़ता है। ठीक उसी तरह जैसे सोते हुए शेर के मुख में हिरण खुद नहीं आ जाता।

परिश्रम का महत्व

देखा जाए तो परीक्षण को कुछ ही शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है। क्योंकि किसी व्यक्ति के जीवन में परिश्रम है अर्थात वह परिश्रम करने से नहीं डरता तो उसके लिए कोई भी काम असंभव नहीं है। वह हर असंभव काम को संभव बना सकता है। इसीलिए कहा जाता है कि दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं है। जरूरी है तो हमारा परिश्रम करना।

इतिहास भी इस बात का साक्षी है कि जो इंसान अधिक परिश्रम करता है। वह जिंदगी में सब कुछ पा सकता है उसके लिए कोई भी सीमा बाधित नहीं है।

परिश्रम से सिर्फ धनसंपदा की प्राप्ति नहीं होती बल्कि साथ में यश कीर्ति सुख और आनंद की भी प्राप्ति होती है। इसी के साथ परिश्रमी व्यक्ति सिर्फ अपना ही भला नहीं करता है बल्कि अपने साथ-साथ समाज और देश का भी भला करता है।

परिश्रम का वास्तविक स्वरूप

देखा जाए तो हम सब इसी उलझन में रहते हैं कि आखिर परिश्रम का वास्तविक स्वरूप क्या है? किसी को अपने जीवन में कब परिश्रम करना चाहिए? इसका सही समय क्या होना चाहिए? इत्यादि उलझनों में हम घेरे रहते हैं।

परिश्रम का वास्तविक स्वरूप यह है कि हमें बिना फल के कर्म करते रहना चाहिए। भगवान कृष्ण ने भी गीता में यही कहा था कि कर्म करते रहो फल की इच्छा ना करो। अगर आपको कुछ भी चाहिए तो आप उसके लिए परिश्रम करते रहिए। कभी ना कभी वह आपको जरूर हासिल होगा।

परिश्रम के लाभ

सब लोग यही चाहते हैं कि हमें सफलता पाने का कोई भी आसान सा तरीका मिल जाए। लेकिन सफलता सिर्फ परिश्रम से ही पाई जा सकती है। इसीलिए आपको निरंतर परिश्रम करते रहना चाहिए।

आजकल के लोगों का रहन सहन बहुत ही आरामदायक हो गया है, जिससे लोग आलसी स्वभाव के बन गए हैं। लेकिन युवाओं को यह समझाना चाहिए कि परिश्रम के बिना सफलता नहीं मिलती है। परिश्रम से होने वाले कुछ लाभ निम्नलिखित हैं।

नई चीजें सीखते हैं

हमें पता है आज कल का जो दौर है, वह प्रतिस्पर्धा का दौर है। आए दिन हर कार्य में यहां पर दौड़ लगी हुई है। अगर हम मेहनत करके वह चीज सीख लेते हैं तो हमें भी नई चीज़ सीखने को मिलती है। ऐसे में कोई भी व्यक्ति किसी जगह पर तभी तक स्थाई रह सकता है जब तक वह उस जगह के लायक होगा।

इसके लिए जरूरी है कि वह खुद को हमेशा और बेहतर बनाने की कोशिश करता रहे। खुद में नए बदलाव लाने के लिए और वर्तमान चुनौतियों का सामना करने के लिए जरूरी है कि हम परिश्रम करने के लिए तैयार रहे।

स्थाई सफलता मिलती है

कहते हैं ना किस्मत के बल पर ही सब कुछ नहीं मिल सकता है। अगर हमें कुछ वाकई जिंदगी में कुछ चाहिए तो हमें परिश्रम करना ही होगा। परिश्रमी व्यक्ति कभी भी अपनी और सफलता का दोषी किस्मत को नहीं मानता। वह खुद की कमियों को देखता है, जिनकी वजह से वह सफल हो रहा है।

उसके बाद इन पर काम करता है और सफलता मिले तो कोशिश करता रहता है। यदि परिश्रम करने के बाद भी कोई व्यक्ति और सफल हो रहा है तो उसे निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि हमारे द्वारा की गई मेहनत का परिणाम कभी न कभी हमें जरूर मिलेगा।

नए अवसर बनते हैं

परिश्रमी व्यक्ति कभी भी अवसर आने का इंतजार नहीं करता है, बल्कि वह अपने लिए खुद अवसर बनाता है। अच्छे अवसर की तलाश में बैठे रहना यह आलसी प्रवृत्ति के लोगों का काम है, जो लोग वाकई में मेहनत करना चाहते हैं। वह अपने लिए नए नए अवसर खोजते रहते हैं।

सकारात्मकता बनी रहती है

परिश्रमी व्यक्ति के जीवन में भले ही कितनी बड़ी मुश्किल क्यों ना आ जाए। वह परेशान नहीं होता है वह थोड़ी देर के लिए परेशान हो सकता है लेकिन उस परिस्थिति में भी सकारात्मक ही बना रहता है।

अच्छे चरित्र का निर्माण होता है

मेहनत करने से व्यक्ति के अंदर अच्छे चरित्र का निर्माण होता है। मेहनती व्यक्ति मेहनत के महत्व को समझता है, इसलिए वह कभी किसी के साथ धोखा नहीं करता। सफलता पाने के लिए कोई भी गलत तरीका नहीं अपनाता और सिर्फ उतनी ही चीजों पर अपना अधिकार जताता है, जितना उसने अपनी मेहनत से हासिल किया है।

परिश्रम से सफलता प्राप्ति के कुछ उदाहरण

इतिहास में हमें बहुत से ऐसे उदाहरण देखने को मिलेंगे, जिनकी हम ने कल्पना भी नहीं की होगी। धरती पर कई महान व्यक्तियों ने जन्म लिया है, जिनमें से कुछ के उदाहरण इस प्रकार हैं।

  • डॉक्टर. पी. जे. अब्दुलकलाम

डॉक्टर कलाम को मिसाइल मैन कहां जाता है। इन्होंने ही देश में मिसाइल के प्रोग्राम की शुरुआत की थी। इनका बचपन अभावों में बीता था। एक समय ऐसी स्थिति आई थी, जब कॉलेज में प्रवेश पाने के लिए 1000 रुपए भी नहीं थे, परंतु उन्होंने परिश्रम करके अपने आप को इस काबिल बनाया कि वह जाने माने वैज्ञानिक भी बने और देश के राष्ट्रपति भी बने।

  • जे. जे. थॉमसन

जे. जे. थॉमसन बचपन से ही मंदबुद्धि थे। इस वजह से उनको स्कूल में से भी निकाल दिया गया था, परंतु जे. जे. थॉमसन ने इतना परिश्रम किया कि उन्होंने बल्ब का आविष्कार किया। वह बल्ब बनाने में 1000 बार फेल हुए आखिरकार उन्होंने सफलता पाई। इसीलिए कहते हैं परिश्रम करने से सफलता अवश्य मिलती ही है।

निष्कर्ष

कहते हैं भाग्य का सहारा वही लोग लेते हैं, जो कर्म हीन है। जो कर्म नहीं करना चाहते हैं, वह अपनी किस्मत का सहारा ही ले सकते हैं।

अतः हम सभी को परिश्रम के महत्व को स्वीकारना एवं समझना चाहिए तथा परिश्रम का मार्ग अपनाते हुए स्वयं का ही नहीं अपितु, अपने देश और समाज के नाम को ऊंचाई पर ले जाना चाहिए और निरंतर परिश्रम करते रहना चाहिए।

अंतिम शब्द

आज के आर्टिकल में हमने  परिश्रम का महत्व पर निबंध (Essay on Parishram Ka Mahatva in Hindi) के बारे में बात की है। मुझे पूरी उम्मीद है की हमारे द्वारा लिखा गया यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल में कोई शंका है तो वह हमें कमेंट में पूछ सकते है।

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परिश्रम करने वालों को क्या कहते हैं?

अत्यंत लगन व परिश्रम करने वाला (Atyant lagan aur parishram karne wala )= अध्यवसायी

परिश्रमी व्यक्ति कैसे होते हैं?

(v)उपसंहार- जो व्यक्ति परिश्रमी होते है वे चरित्रवान, ईमानदार और स्वावलम्बी होते हैं। अगर हम अपने जीवन की, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो हमें परिश्रम और निरंतर अभ्यास करना होगा। जो व्यक्ति परिश्रम करता है उनका स्वास्थ्य भी ठीक रहता हैं

परिश्रम की राह पर चलने वाला छात्र क्या प्राप्त करता है?

एक छात्र परिश्रम की राह पर चलता है तो उसे सफलता तथा संतुष्टि का फल प्राप्त होता है। दूसरा छात्र नकल और प्रवंचना का जीवन जीता है। उसे जीवन भर चोरों, ठगों और धोखेबाजों के बीच रहना पड़ता है।

परिश्रम के बाद कौन सा पदबंध है?

विशेषण पदबंध:- विशेषण का कार्य करने वाले पदों को विशेषण पदबंध कहते हैं। परिश्रम करने वाले छात्र उत्तीर्ण हो जाएंगे। ' में विशेषण पदबंध परिश्रम करने वाले हैं।