RBSE Class 10 Hindi अपठित काव्यांश Show RBSE Class 10 Hindi अपठित काव्यांशनिर्देश-निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए 1. फूलों की राह पुरानी है, प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 2. भई, सूरज प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 3. ओ बदनसीब अन्धो! कमजोर अभागो, प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 4. चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊ प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 5. रणभेरी सुन, कह ‘विदा’-‘विदा’ प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 6. आज भी विश्वास मेरा, तुम बहुत हो काम के, प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 7. पंचवटी की छाया में है, सुन्दर पर्ण-कुटीर बना। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 8. पावस ऋतु थी, पर्वत प्रदेश प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 9. यह सच है तो अब लौट चलो तुम घर को। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 10. विषम श्रृंखलाएँ टूटी हैं प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 11. सबसे विराट जनतंत्र जगत का आ पहुँचा, प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 12. शब्दों की दुनिया में मैंने प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 13. इस समाधि में छिपी हुई है, एक राख की ढेरी। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 14. उठे राष्ट्र तेरे कन्धों पर, बढ़े प्रगति के प्रांगण में। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 15. अरुण यह मधुमय देश हमारा। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 16. उदयाचल से किरन-धेनुएँ प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 17. आज सभ्यता के वैज्ञानिक जड़ विकास पर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 18. व्यथित है मेरा हृदय-प्रदेश, चलूँ उसको बहलाऊँ आज। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 19. तुम्हें पता है? प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 20. फैली खेतों में दूर तलक, प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 21. वह स्वतन्त्रता कैसी है प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 22. अचानक हुआ करुण चीत्कार प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 23. प्राण अन्तर में लिये, पागल जवानी। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 24. बैरी-दल पर ललकार गिरी, प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. अवलोक रहा है बार बार नीचे जल में निज महाकार से क्या तात्पर्य?अवलोक रहा है, बार-बार नीचे जल में महाकार से तात्पर्य यह है कि पर्वत नीचे पहले तालाब में फैले हुए जल में अपने विशाल आकार को निहार रहा है।
लो टूट पड़ा भू पर अंबर का क्या आशय है?है टूट पड़ा भू पर अंबर। सुमित्रानंदन पंत जी ने इस पंक्ति में पर्वत प्रदेश के मूसलाधार वर्षा का वर्णन किया है। पर्वत प्रदेश में पावस ऋतु में प्रकृति की छटा निराली हो जाती है। कभी-कभी इतनी धुआँधार वर्षा होती है मानो आकाश टूट पड़ेगा।
नीचे स्थित जल में कौन अपने विशाल आकार को निहार रहा है?पावस ऋतु में प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन आते हैं? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए। वर्षा ऋतु में पर्वतीय प्रदेश में प्रकृति प्रतिपल नया वेश ग्रहण करती दिखाई देती है। इस ऋतु में प्रकृति में निम्नलिखित परिवर्तन आते हैं- विशाल आकार वाला पर्वत तालाब के स्वच्छ जल रूपी दर्पण में अपना प्रतिबिंब देखता है।
|