अवलोक रहा है बार बार नीचे जल में महाकाल से क्या तात्पर्य है? - avalok raha hai baar baar neeche jal mein mahaakaal se kya taatpary hai?

RBSE Class 10 Hindi अपठित काव्यांश

RBSE Class 10 Hindi अपठित काव्यांश

निर्देश-निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए

1. फूलों की राह पुरानी है,
शूलों की राह नई साथी
सुमनों के पथ पर चरणों के
कितने ही चिह्न पड़े होंगे
लालायित फिर भी चलने को
कितने ही चरण खड़े होंगे।
पर, गैल अछूती शूलों की
जो चूमे वही जवानी है,
जो लहू सींच कर बढ़ते हैं
उनका ही कच रवानी है।
जीवन की चाह पुरानी है
मरने की चाह नई साथी
फूलों की राह पुरानी है
शूलों की राह नई साथी। 

प्रश्न 1.
‘फूलों की राह पुरानी है’ में ‘राह पुरानी’ से आशय है –
(क) पुराना रास्ता
(ख) बनी-बनाई राह
(ग) स्वयं द्वारा बनाई राह
(घ) औरों द्वारा बनाई राह
उत्तर:
(घ) औरों द्वारा बनाई राह

प्रश्न 2.
‘फूल’ प्रतीक है-
(क) कोमलता का
(ख) कठोरता का
(ग) संकटों का
(घ) सुन्दर कल्पनाओं का
उत्तर:
(घ) सुन्दर कल्पनाओं का

प्रश्न 3.
‘गैल अछूती’ से तात्पर्य है-
(क) जिस रास्ते को किसी ने छुआ नहीं
(ख) रास्ता अछूता है
(ग) जिस रास्ते पर आज तक कोई गया नहीं
(घ) जो गीला, अछूत
उत्तर:
(ग) जिस रास्ते पर आज तक कोई गया नहीं

प्रश्न 4.
‘जो लहू सींच कर बढ़ते हैं’ किसके लिए कहा गया है
(क) साहसी
(ख) वीर
(ग) पराक्रमी
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 5.
‘कूच करना’ मुहावरे का अर्थ है
(क) भाग जाना
(ख) कुछ नया करना
(ग) प्रस्थान करना
(घ) रुके रहना
उत्तर:
(ग) प्रस्थान करना

2. भई, सूरज
जरा इस आदमी को जगाओ
भई, पवन
ज़रा इस आदमी को हिलाओ,
यह आदमी जो सोया पड़ा है,
जो सच से बेखबर
सपनों में खोया पड़ा है।
वक्त पर जगाओ,
नहीं तो जब बेवक्त जागेगा यह
तो जो आगे निकल गए हैं।
उन्हें पाने घबरा कर भागेगा यह।
घबरा के भागना अलग है
क्षिप्र गति अलग है
क्षिप्र तो वह है जो सही क्षण में सजग है
सूरज, इसे जगाओ,
पवन, इसे हिलाओ। 

प्रश्न 1.
कवि ने किसे जगाने को कहा है
(क) सोये हुए को
(ख) जागे हुए को
(ग) आलसी को
(घ) कामचोर को
उत्तर:
(घ) कामचोर को

प्रश्न 2.
हवा से किस आदमी को हिलाने को कहा है
(क) कल्पना में डूबे व्यक्ति को
(ख) एक स्थान पर टिके व्यक्ति को
(ग) भागते व्यक्ति को
(घ) सोते व्यक्ति को
उत्तर:
(क) कल्पना में डूबे व्यक्ति को

प्रश्न 3.
बेवक्त जागने पर क्या होगा?
(क) दिन डूब जाएगा
(ख) समय बीत जाएगा
(ग) साथ वाले आगे निकल जायेंगे
(घ) कुछ नहीं होगा
उत्तर:
(ग) साथ वाले आगे निकल जायेंगे

प्रश्न 4.
सच से बेखबर कौन है?
(क) जो अशिक्षित है।
(ख) जो कल्पनाओं में खोया है।
(ग) जो सोया पड़ा है।
(घ) जो भाग रहा है।
उत्तर:
(ख) जो कल्पनाओं में खोया है।

प्रश्न 5.
‘क्षिप्र गति’ से आशय है
(क) तेज चाल
(ख) मद्धिम चाल
(ग) सुस्त चाल
(घ) दौड़ना
उत्तर:
(क) तेज चाल

3. ओ बदनसीब अन्धो! कमजोर अभागो,
अब तो खोलो नयन नींद से जागो।
वह अघी? बाहुबल का जो अपलापी है,
जिसकी ज्वाला बुझ गई, वही पापी है।
जब तक प्रसन्न यह अनल सगुण हँसते हैं,
है जहाँ खड्ग, सब पुण्य वहीं बसते हैं।
वीरता जहाँ पर नहीं, पुण्य का क्षय है,
वीरता जहाँ पर नहीं, स्वार्थ की जय है।
तलवार पुण्य की सखी, धर्म पालक है,
लालच पर अंकुश कठिन, लोभ सालक है।
असि छोड़, भीरु बन जहाँ धर्म सोता है,
पावक प्रचण्डतम वहाँ प्रकट होता है। 

प्रश्न 1.
कवि किन पर क्रोधित हो रहा है?
(क) अज्ञानी
(ख) आलसी
(ग) भाग्यहीन
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 2.
पुण्य का निवास कहाँ रहता है? प्रतीकात्मक अर्थ बताइये।
(क) खड्ग
(ख) वीरता
(ग) पराजय
(घ) धनुष
उत्तर:
(ख) वीरता

प्रश्न 3.
पुण्य की सखी कौन है?
(क) तलवार
(ख) खड्ग
(ग) असि
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 4.
कौनसा कथन असत्य है?
(क) जहाँ वीरता नहीं वहाँ पुण्य का नाश है।
(ख) जहाँ वीरता नहीं वहाँ स्वार्थ की विजय है।
(ग) तलवार पुण्य की सखी मानी जाती है।
(घ) लोभ-लालच पर अंकुश होना कठिन कार्य है।
उत्तर:
(ख) जहाँ वीरता नहीं वहाँ स्वार्थ की विजय है।

प्रश्न 5.
बाहुबल का जो अपलापी है, में ‘अपलापी’ अर्थ है
(क) दिखाना
(ख) बताना
(ग) छिपाना
(घ) भाग जाना
उत्तर:
(ग) छिपाना

4. चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊ
चाह नहीं, सम्राटों के शव पर
हे हरि! डाला जाऊँ
चाह नहीं, देवों के सिर पर
चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ
मुझे तोड़ लेना बनमाली
उस पथ पर तुम देना फेंक
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ पर जाएँ वीर अनेक। 

प्रश्न 1.
कवि किसकी इच्छा का वर्णन कर रहे हैं
(क) पेड़
(ख) तितली
(ग) पुष्प
(घ) वनमाली
उत्तर:
(ग) पुष्प

प्रश्न 2.
पुष्प की अभिलाषा है
(क) सुन्दरी के बालों में सजना
(ख) सम्राटों के शव पर चढ़ाया जाना
(ग) ईश्वर के ऊपर अर्पित करना
(घ) वीरों के रास्ते में सजना
उत्तर:
(घ) वीरों के रास्ते में सजना

प्रश्न 3.
इन पंक्तियों में पुष्प की कौनसी भावना व्यक्त होती है?
(क) सौन्दर्य प्रेम
(ख) राष्ट्र प्रेम
(ग) ईश्वर प्रेम
(घ) श्रृंगार प्रेम
उत्तर:
(ख) राष्ट्र प्रेम

प्रश्न 4.
‘चाह नहीं देवों के सिर पर इठलाऊँ’ में ‘चाह’ का अर्थ है- .
(क) इच्छा
(ख) अभिलाषा
(ग) कामना
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 5.
कौनसा कथन सत्य है
(क) पुष्प श्रृंगार में सजना चाहता है।
(ख) पुष्प देवों के सिर पर चढ़ कर इठलाना चाहता है।
(ग) पुष्प सम्राटों की शव-यात्रा में बिखरना चाहता है।
(घ) वीरों के पद-मार्ग में देश की खातिर बिखरना चाहता है।
उत्तर:
(घ) वीरों के पद-मार्ग में देश की खातिर बिखरना चाहता है।

5. रणभेरी सुन, कह ‘विदा’-‘विदा’
जब सैनिक पुलक रहे होंगे।
हाथों में कुमकुम थाल लिए,
कुछ जल कण ढुलक रहे होंगे।
कर्तव्य-प्रेम की उलझन में,
पथ भूल न जाना पथिक कहीं॥
वेदी पर बैठा महाकाल,
जब नर बलि चढ़ा रहा होगा।
बलिदानी अपने ही कर से,
निज मस्तक बढ़ा रहा होगा।
उस बलिदान-प्रतिष्ठा में,
पथ भूल न जाना पथिक कहीं॥
कुछ मस्तक कम पड़ते होंगे,
जब महाकाल की माला में।
माँ! माँग रही होगी आहुति,
जब स्वतंत्रता की ज्वाला में।
पल भर भी पड़ असमंजस में,
‘पथ भूल न जाना पथिक कहीं॥ 

प्रश्न 1.
निम्न कविता कौनसा भाव प्रस्तुत कर रही है
(क) देशभक्ति
(ख) मातृभक्ति
(ग) राष्ट्र भक्ति
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 2.
‘कुछ जल कण ढुलक रहे होंगे’ में किसके लिए कहा गया है
(क) माँ
(ख) बहन
(ग) पत्नी
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 3.
‘पथ भूल न जाना पथिक कहीं’ में पथिक कौन है?
(क) सैनिक
(ख) यात्री
(ग) अतिथि
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(क) सैनिक

प्रश्न 4.
‘पल भर भी पड़ असमंजस में’ में ‘असमंजस’ का अर्थ है
(क) उलझन
(ख) दुविधा
(ग) कशमकश
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 5.
कौनसा कथन असत्य है
(क) सैनिक मातृभूमि की रक्षा हेतु जा रहा है।
(ख) सैनिक बलिदान हेतु स्वयं तत्पर है।
(ग) सैनिक निज स्वार्थ के लिए असमंजस में है।
(घ) सैनिक स्वतंत्रता की ज्वाला में कूदने जा रहा है।
उत्तर:
(ग) सैनिक निज स्वार्थ के लिए असमंजस में है।

6. आज भी विश्वास मेरा, तुम बहुत हो काम के,
तुम बदल सकते हो नक्शे, आज फिर आवाम के।
पर जरा नीचे पधारो और पश्चाताप कर लो,
घर करो मजबूत पहले औ दिलों को साफ कर लो॥
मोह छोड़ो कुर्सियों का, साँस लो-अवकाश लो,
फिर नयी ताकत जुटाओ, देश का विश्वास लो।
आस्था का देश है यह, सौ गुना फिर पाओगे,
यह मुहूरत टल गया तो देखना पछताओगे।
इसलिए फिर कह रहा हूँ ………….
महल से नीचे पधारो, देश फिर वंदन करेगा,
‘फिर वही अर्चन करेगा, और अभिनंदन करेगा। 

प्रश्न 1.
‘तुम बहुत हो काम के’ कवि किसे कह रहा है –
(क) युवाओं को
(ख) बच्चों को
(ग) वृद्धों को
(घ) प्रौढ़ों को
उत्तर:
(क) युवाओं को

प्रश्न 2.
‘घर करो मजबूत पहले’ कवि किसके घर की प्रतीकात्मक बात कह रहा है
(क) अपने घर की
(ख) अपने देश की
(ग) अपने परिवार की
(घ) अपने समाज की
उत्तर:
(ख) अपने देश की

प्रश्न 3.
‘आस्था का देश है ये’ यहाँ ‘ये’ आशय है-
(क) भारत
(ख) बांग्लादेश
(ग) श्रीलंका
(घ) मॉरीशस
उत्तर:
(ग) श्रीलंका

प्रश्न 4.
‘यह मुहूर्त टल गया तो देखना पछताओगे’ में किस बात के मुहूर्त की चर्चा की गई है?
(क) पूजा के सही समय का..
(ख) विवाह के सही समय का
(ग) देश रक्षा के सही समय का
(घ) गृह प्रवेश के सही समय का
उत्तर:
(ग) देश रक्षा के सही समय का

प्रश्न 5.
“फिर वही.अर्चन करेगा’ में ‘अर्चन’ का अर्थ है-.
(क) अड़चन
(ख) उलझन
(ग) वंदन
(घ) कीर्तन
उत्तर:
(ग) वंदन

7. पंचवटी की छाया में है, सुन्दर पर्ण-कुटीर बना।
उसके सम्मुख स्वच्छ शिला पर, धीर, वीर, निर्भीक मना।
जाग रहा वह कौन धनुर्धर, जबकि भुवन भर सोता है?
भोगी कुसुमायुध योगी-सा बना दृष्टिगत होता है।
किस व्रत में है व्रती वीर यह, निद्रा का यों त्याग किए।
राजभोग के योग्य विपिन में, बैठा आज विराग लिए।
बना हुआ है प्रहरी जिसका, उस कुटीर में क्या धन है।
जिसकी रक्षा में रत इसका तन है, मन है, जीवन है।
मर्त्यलोक मालिन्य मेटने, स्वामि संग जो आई है।
तीन लोक की लक्ष्मी ने यह, कुटी आज अपनाई है।
वीर वंश की लाज यही है, फिर क्यों वीर न हो प्रहरी।
विजन देश है निशा शेष है, निशाचरी माया ठहरी॥ 

प्रश्न 1.
‘बना हुआ है प्रहरी जिसका’, किसे प्रहरी कहा गया है?
(क) राम
(ख) लक्ष्मण
(ग) भरत
(घ) हनुमान
उत्तर:
(ख) लक्ष्मण

प्रश्न 2.
‘जबकि भुवन भर सोता है’ में ‘भुवन’ का अर्थ है
(क) संसार
(ख) जगत
(ग) विश्व
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 3.
‘तीन लोक की लक्ष्मी यह’, लक्ष्मी किसे कहा गया है?
(क) सीता
(ख) सावित्री
(ग) यशोधरा
(घ) उर्मिला
उत्तर:
(क) सीता

प्रश्न 4.
‘विजन देश है निशा शेष है’ में ‘विजन’ से आशय है
(क) दृष्टिकोण
(ख) जनहीन
(ग) अकेला
(घ) दृष्टिहीन
उत्तर:
(ख) जनहीन

प्रश्न 5.
‘पंचवटी’ में किसने कुटिया बनाई थी
(क) वाल्मीकि ने
(ख) राम-लक्ष्मण ने
(ग) विश्वामित्र ने
(घ) पाण्डवों ने
उत्तर:
(ख) राम-लक्ष्मण ने

8. पावस ऋतु थी, पर्वत प्रदेश
पल पल परिवर्तित प्रकृति-वेश!
मेखला कार पर्वत अपार
अपने सहस्त्र-दृग़-सुमन फार
अवलोक रहा है बार-बार
नीचे जल में निज महाकार
जिसके चरणों में पड़ा ताल
दर्पण-सा फैला है विशाल!
गिरि का गौरव गाकर झर-झर
मद में नस नस उत्तेजित कर
मोती की लड़ियों से सुन्दर
झरते हैं झाग भरे निर्झर! 

प्रश्न 1.
‘पावस ऋतु थी, पर्वत प्रदेश’ पर्वत पर कौनसी ऋतु का वर्णन हुआ है?
(क) हिम ऋतु
(ख) शीत ऋतु
(ग) वर्षा ऋतु
(घ) ग्रीष्म ऋतु
उत्तर:
(ग) वर्षा ऋतु

प्रश्न 2.
‘मेखलाकार पर्वत अपार’ किस पर्वतमाला का वर्णन हुआ है?
(क) मलयगिरि
(ख) हिमालय
(ग) नीलगिरी
(घ) चित्रकूट
उत्तर:
(ख) हिमालय

प्रश्न 3.
‘अपने सहन-दृग-सुमन फार’ में ‘सहस्र’ का अर्थ है-
(क) सौ
(ख) हजार
(ग) दस हजार
(घ) हजारों (अगणित)
उत्तर:
(ख) हजार

प्रश्न 4.
हिमालय से कौनसी पवित्र नदी का उद्गम होता है?
(क) यमुना
(ख) गंगा
(ग) गोदावरी
(घ) नर्मदा
उत्तर:
(ख) गंगा

प्रश्न 5.
‘झरते हैं झाग भरे निर्झर’ में ‘निर्झर’ से आशय है
(क) झरना
(ख) झर-झर
(ग) बिना झरे
(घ) निर्जल
उत्तर:
(क) झरना

9. यह सच है तो अब लौट चलो तुम घर को।
चौंके सब सुनकर अटल कैकेयी-स्वर को।
सब ने रानी की ओर अचानक देखा,
वैधव्य-तुषारावता-यथा विध-लेखा।
बैठी थी अचल तथापि असंख्य तरंगा,
वह सिंही अब थी हहा! गौमुखी गंगा।
हाँ जनकर भी मैंने न भरत को जाना,
सब सुन लें तुमने स्वयं अभी यह माना।
यह सच है तो फिर लौट चलो घर भैया,
अपराधिन मैं हूँ तात, तुम्हारी मैया।
दुर्बलता का ही चिह्न विशेष शपथ है,
पर अबला जन के लिए कौन-सा पथ है? 

प्रश्न 1.
‘गौमुखी गंगा’ कहकर इसे इंगित किया गया है-
(क) कौशल्या
(ख) कैकेयी
(ग) सीता
(घ) सुमित्रा
उत्तर:
(ख) कैकेयी

प्रश्न 2.
‘अब लौट चलो तुम घर को’ में किसे घर लौटने को कहा जा रहा है
(क) राम
(ख) लक्ष्मण
(ग) भरत
(घ) शत्रुघ्न
उत्तर:
(क) राम

प्रश्न 3.
‘विधु-लेखा’ में ‘विधु’ से आशय है
(क) चाँद
(ख) सूरज
(ग) पृथ्वी
(घ) तारे
उत्तर:
(क) चाँद

प्रश्न 4.
दुर्बलता का विशेष चिन्ह किसे बताया गया है?
(क) कसम
(ख) सौगन्ध
(ग) शपथ
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 5.
‘बैठी थी अचल तथापि असंख्य तरंगा’ में ‘असंख्य तरंगा’ की प्रतीकात्मक अर्थ है
(क) हजारों लहरें
(ख) हजारों लोग
(ग) हजारों तरंगें
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) हजारों लोग

10. विषम श्रृंखलाएँ टूटी हैं
खुली समस्त दिशाएँ
आज प्रभंजन बनकर चलती
युग बंदिनी हवाएँ
प्रश्न-चिह्न बन खड़ी हो गईं
यह सिमटी सीमाएँ,
आज पुराने सिंहासन की
टूट रही प्रतिमाएँ
उठता है तूफान, इंदु तुम
दीप्तिमान रहना
पहरुए, सावधान रहना
ऊँची हुई मशाल हमारी
आगे कठिन डगर है
शत्रु हट गया, लेकिन उसकी
छायाओं का डर है
शोषण से मृत है समाज
कमजोर हमारा घर है
किन्तु आ रही नई जिन्दगी
यह विश्वास अमर है
जनगंगा में ज्वार
लहर तुम प्रवहमान रहना
पहरुए, सावधान रहना। 

प्रश्न 1.
उक्त कविता में कौनसा भाव मुखर हुआ है?
(क) देश की रक्षा का
(ख) घर की रक्षा का
(ग) परिवार की रक्षा का
(घ) समाज की रक्षा का
उत्तर:
(क) देश की रक्षा का

प्रश्न 2.
‘उठता है तूफान, इंदु तुम दीप्तिमान रहना’ में ‘इंदु’ से आशय है
(क) सूरज
(ख) चाँद
(ग) नक्षत्र
(घ) तारे
उत्तर:
(ख) चाँद

प्रश्न 3.
‘आज प्रभंजन बन कर चलती’ में कवि का ‘प्रभंजन’ से क्या अर्थ है –
(क) भजन-कीर्तन
(ख) तूफान
(ग) धीमी हवाएँ
(घ) तेज हवाएँ
उत्तर:
(घ) तेज हवाएँ

प्रश्न 4.
कवि किस विश्वास की बात कर रहा है?
(क) यही कि कठिन रास्ता है।
(ख) नई जिन्दगी आ रही है।
(ग) छायाओं का डर है।
(घ) कमजोर हमारा घर है।
उत्तर:
(ख) नई जिन्दगी आ रही है।

प्रश्न 5.
कवि ने ‘पहरुए’ किसे सम्बोधित किया है?
(क) नौजवानों को
(ख) युवकों को
(ग) नयी पीढ़ी को
(घ) उपर्युक्त सभी को
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी को

11. सबसे विराट जनतंत्र जगत का आ पहुँचा,
तैंतीस कोटि-हित सिंहासन तैयार करो;
अभिषेक आज राजा का नहीं, प्रजा का है,
तैंतीस कोटि जनता के सिर पर मुकुट धरो।
आरती लिए तू किसे ढूँढ़ता है मूरख
मंदिरों, राजप्रासादों में; तहखानों में?
देवता कहीं सड़कों पर मिट्टी तोड़ रहे;
देवता मिलेंगे खेतों में, खलिहानों में।
फावड़े और हल राजदण्ड बनने को हैं,
धूसरता सोने से श्रृंगार सजाती है।
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है। 

प्रश्न 1.
कवि सिंहासन पर किसे बैठाने की बात कहते हैं?
(क) राजतंत्र
(ख) जनतंत्र
(ग) लोकतंत्र
(घ) ख और ग
उत्तर:
(घ) ख और ग

प्रश्न 2.
खेतों और खलिहानों में कौन मिलेगा?
(क) आदमी
(ख) देवता
(ग) किसान
(घ) खेती
उत्तर:
(ख) देवता

प्रश्न 3.
‘समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो’ से कवि किस समय की बात कर रहा है? –
(क) परिवर्तन का
(ख) बदहाली का
(ग) खुशहाली का
(घ) जागृति का
उत्तर:
(क) परिवर्तन का

प्रश्न 4.
कवि किसका अभिषेक करवा रहे हैं?
(क) राजा
(ख) राजकुमार
(ग) प्रजा
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(ग) प्रजा

प्रश्न 5.
‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’-सिंहासन पर किसका शासन था?
(क) राजाओं का
(ख) अंग्रेजों का
(ग) जमींदारों का
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

12. शब्दों की दुनिया में मैंने
हिन्दी के बल अलख जगाये।
जैसे दीप-शिखा के बिरवे
कोई ठण्डी रात बिताये॥
जो कुछ हूँ हिन्दी से हूँ मैं
जो हो लूँ हिन्दी से हो लूँ।
हिन्दी सहज क्रान्ति की भाषा
यह विप्लव की अकथ कहानी।
मैकॉले पर भारतेन्दु की
अमर विजय की अमिट निशानी॥
शेष गुलामी के दागों को
जब धोलूँ हिन्दी में धोलूँ॥

प्रश्न 1.
निम्न कविता में कवि का स्नेह या प्रेम किसके प्रति व्यक्त हुआ?
(क) राष्ट्रभाषा
(ख) राजभाषा
(ग) मातृभाषा
(घ) हिन्दी
उत्तर:
(घ) हिन्दी

प्रश्न 2.
कवि ने हिन्दी को किसकी भाषा बताया है?
(क) जोश की
(ख) क्रान्ति की
(ग) युद्ध की
(घ) संग्राम की
उत्तर:
(ख) क्रान्ति की

प्रश्न 3.
मैकॉले किस भाषा के समर्थक थे?
(क) हिन्दी
(ख) अंग्रेजी
(ग) फ्रेंच
(घ) जर्मन
उत्तर:
(ख) अंग्रेजी

प्रश्न 4.
कवि अपना व्यक्तित्व किससे निर्मित बताता है?
(क) देश से
(ख) अंग्रेजी भाषा से
(ग) हिन्दी भाषा से
(घ) क्रांति से
उत्तर:
(ग) हिन्दी भाषा से

प्रश्न 5.
‘मैकॉले पर भारतेन्दु को अमर विजय’ से तात्पर्य है.
(क) भारतेन्दु की जीत
(ख) अंग्रेजी की जीत
(ग) हिन्दी की जीत
(घ) देश की जीत
उत्तर:
(ग) हिन्दी की जीत

13. इस समाधि में छिपी हुई है, एक राख की ढेरी।
जलकर जिसने स्वतंत्रता की दिव्य आरती फेरी।।
यह समाधि यह लघु समाधि है, झाँसी की रानी की।
अन्तिम लीला-स्थली यही है, लक्ष्मी मरदानी की।।
यहीं कहीं पर बिखर गई वह, भग्न विजयमाला सी।
उसके फूल यहाँ संचित हैं, है यह स्मृतिशाला सी।।
सहे वार पर वार अन्त तक, बढ़ी वीर बाला सी।
आहुति-सी गिर पड़ी चिता पर, चमक उठी ज्वाला सी॥
बढ़ जाता है मान वीर का, रण में बलि होने से।
मूल्यवती होती सोने की, भस्म यथा सोने से।।
रानी से भी अधिक हमें अब, यह समाधि है प्यारी।
यहाँ निहित है स्वतंत्रता की, आशा की चिनगारी॥
इससे भी सुन्दर समाधियाँ, हम जग में हैं पाते।
उनकी गाथा पर निशीथ में, क्षुद्र जन्तु ही गाते। 

प्रश्न 1.
‘झाँसी की रानी’ का नाम क्या है?
(क) सरोजिनी बाई
(ख) लक्ष्मी बाई
(ग) कौशल्या बाई
(घ) कमला बाई
उत्तर:
(ख) लक्ष्मी बाई

प्रश्न 2.
रानी की समाधि किसकी प्रतीक है
(क) स्वतंत्रता की
(ख) परतंत्रता की
(ग) गुलामी की
(घ) दासता की
उत्तर:
(क) स्वतंत्रता की

प्रश्न 3.
वीरों का मान कहाँ बढ़ता है?
(क) आमोद-प्रमोद में
(ख) क्रीड़ास्थल पर
(ग) युद्ध से भाग जाने पर
(घ) युद्ध में बलिदान देने पर
उत्तर:
(घ) युद्ध में बलिदान देने पर

प्रश्न 4.
‘समाधि’ में किसकी राख की ढेरी छिपी हुई है
(क) अहिल्या बाई
(ख) कौशल्या बाई
(ग) लक्ष्मीबाई
(घ) सरोजिनी बाई
उत्तर:
(ग) लक्ष्मीबाई

प्रश्न 5.
रानी लक्ष्मीबाई को एक और अन्य नाम से जाना जाता है, वह है
(क) मनुबाई
(ख) मरदानी
(ग) मणिकार्णिका
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

14. उठे राष्ट्र तेरे कन्धों पर, बढ़े प्रगति के प्रांगण में।
पृथ्वी को रख दिया उठाकर, तूने नभ के आँगन में।
तेरे प्राणों के ज्वारों पर, लहराते हैं देश सभी।
चाहे जिसे इधर कर दे तू, चाहे जिसे उधर क्षण में।।
मत झुक जाओ देख प्रभंजन, गिरि को देख न रुक जाओ।
और न जम्बुक-से मृगेन्द्र को, देख सहम कर लुक जाओ।।
झुकना, रुकना, लुकना, ये सब कायर की सी बातें हैं।
बस तुम वीरों से निज को बढ़ने को उत्सुक पाओ॥
अपनी अविचल गति से चलकर नियतिचक्र की गति बदलो।
बढ़े चलो, बस बढ़े चलो, हे युवक! निरन्तर बढ़े चलो।।
देश-धर्म-मर्यादा की रक्षा का तुम व्रत ले लो।
बढ़े चलो, तुम बढ़े चलो, हे युवक! तुम अब बढ़े चलो।। 

प्रश्न 1.
उक्त कविता में कवि किसे इंगित करके कह रहे हैं
(क) देश के नौजवानों को
(ख) देश के नवयुवकों को
(ग) देश की युवा पीढ़ी को
(घ) उपर्युक्त सभी को
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी को

प्रश्न 2.
वीरों का गुण है
(क) झुकना
(ख) रुकना
(ग) छिपना
(घ) आगे बढ़ना
उत्तर:
(घ) आगे बढ़ना

प्रश्न 3.
‘अपनी अविचल गति से चलकर’ में ‘अविचल गति’ से तात्पर्य है
(क) धीरे-धीरे चलना
(ख) अनियंत्रित चलना
(ग) नियंत्रित चलना
(घ) तेज गति से चलना
उत्तर:
(ग) नियंत्रित चलना

प्रश्न 4.
कवि राष्ट्र को किस प्रांगण में पहुँचाना चाहता है?
(क) शौर्य के
(ख) विकास के
(ग) विप्लव के
(घ) विनाश के
उत्तर:
(ख) विकास के

प्रश्न 5.
कवि देश के नवयुवकों को कौनसा व्रत लेने को कहते हैं
(क) देश की रक्षा
(ख) धर्म का पालन
(ग) मर्यादा का ध्यान
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

15. अरुण यह मधुमय देश हमारा।
जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।
सरस तामरस गर्भ विभा पर नाच रही तरुशिखा मनोहर।
छिटका जीवन हरियाली पर-मंगल कुंकुम सारा।
लघु सुरधनु से पंख पसारे-शीतल मलय समीर सहारे।
उड़ते खग जिस ओर मुँह किये समझ नीड़ निज प्यारा।
बरसाती आँखों के बादल बनते जहाँ भरे करुणा जल।
लहरें टकराती अनंत की-पाकर जहाँ किनारा।
हेम-कुंभ ले उषा सवेरे-भरती ढुलकाती सुख मेरे।
मदिर ऊँघते रहते-जब-जगकर रजनी भर तारा। 

प्रश्न 1.
‘अरुण यह मधुमय देश हमारा’ कवि किससे कह रहे हैं
(क) युवक से
(ख) चन्द्रमा से
(ग) सूर्य से
(घ) विद्यार्थियों से
उत्तर:
(ग) सूर्य से

प्रश्न 2.
कवि ने भारत देश की कौनसी विशेषता बताई है?
(क) यह देश बहुत सुन्दर है।
(ख) यहाँ के लोग करुणाशील हैं।
(ग) अतिथि देवो भव की परम्परा निभाते हों।
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 3.
‘हेम-कुम्भ ले उषा सवेरे’ में हेम-कुम्भ से तात्पर्य है
(क) सोने का घड़ा
(ख) सूर्य
(ग) पीला कुम्भ
(घ) बर्फ का घड़ा
उत्तर:
(ख) सूर्य

प्रश्न 4.
‘बरसाती आँखों के बादल’ में किस विशेषता को बताया गया है?
(क) संवेदनशील
(ख) कर्त्तव्यनिष्ठ
(ग) न्यायप्रिय
(घ) सहिष्णु
उत्तर:
(क) संवेदनशील

प्रश्न 5.
‘लहरें टकराती अनंत की-पाकर जहाँ किनारा’ में ‘किनारा’ से आशय है
(क) नदी का किनारा
(ख) समुद्र का किनारा
(ग) महासागर का किनारा
(घ) भारतवर्ष
उत्तर:
(घ) भारतवर्ष

16. उदयाचल से किरन-धेनुएँ
हाँक ला रहा
वह प्रभात का ग्वाला।
पूँछ उठाये चली आ रही
क्षितिज-जंगलों से टोली
दिखा रहे पंथ इस भूमा का
सारस सुना-सुना बोली
गिरता जाता फेन मुखों से
नभ में बादल बन तिरता
किरन-धेनुओं का समूह यह
आया अंधकार चरता।
नभ की आम्र छाँह में बैठा
बजा रहा बंशी रखवाला।
ग्वालिन सी ले दूब मधुर
वसुधा हँस-हँसकर गले मिली
चमका अपने अपने स्वर्ण-सींग वे
अब शैलों से उतर चलीं।

प्रश्न 1.
कवि ने प्रभात का ग्वाला किसे कहा है?
(क) सूर्य को
(ख) ग्वाले को
(ग) प्रभात नाम का ग्वाला
(घ) प्रभात से घर से आया ग्वाला
उत्तर:
(क) सूर्य को

प्रश्न 2.
‘उदयाचल से किरण-धेनुएँ’ में ‘किरण-धेनुएँ’ से आशय है
(क) किरण की धेनुएँ
(ख) किरणों रूपी गायें
(ग) किरणों की बनी धेनुएँ
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) किरणों रूपी गायें

प्रश्न 3.
किरण रूपी गायों का समूह क्या चरता है?
(क) घास
(ख) फूल-पत्ते
(ग) अंधकार
(घ) रोशनी
उत्तर:
(ग) अंधकार

प्रश्न 4.
ग्वालिन किसे बताया गया है?
(क) वसुधा
(ख) धरती
(ग) पृथ्वी
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 5.
कवि ने कविता में किसका वर्णन किया है?
(क) प्रात:कालीन प्रकृति सौन्दर्य
(ख) सूर्य का
(ग) पृथ्वी का
(घ) ग्वालों का
उत्तर:
(क) प्रात:कालीन प्रकृति सौन्दर्य

17. आज सभ्यता के वैज्ञानिक जड़ विकास पर
गर्वित विश्व नष्ट होने की ओर अग्रसर
स्पष्ट दिख रहा है। सुख के लिए खिलौना जैसे
बने हुए वैज्ञानिक साधन; केवल पैसे।
आज लक्ष्य में हैं मानव के; स्थल-जल अम्बर,
रेल-तार-बिजली-जहाज-नभयानों से भर
दर्प कर रहे हैं मानव, वर्ग से वर्ग गण,
भिड़े राष्ट्र से राष्ट्र, स्वार्थ से स्वार्थ विचक्षण।
हँसते हैं जड़वाद-ग्रस्त प्रेत ज्यों परस्पर,
विकृत-नयन मुख, कहते हुए, अतीत भयंकर,
था मानव के लिए, पतित था वहाँ विश्वमन,
अपटु अशिक्षित वन्य हमारे रहे बन्धुगण,
फूटी ज्योति विश्व में, मानव हुए सम्मिलित,
धीरे-धीरे हुए विरोधी भाव तिरोहित;
भिन्न रूप से भिन्न-भिन्न धर्मों में संचित
हुए भाव, मानव न रहे करुणा से वंचित। 

प्रश्न 1.
कवि ने वैज्ञानिकों का विकास कैसा बताया है?
(क) गतिशील
(ख) मद्धिम
(ग) जड़
(घ) स्थिर
उत्तर:
(ग) जड़

प्रश्न 2.
गर्वित विश्व किस ओर जा रहा है?
(क) विकास की ओर
(ख) विनाश की ओर
(ग) प्रगति की ओर
(घ) उन्नति की ओर
उत्तर:
(ख) विनाश की ओर

प्रश्न 3.
जड़वाद से ग्रस्त प्रेत किन्हें कहा गया है?
(क) राक्षसों को
(ख) दानवों को
(ग) मानवों को
(घ) यक्षों को
उत्तर:
(ग) मानवों को

प्रश्न 4.
वैज्ञानिक द्वारा निर्मित साधन किस पर निर्भर हैं?
(क) जमीन पर
(ख) आकाश पर
(ग) धन पर
(घ) स्वयं पर
उत्तर:
(ग) धन पर

प्रश्न 5.
कौनसा कथन असत्य है?
(क) वैज्ञानिकों के द्वारा निर्मित साधन केवल पैसों पर निर्भर हैं।
(ख) मानव ने जल, थल, अम्बर में अनेक विकास कार्स किये।
(ग) आज का मानव दर्पहीन है।
(घ) मानव मन कभी करुणा से वंचित नहीं रहे।
उत्तर:
(ग) आज का मानव दर्पहीन है।

18. व्यथित है मेरा हृदय-प्रदेश, चलूँ उसको बहलाऊँ आज।
बताकर अपना दुःख-सुख उसे, हृदय का भार हटाऊँ आज॥
चलूँ माँ के पद-पंकज पकड़, नयन जल से नहलाऊँ आज।
मातृ-मन्दिर में मैंने कहा- चलूँ दर्शन कर आऊँ आज॥
किन्तु यह हुआ अचानक ध्यान, दीन हूँ, छोटी हूँ, अज्ञान।
मातृ-मन्दिर का दुर्गम मार्ग, तुम्हीं बतला दो हे भगवान।।
अहा! वे जगमग-जगमग जगी, सुना है ऊँचे-से सोपान।
फिसलते हैं ये दुर्बल पैर, चढ़ा दो मुझको हे भगवान।
अहा! वे जगमग-जगमग जगी, ज्योतियाँ दीख रही हैं वहाँ।
शीघ्रता करो, वाद्य बज उठे, भला मैं कैसे जाऊँ वहाँ?
सुनायी पड़ता है कल-गान, मिला हूँ मैं भी अपनी तान।
शीघ्रता करो मुझे ले चलो, मातृ मन्दिर में हे भगवान। 

प्रश्न 1.
कवयित्री का हृदय क्यों व्यथित है?
(क) देश की दुर्दशा देखकर
(ख) देश का विकास देखकर
(ग) देश का उत्थान देखकर
(घ) देश का उन्नयन देखकर
उत्तर:
(क) देश की दुर्दशा देखकर

प्रश्न 2.
कवयित्री कहाँ जाना चाहती है?
(क) देवी माँ के मन्दिर
(ख) भारत माँ के मन्दिर
(ग) अपनी माता के पास
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(ख) भारत माँ के मन्दिर

प्रश्न 3.
कवयित्री को अचानक ध्यान क्यों आता है कि वह
(क) छोटी है
(ख) अज्ञानी है
(ग) दीन है
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 4.
‘चलूँ माँ के पद-पंकज पकड़’ में ‘पद-पंकज’ का अर्थ है
(क) पैर-कमल
(ख) कमल रूपी पैर
(ग) कमल समान पैर
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 5.
भारत माता का मन्दिर कहाँ है
(क) मैदान में
(ख) पहाड़ों में
(ग) पर्वत पार
(घ) गुफा में
उत्तर:
(ख) पहाड़ों में

19. तुम्हें पता है?
धरती माँ की काया यों तो
कोरा पत्थर है माटी है।
ऊँचे पर्वत जैसा माथा
गहरे मन जैसी घाटी है
समतल ये मैदान कि जैसे गोद हमारी माता की है।
दूध धार-सी नदियाँ हैं।
माणिक मोती जैसे रत्नों की मंजूषा है फैला सागर।
पर क्या तुमने इस काया के बंजर देखे?
भुगती तपती रेत भभकती भट्टी जैसी?
तुमने मुझे जहाँ से काटा,
खोदा और उखाड़ा जड़ से
वंशनाश कर मुझे मिटाया।
अब बोलो, कैसे लगता है?
वहाँ कभी रहने बसने को मन करता है
उस बंजर में-उस मरुस्थल में?
रुको, रुको सोचो, क्षण भर रुको।
मैं अपनी धरती माता का रक्षा-कवच
वृक्ष हूँ भाई! मुझे न काटो।
मैं तुम्हारा वृक्षमित्र हूँ। 

प्रश्न 1.
लेखक ने धरती माता की काया को कैसी बताया है?
(क) सुन्दर
(ख) कोरा पत्थर
(ग) कोमल
(घ) स्निग्ध
उत्तर:
(ख) कोरा पत्थर

प्रश्न 2.
भारत माता का मन कैसा है?
(क) ऊँचे पत्थर
(ख) गहरी घाटी
(ग) समतल मैदान
(घ) उथली नदी
उत्तर:
(ख) गहरी घाटी

प्रश्न 3.
धरती-माता का वृक्ष-कवच कौन है?
(क) पेड़
(ख) पर्वत
(ग) समुद्र
(घ) मैदान
उत्तर:
(क) पेड़

प्रश्न 4.
रत्नों की.मंजूषा किसे बताया गया है?
(क) पर्वत
(ख) मैदान
(ग) गुफाएँ
(घ) सागर
उत्तर:
(घ) सागर

प्रश्न 5.
समतल मैदान किसके प्रतीक हैं?
(क) माता के बालों के
(ख) माता के माथे के
(ग) माता की गोद के
(घ) माता के हाथों के
उत्तर:
(क) माता के बालों के

20. फैली खेतों में दूर तलक,
मखमल सी कोमल हरियाली।
लिपटी जिससे रवि की किरणें,
चाँदी की सी उजली जाली॥
तिनकों के हरे-हरे तन पर
हिल हरित रंग है रहा झलक।
श्यामल भूतल पर झुका हुआ,
नभ का चिर निर्मल नील फलक॥
रोमांचित सी लगती वसधा.
आई जौ-गेहूँ में बाली।
अरहर सनई की सोने की,
किंकिणियाँ हैं शोभा वाली।
उड़ती भीनी तैलाक्त गन्ध,
फूली सरसों पीली-पीली।
लो हरित धरा से झाँक रही,
नीलम की कली तीसी नीली।।
रंग-रंग के फूलों में हिलमिल,
हँस रही संखिया मटर खड़ी।
मखमली पेटियों से लटकी,
छीमियाँ छिपाये बीच लड़ी। 

प्रश्न 1.
उक्त कविता में वर्ण्य विषय है-
(क) खेतों की हरियाली
(ख) पृथ्वी की छटा निराली
(ग) प्राकृतिक सौंदर्य
(घ) चाँद-सूरज की आँख-मिचौली
उत्तर:
(ग) प्राकृतिक सौंदर्य

प्रश्न 2.
खेतों में दूर तक क्या फैला हुआ है?
(क) हरियाली
(ख) सूर्य-किरणें
(ग) चाँदी-जाली
(घ) नील-फलक
उत्तर:
(क) हरियाली

प्रश्न 3.
सोने की किंकणियों किसे कहा गया है?
(क) अरहर
(ख) मूंग
(ग) उड़द
(घ) चना
उत्तर:
(क) अरहर

प्रश्न 4.
मखमली पेटियों से कौन लटकी हुई है?
(क) सरसों
(ख) गेहूँ
(ग) जौ
(घ) मटर
उत्तर:
(घ) मटर

प्रश्न 5.
जौ-गेहूँ में बाली आने से कौन रोमांचित है?
(क) पृथ्वी
(ख) वसुधा
(ग) धरती
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

21. वह स्वतन्त्रता कैसी है
वह कैसी है आजादी।
जिसके पद पर बच्चों ने
अपनी मुक्ता बिखरा दी॥
सहने की सीमा होती,
सह सका न पीड़ा अन्तर।
हा, सन्धि पत्र लिखने को
वह बैठ गया आसन पर।
कह सावधान रानी ने
राणा का थाम लिया कर।
बोली अधीर पति से वह
कागद मसिपात्र छिपाकर॥
तू भारत का गौरव है
तू जननी सेवारत है।
सच कोई मुझसे पूछे
तो तू ही तू भारत है। 

प्रश्न 1.
‘जिसके पद पर बच्चों ने मुक्ता बिखरा दी’ में ‘मुक्ता’ से आशय है
(क) मुस्कान
(ख) मोती
(ग) खिलौने
(घ) मिठाई
उत्तर:
(क) मुस्कान

प्रश्न 2.
राणा किनकी पीड़ा सहन नहीं कर सका
(क) प्रजा की
(ख) स्वयं की
(ग) बच्चों की
(घ) पत्नी की
उत्तर:
(ग) बच्चों की

प्रश्न 3.
‘कागद मसिपात्र छिपाकर’ में ‘मसिपात्र’ का क्या अर्थ है?
(क) काला कागज
(ख) स्याही की बोतल
(ग) कलम
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(ख) स्याही की बोतल

प्रश्न 4.
‘तू ही तू भारत है’ में रानी ने किसे ‘भारत’ कहा?
(क) महाराणा प्रताप
(ख) विजयसिंह
(ग) संग्रामसिंह
(घ) उदयसिंह
उत्तर:
(क) महाराणा प्रताप

प्रश्न 5.
‘हा, सन्धि-पत्र लिखने को’ राणा किसे सन्धि पत्र लिख रहे थे?
(क) अंग्रेजों को
(ख) मुगलों को
(ग) अफगानों को
(घ) तुर्कों को
उत्तर:
(ख) मुगलों को

22. अचानक हुआ करुण चीत्कार
दुहाई धर्मराज के द्वार।
कहें कैसे, हे परमोदार,
बचाओ अपना कुरु-परिवार।
चौंककर पाण्डव खड़े हुए,
सचिव थे पैरों पड़े हुए।
विजित हैं बन्ध आपके सर्व,
उन्हें है बाँध चुके गन्धर्व।
शकुनि, कर्णापिक का भी गर्व,
हो गया रण में सहसा खर्व।
शत्रुओं का सुन यों अपकर्ष,
वृकोदर बोले शीघ्र सहर्ष।
शूर-मद था उनको भरपूर,
हुआ वह आज अचानक चूर।
चलो, हम सबके काँटे क्रूर,
हुए ऊपर के ऊपर दूर।
लड़ें उनके पीछे हम क्यों?
करें प्रतिकूल परिश्रम क्यों? 

प्रश्न 1.
कवि ने इसमें किस पौराणिक कथा का प्रसंग लिया है?
(क) महाभारत
(ख) रामायण
(ग) शकुन्तला
(घ) उर्वशी
उत्तर:
(क) महाभारत

प्रश्न 2.
‘दुहाई धर्मराज के द्वार’ में धर्मराज कौन है?
(क) यमराज
(ख) युधिष्ठिर
(ग) दुर्योधन
(घ) भीम
उत्तर:
(ख) युधिष्ठिर

प्रश्न 3.
‘सचिव थे पैरों पर पड़े’ किनके सचिव का वर्णन हुआ है
(क) कौरवों के
(ख) पाण्डवों के
(ग) रावण के
(घ) दानवों के
उत्तर:
(क) कौरवों के

प्रश्न 4.
‘विजित है बन्धु आपके सर्व’ में विजित का अर्थ है
(क) जीता हुआ
(ख) हारा हुआ
(ग) जीत कर हारा हुआ
(घ) हार कर जीता हुआ
उत्तर:
(क) जीता हुआ

प्रश्न 5.
‘हम सबके काँटे क्रूर’ में ‘हम’ किनके लिए प्रयुक्त हुआ?
(क) कौरव
(ख) पाण्डव
(ग) दुर्योधन
(घ) भीष्म
उत्तर:
(ख) पाण्डव

23. प्राण अन्तर में लिये, पागल जवानी।
कौन कहती है कि तू
विधवा हुई खो आज पानी।
चल रही घड़ियाँ
चले नभ के सितारे,
चल रही नदियाँ
चले हिम-खण्ड प्यारे।
चल रही है साँस
फिर तू ठहर जाये?
दो सदी पीछे कि
तेरी लहर आये?
पहन ले नर-मुण्डमाला
उठ स्वमुण्ड-सुमेर कर ले
भूमि-सातू पहन बाना आज धानी
प्राण तेरे साथ हैं, उठ री जवानी। 

प्रश्न 1.
कवि ने ‘पागल जवानी’ किस भाव के लिए प्रयुक्त किया है?
(क) वीरता
(ख) जोश
(ग) साहस
(घ) हिम्मत
उत्तर:
(ख) जोश

प्रश्न 2.
‘विधवा हुई खो आज पानी’ में पानी से अभिप्राय है
(क) इज्जत
(ख) सम्मान
(ग) मर्यादा
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 3.
‘भूमि सा तू पहन बाना आज धानी’ में कवि ने किस रंग का बाना पहनने को कहा है?
(क) हरा
(ख) सुनहरा
(ग) पीला
(घ) श्वेत
उत्तर:
(क) हरा

प्रश्न 4.
कवि किसमें जोश भरने को प्रेरित कर रहे हैं?
(क) नवयुवकों में
(ख) प्रकृति में
(ग) आकाश में
(घ) पाताल में
उत्तर:
(क) नवयुवकों में

प्रश्न 5.
‘उठ स्वमुण्ड-सुमेर कर ले’ में ‘स्वमुण्ड’ का अर्थ है
(क) स्वयं का सिर
(ख) दुश्मनों का सिर
(ग) मित्रों का सिर
(घ) शत्रुओं का सिर
उत्तर:
(क) स्वयं का सिर

24. बैरी-दल पर ललकार गिरी,
वह नागिन-सी फुफकार गिरी।
था शोर मौत से बचो बचो,
ललकार गिरी, तलवार गिरी।।
पैदल से हय-दल गज-दल में
छप-छप करती वह निकल गई!
क्षण कहाँ गई कुछ पता न फिर
देखो चमचम वह निकल गई।
क्षण-क्षण गई क्षण उधर गई
क्षण शोर हो गया किधर गई।
था प्रलय, चमकती जिधर गई
क्षण शोर हो गया किधर गई।
क्या अजब विषैली नागिन थी।
जिसके उसने में लहर नहीं।
उतरी तन से मिट गये वीर
फैला शरीर में जहर नहीं। 

प्रश्न 1.
‘बैरी-दल पर ललकार गिरी’ में बैरी-दल से तात्पर्य है
(क) शत्रुओं का समूह
(ख) बेर का समूह
(ग) मित्रों का समूह
(घ) कोई भी नहीं
उत्तर:
(क) शत्रुओं का समूह

प्रश्न 2.
‘वह नागिन-सी फुफकार गिरी’ में नागिन-सी किसे बताया गया?
(क) तलवार
(ख) तीर
(ग) नागिन
(घ) बिजली
उत्तर:
(क) तलवार

प्रश्न 3.
‘पैदल से हय-दल गज-दल से’ में ‘हय दल’ से आशय है
(क) घोड़ों का समूह
(ख) हाथियों का समूह
(ग) सर्यों का समूह
(घ) हिरणों का समूह
उत्तर:
(क) घोड़ों का समूह

प्रश्न 4.
कवि ने तलवार की चमक किसके समान बताई है?
(क) आँधी
(ख) तूफान
(ग) बिजली
(घ) प्रलय
उत्तर:
(घ) प्रलय

प्रश्न 5.
कवि ने किसकी प्रशंसा की है?
(क) तलवार
(ख) प्रलय
(ग) आँधी
(घ) नागिन
उत्तर:
(क) तलवार

अवलोक रहा है बार बार नीचे जल में निज महाकार से क्या तात्पर्य?

अवलोक रहा है, बार-बार नीचे जल में महाकार से तात्पर्य यह है कि पर्वत नीचे पहले तालाब में फैले हुए जल में अपने विशाल आकार को निहार रहा है।

लो टूट पड़ा भू पर अंबर का क्या आशय है?

है टूट पड़ा भू पर अंबर। सुमित्रानंदन पंत जी ने इस पंक्ति में पर्वत प्रदेश के मूसलाधार वर्षा का वर्णन किया है। पर्वत प्रदेश में पावस ऋतु में प्रकृति की छटा निराली हो जाती है। कभी-कभी इतनी धुआँधार वर्षा होती है मानो आकाश टूट पड़ेगा।

नीचे स्थित जल में कौन अपने विशाल आकार को निहार रहा है?

पावस ऋतु में प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन आते हैं? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए। वर्षा ऋतु में पर्वतीय प्रदेश में प्रकृति प्रतिपल नया वेश ग्रहण करती दिखाई देती है। इस ऋतु में प्रकृति में निम्नलिखित परिवर्तन आते हैं- विशाल आकार वाला पर्वत तालाब के स्वच्छ जल रूपी दर्पण में अपना प्रतिबिंब देखता है।