क्रम संख्या स्थापना वर्ष नाम स्थान १ 1791 सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी २ 1961 कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा ३ 1962 राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति तिरुपति ४ 1962 श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ नयी दिल्ली ५ 1970 राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली नयी दिल्ली ६ 1981 श्री जगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी ७ 1993 श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय कालडी ८ 1997 कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय रामटेक ९ 2001 जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर १० 2005 श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय वेरावल ११ 2005 उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार १२ 2006 श्री वेंकटेश्वर वैदिक विश्वविद्यालय तिरुपति १३ 2008 महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन १४ 2011 कर्नाटक संस्कृत विश्वविद्यालय बंगलुरु १५ 2011 कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत एवं पुरातन अध्ययन विश्वविद्यालय नलबाड़ी १६ २०१५ श्रीराम संस्कृत महाविद्यालय (प्रा. श्री. अतुल तरटे सर) नासिक १७ २०१८ महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय मुंदड़ी, (कैथल), हरियाणा Show
सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश के वाराणसी नगर में स्थित एक संस्कृत विश्वविद्यालय है। यह पूर्वात्य शिक्षा एवं संस्कृत से सम्बन्धित विषयों पर उच्च शिक्षा का केन्द्र है। यह विश्वविद्यालय मूलतः 'शासकीय संस्कृत महाविद्यालय' था जिसकी स्थापना सन् १७९१ में की गई थी। वर्ष 1894 में सरस्वती भवन ग्रंथालय नामक प्रसिद्ध भवन का निर्माण हुआ जिसमें हजारों पाण्डुलिपियाँ संगृहीत हैं। 22 मार्च 1958 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ सम्पूर्णानन्द के विशेष प्रयत्न से इसे विश्वविद्यालय का स्तर प्रदान किया गया। उस समय इसका नाम 'वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय' था। सन् १९७४ में इसका नाम बदलकर 'सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय' रख दिया गया। भारत और नेपाल के महाविद्यालय इसके विश्वविद्यालय बनने के पहले से ही इससे सम्बद्ध थे। केवल उत्तर प्रदेश के सम्बद्ध महाविद्यालयों की संख्या 1441 थी। इस प्रकार यह संस्थान न केवल भारत के लिए बल्कि दूसरे देशों के महाविद्यालयों के लिए भी विश्वविद्यालय के समान ही था। अनुक्रम
विभाग[संपादित करें]चित्र:Sampurnanand Sanskrit University logo.JPG सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय का प्रतीक चिह्न चित्र:Ardhanarishvara at Sampurnanand Sanskrit University.jp सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में स्थित अर्धनारीश्वर की मूर्ति
शास्त्र विभाग
यह विभाग अब संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा 1982 मे बंद किया जा चुका है, अब आयुर्वेद विद्यालय एवं चिकित्सालय की स्थापना सीधे राज्य सरकार के तहत की जा चुकी है
सम्बद्ध महाविद्यालय[संपादित करें]इस विश्वविद्यालय के साथ १२०० से अधिक संस्कृत विद्यालय एवं महाविद्यालय संबद्ध हैं। कुलपति[संपादित करें]चित्र:प्रोफेसर हरे राम त्रिपाठी .jpg वर्तमान कुलपति प्रो.प्रोफेसर हरे राम त्रिपाठी इस विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल हैं जिन्होंने २४ मई २०१८ से विश्वविद्यालय में कार्यभार ग्रहण किया है। प्रो. शुक्ल इससे पूर्व बीएचयू के वैदिक दर्शन विभाग, संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थे।[1][2][3][4] इन्हें भी देखें[संपादित करें]
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बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
भारत में कितने संस्कृत यूनिवर्सिटी है?भारत स्थित संस्कृत विश्वविद्यालयों की सूची. वर्तमान में संसार का सबसे बड़ा संस्कृत विश्वविद्यालय कौन सा है?गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय ज्वालापुर हरिद्वार। यह गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय आर्य समाज द्वारा भारत देश मे काफी प्राचीन समय आजादी से पहले से चलाया जा रहा है । स्वामी रामदेव भी गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय ज्वालापुर हरिद्वार से संस्कृत पढे हुए है ।
जोनाथन डंकन ने संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना कब की?जोनाथन डंकन - जोनाथन डंकन ने वर्ष 1791 में हिंदू कानून और दर्शनशास्त्र का अध्ययन करने के लिए वाराणसी में संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना की। वह बंबई के राज्यपाल थे। 1974 में संस्कृत कॉलेज का नाम बदलकर सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय कर दिया गया।
बनारस में संस्कृत कॉलेज की स्थापना कब हुई?1791संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय / स्थापना की तारीख और जगहnull
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