गर्भावस्था के दौरान सांस लेने में तकलीफ कैसे दूर करें? - garbhaavastha ke dauraan saans lene mein takaleeph kaise door karen?

How to Control Asthma in Pregnancy: अस्थमा फेफड़ों की एक बीमारी है जिसमें पीड़ित को सांस लेने में काफी मुश्किल होती है. दरअसल इस बीमारी में मनुष्य के फेफड़े से जुड़ा श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है जिससे सांस लेने में समस्या आने लगती है. अस्थमा का स्ट्रोक आने पर लोग ठीक से सांस नहीं ले पाते और ऐसे में उन्हें इनहेलर लेना पड़ता है. अस्थमा होने के कई कारण हो सकते हैं. कई बार यह आनुवांशिक कारणों से होता है तो कई बार यह प्रदूषण और एलर्जी की वजह से भी होता है.

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पिछले कुछ वक्त में अस्थमा के मरीज काफी तेजी से बढ़े हैं. यह बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है और अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो करीब 20 मिलियन लोग इस समय दुनियाभर में अस्थमा से पीड़ित हैं. हेल्थलाइन की खबर के अनुसार गर्भवती महिलाओं को भी अस्थमा का बड़ा खतरा होता है. मार्च ऑफ डाइम्स के अनुसार, अस्थमा 4 प्रतिशत से 8 प्रतिशत गर्भधारण को प्रभावित करता है. अगर आप एक गर्भवती महिला हैं और अस्थमा से पीड़ित हैं तो आपको विशेष ख्याल रखने की जरूरत है. आइए जानते हैं इस दौरान किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

गर्भावस्था पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
अस्थमा का दौरा पड़ने से आपके रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है, इसका सबसे बड़ा असर आपके गर्भ में पल पहले बच्चे पर पड़ सकता है. आक्सीजन की कमी की वजह से उसका विकास प्रभावित हो सकता है.

अस्थमा से गर्भावस्था की जटिलताएं

  • लेबर पेन और डिलीवरी बढ़ने की संभावना
  • अस्थमा से उच्च रक्तचाप संबंधी दिक्कतें बढ़ सकती हैं.
  • जन्म के समय वजन कम होना.

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क्या गर्भावस्था अस्थमा को बदतर बना सकती है?
अस्थमा और गर्भवस्था दोनों का ही एक दूसरे पर असर पड़ता है. अमेरिकन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा और इम्यूनोलॉजी का कहना है कि अस्थमा से प्रभावित लगभग एक तिहाई गर्भधारण में अस्थमा में सुधार होता है. गर्भावस्था के दौरान अस्थमा के कुछ मामले बिगड़ भी जाते हैं. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि गर्भावस्था के दौरान अस्थमा कैसे बदलता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर गर्भावस्था के दौरान अस्थमा तेज हो जाता है तो ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है.

प्रेगनेंसी के दौरान अस्थमा होने के कारण
प्रग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन अधिक मात्रा में बनते हैं. यही स्ट्रेजन हार्मोन ही साइनस और बंद नाक जैसी समस्याओं जिम्मेदार होता है. वहीं सांस लेने में तकलीफ और सांस फूलने की समस्या के लिए प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन जिम्मेदार होता है. ऐसे में इन दोनों के अधिक उत्पादित होने से महिलाओं को सांस लेने में दिक्कत महसूस हो सकती है और गर्भावस्था के दौरान अस्थमा की समस्या का सामना करना पड़ता है.

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गर्भावस्था के दौरान अस्थमा के लक्षण
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में अस्थमा होने पर निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं

  • सांस फूलना
  • छाती में दर्द का महसूस करना
  • सीने में जकड़न की समस्या
  • थोड़े से काम में थकावट होना.
  • सिर दर्द बने रहना
  • सर्दी खांसी का बार बार होना

गर्भावस्था के दौरान अस्थमा से बचाव

गर्भावस्था के दौरान हर महिला को अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए. यदि बात अस्थमा की हो तो विशेष ध्यान देने की जरूरत है ताकि मां और बच्चा दोनों पूरी तरह से स्वस्थ्य रहें.

गर्भावस्था में सांस फूलना इस दौरान होने वाले अनेक लक्षणों में से एक है, हालांकि कई गर्भवती महिलाओं को इस लक्षण के बारे में जानकारी नहीं होती है। गर्भावस्था के दौरान सांस फूलने की समस्या होना महिलाओं के लिए एक आश्चर्य का कारण हो सकता है। 

गर्भावस्था के दौरान सांस लेने में समस्या के कारण व रोकथाम के बारे में निम्नलिखित लेख में विस्तार से बताया गया है। इसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने से आपको अधिक मदद मिल सकती है। 

क्या गर्भावस्था के दौरान सांस फूलना एक सामान्य शारीरिक समस्या है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आपके डॉक्टर को आपकी इस समस्या के साथ-साथ अन्य समस्याओं के बारे में पूर्ण जानकारी है। गर्भावस्था के दौरान सांस फूलने की समस्या के लक्षणों पर नजर रखें और इसके बारे में अपने डॉक्टर से चर्चा करने में बिलकुल भी संकोच न करें। प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में अक्सर महिलाओं को सांस फूलने की समस्या हो जाती है. आमतौर पर ये सामान्य स्थिति है, लेकिन कई बार ये किसी बीमारी की वजह से भी हो सकती है. जानिए इससे निपटने के तरीके.

गर्भावस्था के दौरान अक्सर महिला को सांस फूलने की समस्या होती है. करीब 75 फीसदी महिलाएं इस समस्या से गुजरती हैं. वैसे तो ये समस्या प्रेगनेंसी की किसी भी अवस्था में हो सकती है, लेकिन तीसरी तिमाही इसकी आशंका ज्यादा होती है.

दरअसल तीसरी तिमाही तक गर्भाशय के बढ़े हुए आकार की वजह से फेफड़ों पर दबाव पड़ता है और फेफड़े हवा को पूरी तरह नहीं भर पाते, जिसकी वजह से बार बार सांस फूलती है. कई बार ये समस्या नासिका में रुकावट आने, राइनाइटिस के कारण, मेटरनल ब्लड वॉल्यूम 40 से 50 प्रतिशत तक बढ़ जाने के कारण भी हो सकती है.

ये तरीके आजमाएं

1. गर्भावस्था के दौरान अपने बॉडी पोश्चर पर ध्यान दें. इसके लिए विशेषज्ञ से खासतौर पर परामर्श लें. बैठते समय अपनी छाती को ऊपर उठाकर और कंधों को पीछे करें.

2. जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि गर्भावस्था में भ्रूण का बढ़ता आकार छाती के लिए जगह को भी सीमित कर देता है, ऐसे में महिला को सांस फूलने की समस्या होती है. अपराइट पोजिशन में सोना आपके लिए मददगार हो सकता है. इस अवस्था में सोने से फेफड़ों को पूरी जगह मिलती है और फेफड़े पूरी तरह सांस भर पाते हैं. अपराइट पोजिशन में सोते समय पीठ के पीछे तकिए जरूर लगाएं.

3. कोई भी काम लगातार न करें. काम करते समय अगर थकान महसूस हो या सांस फूले तो उस काम को छोड़ दें और पहले कुछ समय आराम करें.

4. फेफड़ों को आराम देने के लिए ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें. ये मां और बच्चे दोनों की सेहत के लिए अच्छी मानी जाती है. साथ ही इससे फेफड़ों को भी राहत मिलती है. ब्रीदिंग एक्सरसाइज के लिए सबसे पहले आरामदायक पोजीशन में बैठ जाएं. इसके बाद नाक से गहरी सांस लें और मुंह से छोड़ें. एक बार में ये प्रक्रिया चार से पांच बार दोहराएं.

5. अधिक से अधिक आयरनयुक्त आहार और विटामिन-सी वाली चीजें लें ताकि शरीर में खून की कमी न हो पाए. इसके अलावा डॉक्टर द्वारा दिए गए सप्लीमेंट भी समय से लें.

प्रेगनेंसी में सांस लेने में दिक्कत हो तो क्या करें?

अपने फेफड़ों को थोड़ी और जगह देने के लिए आप सीधी अवस्था में खड़े होकर और हाथों को सिर से उपर करते हुए गहरी सांस लें। हल्के व्यायाम जैसे कि वॉकिंग या स्विमिंग करते हुए आपकी सांस फूल सकती है, मगर ये आपकी श्वासहीनता कम करने में मदद करते हैं।

सांस फूलने का रामबाण इलाज क्या है?

सांस लेने की एक्सरसाइज करें- सांस लेने की एक्सरसाइज करने के लिए 2 बार नाक से धीमी सांस लें और इस दौरान मुंह को बंद रखें, जैसे सीटी बजाते समय होठों को करते हैं. ... .
पेट से गहरी सांस लें- सांस फूलने की तकलीफ पेट से गहरी सांस लेने से दूर हो जाती है..