ट्यूमर का पता कैसे चलता है? - tyoomar ka pata kaise chalata hai?

कैंसर की तरह ब्रेन ट्यूमर भी जीवन घातक बीमारी है। समय रहते इस बीमारी का इलाज कराने पर जीवन को बचाया जा सकता है। लेकिन गंभीर बीमारी के लक्षण पता नहीं होने पर समय हाथ से निकल जाता है। आम जानकारी के तौर पर ब्रेन ट्यूमर से जुड़े कुछ संकेत हैं जिन्हें पहचान कर समय पर इलाज संभव हो सकता है। आइए जानते हैं क्या है 10 लक्षण -

क्या होता है ब्रेन ट्यूमर?

दिमाग में करीब 100,000,000,000 ब्रेन सेल्स होती है। जिसकी मदद से मस्तिष्क काम करता है। लेकिन कोशिकाओं का नियंत्रण बिगड़ने से दिमाग के सेल्स नष्ट होने लगते हैं और वह एक कैंसर के रूप में फैलने लगती है। इससे ब्रेन ट्यूमर हो जाता है।

ब्रेन ट्यूमर के 10 लक्षण -

1. बहुत अधिक सिरदर्द होने पर दवा लेना, लेकिन इसके बाद भी आराम नहीं मिलने पर डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।

2. जब दिमाग को आराम नहीं मिलता है तो वह सुन्न पड़ने लगता है। यह सुन्नपन चेहरे से भी हो सकता है। थोड़ी देर में आराम नहीं मिलने पर डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

3. ब्रेन ट्यूमर होने के कई तरह के संकेत है। अगर बॉडी में किसी प्रकार के झटके महसूस होते हैं, चक्कर आना, बिना किसी कारण के कंपन होना भी इस बीमारी के संकेत है।

4. कई बार लोग चीजें रखकर भूल जाते हैं लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता है। अगर आपके साथ बार-बार ऐसा हो रहा है, छोटी-छोटी चीजें रखकर भूलने लग जाते हैं। साथ ही नींद से जुड़ी परेशानी भी होने लगती है।

5. कई बार आंखों से संबंधित परेशानी होने लगती है उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। बार-बार धुंधलापन दिखना, रंगों को समझने में परेशानी होना, आंखों का कमजोर होना।

6. ब्रेन ट्यूमर दिमाग में होता है और बॉडी पूरी तरह से दिमाग के कंट्रोल में रहती है। लेकिन ब्लैडर पर कंट्रोल नहीं होने पर उल्टी, मितली, बेहोशी जैसी समस्या होने लगती है।

7. ब्रेन ट्यूमर के सांकेतिक लक्षण में चेहरे का रंग भी बदलने लगता है। कभी पर्पल, सफेद, ब्लू, ग्रीन रंग में त्वचा दिखने लगती है। ऐसे लक्षण दिखने पर हल्के में नहीं लें। तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

8. अगर आपको लगता है कि बोलने या सुनने में परेशानी हो रही है तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। इस तरह के लक्षण को नजरअंदाज नहीं करें।

9. गले में अकड़न होने के साथ ही आपका वजन लगातार बढ़ता जाएं तो आपको सावधान होने की जरूरत है।

10. कई बार नसों में खिंचाव और तेज दर्द होने पर इंसान खुद को कंट्रोल नहीं कर पाता है। कुछ लोगों को ट्यूमर के कारण दौरे भी पड़ने लगते हैं।

Disclaimer: चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो,आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

क्लीवलैंड क्लीनिक के अनुसार, ब्रेन ट्यूमर (Brain Tumor) मास्तिष्क में होने वाली गंभीर और जानलेवा बीमारी है। इस रोग के प्रति जागरुकता फैलाने और इसके शीघ्र निदान करने के लिए पहली बार वर्ष 2000 में जर्मन ब्रेन ट्यूमर एसोसिएशन द्वारा इस दिन की शुरुआत की गई। यह रोग बच्चों और वयस्कों को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है। ज्यादातर लोगों को सिर में दर्द होता है, जिसे वह मामूली समझ बैठते हैं।

अगर लगातार सिर में दर्द बना रहे, तो जल्द से जल्द इसकी जांच करा लेनी चाहिए, वरना ट्यूमर होने पर स्थिति घातक हो सकती है। एक्सपर्ट के अनुसार, ब्रेन ट्यूमर एक ऐसा डिसऑर्डर है, जिसमें ब्रेन सेल्स असामान्य रूप से बढ़ने या मल्टीप्लाई होने लगते हैं। ये ट्यूमर आपकी झिल्ली, क्रेनियल नसों या फिर पिट्यूटरी ग्लैंड कहीं भी पैदा हो सकता है। हालांकि , इस बीमारी का जितनी जल्दी पता चला जाए, उतना अच्छा है। क्योंकि समय रहते अगर इस बीमारी का इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकती है। तो आइए जानते हैं क्या है ब्रेन ट्यूमर और क्या हैं इसके कारण व लक्षण।

​क्या है ब्रेन ट्यूमर

ट्यूमर का पता कैसे चलता है? - tyoomar ka pata kaise chalata hai?

यह रोग मास्तिष्क में असामान्य कोशिकाओं के जमाव के कारण होता है। ब्रेन ट्यूमर कैंसर युक्त या कैंसर रहित हो सकता है। कुछ ट्यूमर तेजी से, जबकि कुछ धीमी गति से बढ़ते हैं। आपको बता दें कि केवल एक तिहाई ट्यूमर कैंसर वाले होते हैं। ब्रेन ट्यमूर मास्तिष्क के काम और आपके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। ब्रेन में डवलप होने वाले ट्यूमर को प्राइमरी ट्यूमर कहा जाता है। आपके शरीर के एक अलग हिस्से में बनने के बाद ब्रेन में फैलने वाले ट्यूमर को सैकंड्री या फिर मेटास्टेटिक ब्रेन ट्यूमर कहते हैं।

​ब्रेन ट्यूमर के लक्षण (Signs and Symptoms)

ट्यूमर का पता कैसे चलता है? - tyoomar ka pata kaise chalata hai?

ब्रेन ट्यूमर भले ही कैंसरस हो या ना हो, गंभीर समस्याएं पैदा करता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपकी स्कैल्प कठोर है और ट्यूमर को फैलने के लिए जगह नहीं देती है। इसके अलावा अगर आपके मास्तिष्क या ब्रेन के उन हिस्सों के पास एक ट्यूमर विकसित होता है, तो यह यहां बताए गए लक्षण पैदा कर सकता है। बता दें कि ब्रेन ट्यूमर के लक्षण ट्यूमर के स्थान, आकार और प्रकार पर निर्भर करते हैं।

  1. नजर कमजोर होना
  2. सुनने में परेशानी होना
  3. सुबह या रात में गंभीर सिर में दर्द बने रहना
  4. उल्टी और मितली का अनुभव होना
  5. सोचने, बोलने और भाषा को समझने में कठिनाई होना
  6. शरीर के एक हिस्से में कमजोरी आना
  7. व्यक्ति का संतुलन खोना या फिर बार-बार चक्कर आना
  8. भ्रम और भटकाव की स्थिति पैदा होना।

अगर आप इनमें से किसी एक लक्षण को महसूस कर रहे हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

​किस वजह से हो सकता है ब्रेन ट्यूमर

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रेडिएशन के संपर्क में आना- जो लोग एक्स-रे और आयोनाइजिंग नाम के रेडिएशन के संपर्क में आते हैं, उनमें ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है।

​फैमिली हिस्ट्री-

ट्यूमर का पता कैसे चलता है? - tyoomar ka pata kaise chalata hai?

अगर आपके परिवार में पहले किसी सदस्य को ब्रेन ट्यूमर रहा हो, तो आपके मास्तिष्क में ब्रेन ट्यूमर होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। बता दें कि ब्रेन ट्यूमर वाले लगभग 5 से 10 प्रतिशत लोगों में ही ब्रेन ट्यूमर की फैमिली हिस्ट्री होती है।

​बढ़ती आयु-

ट्यूमर का पता कैसे चलता है? - tyoomar ka pata kaise chalata hai?

उम्र बढ़ने के साथ ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ने लगता है। हालांकि, ब्रेन ट्यूमर किसी भी उम्र में हो सकता है। कुछ प्रकार के ब्रेन ट्यूमर केवल बच्चों में भी पाए जाते हैं।

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​कैंसर से पीड़ित होना

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जो बच्चे कैंसर से जूझ रहे हैं, उन्हें आगे चलकर ब्रेन ट्यमूर हो सकता है। ब्लड कैंसर यानी ल्यूकेमिया से पीड़ित मरीज में भी ब्रेन ट्यूमर की संभावना बढ़ जाती है।

ब्रेन में ट्यूमर डराने और तनाव देने वाला हो सकता है। हालांकि, यह जरूरी नहीं कि सभी ब्रेन ट्यूमर कैंसरयुक्त हों, लेकिन फिर भी मास्तिष्क के लिए समस्याएं पैदा करने वाले होता है। शुरुआत में इलाज कर लिया जाए, तो पूरी तरह से ठीक होने की संभावना ज्यादा रहती है। जल्दी इलाज कराने से ट्यूमर बढऩे पर होने वाली जटिलताओं को रोका जा सकता है ।

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ट्यूमर का पता कैसे लगाया जाता है?

अब ट्यूमर कैंसरस तो नहीं है यह तो बायॉप्सी के जरिए पता लगाया जा सकता है, लेकिन शरीर के किस हिस्सें में ट्यूमर है, यह कैसे पता लगाया जाए? इसके लिए एक स्कैन किया जाता है जिसका नाम है पैट स्कैन (PET Scan) यानी पोजिट्रॉन एमिशन टोमोग्रफी इमेजिंग।

ट्यूमर के लिए कौन सा टेस्ट होता है?

अभी ग्लियोब्लास्टोमस ट्यूमर की पहचान के लिए एमआरआई, सीटी स्कैन जैसी तकनीकों का प्रयोग किया जाता है जो काफी महंगी हैं और इसमें काफी वक्त भी जाया होता है, लेकिन नई पद्धति में खून के सामान्य विश्लेषण से ही इस ट्यूमर की पहचान की जा सकेगी।

गांठ और ट्यूमर में क्या अंतर है?

यदि किसी वजह से कोशिकाओं की इस सामान्य प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो जाए और इनकी वृद्धि असामान्य हो जाए, तो ये शरीर में गांठ के रूप में उभरने लगती हैं। इसी स्थिति को हम ट्यूमर कहते हैं। ट्यूमर असामान्य कोशिकाओं का समूह है। शरीर के किसी हिस्से की किसी कोशिका से इसकी शुरुआत हो सकती है।

ट्यूमर की बीमारी कैसे होती है?

ट्यूमर शरीर के अन्य भागों से शुरू होता है और बाद में मस्तिष्क में फैल जाता है जिसे घातक (मेटास्टैटिक) मस्तिष्क ट्यूमर के रूप में जाना जाता है। घातक ट्यूमर या कैंसर के ट्यूमर तेजी से बढ़ने वाले होते हैं जो आक्रामक भी होते हैं। जबकि दूसरी तरफ, बिनाइन ट्यूमर धीरे-धीरे बढ़ते हैं और गैर-आक्रामक होते हैं।