चीन भारत को क्या क्या निर्यात करता है? - cheen bhaarat ko kya kya niryaat karata hai?

तेल कीमतों की है बड़ी भूमिका
चूंकि कच्चा तेल भारत के सबसे बड़े आयातों में से एक है, इसलिए व्यापार खाते को हमेशा पेट्रोलियम उत्पादों के साथ ट्रैक किया जाता है। पहली छमाही के लिए सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) डेटाबेस के आंकड़े बताते हैं कि 2022-23 में भारत का व्यापार घाटा सबसे अधिक है। पेट्रोलियम की खरीद पर खर्च होने वाले डॉलर व्यापार घाटे का एक बड़ा हिस्सा है। व्यापार घाटे को जीडीपी के साथ देखकर और आसानी से समझा जा सकता है, हालांकि सितंबर तिमाही के जीडीपी के आंकड़े नवंबर में उपलब्ध होंगे।

चीन के साथ भारत के व्यापार घाटे में वृद्धि के क्या कारण हैं?
व्यापार घाटा मुख्य रुप से दो बातों पर निर्भर करता है। पहला निर्यात और दूसरा आयात। भारत के व्यापार घाटे के मामले में आयात इतनी तेजी से बढ़ा है कि भारत के व्यापारिक निर्यात में वृद्धि के बावजूद व्यापार घाटा बढ़ गया है (इसमें भारत के आईटी निर्यात से आय शामिल नहीं है, जो सेवाओं के अंतर्गत आता है)। न केवल चीनी आयात में वृद्धि हुई है बल्कि चीन को भारत का निर्यात भी गिर गया है। जहां तक चीन के साथ भारत के व्यापार संतुलन का सवाल है तो यह दोहरी मार साबित हुई है। इसे अगर आपको आसान भाषा में समझाया जाए तो मान लीजिए भारत चीन से 100 रुपये का समान खरीदता है, लेकिन उसे वापस से 100 रुपये का समान बेच नहीं पा रहा है। यही कारण है कि भारत का व्यापारिक घाटा बढ़ता जा रहा है।

चीन से भारत सबसे अधिक क्या खरीदता है?
चीन से भारत का आयात(खरीद) बास्केट दिवाली की रोशनी और घरेलू उपभोक्ता वस्तुओं जैसे सामानों की तुलना में अधिक है और इसमें पूंजीगत सामान और उच्च प्रौद्योगिकी उत्पाद भी शामिल है। इसमें से विद्युत मशीनरी और उपकरण, परमाणु रिएक्टरों के पुर्जे, और यांत्रिक उपकरण और कार्बनिक रसायन चीन में ही तैयार किए जाते हैं, जिसे भारत में आयात होता है। चीन से भारत जिन प्रोडक्ट्स को खरीदता है उनमें से टॉप-5 की आयात 70% के करीब है।

चीन को क्या बेचता है भारत ?
चीन को भारत के निर्यात(बेचने) में औद्योगिक इनपुट, निर्माण सामग्री और मछली जैसी कुछ खराब होने वाली वस्तुएं शामिल हैं। मुख्य रुप से भारत चीन को कॉटन यानी कपास, कॉपर यानी तांबा, हीरा और अन्य प्राकृतिक रत्न बेचता है।

नई दिल्ली: हम पिछले कई साल से बायकॉट चाइनीज गुड्स (Boycott Chinese Goods) का नारा लगा रहे हैं। इसके वावजूद पिछले साल चीन से इंपोर्ट (Import from China) 46.29 फीसदी बढ़ा था। चालू साल में भी यह 30 फीसदी से ज्यादा बढ़ गया है। इस साल के नौ महीने में ही चीन से इंपोर्ट पिछले साल के मुकाबले 31 फीसदी ज्यादा रहा है। ऐसा तब हो रहा है जबकि लोग दैनंदिन जीवन में चाइनीज गुड्स का बहिष्कार कर रहे हैं। सरकार भी आत्मनिर्भर भारत को कार्यरूप देने पर जोर-शोर से काम कर रही है। ऐसे में भी चीन से इंपोर्ट क्यों बढ़ रहा है, जानते हैं आप? नहीं जानते हैं तो आइए हम बताते हैं।

चीन से क्या खरीदता है भारत

चीन भारत को क्या क्या निर्यात करता है? - cheen bhaarat ko kya kya niryaat karata hai?

चीन से भारत इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल मशीनरी के अलावा कई तरह के केमिकल ख़रीदता है। ये केमिकल भारत के फ़ार्मा इंडस्ट्री के लिए अहम हैं। इसके अलावा ऑटो पार्ट्स और मेडिकल सप्लाई भी शामिल है। खिलौने, घरेलू उपयोग की वस्तुएं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रोनिक पार्ट्स भी वहां से खूब आते हैं। वहां से एक्टिव फार्मा इंग्रेडिएंट एपीआई न आए तो हमारा दवा उद्योग ठप पड़ जाएगा। अपने वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, साल 2021 में इन सभी चीज़ों का चीन से आयात बढ़ा है। चीन से लैपटॉप और कंप्यूटर, ऑक्सीजन कॉन्सेन्ट्रेटर के अलावा एसिटिक एसिड का आयात रिकॉर्ड बढ़ा है।

तेजी से बढ़ रहा है चीन से इंपोर्ट

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कोरोना काल से पहले भारत-चीन सीमा पर तनाव बढ़ा था। उस समय चाइनीज गुड्स के बायकॉट का नारा तेजी से चला था। लेकिन, आंकड़े कुछ और बयां करते हैं। कोरोना काल में तो काफी दिन इंपोर्ट बंद रहा। जब यह खुला तो तेजी से बढ़ता गया। चाइना जनरल एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ़ कस्टम (GAC) ने जनवरी 2022 में भारत से व्यापार का डेटा जारी किया था। इस डेटा के अनुसार, साल 2021 में भारत का चीन के साथ व्यापार 125.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। चीन से भारत का व्यापार तब बढ़ रहा है, जब दोनों देशों में तनाव है।

पिछले साल पहली बार 100 अरब डॉलर के पार गया व्यापार

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तनाव (India China Dispute) के बीच दोनों देशों के बीच सिर्फ व्यापार (Indi-China Trade) बढ़ा ही नहीं, बल्कि रिकार्ड भी बना। ऐसा पहली बार हुआ जबकि चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार (Bilateral Trade from China) 100 अरब डॉलर से ऊपर पहुंचा। इसमें भारत ने 97.52 अरब डॉलर का इंपोर्ट किया था और एक्सपोर्ट महज़ 28.14 अरब डॉलर का था।

साल 2021 में चाइनीज इंपोर्ट 46.2 फीसदी बढ़ा था

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बीते साल चीन से इंपोर्ट और एक्सपोर्ट, दोनों का रिकॉर्ड बना था। पिछले साल भारत-चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार रिकॉर्ड 125 अरब डॉलर के स्तर को पार कर गया था। पिछले साल, भारत में चाइनीज इंपोर्ट 46.2 फीसदी बढ़ कर 97.52 अरब डॉलर पर गया था। इस दौरान भारत ये चीन को एक्सपोर्ट भी 34.2 फीसदी बढ़ कर 28.14 अरब डॉलर पर चला गया था। तब भी साल 2021 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 69.38 अरब डॉलर रहा था।

इस साल नौ महीने में ही 31 फीसदी बढ़ गया चीन से इंपोर्ट

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चीन के कस्टड डिपार्टमेंट के आंकड़ों के अनुसार इस साल भी भारत और चीन के बीच व्यापार बढ़ा है। साल 2022 के पहले नौ महीनों में दोनों देशों का व्यापार 103.63 अरब अमेरिकी डॉलर पर चला गया है। यह पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 14.6 प्रतिशत अधिक है। इस दौरान भारत को चीन का निर्यात 31 फीसदी बढ़ कर 89.66 अरब डॉलर पर पहुंच गया। दूसरी ओर इन नौ महीनों में भारत का निर्यात 36.4 फीसदी की गिरावट के साथ 13.97 अरब डॉलर रहा। इसके चलते कुल व्यापार घाटा 75.69 अरब डॉलर से अधिक हो गया।

भारत ही नहीं पूरी दुनिया की है चीन पर निर्भरता

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बात सिर्फ भारत की नहीं है। साल दर साल, पूरी दुनिया की निर्भरता चीन पर बढ़ी है। इस समय मैन्यूफैक्चरिंग के मामले में दुनिया भर के देश चीन पर निर्भर हैं। चाहे मेडिकल सप्लाई की बात करें या इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स, फ़र्नीचर, खिलौना, घरेलू सामान। तमाम चीज़ों का चीन खूब निर्यात करता है। दो साल पहले ही आंकड़ा आया था कि चीन का दुनिया भर को निर्यात आधा ट्रिलियन डॉलर का है।

हम क्या एक्सपोर्ट करते हैं चीन को

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भारत से मुख्य रूप से एग्रीकल्चर से जुड़ी वस्तुएं निर्यात की जाती हैं। वह भी अनप्रोसेस्ड फार्म में। यदि किसी एग्रीकल्चर प्रोडक्ट की प्रोसेसिंग कर दी जाए तो उसका वैल्यू कई गुना बढ़ जाता है। लेकिन हम यह सब चीज रॉ फार्म में भी भेज देते हैं। इसलिए हमें कम दाम मिलता है। इस समय भारत से चीन को निर्यात किए जाने वाली मुख्य वस्तुओं में चावल, सब्ज़ियां, सोयाबीन, फल, कॉटन और सी फ़ूड आदि शामिल हैं। कुछेक अपवाद को छोड़ दें तो भारत चीन को तैयार माल या फिनिश्ड गुड्स नहीं बेचता है।

चीन के साथ लगातार बढ़ रहा है व्यापार घाटा

चीन भारत को क्या क्या निर्यात करता है? - cheen bhaarat ko kya kya niryaat karata hai?

ऐसा नहीं है कि चीन के साथ अपना व्यापार घाटा पहली बार बढ़ा है। पिछले पांच साल के आंकड़ों को उठा कर देख लीजिए तो यह लगातार बढ़ ही रहा है। साल 2017 में चीन से भारत का व्यापार घाटा 51 अरब डॉलर था। यह साल 2021 में 69.38 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। इस साल भी नौ महीने में ही व्यापार घाटा 75.69 अरब डॉलर के पार चला गया है। मतलब कि इस साल भी व्यापार घाटा पिछले साल के मुकाबले ज्यादा रहेगा। साथ ही चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का भी कभी-कभार नारा सुनाई देता है।

चाहते हुए भी चीन से इंपोर्ट क्यों नहीं घट रहा है?

चीन भारत को क्या क्या निर्यात करता है? - cheen bhaarat ko kya kya niryaat karata hai?

अपने यहां सरकारी गलियरों से लेकर आम आदमी तक, सब चीन को दुश्मन समझता है। लेकिन यह भी सच है कि भारत काफी हद तक चाइनीज वस्तुओं पर निर्भर है। हालांकि, हम चीन पर निर्भरता कम करने को प्रयासरत हैं, पर ऐसा होता नहीं दिखता। अभी भी हमारा बाजार चाइनीज सामानों से पटा हुआ है। उद्योग जगत के तो अधिकतर कच्चे माल वहीं से आ रहे हैं। रेलगाड़ी के पहिए से लेकर काज-बटन में काम आने वाली सूई, सब कुछ चीन से ही तो आ रहा है।

चीन से भारत क्या निर्यात करता है?

जनवरी में जारी चीनी आंकड़ों के अनुसार, 2021 में भारत और चीन के बीच कुल व्यापार 125 अरब डॉलर था, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड था। दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा भी बढ़कर 69 अरब डॉलर हो गया था। चीन को भारत के प्रमुख निर्यात में लौह अयस्क, कपास, तांबा, एल्यूमीनियम और हीरे व प्राकृतिक रत्न शामिल हैं।

भारत चीन से क्या क्या इंपोर्ट करता है?

भारत में चीन से आईटी IT , मेडिकल और वैज्ञानिक उत्पादों का ज्यादा इम्पोर्ट हुआ करता है. आपको बात दे कि देश के कुल आयात में चीनी सामानों का हिस्सेदारी 0.90% घट गई है. साथ ही 2020-21 में उसका हिस्सा 16.5 % था, जो 20210--22 में घटकर 15.4 % रह गया है. चीन से मोबाइल फोन का आयात 2021-22 में 55% घटकर 62.6 करोड़ डॉलर रह गया.

चीन से भारत में क्या आता है?

इसमें करीब 66.7 अरब डॉलर चीन से भारत को आयात था. इसके पहले साल 2019 में भारत ने चीन से सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक मशीनरी और इक्विपमेंट (20.17 अरब डॉलर) का आयात किया, इसके अलावा ऑर्गनिक केमिकल 8.39 अरब डॉलर, उर्वरक 1.67 अरब डॉलर भारत के शीर्ष आयात थे.

भारत सबसे ज्यादा क्या एक्सपोर्ट करता है?

इंजीनियरिंग गुड्स सेक्टर ने भारत के निर्यात में पिछले फाइनेंशियल ईयर के दौरान 69.8 बिलियन डॉलर का योगदान दिया. इसके बाद 67.6 बिलियन डॉलर के निर्यात के साथ रिफाइंड पेट्रोलियम व क्रूड प्रोडक्ट का स्थान रहा.