बालक का सर्वांगीण विकास कैसे होता है? - baalak ka sarvaangeen vikaas kaise hota hai?

विषयसूची

  • 1 बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए खेल आवश्यक है कैसे?
  • 2 खेलों का हमारे जीवन में क्या महत्व है और खेलना हमारे लिए किस प्रकार लाभदायक है न्यूनतम 2 पेज?
  • 3 बालिकाओं के लिए खेल क्यों आवश्यक है?
  • 4 विद्यार्थी जीवन में खेलकूद का क्या महत्व है आपका प्रिय खेल कौन सा है और क्यों इस विषय पर एक लेख लिखिए?
  • 5 खेल की आवश्यकता क्यों है?

बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए खेल आवश्यक है कैसे?

इसे सुनेंरोकेंबच्चों के सर्वांगीण विकास में खेल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन खेलों द्वारा बालकों में त्वरित निर्णय क्षमता , वस्तुओं की जानकारी , समायोजन , समन्वय , सद्भाव , साहस , सहअस्तित्व जैसे गुणों का स्वभाव में स्वतः ही विकास हो जाता है एकल व समूह दोनों रूपों में खेले जाते हैं।

बालक के समाजीकरण में खेल की क्या भूमिका है?

इसे सुनेंरोकेंबालक के शारीरिक एवं सामाजिक विकास में खेल की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। खेल को बालक की रचनात्मक, जन्मजात, स्वतन्त्र , आत्मप्रेरित, स्फूर्तिदायक, स्वलक्षित तथा आनन्ददायक प्रवृत्ति कहा जाता है। खेल-क्रियाओं द्वारा बालक को आत्माभिव्यक्ति का अवसर मिलता है, जिससे उसके समाजीकरण में सहायता मिलती है।

खेलों का हमारे जीवन में क्या महत्व है और खेलना हमारे लिए किस प्रकार लाभदायक है न्यूनतम 2 पेज?

इसे सुनेंरोकेंखेल और स्पोर्ट्स हमारे लिए बहुत ही लाभदायक हैं क्योंकि वे हमें समयबद्धता, धैर्य, अनुशासन, समूह में कार्य करना और लगन सिखाते हैं। खेलना हमें, आत्मविश्वास के स्तर का निर्माण करना और सुधार करना सिखाता है। यदि हम खेल का नियमित अभ्यास करें, तो हम अधिक सक्रिय और स्वस्थ रह सकते हैं।

खेलों के द्वारा कौन सी भावना का विकास होता है?

इसे सुनेंरोकेंखेल से भाईचारा का भावना उत्पन्न होती है। खेल बच्चे को एकाग्रता प्रदान करता है। निष्कर्ष[संपादित करें] इस ‎लेख का सारंश यह है कि बच्चे के पूर्ण विकास के लिय खेल का मह़त्वपूर्ण योगदान है। खेल से बच्चे का शारिक, मानसिक एवं समाजिक विकास होता है।

बालिकाओं के लिए खेल क्यों आवश्यक है?

इसे सुनेंरोकेंखेल द्वारा बच्चे सामाजिक होना सीखते हैं जब माँ शिशु को नहलाती है, कपड़े पहनाती है, सुलाती है और उसकी अन्य सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखती है तो इन अंतः क्रियाओं के दौरान बालिका माँ को पहचानने लगती है। उसका माँ से लगाव भी बढ़ता है।

खेलो का क्या महत्व है?

इसे सुनेंरोकेंखेलकर से पुष्ट और स्फूर्तिमय शरीर ही मन को स्वस्थ बनाता है। खेलकूद मानव मन को प्रसन्न और उत्साहित बनाए रखते हैं। खेलों से नियम पालन के स्वभाव का विकास होता है और मन एकाग्र होता है। खेल में भाग लेने से खिलाड़ियों में सहिष्णुता,धैर्य और साहस का विकास होता है तथा सामूहिक सद्भाव और भाईचारे की भावना बढ़ती है।

विद्यार्थी जीवन में खेलकूद का क्या महत्व है आपका प्रिय खेल कौन सा है और क्यों इस विषय पर एक लेख लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंयह नियमित रुप से मनोरंजन और शारीरिक गतिविधियों को प्राप्त करने का अच्छा साधन है। यह चरित्र और अनुशासन को बनाये रखने में भी काफी सहायक होता है, जो हमें पूरे जीवन भर थामे (पकड़े) रहती है। यह हमें सक्रिय बनाती है और हमें ऊर्जा और ताकत देती है। नियमित रुप से खेल खेलने से मानसिक और शारीरिक वृद्धि को प्रोत्साहन मिलता है।

बालकों के जीवन में खेलों का क्या महत्व है?

इसे सुनेंरोकेंछात्र जीवन में खेल अत्यंत आवश्यक है, हमें छात्र जीवन में ही खेल के महत्व को समझ जाना चाहिए, खेल हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाता है, खेल हमारे विकास का मूलभूत आधार होता है। खेलकूद हमारे शारीरिक व मानसिक विकास का मजबूत आधार स्तंभ है। तो यह था बच्चों के विकास में खेल का महत्व पर निबंध आशा करते है, यह आपको पसंद आया होगा।

खेल की आवश्यकता क्यों है?

इसे सुनेंरोकेंखेल हमारे जीवन का आवश्यक हिस्सा है। स्वस्थ शरीर और दिमाग काे विकसित करने के लिए खेल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। खेल कई प्रकार के होते हैं, जाे हमारे शारीरिक के साथ मानसिक विकास में मदद करते हैं। लगातार पढ़ाई के दौरान कई बार तनाव की स्थिति होती है।

Publish Date: | Wed, 24 Jan 2018 04:04 AM (IST)

पाली। नईदुनिया न्यूज

बच्चों के सर्वांगीण विकास में परिवार की सुदृढ़ साझेदारी महत्वपूर्ण है। सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक प्रयास उनका बौद्धिक स्तर तो घर का खान-पान और खेलकूद गतिविधियां उन्हें शारीरिक रूप से सक्षम बनाती हैं, इसलिए कल का भविष्य कहे जाने वाले बच्चों की समुचित देखरेख आज से ही शुरू करनी होगी। इन बातों पर फोकस करते हुए संस्कार अभियान के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को विशेष प्रशिक्षण दिया गया। उक्त बातें प्रशिक्षण के समापन सत्र के मुख्य अतिथि रहे राज्य युवा आयोग के सदस्य रघुराज सिंह उइके ने कही।

महिला एवं बाल विकास विभाग के तत्वावधान में संस्कार अभियान के तहत यह प्रशिक्षण पाली में दिया गया। 18 से 23 जनवरी के बीच चले 6 दिन के प्रशिक्षण में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन उन बिंदुओं पर किया गया, जिनके माध्यम से बच्चों के शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक स्तर पर विकास को गति देते हुए खूबियों में निखार लाया जा सके। इस प्रशिक्षण में विकासखंड पाली अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यरत कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का समापन राज्य युवा आयोग के सदस्य रघुराज सिंह उइके के मुख्य आतिथ्य में मंगलवार को किया गया। उन्होंने कार्यकर्ताओं को इस प्रशिक्षण का महत्व बताते हुए अपने क्षेत्र के बच्चों व उनके माता-पिता की बेहतरी के लिए समुचित प्रयास करने की सीख दी।

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शाला पूर्व शिक्षा पर किया फोकस

संस्कार अभियान का उद्देश्य व्यापक बाल देखरेख, उनमें सक्रिय क्षमता का विकास, समुदाय व परिवार की सुदृढ़ साझेदारी के माध्यम से बच्चों के सर्वांगीण विकास करने की कला से अवगत कराना शामिल है। प्रशिक्षण का योजना अनुरूप संचालन करने विभागीय अधिकारियों व पर्यवेक्षकों को रायपुर में पहले ही प्रशिक्षित किया जा चुका है। अभियान में शाला पूर्व शिक्षा पर फोकस करते हुए सूचना, संचार एवं शिक्षा गतिविधियों (सीसीई) के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों का सुनियोजित संचालन व योजनाओं का क्रियान्वयन करने की सीख कार्यकर्ताओं को प्रदान की गई, ताकि देश का भविष्य कहे जाने बच्चों को कल के लिए तैयार करने कोई कमी न रहे।

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ब्लॉक के 392 कार्यकर्ता हुईं शामिल

कार्यकर्ताओं को दिया गया यह चरणबद्ध प्रशिक्षण 40-40 के बैच में 6 दिन के लिए आयोजित किया गया था, जिसमें विकासखंड पाली अंतर्गत संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों की 392 कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। बच्चों की देखभाल के साथ आयु के अनुरूप देखरेख करते हुए उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिभा विकसित करने और इस कार्य में पालकों को जोड़कर उनका मार्गदर्शन करने के गुर सिखाए गए। इस अवसर पर जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी आदित्य शर्मा, परियोजना अधिकारी गजेंद्र सिंह, दीपक शर्मा, श्रीमती गजाला खान, जयंति कुजूर, श्रीमती मंदा निर्मलकर, श्रीमती प्रतिभा सिंह समेत अन्य मौजूद रहे।

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बालक का सर्वांगीण विकास कैसे होता है? - baalak ka sarvaangeen vikaas kaise hota hai?

बालक का सर्वांगीण विकास कैसे होता है? - baalak ka sarvaangeen vikaas kaise hota hai?

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सर्वांगीण विकास कैसे होता है?

सर्वांगीण विकास से तात्पर्य बच्चों का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और संवेदनात्मक विकास उनकी आयु के अनुरूप हो। बच्चों का समुचित पालन पोषण कोई आसान काम नहीं है, क्योंकि बच्चों को कब क्या और कौन सी बात बुरी लग जाए यह कहा नहीं जा सकता है। इसलिए हर उम्र के बच्चों के साथ साथ, माता-पिता को सतर्क रहना पड़ता है

बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए क्या आवश्यक है?

स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ रहना जरूरी है। साथ ही समाज में निरंतर प्रगतिशील रहने के लिए शिक्षित होने की आवश्यकता है। हमें अपने बच्चों को अगर समाज में को उच्च स्थान पाना है, और आगे बढ़ना है और अपनी लोगों को इसके लिए आगे आना होगा। बच्चों में समाज के कार्य के साथ पढ़ाई-लिखाई के संस्कार भी डालें।

बालक के सर्वांगीण विकास में मातृभाषा का क्या महत्व है?

मातृभाषा का महत्व मातृभाषा से बच्चों का परिचय घर और परिवेश से ही शुरू हो जाता है। इस भाषा में बातचीत करने और चीज़ों को समझने-समझाने की क्षमता के साथ बच्चे विद्यालय में दाख़िल होते हैं। अगर उनकी इस क्षमता का इस्तेमाल पढ़ाई के माध्यम के रूप में मातृभाषा का चुनाव करके किया जाये तो इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं।

सर्वागीण क्या है?

जो सभी अंगों से युक्त हो 2. सभी अंगों से संबंधित; सब अंगों का 3. हर दृष्टि से या हर बात में 4. समस्त शरीर में व्याप्त।