अज्ञात से ज्ञात की ओर कौन सी विधि होती है? - agyaat se gyaat kee or kaun see vidhi hotee hai?


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अज्ञात से ज्ञात की ओर कौन सी विधि होती है? - agyaat se gyaat kee or kaun see vidhi hotee hai?

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अज्ञात से ज्ञात की ओर शिक्षण स...

अज्ञात से ज्ञात की ओर शिक्षण सिद्धान्त का पालन होता है

लिखित उत्तर

प्रदर्शन विधि में आगमन विधि में खेल विधि में निगमन विधि में

Answer : B

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अज्ञात से ज्ञात की ओर कौन सी विधि होती है? - agyaat se gyaat kee or kaun see vidhi hotee hai?

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अज्ञात से ज्ञात की ओर कौन सी विधि होती है? - agyaat se gyaat kee or kaun see vidhi hotee hai?

Abhishek Mishra

8 months ago

आगमन विधि में ज्ञात से अज्ञात की ओर, सरल से जटिल और की ओर चलकर मूर्त उदाहरणों द्वारा बालको से समाने नियम निकलवाने जाते हैं। ... इस विधि में बालक उदाहरणों का विश्लेषण करते हुए सामान्य नियम समय निकाल लेते हैं।

अज्ञात से ज्ञात की ओर कौन सी विधि होती है? - agyaat se gyaat kee or kaun see vidhi hotee hai?

Abhishek Mishra

8 months ago

आगमन विधि में ज्ञात से अज्ञात की ओर, सरल से जटिल और की ओर चलकर मूर्त उदाहरणों द्वारा बालको से समाने नियम निकलवाने जाते हैं। ... इस विधि में बालक उदाहरणों का विश्लेषण करते हुए सामान्य नियम समय निकाल लेते हैं।

आगमन विधि तथा निगमन विधि में अंतर

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आगमन विधि तथा निगमन विधि में अंतर जानने के लिए सबसे पहले हम लोगों को यह जानना होगा कि आगमन विधि क्या है? तथा निगमन विधि क्या है? इन दोनों इन दोनों विधि के गुण क्या है? और दोष क्या है ? तत्पश्चात हमलोग आगमन विधि तथा निगमन विधि में अंतर स्पष्ट रूप से पा सकते हैं तो चलिए हम एक-एक विधि करके देखते हैं कि आगमन विधि क्या है तथा निगमन विधि क्या है?

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  • CTET CDP NOTES
  • CTET EVS NOTES
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आगमन विधि का अर्थ :-

आगमन विधि, उस विधि को को कहते है, जिसमें विशेष तथ्य एवं घटनाओं के लक्षण एवं विश्लेषण द्वारा सामान्य नियम व सिद्धांतों का निर्माण किया जाता है। आगमन विधि ज्ञात से अज्ञात की ओर, विशिष्ट से सामान्य की ओर एवं मूर्त से अमूर्त की ओर शिक्षण सूत्रों का प्रयोग किया जाता हैका प्रयोग किया जाता है।

CTET NCERT Class 3 EVS Notes [ हिंदी में ]

दूसरे शब्दों में,

इस विधि का प्रयोग करते समय शिक्षक बालकों के सामने उन्हीं के अनुभव क्षेत्र से विभिन्न उदाहरणों को प्रस्तुत करता है। तत्पश्चात के द्वारा पेश किए हुए विशिष्ट उदाहरणों के संबंध में निरीक्षण, परीक्षण एवं ध्यानपूर्वक सोच विचार करा कर सामान्य नियम व सिद्धांत निकलवा आता है। इस तरह आगमन विधि में विशिष्ट उदाहरण द्वारा बालकों को सामान्यीकरण या सामान्य नियमों को निकलवाने हेतु प्रोत्साहित किया जाता है। उदाहरण के लिए, व्याकरण
पढ़ाते समय बालकों के द्वारा यह सामान्य ज्ञान निकलवाया जा सकता है कि किसी व्यक्ति, वस्तु , स्थान तथा गुण को संज्ञा कहते हैं।

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आगमन विधि तथा निगमन विधि में अंतर



आगमन विधि के गुण :-

1. आगमन विधि में ज्ञात से अज्ञात की ओर, सरल से जटिल और की ओर चलकर मूर्त उदाहरणों द्वारा बालको से समाने नियम निकलवाने जाते हैं। इससे बालक सक्रिय एवं प्रसन्न रहते हैं तथा ज्ञानार्जन के लिए उनकी रुचि लगातार बनी रहती है।

2. इस विधि में बालक उदाहरणों का विश्लेषण करते हुए सामान्य नियम समय निकाल लेते हैं।

3. आगमन विधि द्वारा ज्ञान प्राप्त करते हुए बालक को सीखने के हरा स्तर को पार करना पड़ता है इससे शिक्षा प्रभावशाली बन जाता है।

4. इस विधि द्वारा प्राप्त किया हुआ ज्ञान संग बालकों का खोजा हुआ ज्ञान होता है ऐसा ज्ञान उनके मस्तिष्क का स्थाई अंग बन जाता है

5. आगमन विधि द्वारा बालकों को नवीन ज्ञान के खोजने का प्रशिक्षण मिलता है।

6. यह भी ठीक है भारी कि जीवन हेतु बहुत लाभप्रद है अतरिया विधि एक प्राकृतिक विधि है।

आगमन विधि तथा निगमन विधि में अंतर


निगमन विधि का अर्थ :-

निगमन विधि शिक्षण की निगमन विधि उसी को कहते हैं जिसमें सामान्य से विशिष्ट की ओर बढ़ा जाता है। इस तरह हम कर सकते हैं निगमन विधि आगमन विधि के बिल्कुल विपरीत है। निगमन विधि का प्रयोग करते समय शिक्षक बालकों के सामने पहले किसी सामान्य नियम  को रखते हैं, तत्पश्चात उस नियम की सत्यता को प्रमाणित करने हेतु विभिन्न उदाहरणों का प्रयोग करते हैं। कहने का अभिप्राय है कि निगमन विधि में विभिन्न प्रयोग एवं उदाहरणों के माध्यम से किसी सामान्य नियम की सत्यता को सिद्ध कराया जाता है।
उदाहरण के लिए- विज्ञान की शिक्षा देते समय बालक से किसी भी सामान्य नियम को कई प्रयोगों द्वारा सिद्ध कराया जा सकता है। जिस तरह इस विधि का प्रयोग विज्ञान के शिक्षण में किया जा सकता है इसी तरह का प्रयोग व्याकरण, अंकगणित एवं ज्यामिति आदि अन्य विषयों के शिक्षण में भी सफलतापूर्वक किया जा सकता है।


निगमन विधि के गुण :-

(1.)छोटे बालको के लिए बहुत लाभदायक है। इसके प्रयोग द्वारा बालक ज्ञान का प्रयोग करना सफलतापूर्वक सीख जाते हैं।
(2.) यह विधि सभी विषय को पढ़ाने हेतु उपयुक्त है।
(3.)निगमन विधि द्वारा कक्षा के सभी बालकों को एक ही समय में पढ़ाया जा सकता है।
(4. )निगमन विधि द्वारा नियमों की जानकारी प्राप्त करते हैं उन्हें अशुद्ध नियमों को जानने का कोई अवसर नहीं मिलता।
(5.) किस विधि के प्रयोग से समय एवं शक्ति दोनों की बचत होती है।
(6.) निगमन विधि में शिक्षक बने बनाए नियमों को बालकों के सामने प्रस्तुत करता है। इस तरह निगमन विधि शिक्षक का कार्य बहुत सरल करता है।

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अज्ञात से ज्ञात की ओर कौन सी शिक्षण विधि है?

आगमन विधि ज्ञात से अज्ञात की ओर, विशिष्ट से सामान्य की ओर एवं मूर्त से अमूर्त की ओर शिक्षण सूत्रों का प्रयोग किया जाता हैका प्रयोग किया जाता है।

ज्ञात से अज्ञात की ओर बढ़ना कौन सी विधि है?

इसलिए, हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि संश्लेषण​ विधि में हम ज्ञात से अज्ञात की ओर बढ़ते हैं।

निगमन विधि का दूसरा नाम क्या है?

निगमन विधि में पहले नियमों का ज्ञान कराया जाता है फिर उदाहरण दिये जाते हैं । उदाहरण के आधार पर समझाया जाता है । इस विधि को सिद्धान्त प्रणाली भी कहते हैं ।

अमूर्त से मूर्त की ओर कौन सी विधि है?

मूर्त एसेट्स का भौतिक रूप होता है, जबकि अमूर्त एसेट केवल कागज पर मौजूद होती है और इसमें कोई भौतिक गुण नहीं होता है।