सामाजिक परिवर्तन का अर्थ प्रभाव एवं शिक्षा में परिवर्तन की भूमिका Show
सामाजिक परिवर्तन का अर्थ प्रभाव एवं शिक्षा में परिवर्तन की भूमिका सामाजिक परिवर्तन का अर्थ एवं परिभाषाएं गिलिन एवं गिलिन ने सामाजिक परिवर्तन की परिभाषा प्रस्तुत करते हुए लिखा है की "सामाजिक परिवर्तन जीवन की स्वीकृत रीतियों में परिवर्तन अथवा अंतर को कहते हैं। चाहे यह परिवर्तन भौगोलिक दशाओं के परिवर्तन से हुए हों अथवा सिद्धांतों के परिवर्तन से हुए हो अथवा यह प्रसार से अथवा समूह के अंदर आविष्कार से हुए हो।" यह परिभाषा बहुत ही विस्तृत है पोस्टर इसमें जीवन के समस्त प्रकार के परिवर्तनों को सामाजिक परिवर्तन बताया गया है। इसी प्रकार डासन तथा गेटिस ने लिखा है, "सांस्कृतिक परिवर्तन सामाजिक परिवर्तन है, क्योंकि समस्त संस्कृति अपनी उत्पत्ति, अर्थ एवं प्रयोग में सामाजिक है।" परंतु वास्तविकता यह है कि जीवन की स्वीकृत रीतियों में जो परिवर्तन होता है, यह तो सांस्कृतिक परिवर्तन है और जो परिवर्तन केवल सामाजिक संबंधों को प्रभावित करता है, वह सामाजिक परिवर्तन है, यह ठीक भी है। क्योंकि आखिर समाज सामाजिक संबंधों का जाल ही तो है। जो परिवर्तन सामाजिक संबंधों में होंगे, उन्हीं को तो सामाजिक परिवर्तन कहा जाएगा, ना की समस्त प्रकार के परिवर्तनों को। उपर्युक्त के अनुसार संक्षेप में हम कह सकते हैं कि सामाजिक परिवर्तन हुआ है जो सामाजिक संबंधों में हो। सामाजिक परिवर्तन को विभिन्न समाज शास्त्रियों ने निम्न प्रकार से परिभाषित किया है मैकाइवर तथा पेज के अनुसार, "उस परिवर्तन को ही केवल सामाजिक परिवर्तन मानेंगे, जो इन में अर्थात सामाजिक संबंधों में हो।" जांस के अनुसार, "सामाजिक परिवर्तन वह शब्द है जो सामाजिक प्रक्रियाओं, सामाजिक प्रतिमानों, सामाजिक अन्तर क्रिया का सामाजिक संगठन के किसी अंग में अंतर अथवा रूपांतर को वर्णित करने में किया जाता है।" के. डेविस के अनुसार, "सामाजिक परिवर्तन से केवल वही परिवर्तन समझे जाते हैं जो सामाजिक संगठन अर्थात समाज के ढांचे और कार्यों में घटित होते हैं।" सामाजिक परिवर्तन को प्रभावित करने वाले कारक प्रत्येक घटना के पीछे कोई कारण होता है। इसी प्रकार किसी समाज में परिवर्तन आने का भी कोई ना कोई कारण अवश्य ही होता है। विभिन्न समाज शास्त्रियों ने सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न कारण बताए हैं। सामाजिक परिवर्तन किसी एक कारक का परिणाम नहीं होकर विभिन्न कारकों से प्रभावित होता है। इस संदर्भ में रोज का कथन है कि, "संभवत: सामाजिक परिवर्तन का कोई कारण अथवा कारणों की एक श्रंखला सभी समाजों में सभी परिवर्तनों के लिए उत्तरदाई नहीं है और ना सिर्फ कारण ही किसी एक परिवर्तन के लिए उत्तरदाई है।" सामाजिक परिवर्तन के कारक निम्नांकित हो सकते हैं प्राकृतिक कारक 2. जैवकीय या प्राणी शास्त्रीय कारक 3. जनसंख्यात्मक कारक 4. प्रौद्योगिकी कारक 5. आर्थिक कारक 6. सांस्कृतिक कारक 7. राजनैतिक कारक अपराध वृत्ति, शिक्षा वृद्धि, वेश्यावृत्ति, आदि का विकास होता है, बच्चे अनाथ हो जाते हैं, परिवार नष्ट हो जाते हैं। इस प्रकार युद्ध एवं सैनिक शक्ति सामाजिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अतिरिक्त, शासन प्रणाली का भी सामाजिक ढांचे पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। राजतंत्रात्मक एवं लोकतंत्रात्मक शासन प्रणालियों में सामाजिक व्यवस्था भिन्न-भिन्न देखने को मिलती है। 8. शैक्षिक कारक शिक्षा के द्वारा सामाजिक परिवर्तन
1. शाश्वत मूल्यों को स्थाई रखना 2. मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार करना 3. नेतृत्व के गुणों का विकास
करना 4. अनावश्यक सामाजिक रीति-रिवाजों को हटाना 5. नवीन परिवर्तनों के उदय में सहायक 6. ज्ञान के क्षेत्र में विकास विद्यालय कार्यक्रमों में से सामाजिक परिवर्तन शैक्षणिक संस्थाओं में निम्नानुसार कार्यक्रम अपनाए जाएं जिससे सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा मिले। शिक्षा का उद्देश्य 2. शिक्षा का मॉडल 3. शिक्षण पद्धतियांसामूहिकता की भावना विकसित करने वाली शिक्षण विधियों को अपनाया जाए। 4. प्रशासन 5. शिक्षक का कार्य 6. पाठ्यक्रम 7. शैक्षिक तकनीकी का प्रयोग 8. सीखने के पर्यावरण का निर्माण 9. जीवन पर्यंत शिक्षा सामाजिक परिवर्तन क्या है सामाजिक परिवर्तन लाने में शिक्षा की क्या भूमिका है?सामाजिक परिवर्तन, समाज के आधारभूत परिवर्तनों पर प्रकाश डालने वाला एक विस्तृत एवं कठिन विषय है। इस प्रक्रिया में समाज की संरचना एवं कार्यप्रणाली का एक नया जन्म होता है। इसके अन्तर्गत मूलतः प्रस्थिति, वर्ग, स्तर तथा व्यवहार के अनेकानेक प्रतिमान बनते एवं बिगड़ते हैं। समाज गतिशील है और समय के साथ परिवर्तन अवश्यंभावी है।
सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की क्या भूमिका होती है?शिक्षा का समाज में स्थान
्बंध स्थापित करती है। शिक्षा समाज को गतिशील बनाती है, और विकास का आधार प्रदान करती है। समाज के व्यक्तियों का व्यक्तित्व विकास - शिक्षा द्वारा व्यक्तित्व का विकास होता है। व्यक्तित्व के विकास से तात्पर्य शारीरिक, चारित्रिक, नैतिक और बौद्धिक गुणों के विकास के साथ सामाजिक गुणों का विकास होना।
सामाजिक परिवर्तन क्या होता है शिक्षा सामाजिक परिवर्तन का शक्तिशाली साधन है?शिक्षा सामाजिक परिवर्तन का सबसे शक्तिशाली साधन है। यह शिक्षा के माध्यम से है कि समाज वांछनीय परिवर्तन ला सकता है और खुद को आधुनिक बना सकता है। शिक्षा उन अवसरों और अनुभवों को प्रदान करके समाज को बदल सकती है जिनके माध्यम से व्यक्ति बदलती हुई समाज की उभरती जरूरतों और दर्शन के साथ समायोजन के लिए खुद को तैयार कर सकता है।
शिक्षा तथा सामाजिक परिवर्तन में क्या संबंध है?शिक्षा के माध्यम से अनुभवों को पुनः संरचित किया जाता है तथा इस प्रकार से ही लोगों के व्यवहार में, रुचियों में परिवर्तन आता है। इन परिवर्तनों से सामाजिक सम्बन्धों में परिवर्तन आता है जो सामाजिक परिवर्तन कहलाता है। इस प्रकार शिक्षा, सामाजिक परिवर्तन का प्रमुख कारक है।
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