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Login Register now for special offers +91 Home > Hindi > कक्षा 9 > Social Science > Chapter > जलवायुl3voq > इनमें से किस स्थान पर 200 सेंट... लिखित उत्तर थार मरुस्थल दिल्ली पश्चिमी घाट का पश्चिमी किनारा झारखंड Answer : C संबंधित वीडियो408063972 0 3.3 K 1:47 इनमें से कौन-सा बहुपद (Polynomial ) है ? 408063968 0 1.2 K 2:17 इनमें से कौन-सा बहुपद (Polynomial ) है ? 408063965 0 4.7 K 2:24 इनमें से कौन-सा बहुपद (Polynomial ) है ? 334964679 0 8.8 K 5:40 यदि एक वक्र बिंदु (1, -2) से होकर जाता है तथा इस पर किसी बिंदु (x, y) पर स्पर्श रेखा का ढाल (slope) `(x^(2) - 2y)/(x)` है, तो यह वक्र निम्न में से किस बिंदु से होकर जाता है ? 293252077 900 7.2 K 2:05 एक कण `y = x^(2) + 2x` से साथ-साथ चलता है। व्रक के किस बिंदु पर x तथा y निर्देशांक समान दर से परिवर्तित हो रहे है ? 223424587 0 6.2 K 1:57 निम्नलिखित कथनो में से सत्य असत्य लिखिए और अपने उत्तर का औचित्य भी दीजिए। <br> किसी रेखा से समान दूरी पर स्तिथ बिन्दुओ का समुच्चय एक रेखा होती है। Show More Comments Add a public comment... Follow Us: Popular Chapters by Class: Class 6 AlgebraBasic Geometrical IdeasData HandlingDecimalsFractions Class 7 Algebraic ExpressionsComparing QuantitiesCongruence of TrianglesData HandlingExponents and Powers Class 8 Algebraic Expressions and IdentitiesComparing QuantitiesCubes and Cube RootsData HandlingDirect and Inverse Proportions Class 9 Areas of Parallelograms and TrianglesCirclesCoordinate GeometryHerons FormulaIntroduction to Euclids Geometry Class 10 Areas Related to CirclesArithmetic ProgressionsCirclesCoordinate GeometryIntroduction to Trigonometry Class 11 Binomial TheoremComplex Numbers and Quadratic EquationsConic SectionsIntroduction to Three Dimensional GeometryLimits and Derivatives Class 12 Application of DerivativesApplication of IntegralsContinuity and DifferentiabilityDeterminantsDifferential Equations Privacy PolicyTerms And Conditions Disclosure PolicyContact Us ब्राजील में अमेज़न वर्षावन का एक क्षेत्र. दक्षिण अमेरिका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन में धरती पर प्रजातियों की सबसे बड़ी विविधता है। उष्णकटिबंधीय वर्षा-वन एक ऐसा क्षेत्र होता है जो भूमध्य रेखा के दक्षिण या उत्तर में लगभग 28 डिग्री के भीतर होता है। वे एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, मध्य अमेरिका, मेक्सिको और प्रशांत द्वीपों पर पाए जाते हैं। विश्व वन्यजीव निधि के बायोम वर्गीकरण के भीतर उष्णकटिबंधीय वर्षावन को उष्णकटिबंधीय आर्द्र वन (या उष्णकटिबंधीय नम चौड़े पत्ते के वन) का एक प्रकार माना जाता है और उन्हें विषुवतीय सदाबहार तराई वन के रूप में भी निर्दिष्ट किया जा सकता है। इस जलवायु क्षेत्र में न्यूनतम सामान्य वार्षिक वर्षा 175 से॰मी॰ (69 इंच) और 200 से॰मी॰ (79 इंच) के बीच होती है। औसत मासिक तापमान वर्ष के सभी महीनों के दौरान 18 °से. (64 °फ़ै) से ऊपर होता है।[1] धरती पर रहने वाले सभी पशुओं और पौधों की प्रजातियों की आधी संख्या इन वर्षावनों में रहती है।[2] वर्षावनों के कई क्षेत्रों में भूमि स्तर पर सूरज की रौशनी न पहुंच पाने के कारण बड़े वृक्षों के नीचे छोटे पौधे और झाड़ियां बहुत कम उग पाती हैं।[3] इस कारण वन से होते हुए लोगों और अन्य जानवरों का चलना संभव हो जाता है। यदि पत्तों के वितान को किसी कारण से नष्ट या पतला कर दिया जाता है तो नीचे की ज़मीन शीघ्र ही घनी उलझी लताओं, झाड़ियों और जंगल कहे जाने वाले छोटे पेड़ों से भर जाती है।[4] उष्णकटिबंधीय वर्षावन वर्तमान में मानव गतिविधि के कारण बिखर रहे हैं। भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं, जैसे कि ज्वालामुखी और जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाला वास विखंडन अतीत में हुआ है और इन्हें प्रजातीकरण के चालक के रूप में पहचाना गया है।[5] हालांकि, मानव प्रेरित तीव्र अधिवास विनाश को प्रजातियों के विलुप्त होने के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है। अभिलक्षण[संपादित करें]पेरू में अमेज़न नदी वर्षावन वर्षावनों में इतनी प्रजातियां या आबादी वास करती हैं जितनी अन्य सभी बायोम को मिलाकर भी नहीं करती. दुनिया भर की 80% जैव विविधता उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में पाई जाती है।[6] लम्बे पेड़ों का पत्तियों से भरा शीर्ष - जो वन के तल से 50 से 85 मीटर ऊपर होता है - एक लघु झाड-पत्तियों के स्तर का निर्माण करता है। जमीन पर गिरने वाली जैविक सामग्री शीघ्र ही सड़ जाती है और पोषक तत्वों को पैदा करती है। वर्षावनों में उच्च वर्षा पाई जाती है। जिससे घुलनशील पोषक तत्वों की लीचिंग के कारण मिट्टी अनुपजाऊ हो जाती है। ऑक्सीसोल्स, मौसमी रूप से बाढ़ वाले जंगल की ऐसी मिटटी होती है जो उपजाऊ गाद से सालाना समृद्ध हो जाती है। उष्णकटिबंधीय वर्षा वन सम्पूर्ण 20वीं के दौरान भारी कटाव और कृषि सफाई के अधीन रहे हैं और दुनिया भर में वर्षावन वाले क्षेत्र तेज़ी से सिकुड़ रहे हैं।[7][8] वर्षावनों को अक्सर "धरती का फेफड़ा" कहा जाता है; तथापि, इस तरह के किसी दावे का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है क्योंकि उष्णकटिबंधीय वर्षावनों को ऑक्सीजन तटस्थ जाना जाता है, जहां ऑक्सीजन का बहुत कम या कोई शुद्ध उत्पादन नहीं होता है।[9][10] वर्षावन नम होता है। लंबे, चौड़े पत्ते वाले सदाबहार पेड़ वहां प्रमुख पौधे होते हैं, जो वन की सतह पर पत्तेदार वितान का गठन करते हैं। लम्बे पेड़, जिन्हें आपातिक कहा जाता है, वितान से ऊपर बढ़ सकते है। वितान का ऊपरी हिस्सा अक्सर समृद्ध अधिपादप वनस्पति का समर्थन करते हैं, जिसमें शामिल है आर्किड, ब्रोमीलिएड, शैवाल और लाइकेन जो पेड़ों की शाखाओं से जुड़े रहते हैं। वर्षावनों के कई क्षेत्रों में भूमि स्तर पर सूरज की रौशनी न पहुंच पाने के कारण बड़े वृक्षों के नीचे छोटे पौधे और झाड़ियां बहुत कम उग पाती हैं और आमतौर पर इनमें ऐसी छाया-सहिष्णु झाडियां, जड़ी-बूटी, फर्न, छोटे पेड़ और लम्बी लताएं होती हैं जो सूर्य के प्रकाश के लिए पेड़ों पर चढ़ती हैं। ज़मीन पर फैली अपेक्षाकृत विरल वनस्पति लोगों और अन्य जानवरों के लिए जंगल से होकर गुजरने को संभव बनाती है। पर्णपाती और अर्द्ध पर्णपाती जंगलों में, या ऐसे जंगलों में जहां वितान किसी कारणवश नष्ट हो जाते हैं, वहां नीचे की ज़मीन पर शीघ्र ही उलझी लताएं, झाडियां और छोटे पेड़ों का फैलाव हो जाता है जिसे जंगल कहा जाता है। तापमान 21 डिग्री सेल्सियस से 45 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है और वार्षिक वर्षा 125 से 660 सेमी होती है। परतें[संपादित करें]काकुम राष्ट्रीय उद्यान, घाना में ज़मीन से 40 मीटर ऊपर वितान उद्यानपथ वर्षावनों को पांच अलग-अलग स्तरों में विभाजित किया गया है, जिनमें प्रत्येक के भिन्न पौधे और जानवर हैं, जो उस विशेष क्षेत्र में जीवन के लिए अनुकूलित हैं। ये हैं: भूमि स्तर, झाड़ी स्तर, अंडरस्टोरी स्तर और आकस्मिक स्तर: केवल आकस्मिक स्तर उष्णकटिबंधीय वर्षावन के लिए अद्वितीय है, जबकि अन्य भी शीतोष्ण वर्षावन में पाए जाते हैं। आकस्मिक परत में बहुत ऊंचे पेड़ों की थोड़ी संख्या शामिल होती है जो वितान से ऊपर तक होते है जिनकी ऊंचाई से 45-55 मीटर तक होती है, हलांकि कभी-कभी कुछ प्रजाति 70 य 80 मी. ऊपर तक जाती है। उन्हे गर्म तापमान और तेज हवाओं का सामना करने में सक्षम होना चाहिए. चील, तितलियां, चमगादड़ और कुछ बंदर इस परत में रहते हैं। वितान, जंगल की प्राथमिक परत है और बाकि परतों के ऊपर एक छत क निर्माण करती है। अधिकांश वितान वृक्षॉ के पत्ते चिकने, अंडाकार होते है जो एक बिंदु पर आ जाते हैं। यह पत्तियों और शाखाओं का एक जंजाल है। चूंकि भोजन प्रचुर मात्रा में मिलता है कई जानवर इसी क्षेत्र में रहते हैं। इन जानवरों में शामिल हैं: सांप, टूकेन और वृक्ष के मेंढक. अंडरस्टोरी स्तर तक बहुत कम ही धूप पहुंच पाती है, इसलिए वृक्षों के पत्ते इतने बड़े होते हैं कि वे पर्याप्त धूप को खींच सकें. इस क्षेत्र में पौधे शायद ही कभी 3 मीटर (10 फुट) तक बढ़ते हैं। यहां कई जानवर रहते हैं जिनमे शामिल हैं जगुआर, तेंदुआ और लाल आंखों वाले वृक्ष मेंढक. यहां कीड़ों की बहुलता पाई जाती है। झाड़ी स्तर और वन तल अत्यंत अंधेरे में रहते हैं। फलस्वरूप, बहुत कम ही पौधे इस क्षेत्र में उगते हैं। चूंकि बमुश्किल ही सूरज की रौशनी जंगल की सतह तक पहुंच पाती है चीज़ें शीघ्र ही सड़ना शुरू हो जाती हैं। एक पत्ता जिसे एक नियमित जलवायु में गलने में एक साल लग सकते हैं वह यहां 6 सप्ताह में गायब हो जाता है। विशाल चींटीखोर इस स्तर पर रहते हैं। प्राकृतिक इतिहास[संपादित करें]उष्णकटिबंधीय वर्षावन पृथ्वी पर लाखों वर्षों से अस्तित्व में हैं। लगभग 300 मिलियन वर्ष पहले कार्बोनिफेरस में युराअमेरिका महाद्वीप पर उष्णकटिबंधीय वर्षावन पारिस्थितिकी ढह गई। वर्षावन, जलवायु में बदलाव के कारण विघटित हो गए। स्थलचर-जलचर की विविध प्रजाति का नुकसान हुआ जबकि उसी समय शुष्क जलवायु ने सरीसृप विविधीकरण को प्रेरित किया।[5] मानव उपयोग[संपादित करें]नकारात्मक मानव प्रभाव[संपादित करें]खेती, लकड़ी और पशुपालन के लिए मानव तेज़ी से अमेज़न वर्षावन को काट रहा है, जिसकी अनुमानित दर 1.5 एकड़ प्रति सेकेण्ड है अथवा प्रति मिनट 50 फुटबॉल मैदान है, जिसके चलते वर्षावन का अस्तित्व खतरे में आ गया है लकड़ी के कटान होने के कारण वनों में संतुलन की बेहद कमी होती जा रही है अतः संतुलन को बनाना बेहद आवश्यक है निवास[संपादित करें]उष्णकटिबंधीय वर्षावन मानव जीवन का समर्थन करने में असमर्थ हैं।[11] उच्च जैव विविधता के कारण जंगल के भीतर खाद्य संसाधन अत्यंत बिखरा हुआ है और जो खाना मौजूद है वह बड़े पैमाने पर वितान तक सीमित है और उसे प्राप्त करने के लिए काफी ऊर्जा की आवश्यकता हैं। जंगली आदिवासियों के कुछ समूहों ने मौसमी आधार पर वर्षावनों का शोषण किया है, लेकिन वे मुख्य रूप से नज़दीक के सवाना और खुले वन के वातावरण में रहते हैं जहां भोजन कहीं अधिक प्रचुर मात्रा में मिलता है। अन्य लोग जिन्हें वर्षावन निवासी के रूप में वर्णित किया गया है वे जंगली आदिवासी हैं जो अपना निर्वहन मुख्य रूप से जंगल के बाहर रहने वाले लोगों के साथ वन उत्पादों का व्यापार कर के करते हैं जैसे कि पशुचर्म, पंख और शहद.[11] कृषि भूमि में रूपांतरण[संपादित करें]खेती के आविष्कार के साथ, मानव वर्षावन के हिस्सों को खुले खेत में परिवर्तित करते हुए फसलों की पैदावार में सक्षम हुए. ऐसे लोग, तथापि, अपना भोजन मुख्य रूप से साफ़ किये गए जंगल[11][12] के खेतों के भूखंडों से प्राप्त करते हैं और इसके पूरक के रूप में वे जंगल के भीतर शिकार और खाद्य की खोज करते हैं। पूर्व की वन भूमि पर कृषि करना आसान नहीं होता है। वर्षावन की मिट्टी अक्सर पतली होती है और कई खनिजों के बिना होती है और भारी वर्षा तेज़ी से खेती के लिए साफ किये गए क्षेत्र से पोषक तत्वों को बहा कर ले जा सकती है। लोग, जैसे कि अमेज़न के यनोमामो, इस तरह की समस्याओं को सुलझाने के लिए स्लेश-एंड-बर्न (काटो और जलाओ) कृषि का उपयोग करते हैं जिससे वे उस क्षेत्र में गहरे अन्दर जा पाने में सक्षम होते हैं जो कभी अतीत में वर्षावन वातावरण थे। हालांकि, वे वर्षावन निवासी नहीं है, बल्कि वे साफ़ किये गए खेतों के वासी हैं[11][12] जो जंगलों में भोजन की खोज करते हैं। ठेठ यनामोमो आहार का 90% खेती के पौधों से आता है।[12] कृषि खाद्य पदार्थ और मसाले[संपादित करें]कॉफी, चॉकलेट, केला, आम, पपीता, मेकाडामिया, अवोकाडो और गन्ना सभी मूल रूप से उष्णकटिबंधीय वर्षावन से आया है और अभी भी ज्यादातर उन क्षेत्रों में बागानों में उगाया जाता है जो अतीत में प्राथमिक वन थे। 1980 के दशक के मध्य और 90 के दशक में, 40 मीलियन टन केले की खपत दुनिया भर में हुई जिसके अलावा आम की खपत 13 मीलियन टन हुई. मध्य अमेरिकी कॉफी निर्यात का मूल्य 1970 में यूएस$3 बीलियन डॉलर था। नए कीट से हुए नुकसान को दरकिनार करने में प्रयुक्त आनुवंशिक परिवर्तन को अभी भी प्रतिरोधी जंगली पशुओं से प्राप्त किया जाता है। उष्णकटिबंधीय वनों ने खेती किये जाने लायक 250 प्रकार के फलों की आपूर्ति की है जबकि शीतोष्ण वनों ने तुलना में केवल 20 दिए हैं। अकेले न्यू गिनी में खाने लायक फलों के वृक्षों की 251 प्रजातियाँ हैं, जिनमे से 1985 तक केवल 43 को खेती की फसल के रूप में स्थापित किया गया है।[13] फार्मास्युटिकल और जैव विविधता संसाधन[संपादित करें]उष्णकटिबंधीय वर्षावनों को "दुनिया की सबसे बड़े फार्मेसी" कहा जाता है[कृपया उद्धरण जोड़ें] क्योंकि वहां बड़े पैमाने पर प्राकृतिक दवाएं मिलती हैं जिन्हें वर्षावन पौधों से हासिल किया जाता है। उदाहरण के लिए, वर्षावनों में "हार्मोनल गर्भनिरोधक विधियों की बुनियादी सामग्री, कोकीन, उत्तेजक और शांत करने वाली दवा" मिलती है (बैंक्स 36)[कृपया उद्धरण जोड़ें]. कुरारे (एक पैरालाइज़िंग दवा) और कुनैन (मलेरिया के इलाज की एक दवा) भी वहां पाई जाती हैं। सकारात्मक प्रभाव[संपादित करें]दक्षिण पश्चिम ग्रीष्म मानसून की शुरुआती तिथि और प्रचलित वायु धाराएं. उष्णकटिबंधीय वर्षावन में पर्यटन के नकारात्मक प्रभाव के बावजूद, वहां कई महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव मौजूद हैं।
=== पारिस्थितिकी तंत्र सेवा मानवीय दोहन उपयोग के अलावा वर्षावनों का गैर-दोहन उपयोग भी होता है जिसे पारिस्थितिकी तंत्र सेवा के रूप में संक्षेपित किया जाता है। वर्षावन जैव विविधता को बनाए रखने, वर्षा में परिवर्तन और बाढ़ की घटना में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और वैज्ञानिक ज्ञान को बढ़ाते हैं। विनाश[संपादित करें]प्राकृतिक प्रक्रियाओं जैसे कि ज्वालामुखी, आग और जलवायु परिवर्तन के माध्यम से उष्णकटिबंधीय वर्षावनों के विनाश की चर्चा जीवाश्म रिकॉर्ड में भली प्रकार से की गयी है।[5] ये भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएं धीरे-धीरे भौतिक वातावरण के ढाँचे को परिवर्तित करती हैं और प्रजातीकरण और स्थानिकीकरण को बढ़ाती हैं।[5] इसके विपरीत, उष्णकटिबंधीय वनों का मानव गतिविधियों द्वारा जैसे कि भूमि का कृषिकरण करने से पर्यावरण का तीव्रता के साथ बदलाव होता है और इसे जीवों के विलुप्त होने के प्रमुख कारणों के रूप में देखा जाता है। अकादमिक संसाधन[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
200 सेंटीमीटर से अधिक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र को क्या कहते हैं?भारी वर्षा वाला क्षेत्र जहां सालाना 200 सेमी से अधिक वर्षा होती है। मध्यम वर्षा वाला क्षेत्र जहां वार्षिक वर्षा 100 से 200 सेमी के बीच होती है। कम वर्षा वाला क्षेत्र जहां वार्षिक वर्षा 50 से 100 सेमी के बीच होती है।
400 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा वाले क्षेत्र कौन से हैं?पश्चिमी घाट व उत्तरी-पूर्वी भारत 400 सेंटीमीटर वर्षा प्राप्त करता है। जबकि राजस्थान का पश्चिमी भाग 60 सेंटीमीटर तथा इससे सटे गुजरात,हरियाणा व पंजाब भी कामों-बेस न्यून वर्षा ही प्राप्त करता है। भारत में औसत वर्षा 125 सेंटीमीटर होती है।
अधिक वर्षा वाले क्षेत्र को क्या कहते हैं?दुनिया में सबसे ज़्यादा नमी वाले जगह के तौर पर गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भारत के मेघालय में मासिनराम का नाम दर्ज है. यहां बंगाल की खाड़ी की वजह से काफी ज़्यादा नमी है और 1491 मीटर की ऊंचाई वाले खासी पहाड़ियों की बदौलत यह नमी संघनित भी हो जाती है. यहां औसतन सालाना बारिश 11,871 मिलीमीटर होती है.
भारत में वर्षा का वितरण क्या है?भारत में 74% वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून से, 13% वर्षा मानसून के पश्चात, 10% वर्षा मानसून के पूर्व एवं 3% वर्षा शीत ऋतु में होती है! भारत में अधिकांश वर्षा पर्वतीय प्रकार की होती है! भारत में सर्वाधिक वर्षा मासिनराम (मेघालय) 1141 सेमी. तथा थार के मरुस्थल का क्षेत्रफल में सबसे कम 5 सेमी. वर्षा का औसत है!
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