सिर में गांठ क्यों बनती है? - sir mein gaanth kyon banatee hai?

सिर में गांठ क्यों बनती है? - sir mein gaanth kyon banatee hai?

बहुत से लोगों को आपने चेहरे, खोपड़ी या गर्दन पर एक गांठ बाहर निकलती हुई देखी होगी। एक ऐसी गांठ जिसमें दर्द नहीं होता, लेकिन चेहर के ऊपर उभरा हुआ भाग दिखता है। इस गांठ को ओस्टियोमा कहते हैं। यह जरूरी नहीं है कि हर गांठ ओस्टियोमा हो। पीजीआई रोहतक में न्यूरो सर्जन डॉ. ईश्वर ने कहा कि ओस्टियोमा हड्डी का ट्यूमर होता है। यह शरीर के अलग-अलग हिस्सों में निकलता है। यह ओस्टियोमा नॉन कैंसरस होता है। इसे छूने पर आप त्वचा के अंदर की गांठ को महसूस कर सकते हैं। लेकिन छूने पर कोई दर्द नहीं होता। डॉक्टर का कहना है कि इसमें दर्द तब तक महसूस नहीं होता जब कि यह नाक के नेजल साइनसिस में होकर ये ब्रेन में नहीं चला जाता है। तो उस दौरान ये नसों को दबा सकता है तब इसका ऑपरेशन होता है। आज इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि यह ओस्टियोमा क्या होता है, क्यों होता है, इसके कारण और बचाव क्या हैं। 

क्या है ओस्टियोमा

ओस्टियोमा हड्डी का ट्यूमर होता है। इसे कैंसर नहीं कह सकते। खोपड़ी में अक्सर ओस्टियोमा हो जाते हैं। ओस्टियोमा खोपड़ी पर होने के अलावा नाक के साइनस में भी हो जाते हैं। ये एक सख्त सी चीज हो जाती है। कई बार इसे छूने पर अंदर का ट्यूमर हिलता हुआ भी महसूस होता है। यह एक तरह की छोटी हड्डी होती है। हाथ से छूने पर अंदर का ट्यूमर हिलता हुआ महसूस होता है लेकिन इसे हाथों से हटाया नहीं जा सकता। ओस्टियोमा की ग्रोथ धीरे-धीरे होती है और अक्सर 20 से 40 उम्र के युवाओं में दिखता है। और कई बार छोटे बच्चों में भी यह दिखता है। ओस्टियोमा की केवल फिजिकल प्रेजेंस ही दिखती है लेकिन इसमें किसी तरह का कोई दर्द या पेशेंट को कोई असहजता महसूस नहीं होती। यह अक्सर जेनेटिक हिस्ट्री या किसी ट्रॉमा की वजह से होता है।

सिर में गांठ क्यों बनती है? - sir mein gaanth kyon banatee hai?

शरीर के किन हिस्सों में होता है ओस्टियोमा

1.साइनस के पास- ओस्टियोमा साइनस में भी हो सकता है। जिसमें यह साइनस इन्फेक्शन का कारण बनता है।

2.आंख के पास- आंख में जब ओस्टियोमा हो जाता है तब उस केस में आंख बाहर भी आ जाती है। इसे प्रोप्टोसिस कहा जाता है। 

3.माथे पर ओस्टियोमा- माथे पर होने वाला ओस्टियोमा सिर दर्द देता है। 

4.जबड़े पर- जबड़े पर होने वाले ओस्टियोमा में मुंह चलाने पर मुंह और चेहरे पर दर्द होता है।

5.कान- जब कान में ओस्टियोमा हो जाता है तब वह कान की सुनने की क्षमता पर असर डाल सकता है। इसे इलाज के माध्यम से ही ठीक किया जा सकता है। 

6.लंबी हड्डी में ओस्टियोमा- शरीर की लंबी हड्डी में होने वाले इस ओस्टियोमा को ओस्टियोड्स कहा जाता है। यह पिंडली की हड्डी और जांघ की हड्डी में दिखते हैं। 

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ओस्टियोमा का कारण

अभी तक डॉक्टर्स ओस्टियोमा क्यों होता है इसके कारणों को नहीं पहचान पाएं। डॉक्टर ईश्वर का कहना है कि शरीर में जैसे बाकी ट्यूमर हो जाते हैं वैसे ही यह भी हो जाता है। इसके पीछे के सही कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। ओस्टियोमा की ग्रोथ धीरे-धीरे होती है। जिससे यह सीधे दिखाई नहीं देता। लेकिन कई बार किसी चोट की वजह से भी ओस्टियोमा हो जाता है।

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ओस्टियोमा का इलाज

डॉक्टर ईश्वर का कहना है कि जब हमारे पास ब्रेन और स्पाइन में होने वाले ओस्टियोमा को लेकर मरीज आते हैं। ओस्टियोमा एक बाहरी गांठ बनकर बाहर दिखता है। जिसे सर्जरी करके ठीक किया जा सकता है।  कई बार नाक के नीचे जो पैरा नेजल साइनेस के माध्यम से जब ओस्टियोमा दिमाग में चला जाता है तब ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है। कई बार ये आंख की नस या दिमाग की नस को दबा देता है। उस दौरान ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है। अगर यह आंख में घुस जाता है तो आंख की मूवमेंट को भी प्रभावित कर सकता है। आँख बाहर निकल आती है। ऐसी स्थिति में भी ऑपरेशन करना पड़ता है। डॉक्टर ईश्वर ने बताया कि जब उनके पास पेशेंट आता है तब वे पहले खोपड़ी का एक्सरे कराते हैं। फिर सिटी स्कैन कराते हैं। अगर ओस्टियोमा किसी नस को दबा रहा होता है तो एमआरआई करा लेते हैं। बाकी सिटी स्कैन से डायग्नौस हो जाता है। नाक के ओस्टियोमा को दूरबीन से निकाल सकते हैं। 

ओस्टियोमा सर्जरी के फायदे

ओस्टियोमा क्योंकि दर्दनाक नहीं होता। इसलिए लोग इसका इलाज नहीं कराते। लेकिन यह अगर चेहरे पर हो जाए तो चेहरे की खूबसूरती पर धब्बा लगा देता है। लेकिन डॉ. ईश्वर का कहना है कि अगर ऑस्ट्यमा दिमाग या आंख की किसी नस को दबाता है तो यह पेशेंट को दिक्कत करता है। ऐसी स्थिति में दर्द होता है। ओस्टियोमा को सर्जरी के  माध्यम से ठीक किया जा सकता है। ओस्टियोमा सर्जरी क्यों कराना चाहिेए इसके पीछे कारण यह हैं।

1. जिन लोगों को खोपड़ी में ओस्टियोमा हो जाता है उन्हें बाल कंघी करने में दिक्कत होती है। सर्जरी के कराने से इस दिक्कत से छुटकारा मिल जाता है। खोपड़ी का ज्यादा दिक्कत करता है। 

2. सर्जरी होने के बाद ओस्टियोमा की असहजता से निजात मिलती है। अगर यह चेहरे पर है या कान के पीछे या आंख पर है तो दिखने में तो बुरा लगता ही साथ ही बार-बार आप इस ओस्टियोमा की वजह से लोगों की नजरों में आते हैं। जिसे लेकर लोगों के सवालों का जवाब देना पड़ता है।लेकिन सर्जरी के बाद आप इससे होने वाली परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं।

3. ओस्टियोमा की सर्जरी के पेशेंट खुद को नॉर्मल महसूस करता है। अपने डिसकम्फर्ट से बाहर निकलता है। 

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इलाज के बाद क्या होता है?

1. इलाज के बाद पेशेंट को जिस जगह ऑपरेशन किया गया है वहां सुन्नपन, सूजन, निशान पड़ना, पीलापन होना आदि परेशानियां झेलनी पड़ती हैं।

2. इलाज के दौरान जो सुन्न करने वाली दवा दी जाती है वह कुछ घंटों बाद बंद हो जाती है। इलाज के बाद कुछ असुविधा होने पर ट्यलेनल और मोट्रिन दवाओं से ठीक किया जाता है।  

3. ओस्टियोमा की सर्जरी के बाद सूजन होना आम है, लेकिन इसे कूल कंप्रेसेस की मदद से कम किया जाता है। तो वहीं, इलाज वाली जगह को भी ठंडक पहुंचाई जाती है।

4. सर्जरी होने के बाद उस एरिया की ड्रेसिंग की जाती है जिसे 24 घंटे बाद निकाला जाता है।

5. पेशेंट को सर्जरी के 24 घंटे बाद ही डॉक्टर नहाने की सलाह देते हैं। 

6. इलाज के दौरान जो चीरा लगाया जाता है वह 7 से 10 दिन में निकाल दिया जाता है। 

7. इलाज के एक हफ्ते बाद आप काम पर वापसी कर सकते हैं। लेकिन यह निर्भर करता है कि किसी पेशेंट की शारीरिक क्षमता कैसी है और कितने समय बाद कोई खुद को ठीक फील करता है। 

ओस्टियोमा अक्सर नाक, कान, गले, चेहरे और खोपड़ी पर होने वाला ट्यमर है। यह नॉन कैंसरस है। इसमें शरीर के ऊपर एक उभार दिखता है। जो कई बार चेहरे की खूबसूरती को बिगाड़ देता है। ओस्टियोमा तब तक खतरनाक नहीं होता जब तक कि यह जहां निकला है उस स्थान की नसों को प्रभावित न करे। नसों को दबाने पर गंभीर परिणाम पेशेंट को झेलने पड़ते हैं। ओस्टियोमा का इलाज संभव है।

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सिर में गांठ हो जाए तो क्या करना चाहिए?

दिमाग में होने वाला हर ट्यूमर कैंसर नहीं है। यदि सिर के किसी भी हिस्से में छोटी व बड़ी गांठ के दिखे या फिर सिर में लगातार दर्द, मिचली या चक्कर महसूस हो तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। तुरंत न्यूरो के डॉक्टर को दिखाकर परामर्श लें।

सिर में गांठ होने का क्या कारण है?

ब्रेन ट्यूमर यानी हमारे ब्रेन में गांठ का होना। ब्रेन में जब कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि होने लगती है, तो ब्रेन के खास हिस्से में कोशिकाओं का गुच्छा बन जाता है। कोशिकाओं के इसी गुच्छे को ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। यह कई बार कैंसर की गांठ में बदल जाता है।

गांठ कैसे खत्म करें?

अगर शरीर में बहुत अधिक गांठे है तो शिला सिंदूर 4 ग्राम, प्रभाल पिष्टी 10 ग्राम के साथ मोती और गिलोय मिलाकर सात पूड़िया बना लें। इसे सुबह-शाम खिलाएं। इससे 99 प्रतिशत तक गांठ से निजात मिल जाता है। एक से 3 माह में लाभ मिल जाता है।

गांठ की पहचान कैसे करें?

चर्बी की गांठ होने के प्रमुख लक्षण इसके लक्षण अन्य प्रकार की गांठ से अलग हो सकते हैं। यह गांठ गर्दन, कंधे, हाथ, कमर, पेट व जांघ पर नजर आते हैं. इस तरह की गांठ में ज्यादा दर्द नहीं होता है, लेकिन किसी नस पर दबाव पड़ने पर इसमें हल्का दर्द हो सकता है. कुछ लोगों को चर्बी की गांठ होने पर कब्ज की समस्या भी रहती है.