विषयसूची मानो और सुकिया का क्या लक्ष्य था?इसे सुनेंरोकें’ सुकिया के इस कथन के आधार पर कहानी की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए। उत्तर – मानो और सुखिया दोनों का लक्ष्य ईटों का घर बनाना था लेकिन कोई भी उसका घर बनते नहीं देखना चाहता है। पहले सूबे सिंह उस पर अत्याचार करता है और उसके सपनों को तोड़ देता है। सुबह सिंह ने जसदेव की पिटाई क्यों की? इसे सुनेंरोकेंजब सूबे सिंह ने देखा कि मानो नहीं आई है और उसके स्थान पर जसदेव आया है, तो वह बिफर पड़ा। मानो का सारा गुस्सा उसने जसदेव पर निकाल दिया। उसने जसदेव को बहुत बुरी तरह मारा। मानो कौन थी?इसे सुनेंरोकेंमानो और सुकिया खुश थे क्योंकि भट्टे पर काम करते हुए उन्होंने कुछ पैसे बचाएं थे। भट्टे पर पकती लाल-लाल ईटों को देखकर मानो खुश थी। वह ज्यादा काम करके, ज्यादा रुपए जोड़कर अपना एक पक्का मकान बनाने का सपना देखने लगी थी। एक दिन किसनी के अस्वस्थ होने पर सुबेसिंह ने ठेकेदार असगर के द्वारा मानो को अपने दफ्तर में बुलवाया। सुकिया की पत्नी का क्या नाम था? इसे सुनेंरोकेंसुकिया की पत्नी का क्या नाम था? उत्तर: सुकिया की पत्नी का नाम मानो था। 2. जसदेव ने मानव के हाथ का खाना क्यों नहीं खाया?इसे सुनेंरोकेंजसदेव ने मानो के हाथ का खाना खाने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि उसके मन में सूबे सिंह ठेकेद्वार द्वारा स्वयं की पिटाई करने के कारण एक भय बैठ गया था। भय संशय किसका प्रतीक है? मैं उसका प्रेमी बनूं नाथ! जिससे मानव-हित हो समान! मैं वह प्रकाश बन सकें नाथ!…Free Resources.
किसान की आंखों में झांकने पर क्या दिखाई देता है?इसे सुनेंरोकेंउत्तर : कविता में किसान की पीड़ा के लिए जमींदार, उसके कारकून, सरकार तथा महाजनों को जिम्मेदार बताया गया है। प्रश्न 3:’पिछले सुख की स्मृति आँखों में क्षण भर एक चमक है लाती’ में किसान के किन पिछले सुखों की ओर संकेत किया गया है? उसका पुत्र जिंदा होगा। उसका घर पुत्र तथा पुत्रवधू के कारण स्वर्ग के समान होता होगा। जसदेव ने मानो के हाथ का खाना क्यों नहीं ख्याल? मानो किसकी पत्नी थी?इसे सुनेंरोकेंमानो का घर शहर से दूर खेतों में था जहाँ यातायात का कोई साधन न था। बदहवाली के कारण उसे गाँव छोड़कर भट्ठे पर काम करने के लिए आना पड़ा था। अपने पति सुकिया के कारण उसे भट्ठे में काम करना पड़ रहा था। भट्ठे का माहौल उसे पसंद नहीं था। खानाबदोश कहानी की मूल संवेदना क्या है? इसे सुनेंरोकेंखानाबदोश कहानी की मूल संवेदना है मजदूर वर्ग का शोषण। इस कहानी में लेखक ने मजदूरी करके किसी तरह गुजर बसर कर रहे मजदूर वर्ग के शोषण तथा यातना को चित्रित किया है। मजदूर यदि इज्जत के साथ जीना भी चाहे तो सुबेसिंह जैसे समृद्ध और ताकतवर लोग उन्हें जीने नहीं देते। जसदेव की पिटाई के बाद मजदूरों का समोसा दिन कैसे बीता?इसे सुनेंरोकेंजसदेव की पिटाई के बाद मजदूरों का समूचा दिन कैसा बीता? 2 मानो अभी तक भट्ठ की जिंदगी से तालमेल क्यों नहीं बैठा पाई थी? मानो का घर शहर से दूर खेतों में था जहाँ यातायात का कोई साधन न था। बदहवाली के कारण उसे गाँव छोड़कर भट्ठे पर काम करने के लिए आना पड़ा था।
सुकिया के हाथ की पथी कच्ची ईंटें पकने के लिए भट्ठे में लगाई जा रही थीं. भट्ठे के गलियारे में झरोखेदार कच्ची ईंटों की दीवार देखकर सुकिया आत्मिक सुख से भर गया था. देखते-ही-देखते हज़ारों ईंटें भट्टे के गलियारे
में समा गई थीं. ईंटों के बीच ख़ाली जगह में पत्थर का कोयला, लकड़ी, बुरादा, गन्ने की बाली भर दिए गए थे. असगर ठेकेदार ने अपनी निगरानी में हर चीज़ तरतीब से लगवाई थी. आग लगाने से पहले भट्ठा-मालिक मुखतार सिंह ने एक-एक चीज़ का मुआयना किया था. Illustration: Pinterest मानों और सुकिया ने क्या सपना देखा था वह सपना कैसे टूट गया?'सुकिया ने मानो की आँखों से बहते तेज़ अँधड़ों को देखा और उनकी किरकिराहट अपने अंतर्मन में महसूस की। सपनों के टूट जाने की आवाज़ उसके कानों को फाड़ रही थी।
खानाबदोश कहानी की मूल संवेदना क्या है?खानाबदोश कहानी की मूल संवेदना है मजदूर वर्ग का शोषण। इस कहानी में लेखक ने मजदूरी करके किसी तरह गुजर बसर कर रहे मजदूर वर्ग के शोषण तथा यातना को चित्रित किया है। मजदूर यदि इज्जत के साथ जीना भी चाहे तो सुबेसिंह जैसे समृद्ध और ताकतवर लोग उन्हें जीने नहीं देते।
मानव के दिलो दिमाग पर ईंटों का लाल रंग क्यों छा गया था?Answer: दिलो-दिमाग पर ईंटों का लाल रंग कुछ ऐसे छा गया था कि वह उसी में उलझकर रह गई थी। एक छोटा-सा घर उसके ज़ेहन में बस गया था । यह खयाल जिस शिद्दत से पुख्ता हुआ था, नींद उतनी ही दूर चली गई थी ।
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