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आषाढ़ और माघ मास में आते हैं गुप्त नवरात्र, क्या होता है इन दिनों में जानिए क्यों हैं खास
चैत्र और शारदीय नवरात्र के अलावा साल में दो नवरात्र और होते हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ये आषाढ़ और माघ मास में आते हैं और इन्हें ही गुप्त नवरात्र के नाम से जाना जाता है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा की पूजा और साधना की जाती है जो कि चैत्र और शारदीय नवरात्रों से काफी कठिन होती है। इन्हें गुप्त नवरात्र इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनमें मां की आराधना गुप्त रूप से की जाती है। इसमें मां का ध्यान लगाने से विशेष फल मिलता है। तंत्र साधना में विश्वास रखने वाले लोग इस दौरान तंत्र साधना करते हैं। देवी भागवत में उल्लेख है कि गुप्त नवरात्र में देवी के नौ रूपों के साथ-साथ दस महाविद्या की साधना अधिक फलदायी होती है। साधक नवरात्र के दौरान विधि विधान के साथ कलश की स्थापना कर नौ दिनों तक अखंड ज्योति जलाते हैं और अभीष्ट कामना की सिद्धि के लिए साधना करते हैं। कब से शुरू होगी और क्या खास है इस नवरात्र में - ये नवरात्र तांत्रिकों के लिए काफी महत्व रखते हैं। आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्र 14 जुलाई से शुरू हो रही हैं। प्रतिपदा और द्वितिया तिथि एक ही दिन होने के साथ पुष्य नक्षत्र भी है ( पंचांग भेद )। इसी दिन से आषाढ़ के गुप्त नवरात्र का संयोग बन रहा है। ये शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक मनाई जाएगी। इसकी पूजा 14 जुलाई से शुरू होकर 21 जुलाई तक की जाएगी। इसमें मां दुर्गा के नौ रुपों के साथ दस महा विद्याओं की भी विशेष पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्र के पहले ही दिन भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा भी निकाली जाती है। साथ ही इस दिन प्रतिपदा और द्वितिया तिथि साथ होने से शैलपुत्री व ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की जाएगी। अष्टमी और नवमी पूजा के मुहूर्त - अष्टमी मुहूर्त - अष्टमी के दिन पूजन करने के शुभ मुहूर्त सुबह 6 से 9, दोपहर 12 से 1.30, शाम को 4 से 7 और रात को 11 से 1 बजे तक है।
नवरात्र के खत्म होते ही 23 तारीख से शुरू हो रहा है चातुर्मास - 23 जुलाई को देव शयनी एकादशी के साथ चातुर्मास की शुरुआत भी हो रही है। इस दिन से चार माह तक भगवान विष्णु विश्राम करेंगे। इन 4 महीनों में कठिन व्रत और उपवास किए जाते हैं और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
अगर नवरात्रि में कर रहें हो नए घर में प्रवेश, तो इन बातों का रखें विशेष ध्यानशुभ मुहूर्त में ही गृह प्रवेश करना उचित रहता है। अगर गृह प्रवेश के समय व्यक्ति कोई गलती कर देता है तो उसके नए घर में प्रवेश के साथ घर क्लेश रहने लग जाता है। नवरात्रि में गृह प्रवेश करना काफी शुभ माना जाता है। नवरात्रि का हिंदू धर्म में काफी बड़ा महत्व माना जाता है। नवरात्रि में नौ दिनों तक देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि में घट स्थापना करके भक्तजन नौ दिनों तक देवी की आराधना करते हैं। माता की पूजा से घर में सुख, यश, धन, वैभव और खुशियां आती हैं। नवरात्रि के दौरान लोग अपने नए कार्यों का शुभारंभ करते हैं। इसका शास्त्रों में बड़ा खास महत्व बताया गया है। मनुष्य अपने जीवन को संवारने के लिए दिन-रात मेहनत करता है। इस भागदौड़ वाली जिंदगी में सभी का सबसे बड़ा सपना 'अपना घर' होने का होता है। जब व्यक्ति अपने नए मकान में प्रवेश करता है तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता है। जब नए घर में प्रवेश करते है तो उससे पहले शुभ मुहूर्त दिखाया जाता है। शुभ मुहूर्त में ही गृह प्रवेश करना उचित रहता है। अगर गृह प्रवेश के समय व्यक्ति कोई गलती कर देता है तो उसके नए घर में प्रवेश के साथ घर क्लेश रहने लग जाता है। नवरात्रि में गृह प्रवेश करना काफी शुभ माना जाता है। लेकिन इसमें भी काफी बातों को ध्यान में रखना पड़ता है। आइए जानते है नवरात्रि में गृह प्रवेश से जुड़ी ख़ास बातें... इसे भी पढ़ें: माता के नौ रूपों को लगाएं यह भोग, मिलेगा मनवांछित फल1. नवरात्रि में गृह प्रवेश करने से पहले किसी विद्वान ब्राह्मण से पूछकर घर में प्रवेश का मुहूर्त के समय और तिथि का निर्धारण करना पड़ता है। 2. मंगल कलश के साथ नए घर में प्रवेश करना चाहिए। उसमें आम या अशोक के पेड़ की पत्तियां साथ में रखें। इसके अलावा मंगल कलश पर स्वास्तिक का निशान ज़रुर बनाएं। 3. गृह प्रवेश करते समय पति दाहिना पैर और पत्नी बायां पैर आगे रखें। मंगल गीतों के साथ ही गृह प्रवेश करें। ऐसा करना शास्त्रों में काफी लाभदायक बताया गया। इससे गृह क्लेश की समस्या से छुटकारा मिलता है। 4. घर में प्रवेश के बाद भगवान गणेश का ध्यान करते हुए मंगल कलश को घर के ईशान कोण में या फिर पूजा घर में स्थापित करें। इसके बाद रसोई घर में भी पूजा करनी चाहिए। चूल्हे, पानी रखने के स्थान और स्टोर आदि में धूप, कुमकुम, हल्दी और चावल आदि से पूजन कर स्वास्तिक चिन्ह बनाना चाहिए। इसे भी पढ़ें: इस नवरात्रि चाहिए मां की विशेष कृपा तो जरूर अपनाएं यह वास्तु टिप्स5. रसोई में पहले दिन नए चूल्हे पर गुड़ और हरी सब्जियां रखना शुभ माना जाता है। चूल्हे को जलाकर सबसे पहले उस पर दूध उफानना चाहिए, इसके बाद उस पर भगवान के लिए प्रसाद बनाकर उसका भोग लगाना चाहिए। 6. इसके बाद नई रसोई घर में सभी जनों के लिए भोजन बनाए। उस भोजन में से पहले गाय के लिए रोटी अलग से निकाल कर फिर सभी को भोजन करवाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख, शांति व समृद्धि आती है व हर प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं। Disclaimer:प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है। गुप्त नवरात्रि में गृह प्रवेश कर सकते हैं क्या?भड़ली नवमी - गुप्त नवरात्र की नवमी को भड़ली नवमी के रूप में भी जाना जाता है। देवशयनी एकादशी से पहले मांगलिक कार्यों के लिए यह अंतिम शुभ मुहूर्त होता है। इस दिन शादी, मुंडन, गृह प्रवेश आदि कार्य किए जा सकते हैं।
गुप्त नवरात्रि 2022 में क्या नहीं करना चाहिए?पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि गुप्त नवरात्रि के दौरान मांस-मदिरा, लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए। मां स्वयं एक नारी हैं इसलिए नारी का सदैव सम्मान करना चाहिए। जो नारी का सम्मान करते हैं, मां दुर्गा उन पर अपनी कृपा बरसाती हैं। इस दौरान घर पर क्लेश, द्वेष या अपमान नहीं करना चाहिए।
नए घर में प्रवेश कब करना चाहिए 2022?सितंबर, अक्टूबर और नवंबर 2022 में गृह प्रवेश मुहूर्त
ऐसा माना जाता है कि इन महीनों में पूजा करने से आपके घर में आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं तथा नकारात्मक ऊर्जा आती है। इसलिए मध्य जुलाई से नवंबर तक के समय में गृह प्रवेश कराने से बचना बेहतर है।
ग्रह प्रवेश कब नहीं करना चाहिए?ज्योतिष में रविवार, मंगलवार और शनिवार के दिन गृह प्रवेश के लिए शुभ नहीं माना जाता है। इसके साथ ही पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को भी गृह प्रवेश वर्जित माना जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़, सावन, भादो, पौष महीने में भी गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।
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