संचार प्रक्रिया क्या है संचार के घटकों को उड़ान सही समझिए - sanchaar prakriya kya hai sanchaar ke ghatakon ko udaan sahee samajhie

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10 Questions 20 Marks 12 Mins

संचार प्रक्रिया प्रेषक द्वारा विचारों के निर्माण के साथ शुरू होती है, जो तब संदेश को एक चैनल या माध्यम से रिसीवर तक पहुंचाता है। संचार चक्र को जारी रखने के लिए रिसीवर दिए गए समय सीमा में संदेश या उपयुक्त संकेत के रूप में प्रतिक्रिया देता है।

पीटर लिटिल संचार को "उस प्रक्रिया के रूप में परिभाषित करता है जिसके द्वारा व्यक्तियों और संगठनों के बीच सूचना प्रसारित की जाती है ताकि एक समझ प्रतिक्रिया परिणाम प्राप्त हो।"

संचार प्रक्रिया क्या है संचार के घटकों को उड़ान सही समझिए - sanchaar prakriya kya hai sanchaar ke ghatakon ko udaan sahee samajhie

संचार प्रक्रिया क्या है संचार के घटकों को उड़ान सही समझिए - sanchaar prakriya kya hai sanchaar ke ghatakon ko udaan sahee samajhie

संचार की प्रक्रिया:​

  • प्रेषक - वह संचारक है जो रिसीवर को संदेश भेजता है। वह एक एनकोडर के रूप में भी काम करता है।
  • संकेतन - विचारों को मनमाने प्रतीकों में अनुवाद करना।
  • संदेश - फिर इन प्रतीकों को रिसीवर को स्थानांतरित कर दिया जाता है।
  • कूटवाचन - विचारों में मनमाने प्रतीक का अनुवाद करना। ताकि, प्रेषक और रिसीवर दोनों आसानी से समझ सकें।
  • रिसीवर - वह संदेश प्राप्त करता है और प्रेषक को प्रतिक्रिया भेजता है।
  • शोर - संचार के चैनल में उठने वाला किसी भी प्रकार का शोर। जैसे संगीत का शोर आदि।
  • प्रतिक्रिया - यह संदेश भेजने वाले को रिसीवर की प्रतिक्रिया है।

अतः, संचार चक्र के घटक प्रेषक, संदेश, रिसीवर और प्रतिक्रिया हैं।

Last updated on Oct 27, 2022

The last date to raise objections against the UGC NET Provisional Answer Key for the merged cycle (December 2021 and June 2022) has been extended till 26th October 2022. The UGC NET Final Answer Key was released for December 2021 and June 2022 cycle (combined). Earlier, the provisional answer key was released and candidates could submit objections against the same till 20th October 2022. The UGC NET CBT exam consists of two papers - Paper I and Paper II. Paper I will be conducted of 50 questions and Paper II will be held for 100 questions. By qualifying this exam candidates are deemed eligible for JRF and Assistant Professor posts in Universities and Institutes across the country.

संचार की प्रक्रिया - Communication Process

सामान्यतः संचार शब्द का उपयोग जानकारी प्रदान करने या सूचना के सम्प्रेषण के लिए किया जाता है किन्तु व्यापक संदर्भों में इसमें विचारों का आदान-प्रदान, विचारों में साझेदारी और सहयोग की भावना शामिल हैं। अत: संचार का मूल तत्व, सूचना नहीं समझना है। प्रायः संगठनों में संचार व्यवस्था आन्तरिक, बाहरी और पारस्परिक इन तीन रूपों में होती है। आंतरिक संचार व्यवस्था संगठन को अपने कर्मचारियों से जोड़ती है। बाहरी व्यवस्था संगठन और आम जनता के बीच संपर्क स्थापित करती है जिसे "जनसम्पर्क" कहते हैं। पारस्परिक संचार व्यवस्था संगठन के कर्मचारियों के आपसी सम्बन्धों से सम्बद्ध है। संक्षेप में संचार का अर्थ है "सांझे उद्देश्य की सांझी समझ।"

संचार व्यवस्था के तत्व संचार व्यवस्था के पांच मुख्य तत्व हैं। इनमें सबसे पहला संप्रेषक यानी सूचना भेजने वाला है। उसे वक्ता, प्रेषक या सुझाव देने वाला, कुछ भी कहा जा सकता है। कुछ सरकारी एजेंसियों अथवा निजी संस्थाओं में प्रबंधक प्रेषक का काम करता है, जिसमें प्रशासक और अधीनस्थ शामिल होते हैं। सभी आदेश और निर्देश मुख्य अधिकारी के नाम से जारी किये जाते हैं। वह इन्हें खुद तैयार नहीं करता किंतु उसके सहायक कर्मचारी इन्हें तैयार करके जारी करते हैं। इससे उद्देश्य और दिशा में एकरूपता रहती है और निर्देशों में विरोधाभास नहीं होता।

सम्प्रेषण प्रक्रिया संचार व्यवस्था का दूसरा तत्व है। संदेशों के आदान प्रदान के लिए संगठन में कुछ माध्यम होने चाहिए जैसे टेलेटाइप, तार, रेडियो और डाक आदि। संगठन में संदेशों का प्रसार ढंग से हो और सही संदेश सही व्यक्ति तक पहुंचे, यह जिम्मेदारी सम्प्रेषण केन्द्र की है।

तीसरा तत्व है संचार का रूप यह आदेश नियम पुस्तिका, पत्र, रिपोर्ट, व्यवस्था, प्रपत्र आदि किसी भी रूप में हो सकता है। सामान्यतः इसके तीन रूप हैं।

• ग्राहकों के साथ संगठन के संबंधों का संचालन करने वाले नियम और व्यवस्थाएं जिनकी जानकारी संगठन के सभी कर्मचारियों को होना आवश्यक है ताकि इनका सही ढंग से पालन किया जा सके।

•  प्रशासन के सक्रिय निर्देश जिनमें विभिन्न आदेश प्रपत्र नियम पुस्तिकाएं और अनौपचारिक पत्र शामिल हैं, इनमें आन्तरिक संगठन और प्रक्रियाओं का निर्धारण किया जाता है और 

• कुछ सूचनात्मक माध्यम जैसे संगठन की अपनी कोई पत्रिका प्रशिक्षण पुस्तिका, सामयिक रिपोर्ट और प्रबन्धकों के सामान्य निर्देशों का प्रसार करने के अन्य तरीके।

संग्राहक या सन्देश प्राप्त करने वाला संचार का चौथा तत्व है। इसके लिए संगठन को सुनिश्चित करना चाहिए कि व्यक्तियों को मिलने वाली सूचनाएं और निर्देश संगठन द्वारा निर्धारित हों। प्रत्येक संदेश व्यवहार को प्रभावित करने की प्रक्रिया में शामिल प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए। वांछित प्रतिक्रिया इसका पांचवां और अंतिम तत्व है। इसके अंतर्गत उच्च अधिकारी चाहते हैं कि औपचारिक जवाबों और रिपोर्टों के जरिए उन्हें बताया जाए कि निर्देशों का पालन हो रहा है या नहीं। इससे उन्हें मालूम होता है कि सूचना या निर्देशों ने संग्राहकों के प्रशासनिक व्यवहार को प्रभावित किया है या नहीं। संगठन में नीचे से ऊपर को सूचना के पर्याप्त प्रवाह से ऐसा करना संभव होता है।

संचार की आवश्यकताएं टैरी के अनुसार संचार व्यवस्था को कारगर बनाने वाली आठ मूलभूत आवश्यकताएं इस प्रकार हैं:

(1) अपने आप पूरी जानकारी रखिए

( 2 ) एक दूसरे में आपसी विश्वास पैदा कीजिए

(3) अनुभव के समान आधारों का पता लगाइये

( 4 ) एक दूसरे को ज्ञात शब्दों का इस्तेमाल कीजिए

(5) सन्दर्भ का पूरा ध्यान रखिए

(6) संग्राहक का ध्यान आकर्षित करके उसकी दिलचस्पी बनाये रखिए 

(7) उदाहरणों और दृश्य साधनों का उपयोग कीजिए और 

(8) देर से प्रतिक्रिया देने की आदत डालिए।

किन्तु रिचर्ड्स और नीलेन्डर की राय में इससे प्रबंधक वर्ग की नीतियों, कार्यक्रमों और रीति-रिवाजों की झलक मिलनी चाहिए।

मिलेट ने संदेश के सात कारक बताए हैं। उनके अनुसार संदेश, स्पष्ट, संग्राहक की अपेक्षाओं के अनुरूप सामयिक, एकरूप, लचीला और स्वीकार्य होना चाहिए।

प्रबंधकों के लिए जरूरी है कि वे सम्प्रेषण से पहले अपने विचार स्पष्ट कर दें। संग्राहकों को सही और सटीक सूचना प्रदान करने के लिए जरूरी है कि उन्हें स्पष्ट रूप से बताया जाए कि निर्णय प्रक्रिया क्या है, किस प्रकार कार्रवाई करनी है और कितना समय है। इससे कारगर संचार सम्पर्क कायम करने में मदद मिलती है।

दूसरा कारक यह है कि प्रेषक को खुद यह सोच लेना चाहिए कि वह संदेश क्यों भेज रहा है और इस संदेश का मुख्य उद्देश्य क्या है।

तीसरी बात यह है कि संदशों से पर्याप्त सूचना मिलनी चाहिए ताकि उसे ग्रहण करने वाले वांछित प्रतिक्रिया दे सकें। पहले से यह अंदाजा लगा लेना चाहिए कि इसमें कुल कितने साधन और जनशक्ति शामिल होगी। संदेश न तो बहुत बड़ा होना चाहिए न उन्हें बार-बार दोहराया जाना चाहिए।

चौथा कारक यह है कि सभी संदेश समय पर मिलने चाहिए ताकि प्राप्त करने वाले के पास उस पर अमल करने के लिए पर्याप्त समय रहे।

पांचवां कारक है एकरूपता विभिन्न मामलों में संदेशों में एकरूपता रहनी चाहिए, जहां प्राप्त करने वालों से एक ही प्रकार के व्यवहार या कार्रवाई की अपेक्षा की जाती है।

छठा कारक है लचीलपन यानी संदेशों में लचीलेपन की गुंजाइश होनी चाहिए। "उच्च स्तर के प्रबन्धक धीरे-धीरे सीख जाते हैं कि अधीनस्थों को मोटे तौर पर उद्देश्य और सामान्य आशय की जानकारी देना ही काफी है। उन पर सही निर्णय और अमल का काम व्यक्ति पर छोड़ दिया जाना चाहिए। अतः वे प्रेषण ज्यादा कारगर प्रतीत होते हैं जो हर बात का विवरण बहुत अधिक निश्चित करने के बजाय परिस्थिति विशेष के अनुसार फेरबदल की छूट देते हैं।"

अन्त में संदेशों से स्वीकार्यता को बढ़ावा मिलना चाहिए। इसके लिए पिछले समझौतों या सहमतियों का हवाला दिया जा सकता है या कार्रवाई के लिए नई परिस्थितियों की तरफ ध्यान आकर्षित किया जा सकता है।

अमेरिकन मैनेजमेंट एसोसिएशन ने अच्छी संचार व्यवस्था के लिए निम्नलिखित दस सूत्र बताए हैं

1. सम्प्रेषण से पहले अपने विचारों को स्पष्ट कर लीजिए। 

2. खुद यह जांच लीजिए कि आप संदेश क्यों भेज रहे हैं और उसका वास्तविक उद्देश्य क्या है।

3. संदेश को संप्रेषित करने से पहले यह अंदाज लगा लीजिए कि आप जो प्रक्रिया शुरू करना चाहते हैं, उसमें कुल कितनी जन शक्ति और साधन खर्च होंगे।

4. योजना बनाने से पहले दूसरों से सलाह-मशविरा कर लें, क्योंकि हमारी आत्मपरकता, स्वयं निर्मित संचार व्यवस्था को विपरीत रूप से प्रभावित करती है।

5. इस बात का पूरा ध्यान रखिए कि संदेश में क्या बात कही गई है क्योंकि उलझी हुई भाषा से संदेश ही निरर्थक हो जायेगा।

6. मूल संदेश के साथ साथ अन्य बातें बताइये क्योंकि संदेश ग्रहण करने वाला सिर्फ आपके आदेश का ही इंतजार नहीं कर रहा है। बल्कि वह मार्गदर्शन सहायता और अपने काम के लिए अधिक सराहना पाने को उत्सुक रहता है। यदि संदेश से यह आभास नहीं मिलता कि उसके लिए दूसरे रास्ते भी उपलब्ध हैं तो शायद वह ऐसी निराशा में भटक सकता है, जहां खास तौर पर आदेश मिलने पर भी वह जाने से इनकार कर सकता है।

7. अपना संदेश भेजने के बाद उस पर आगे की कार्रवाई भी कीजिए। संचार एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है जो पत्र या संदेश के प्रसारण तक ही समाप्त नहीं हो जाती उसे हर मोड़ पर निरन्तर मजबूत करना और निगरानी रखना आवश्यक है। इससे संदेश की प्रभावशीलता बनी रहती है और लक्ष्य प्राप्ति तक वह चलता रहता है।

8. आपका संदेश आज के साथ साथ कल के लिए भी उपयोगी होना चाहिए। अर्थात् संप्रेषक को अपनी ऐसी छवि बनानी चाहिए कि वह एक जानकार समझदार और विवेकशील व्यक्ति है। इससे वह भविष्य में बढ़िया संप्रेषक बन सकता है। जो लोग आज उसकी बात को गम्भीरता से नहीं लेते वे भी धीरे धीरे उसका लोहा मानने लगेंगे।

9. संचार का अर्थ सिर्फ पत्र लिखने तक ही सीमित नहीं है। उसके साथ कार्रवाई भी जरूरी है। संदेश प्राप्त करने वाले को भेजने वाले के व्यवहार का भी अंदाजा रहना चाहिए।

10. अपनी बात दूसरों को समझाने के लिए अधीनस्थों से पहले उन्हें समझिए। आमतौर पर परिस्थितियों को सही ढंग से समझने के लिए, अधीनस्थों पर अपने विचार थोपने से ज्यादा अकलमंदी की जरूरत होती है। यदि कोई उदासीन है तो दूसरों को समझना आसान नहीं है। इससे साझे उद्देश्य की साझी समझ विकसित करने में मदद मिलती है। इन आवश्यक सूत्रों का पालन न होने पर संचार की प्रक्रिया छिन्न-भिन्न हो सकती है।

चेस्टर बर्नार्ड उन प्रमुख विद्वानों में से एक थे जिन्होंने सबसे पहले यह माना कि संगठनों पर अधिकार और नियंत्रण रखने के लिए संचार बहुत महत्वपूर्ण है।

उनके अनुसार किसी भी संगठन में अधिकार और नियंत्रण रखने के लिए निम्नलिखित सात तत्व महत्वपूर्ण हैं

संचार के माध्यम निश्चित और सबको ज्ञात होने चाहिए

1. संगठन के प्रत्येक सदस्य से सम्पर्क का एक निश्चित औपचारिक माध्यम होना चाहिए।

2. जहां तक हो सके संचार तंत्र सीधा और छोटा होना चाहिए।

3. सामान्यतः संचार के लिए पूर्ण औपचारिक तंत्र का उपयोग किया जाना चाहिए।

4. संचार केन्द्रों के रूप में कार्यरत व्यक्तियों का योग्य होना आवश्यक है।

5. संगठन जब कार्यरत हो तो संचार तंत्र में बाधा नहीं पड़नी चाहिए और

6. प्रत्येक संदेश प्रामाणिक होना चाहिए।

संचार प्रक्रिया क्या है संचार के घटकों का उदाहरण सहित समझाइए?

पौधों में संचार पौध जीवधारी में ही पाया जाता है यानी संयंत्र कोशिकाओं (plant cells) में और संयंत्र कोशिकाएं एक् नस्ल ya अलग नस्ल और पौधों एवं गैर पौध जीव्धारिओं कोशिकाओँ, खासकर जड़ क्षेत्र में पौध जड़ें (Plant root) साथ साथ रिजोबिया (rhizobia) जीवाणु फफूंद और मिटटी (soil) के कीडों के साथ संवाद करते हैं इन समानांतर ...

संचार क्या है और संचार के घटकों की व्याख्या करें?

Communication(संचार) क्या है? “जब दो या दो से अधिक व्यक्ति आपस में कुछ सार्थक चिह्नों, संकेतों या प्रतीकों के माध्यम से विचारों या भावनाओं का आदान-प्रदान करते हैं तो उसे संचार कहते हैं।”

संचार प्रक्रिया का घटक कौन सा है?

संचार में स्रोतों और प्राप्तकर्ता के बीच सूचना, विचारों और दृष्टिकोणों का आदान-प्रदान शामिल है। इस प्रक्रिया को पूर्ण करने में कई घटक शामिल है, जो कि स्रोत (प्रेषक), संदेश, चैनल, प्राप्तकर्ता, शोर, प्रतिपुष्टि हैं।