Source भगीरथ - जनवरी-मार्च 2011, केन्द्रीय जल आयोग, भारत
भारत में उपलब्ध जल संसाधन की दृष्टि से आकलन करें तो यह बात सामने आती है कि 2001 में प्रति व्यक्ति 1800 क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध था जो 2050 ई. में घटकर 1000 क्यूबिक मीटर हो जाएगा। भारत इस समय कृषि उपयोग हेतु तथा पेयजल के गंभीर संकट से गुजर रहा है और यह संकट वैश्विक स्तर पर साफ दिख रहा है। हर विकसित और विकासशील देश इस संकट को दूर करने हेतु हर तरह से उपाय पर विचार कर रहा है। इस संकट के निवारण हेतु हमें तीन स्तरों पर विचार करना होगा-पहला यह कि अब तक हम जल का उपयोग किस तरह से करते थे? दूसरा भविष्य में कैसे करना है? तथा जल संरक्षण हेतु क्या कदम उठाए? पूरी स्थिति पर नजर डालें तो यह तस्वीर उभरती है कि अभी तक हम जल का उपयोग अनुशासित ढंग से नहीं करते थे तथा जरूरत से ज्यादा जल का नुकसान करते थे। संरक्षण की जागरूकता रहने से इस स्थिति में जल संरक्षण हेतु हमें कई कदम उठाने होंगे जो इस प्रकार हैं- ये भी पढ़े :- जल संरक्षण क्या है
ये भी पढ़े :- कृषि भूमि पर जल संरक्षण इस परियोजना को देखने पूरे देश से लोग आते हैं। अगर स्वजलधारा कार्यालय या कोई दूसरी संस्था इस संदेश का ठीक से प्रचार-प्रसार करें तो रेनवाटर हार्वेस्टिंग के बारे में जागरूकता फैलाने में ज्यादा मदद मिल सकती है। आज इस तकनीक का उपयोग धीरे-धीरे सभी जागरूक नागरिक करने लगे हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने एक मुकदमें में फैसला देते हुए कहा है कि तालाब, पोखर, गड़ही, नदी, नहर, पर्वत, जंगल और पहाड़ियों आदि सभी जलस्रोत पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखते हैं। इसलिये पारिस्थितिकी संकटों से उबरने और स्वस्थ पर्यावरण के लिये इन प्राकृतिक देनों की सुरक्षा करना आवश्यक है ताकि सभी संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा दिए गए अधिकारों का आनंद ले सकें। इतना ही नहीं अदालत ने राज्य सरकार को प्रत्येक गाँव में एक विशेष जाँच दल नियुक्त करने का भी आदेश दिया। जलस्रोतों पर हुए अतिक्रमण हटाने का भी निर्देश हाईकोर्ट ने दिया साथ ही निर्णय में यह भी कहा गया है कि प्रभावित परिवारों को वैकल्पिक स्थानों पर अन्यत्र जमीन आवंटित कर दिया जाए। प्रत्येक झील तालाब या अन्य स्रोत के आस-पास किसी भी प्रकार के सरकारी या निजी निर्माण कार्य की अनुमति तब तक नहीं दी जाए जब तक कि यह सुनिश्चित न हो जाए कि वे निर्माण जल स्रोतों पर अतिक्रमण नहीं करते। निष्कर्षतः ‘जल संरक्षण’ आज के पूरे विश्व की मुख्य चिंता है। प्रकृति हमें निरंतर वायु, जल, प्रकाश आदि शाश्वत गति से दे रही है लेकिन हम विकास की आंधी में बराबर प्रकृति का नैसर्गिक संतुलन बिगाड़ते जा रहे हैं। जल संरक्षण हेतु समय रहते चेत जाने की जरूरत है क्योंकि- ‘रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून लेखक परिचय
2 जल संरक्षण कैसे किया जा सकता है?जल संरक्षण के लिए आप क्या कर सकते है ?. यह जांच करें कि आपके घर में पानी का रिसाव न हो ।. आपको जितनी आवश्यकता हो उतने ही जल का उपयोग करें ।. पानी के नलों को इस्तेमाल करने के बाद बंद रखें ।. मंजन करते समय नल को बंद रखें तथा आवश्यकता होने पर ही खोलें ।. नहाने के लिए अधिक जल को व्यर्थ न करें ।. जल संरक्षण के लिए आप क्या करोगे अनुच्छेद लिखो?जिससे लोगों को इस प्राकृतिक संसाधन की निरंतर घट रही उपलब्धता के बारे में जागरूक किया जा सके। 204 में विश्व के एक-तिहाई से अधिक जनसंख्या को जल की कमी का सामना करना पड़ेगा। जल की कमी के विषय में चर्चा करने से पहले हमें यह जानना आवश्यक है कि हमारी पृथ्वी पर उपयोग के लिए कितना जल उपलब्ध है।
जल संरक्षण के लिए आप क्या सुझाव देंगे?अतः जल की बचत करने के लिए भूमि को घास-फूस से ढाँपकर ही सिंचाई करो। गमलों में लगे पौधों की जड़ों की मिट्टी को घास से ढाँप देना उचित है। <br> (6) वर्षा जल को एकत्रित कर उसका उपयोग करना लाभकर है। <br> (7) दैनिक कार्यों, जैसे दाँतों पर ब्रश करने, शेव करने या कुल्ला करने में कम-से-कम जल इस्तेमाल करो।
जल संरक्षण या पानी की बचत कैसे करें इसको करने से क्या फायदा होगा?पूरे देश में 80-85 प्रतिशत पेयजल की आपूर्ति भूमिगत जल से होती है. जबकि सिंचाई में 60-65 प्रतिशत भूमिगत जल का प्रयोग किया जाता है. भूजल संरक्षण के लिए हमें इस परम्परा को रोकना होगा.
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