आज के इस लेख में हम बात करेंगे Hindi Patra Lekhan (हिंदी पत्र लेखन) के विषय में। हम अपने मित्रो, सम्बन्धियों या दूर रहने वाले लोगो तक सूचना भाव पत्र या चिट्ठी के माध्यम से भेजते है। हालांकि पत्र में स्वाभिकता होनी चाहिए। वैसे तो छोटी-मोटी बाते तो टेलीफोन या मोबाइल फोन पर भी की जा सकती है। इसीलिए कहा जा सकता है आज के समय में भी पत्र का अत्यधिक महत्व है। इस लेख में हम आपको बताएंगे हिंदी पत्र लेखन कितने प्रकार के होते है ? Show
स्कूल से छुट्टी के लिए आवेदन पत्र ऐसे लिखें पत्र लेखन फॉर्मट कैसे होता है ? हम आपको हिंदी पत्र लेखन उदाहरण सहित समझाएँगे। इन सभी के विषय में हम आपको विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे। Hindi Patra Lekhan से जुडी अधिक जानकारी के लिए इस लेख में दी गई समस्त जानकारियों को ध्यानपूर्वक पढ़ें – Contents hide 1 Hindi Patra Lekhan 2 हिंदी पत्र लेखन के लिए आवश्यक जानकारी 2.1 पत्र लिखने में प्रशस्ति, अभिवादन तथा समाप्ति पत्र के प्रकार 2.2 पत्र लिखते समय ध्यान रखने योग्य बाते 3 पत्र लेखन के प्रकार 3.1 औपचारिक पत्र (Formal Letter) 3.2 अनौपचारिक पत्र (Informal Letter) 4 औपचारिक पत्र का प्रारूप (Formal Lettter Format) 5 औपचारिक पत्र का उदाहरण (Formal Letter Example) 5.1 प्रार्थना पत्र – स्कूल में एडमिशन लेने के लिए प्रधानाचार्य जी को प्रार्थना पत्र 5.2 व्यावसायिक पत्र – कपड़ा व्यापरी को माल की पूछताछ के सम्बन्ध में पत्र 5.3 कार्यालयी पत्र – कन्या की भ्रूण हत्या की समस्या के सम्बन्ध में पत्र 6 अनौपचारिक पत्र का प्रारूप (Informal Letter Format) 7 अनौपचारिक पत्र का उदाहरण (Informal Letter Examples) 7.1 अपनी पढ़ाई के सम्बन्ध में पिता को जानकारी देने हेतु पिता को पत्र 7.2 मित्र को ग्रीष्मकाल साथ बिताने के सम्बन्ध में पत्र 8 औपचारिक पत्र और अनौपचारिक पत्र में अन्तर 8.1 Hindi Patra Lekhan से जुड़े कुछ प्रश्न उत्तर Hindi Patra Lekhanपत्र लेखन का वास्तविक अर्थ है कागज़ के माध्यम से अपने विचारो का आदान-प्रदान करना। प्राचीन काल में पत्र लेखन को कला माना जाता था। औपचारिक और अनौपचारिक दोनों प्रकार के पत्र आज भी लिखे जाते है। बहुत से लोग ऐसे है जो आज भी पत्र के माध्यम से ही अपने रिश्तेदारों व मित्रो की जानकारी लेते है और अपनी जानकारी देते है। इसी प्रकार सरकारी कार्यो, व्यावसायिक कार्यों और स्कूल सबंधी कार्यों के लिए भी कागज के पत्रों के माध्यम से आचार-विचार किया जाता है। सामान्यतः पत्र दो प्रकार के होते है – औपचारिक पत्र और अनौपचारिक पत्र। औपचारिक पत्र की भाषा सरल होती है और अनौपचारिक पत्र की भाषा में भावात्मकता होती है। दोनों प्रकार के पत्रों के अपने-अपने महत्व है। औपचारिक पत्र निर्धारित प्रारूप में लिखे जाते है। हिंदी पत्र लेखन के लिए आवश्यक जानकारीयहाँ हम आपको हिंदी पत्र लेखन (Hindi Patra Lekhan) से सम्बंधित कुछ विशेष जानकारी देने जा रहें है। हिंदी में पत्र लिखने के लिए आपको सबसे पहले क्या लिखना होगा इसके विषय में आप नीचे दी गई सारणी के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर सकते है। इस सारणी में औपचारिक था अनौपचारिक दोनों प्रकार के पत्र लेखन से जुडी जानकारी दी गई है। ये सारणी निम्न प्रकार है – क्रम संख्यापत्र के भागऔपचारिक पत्रअनौपचारिक पत्र1प्रेषक (भेजने वाले का पता)बाई तरफ सबसे ऊपरदाई तरफ सबसे ऊपर2तिथिप्रेषक के पते के नीचेप्रेषक के पते के नीचे3जिसे पत्र भेजा जा रहा हाँ, उसका नाम/पता या पद, विभाग एवं पतालिफाफे के ऊपर नाम व पतातिथि के नीचे सेवा में, पद, विभाग एवं पता4विषय कम शब्दों मेंनहीं लिखा जातापाने वाले के पते के बाद5सम्बोधनआदरणीय, प्रिय आदिमहोदय, माननीय आदि6अभिवादनप्रमाण, स्नेह, नमस्ते, आदिनहीं लिखा जाता7पत्र का मुख्य भागदो, तीन या चार कितने भी अनुच्छेद हो सकते हैदो अनुच्छेदों में लिखें8मुख्य भाग की समाप्तिशेष, कुशल, उत्तर की प्रतीक्षा में, आदिधन्यवाद, सधन्यवाद, धन्यवाद सहित9हस्ताक्षर से पहले की शब्दावलीआपका, तुम्हारा स्नेह-अभिलाषी, आदिभवदी, प्रार्थी, विनीत10हस्ताक्षर तथा दूरभाषहस्ताक्षर नहीं करने हैंहस्ताक्षर करेंHindi Patra Lekhanपत्र लिखने में प्रशस्ति, अभिवादन तथा समाप्ति पत्र के प्रकारयहाँ हम आपको पत्र लिखने के लिए सबंधो के लिए उपयोग किये जाने वाले सम्बोधन, अभिवादन और समाप्ति के विषय में बताने जा रहें है। नीचे दी गयी सारणी के माध्यम से आप समझ सकते है किस संबंध के व्यक्ति के लिए कौन से सम्बोधन और अभिवादन का उपयोग किया जाना चाहिए। जानिये नीचे दी गई सारणी के माध्यम से – पत्रों के प्रकारसंबंधसम्बोधनअभिवादन/समाप्तिनिजी पत्रबड़े पुरुषों कोपूज्य पिताजी/फूफाजी/ताऊजी/मौसाजी ताजी/चाचाजी/मामाजीसादर प्रणाम/ आपका/आपकी आज्ञाकारीछोटों कोप्रिय भाई/प्रिय राजेश, प्रिय बहिन या प्रिय रोशनीप्रसन्न रहो/ शुभचिंतकबड़ी स्त्रियों कोपूज्य माताजी// फूफीजी/ताईजी/चाचीजी/ मामीजी/मौसीजीसादर प्रणाम/ आपका/आपकी आज्ञाकारीबराबर वाली स्त्रियोंप्रिय सखी/प्रिय बहिननमस्ते/ नमस्कार/ आपकी सखी/ आपकी बहिनबराबर वाले पुरुषोंप्रिय मित्र/प्रिय भाईनमस्ते/ नमस्कार/ आपका मित्र/ आपका भाईप्रार्थना पत्रमुख्याध्यापक को मुख्याध्यापिका कोसेवा में /श्रीमान मुख्याध्यापक जी सेवा में/श्रीमति मुख्याध्यापिका जीनमस्ते/ नमस्कार/ आपका/आपकी आज्ञाकारीव्यावसायिक पत्रपुस्तक-विक्रेता कोसेवा में व्यवस्थापक महोदय, महोदय/प्रिय महोदयनमस्कार/ भवदीयनिमंत्रण-पत्रमित्रो, रिश्तेदारों कोश्रीमान् ……. जी, श्रीमति ……. जीभवदीय आपका/आपकीHindi Patra Lekhanपत्र लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातेयदि आप भी पत्र लिखने वाले है तो सबसे पहले इन विशेष बातों को ध्यानपूर्वक पढ़ें और पत्र लिखते समय इन सभी बातों को पालन करें। जानिये आपको पत्र लिखते समय किन बातों का ध्यान रखना है –
पत्र लेखन के प्रकारजानकारी के लिए बता दें हिंदी पत्र लेखन (Hindi Patra Lekhan) दो प्रकार के होते है। जिनके बारे में हम आपको नीचे दी गई जानकारी के माध्यम से बताने जा रहें है। पत्र लेखन निम्न प्रकार के होते है – औपचारिक पत्र (Formal Letter)सरकारी, अर्द्ध सरकारी अधिकारियों, कार्यालयों, संस्थानों और दुकानदारों आदि को लिखे जाने वाले पत्र औपचारिक पत्र कहलाते है। इन पत्रों को पेशेवर भाषा में लिखा जाता है। जानकारी के लिए बता दें औपचारिक पत्र भी तीन प्रकार के होते है। जैसे की निम्न जानकारी में बताया गया है –
अनौपचारिक पत्र (Informal Letter)मित्रो, परिवार के सदस्यों और किसी परिचित व्यक्ति को लिखे जाने वाले पत्र अनौपचारिक पत्र कहलाते है। अनौपचारिक शब्द से आशय है – किसी प्रकार की औपचारिकता न हो अर्थात कुछ भी कहने के लिए हमे पत्र लिखने के लिए किसी प्रकार की अनुमति न लेनी पड़े या किसी प्रकार के आभार व्यक्त सम्बंधित शब्दों का प्रयोग न करना पड़ें। इस प्रकार के पत्र लिखने वाले और पत्र प्राप्त करने वाले व्यक्ति के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध होते है इसके किसी प्रकार की औपचारिकता की आवश्यकता नहीं होती है। नीचे दिए गए चित्र के माध्यम से हम आपको पत्रों के प्रकार के विषय में समझाने जा रहें है। जानने के लिए दिया गया चित्र देखें – औपचारिक पत्र का प्रारूप (Formal Lettter Format)यदि आप सरकारी, व्यावसायिक, कार्यालयी या प्रार्थना पत्र लिखना चाहते है लेकिन आपको ऐसे पत्र लिखने का सही तरीका मालुम नहीं है तो यहाँ हम आपको ऐसे पत्र लिखने का सही प्रारूप बताने जा रहें है। ऐसे पत्रों को औपचारिक पत्र के नाम से जाना जाता है। हमारे द्वारा दिए गए प्रारूप के अनुसार आप पत्र लिख सकते है। ये प्रारूप निम्न प्रकार है – पता………. विषय………………………………………………………………………….. । श्रीमान जी,
औपचारिक पत्र का उदाहरण (Formal Letter Example)उम्मीदवार ध्यान दें अगर आप औपचारिक पत्र का उदाहरण (Formal Letter Example) देखना चाहते है तो यहाँ हम आपको उदाहरण द्वारा समझाने जा रहें है की औपचारिक पत्र किस प्रकार के होते है। देखिये उदाहरण निम्न प्रकार है – प्रार्थना पत्र – स्कूल में एडमिशन लेने के लिए प्रधानाचार्य जी को प्रार्थना पत्रपरीक्षा भवन, विषय – विद्यालय में प्रवेश लेने के लिए प्रार्थना पत्र आदरणीय महोदय, आपसे सविनय निवेदन है कि मेरे पिता जी जोकि जबलपुर भारतीय रेलवे में इंजीनियर के पद पर कार्य कर रहें है, उनका स्थानांतरण मुंबई में हो गया है। अब मैं और मेरा पूरा परिवार मुंबई में रह रहा है। इसी लिए मैं आपके विद्यालय एस.डी पब्लिक स्कूल में कक्षा 11 में प्रवेश लेना चाहती हूँ/चाहता हूँ। महोदय, आपसे अनुरोध है मुझे अपने विद्यालय में प्रवेश लेने के लिए अनुमति प्रदान करें। ध्यानवाद, व्यावसायिक पत्र – कपड़ा व्यापरी को माल की पूछताछ के सम्बन्ध में पत्रटेलीफोन : 748745 सदर बाजार विषय – माल के सम्बन्ध में पूछताछ प्रिय महोदय, कृपया निम्न वस्तुओं की उपलब्धता, उनके न्यूनतम मूल्य, व्यापारिक शर्तें, डिलीवरी के समय व भुगतान पद्धति आदि के सम्बन्ध में लिखने का कष्ट करें।
पत्रोत्तर की परीक्षा में, भवदीय कार्यालयी पत्र – कन्या की भ्रूण हत्या की समस्या के सम्बन्ध में पत्रसेवा में, विषय-कन्या भ्रूण हत्या की समस्या मान्यवर महोदय, निवेदन यह है कि मैं अटेरना गांव का निवासी हूँ। मैं आपके सम्पादन या अखबार के माध्यम से आपके साथ-साथ जनता का ध्यान भ्रूण हत्या की और ले जाना चाहता हूँ। यह समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। आज के समय में हिन्दुस्तान का लिंग अनुपात बढ़ता ही जा रहा है। देखा जाए तो सबसे अधिक लिंग अनुपात सोनीपत जिले का है। मेडिकल के क्षेत्र में नई तकनीक आ जाने से लोग पहले से अजन्मे शिशु का लिंग गर्भ में ही जान लेते है। यदि महिला के गर्भ में कन्या होती है तो उसकी भूर्ण हत्या कर दी जाती है। अतः आपसे नम्र निवेदन है कि आप इस समस्या की ओर ध्यान दें और जल्दी ही भ्रूण हत्या करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठायें। ताकि लिंग अनुपात कम हो सकें और लड़की की भ्रूण हत्या न की जाए। सधन्यवाद, अनौपचारिक पत्र का प्रारूप (Informal Letter Format)अगर आपको अपने किसी भी मित्र, सगे-सम्बन्धी या किसी घनिष्ठ करीबी व्यक्ति को किसी सम्बन्ध में पत्र लिखना और आपको पत्र लिखने का तरीका नहीं पता है तो यहाँ हम आपको ऐसे पत्र लिखने के लिए प्रारूप उपलब्ध करा रहें है। इस प्रकार से आप पत्र लिख सकते है। ऐसे पत्रों को अनौपचारिक पत्रों के नाम से जाना जाता है। देखिये अनौपचारिक पत्र (Informal Letter Format) का प्रारूप – प्रेषक का पता अभिवादन ………………………. पहला अनुच्छेद ……………………….. दूसरा अनुच्छेद ……………………… (विषय-वस्तु- जिस सम्बन्ध में पत्र लिखा जा रहा है ) तीसरा अनुच्छेद……………………….. समाप्ति……………………….. प्रापक के साथ प्रेषक का सम्बन्ध अनौपचारिक पत्र का उदाहरण (Informal Letter Examples)उम्मीदवार ध्यान दें यहाँ हम आपको अपनी पढ़ाई के सम्बन्ध में अपने पिता जी को पढ़ाई की जानकारी देने हेतु पत्र कैसे लिखे यह एक उदाहरण के माध्यम से बताने जा रहें है। ऐसे पत्र अनौपचारिक पत्रों के अंतरत आते है और अनौपचारिक हिंदी पत्र लेखन उदाहरण (Informal Letter Examples) आप नीचे दिए गए गए पत्र को पढ़कर जान सकते है कि औपचारिक पत्र कैसे लिखा जा सकता है। अनौपचारिक पत्र का उदाहरण निम्न प्रकार है – अपनी पढ़ाई के सम्बन्ध में पिता को जानकारी देने हेतु पिता को पत्रखेड़ी करमू , पूज्य पिताजी, मेरी विश्वविद्यालय की परीक्षा की तैयारी भी अच्छी चल रही है। मैंने अपने सभी पेपर अच्छे से तैयार कर लिए है। पिछली टर्मिनल परीक्षा में दो अंक कम आने के कारण मैं कॉलिज टॉप करने से रह गई थी। परन्तु इस बार मैंने अपनी तैयारी बहुत ही ध्यान से और अच्छे से की है। एक और बात आपको बताना चाहूंगा/चाहूँगी पिताजी, इस पर मासिक परीक्षा में हमारे प्रिंसिपल ने मुझे डबल स्टार भी दिए थे और मेरी उत्तर-पुस्तिका में कहीं पर भी लाल निशान नहीं है। अतः आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। इस बार आपका बेटा/आपकी बेटी आप लोगो का और विश्वविद्यालय का नाम अवश्य रोशन करेगा/करेगी। बाकी सब तो पहले के जैसा ही है हालांकि मेरी सहेली रानी/मेरे दोस्त राज की माता जी का स्वास्थ्य बिगड़ा हुआ है। वह तो अपनी माता जी के स्वास्थ्य को लेकर अब बहुत उदास रहने लगा है /लगी है। वैसे मैं उसे समझाने के साथ-साथ उसका ध्यान बहुत अच्छे से रख रही हूँ/रहा हूँ। आपके और माता जी के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए मैं इस पत्र की समाप्ति करता हूँ। प्रणाम ! आपका लाडला बेटा/आपकी लाड़ली बेटी मित्र को ग्रीष्मकाल साथ बिताने के सम्बन्ध में पत्रकमला नगर, आज तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ। यह जानकर प्रसन्नता हुई इस गर्मी तुम कहीं भ्रमण करने का कार्यक्रम बना रहें हो। मेरी यह हार्दिक इच्छा है कि यह गर्मियों की छुट्टियां तुम मेरे साथ बिताओ। मैंने ग्रीष्मकाल में अपने गांव जाने का कार्यक्रम बनाया है। गर्मी में वहीं सारी दोपहरी आम के बगीचों में आम तोड़ते हुए बिताना तथा शाम को लहलहाते खेतों में घूमना मन को बहुत शांति देता है। अगर तुम साथ रहोगे तो आनंद और भी दोगुना हो जाएगा। मेरी इस योजना पर विचार करना तथा अपना उत्तर मुझे जल्द ही देना। माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना और छोटू को प्यार देना। पत्रोत्तर की परीक्षा में तुम्हारा मित्र अभिन्न मित्र, औपचारिक पत्र और अनौपचारिक पत्र में अन्तरक्या आप जानते है औपचारिक पत्र (Formal Letter) और अनौपचारिक पत्र (Informal Letter) में क्या अन्तर है। यहाँ हम आपको इन दोनों प्रकार के पत्र लेखन से सम्बंधित अन्तर के विषय में जानकारी देने जा रहें है। इन जानकारियों को आप नीचे दी गई सारणी के माध्यम से जान सकते है। ये सारणी निम्न प्रकार है – क्रम संख्याऔपचारिक पत्र (Formal Letter)अनौपचारिक पत्र (Informal Letter)1औपचारिक पत्र के अंतर्गत प्रार्थना पत्र, सरकारी पत्र, गैर सरकारी पत्र, व्यावसायिक पत्र आदि आते है।अनौपचारिक पत्र के अंतर्गत माता-पिता, पापा, भाई, बहन आदि को लिखे जाने वाले पत्र आते है।2औपचारिक पत्रों को सरकारी सूचनाओं तथा संदेशों का विश्लेषण होता है।अनौपचारिक पत्र पर्सनल बातो पर लिखा जाता है जिसमे पारिवारिक लोग, दोस्त, रिश्तेदार आदि आते है।3अनौपचारिक पत्रों में शिष्ट भाषा का प्रयोग किया जाता है।इन पत्रों का उपयोग सामान्य या भावात्मक, स्नेह, दया, सहानुभूति आदि भावनाओं से परिपूर्ण भाषा प्रयोग किया जाता है।4इन पत्रों महत्व विशेष कार्यो के लिए होता है।अनौपचारिक पत्रों को लिखने का कोई मुख्य उद्देश्य नहीं होता है। इनका उपयोग सामान्य बातचीत के लिए भी किया जाता है।5औपचारिक पत्रों को लिखने का एक औपचारिक उद्देश्य होना आवश्यक होता है।किसी निजी व्यक्ति को बधाई देने हेतु, शोक सूचना देने हेतु, विवाह, जन्मदिवस पर आमंत्रित करने हेतु, आदि के लिए अनौपचारिक पत्रों का प्रयोग किया जाता है।6औपचारिक पत्रों में विषय को मुख्यता तीन अनुच्छेदों में विभाजित किया जाता है।हर्ष, दुःख, उत्साह, सहानुभूति, क्रोध, नाराज़गी, सलाह, इत्यादि भावनाओं को अनौपचारिक पत्र के माध्यम से व्यक्त करना।Hindi Patra LekhanHindi Patra Lekhan से जुड़े कुछ प्रश्न उत्तरपत्र कितने प्रकार के होते है ? हिंदी लेखन पत्र दो प्रकार के होते है जैसे – औपचारिक पत्र और अनौपचारिक पत्र। औपचारिक पत्र कौन से होते है ? औपचारिक पत्र वह पत्र होते है जिसके अंतर्गत कार्यालयी पत्र, सरकारी पत्र, व्यावसायिक पत्र और प्रार्थना पत्र आदि आते है। इस पत्रों को निधारिक प्रारूप में लिखा जाता है और इन पत्रों की भाषा औपचारिक या पेशेवर होती है। अनौपचारिक पत्र कौन से होते है ? अनौपचारिक पत्र वह पत्र होते है जो अपने रिश्तेदारों,मित्री या करीबी परिचितों को लिखे जाते है। ऐसे पत्रों में कभी कभी भावात्मकता भी छलकती है क्योंकि यह पत्र मित्रो और परिचितों को लिखे जाते है और ऐसे व्यक्तियों से हमारे भाव जुड़े होते है। इस पत्रों को अनौपचारिक भाषा में लिखा जाता है। पत्र का क्या उपयोग है ? पत्र का उपयोग करके कोई भी व्यक्ति अपनी बातों को एक कागज पर लिखकर दूसरे व्यक्ति तक सन्देश के रूप में भेज सकता है। पत्र को पढ़कर उस व्यक्ति को जानकारी प्राप्त होगी उसके बाद वह आपको आपके पत्र के उत्तर में वापस पत्र लिखकर भेजेगा। जैसे की इस लेख में हमने आपको Hindi Patra Lekhan और पत्र लेखन के फॉर्मेट से जुडी समस्त जानकारी प्रदान की है। अगर आपको इन जानकारियों के अलावा कोई अन्य जानकारी चाहिए तो आप नीचे दिए गए कमेंट सेक्शन में जाकर मैसेज करके पूछ सकते है। हम आपके सभी प्रश्नो के उत्तर अवश्य देंगे। आशा करते है आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी से सहायता मिलेगी। पत्र लेखन क्या है इसके कितने प्रकार हैं?औपचारिक पत्रों के अनेक प्रकार हो सकते हैं जिनमें से मुख्य इस प्रकार हैं: आवेदन पत्र, शुल्क मुक्ति के लिए प्रार्थना पत्र, किसी प्रकार की सामग्री मँगाने के लिए पत्र, संपादक के नाम पत्र, शिकायती पत्र, व्यावसायिक पत्र, निमंत्रण पत्र, बधाई पत्र, संवेदना पत्र, सरकारी पत्र, अर्द्ध सरकारी पत्र।
पत्र लेखन क्या है इसके प्रकार और विशेषताएं लिखिए?पत्र लेखन की विशेषताएँ. सरल भाषा-शैली : पत्र की साधारणतः सरल तथा बोलचाल की होनी चाहिए। ... . विचारों की स्पष्टता : पत्रों में विचार सुस्पष्ट तथा सुलझे हुए होने चाहिए। ... . सम्पूर्णत : पत्र में जो लिखा जाना जरूरी है, वह अवश्य लिखा जाए। ... . संक्षिप्तता : पत्र संक्षिप्त होना चाहिए अर्थात पत्र अधिक विस्तृत नहीं होना चाहिए।. पत्र की परिभाषा क्या है?पत्र, चिट्ठी या खत किसी कागज या अन्य माध्यम पर लिखे सन्देश को कहते हैं। उन्नीसवीं एवं बीसवीं शताब्दियों में पत्र ही दो व्यक्तियों के बीच संचार का सबसे विश्वसनीय माध्यम था। किन्तु अब टेलीफोन, सेलफोन एवं अन्तरजाल के युग में इसकी भूमिका काफी कम हो गयी है। पत्रो का हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान है।
पत्र लेखन का अर्थ क्या है?पत्र लेखन का अर्थ- पत्र लेखन एक ऐसी कला है, जिसके माध्यम से दो व्यक्ति या दो व्यापारी जो एक दुसरे से काफी दूरी पर स्थित हो, परस्पर एक दूसरे को विभिन्न कार्यों अथवा सूचनाओं के लिए पत्र लिखते है। पत्र लेखन का कार्य पारिवारिक जीवन से लेकर व्यापारिक जगत तक प्रयोग में लाया जाता है।
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