आज हम पिट्स इंडिया एक्ट (pitts india act) 1784 के बारे में जानेंगे। साथ ही साथ इससे संबंधित अन्य तथ्य जैसे पिट्स इंडिया एक्ट क्या है।, पिट्स इंडिया एक्ट 1784 की मुख्य धाराएं,पिट इंडिया एक्ट 1784 की मुख्य विशेषताएं,पिट्स इंडिया एक्ट से संबंधित प्रश्न, pits india act 1784 upsc in hindi आदि। Show पिट्स इंडिया एक्ट क्या है – pitts india act 1784 kya hai1773 का रेगुलेटिंग एक्ट में व्याप्त खामियों को दूर करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा 1784 में पिट्स इंडिया एक्ट पारित किया गया। इस अधिनियम को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पिट द यंगर द्वारा पारित किया गया था। इसी कारण इसे पिट्स इंडिया एक्ट कहा जाता है। पिट्स इंडिया एक्ट 1784 (Pitt’s India Act 1784) : 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट की प्रशासनिक त्रुटियों को समाप्त करने के लिए 1784 में पिट्स इंडिया एक्ट को पारित किया गया। ब्रिटिश सरकार ने 1773 में रेगुलेटिंग एक्ट पास कर ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन व्यवस्था में सुधार और भ्रष्टाचार को कम करने की जो उम्मीद की थी उसमें उसे संतोषजनक सुधार प्राप्त नहीं हो सके। अब भी कंपनी का शासन-प्रबन्धन ब्रिटिश सरकार के हाथों में नहीं आ सका था। जिस कारण ब्रिटिश संसद द्वारा पिट्स इंडिया एक्ट 1784 पारित किया गया जिसका नाम ब्रिटेन के तत्कालीन युवा प्रधानमंत्री विलियम पिट के नाम पर रखा गया। Pitt’s India Act 1784पिट्स इंडिया एक्ट 1784 के प्रमुख बिन्दु निम्नवत हैं –
पिट्स इंडिया एक्ट 1784 में भी कुछ कमियाँ रह गयीं जिनको दूर करने के लिए ब्रिटिश संसद द्वारा चार्टर एक्ट 1793 लाया गया। ‘पिट्स इंडिया एक्ट’ सन 1784 में शुरू हुआ तथा यह शुरू के 100 वर्षों का सबसे महत्वपूर्ण अधिनियम था जो कि एक्ट ऑफ़ सेटलमेंट 1781 की असफलता के उपरांत लागू हुआ था। ब्रिटिश प्रधान मंत्री विलियम पिट्ट के अगुवाई में शुरू किये इस एक्ट के कारण ही इसे ‘पिट्स इंडिया एक्ट’ कहा गया। इसे ईस्ट इण्डिया एक्ट 1784 भी कहा जाता है। इस एक्ट का प्रभाव सन 1858 तक रहा। पिट्स इंडिया एक्ट 1784 की पृष्ठभूमि का कारण क्या था
पिट्स इंडिया एक्ट की विशेषताएँ एवं प्रावधान
पिट्स इंडिया एक्ट का निष्कर्षपिट्स इंडिया एक्ट ने कंपनी की गतिविधियों और प्रशासन के सम्बन्ध में ब्रिटिश सरकार को सर्वोच्च नियंत्रण शक्ति प्रदान कर दी। और यह ब्रिटेन के काल में पहला समय था जब कंपनी के अधीन क्षेत्रों को ब्रिटेन के अधीन क्षेत्र कहा गया। परिणाम स्वरूप 1784 ई. के एक्ट द्वारा स्थापित सिद्धांतों ने भारत में ब्रिटिश प्रशासन का आधार तैयार किया| पिट्स इंडिया एक्ट के असफल होने का कारणकंपनी की शक्तियों और सरकार के अधिकार के बीच की सीमाओं पर कोई स्पष्टता नहीं थी। गवर्नर-जनरल को दो स्वामी यानी कि ईस्ट इंडिया कंपनी और ब्रिटिश क्राउन दोनों की आवोभगत करनी थी। मध्यस्थ की स्थिति होने के कारण गवर्नर-जनरल कभी अपने विचारों में स्पष्ट नहीं रहा। कभी कभी गवर्नर-जनरल को अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए मौके पर ही फैसले लेने पड़ते थे। पिट इंडिया एक्ट की मुख्य विशेषता क्या थी?3 पिट्स इंडिया एक्ट 1784 के मुख्य प्रावधान थे: कंपनी के नागरिक, सैन्य और राजस्व मामलों को बनाए रखने के लिए बोर्ड ऑफ कंट्रोल की स्थापना की गई थी; भारत में गवर्नर जनरल की परिषद के सदस्यों को घटाकर तीन सदस्य कर दिया गया; नागरिक और सैन्य अधिकारियों को भारत और ब्रिटेन में अपनी संपत्तियों के विवरण का खुलासा करने के लिए कहा ...
पिट्स इंडिया एक्ट का क्या महत्व है?1784 में पिट्स इंडिया एक्ट (Pit's India Act) अंग्रेजों के हितों की रक्षा करने के लिए ब्रिटिश संसद द्वारा पास किया गया था. इस एक्ट से ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत में प्रशासन और भारत के अंदरूनी मामलों के नियंत्रण सम्बन्धी अधिकार ब्रिटिश सरकार को दे दिए गए.
पिट्स इंडिया एक्ट कब लागू हुआ?इनमें सबसे महत्पूर्ण कदम 1784 ई. में पिट के भारत अधिनियम (पिट्स इंडिया एक्ट) को पारित किया जाना था, जिसका नाम ब्रिटेन के तत्कालीन युवा प्रधानमंत्री विलियम पिट के नाम पर रखा गया था।
इंडिया एक्ट क्या है?पिट्स इंडिया एक्ट की पृष्टभूमि ( Background of Pitt's India Act 1784 ) पिट्स इंडिया एक्ट को विलियम पिट के नाम पर 1784 में लागू किया गया था। 1783 में विलियम पिट ब्रिटेन के सबसे कम उम्र के प्रधान मंत्री बनकर सामने आये थे और वे ब्रिटिश संसद में 1780 में शामिल हुए थे।
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