आप अपने मेहमान के साथ कैसे व्यवहार करते हैं? - aap apane mehamaan ke saath kaise vyavahaar karate hain?

Solution : घर में मेहमान आने पर सबसे पहले मैं उन्हें अभिवादन करूँगा। इसके बाद मैं उनका परिचय जानकर ड्राइंग रूम में बैठाऊँगा। उनसे बात-चीत करूँगा। उनके पूछे जाने पर पिताजी के घर पर होने न होने के बारे में बताऊँगा। इसके साथ ही उन्हें जल लाकर दूँगा। कुछ देर बैठने के बाद उनके लिए अल्पाहार लेकर आऊँगा। इसके बाद उनके आने के उद्देश्य के बारे में पूछूगा। यदि उनकी मुझसे मदद हो सकती है, तो मैं अवश्य करूँगा अन्यथा पिताजी के आने का इंतजार करने के लिए उनसे विनम्रतापूर्वक कहूँगा। यदि वे बैठना चाहेंगे तो ठीक है, नहीं तो उन्हें घर के दरवाजे तक छोड़कर उन्हें अभिवादन करके .फिर पधारना. कहकर वापस आ जाऊँगा।

मेहमान घर आएं तो किसे खुशी नहीं मिलती! मगर मेहमाननवाजी एक कला है, यह कम लोगों को आती है। मेहमानों के आने पर किस गरमजोशी के साथ स्वागत करना चाहिए, किस तरह उनकी सुविधाओं का खयाल रखना चाहिए, उनकी रुचि और सुविधा-असुविधा का ध्यान रखना चाहिए, यह कला कम लोगों के पास होती है मेहमाननवाजी में ध्यान रखने वाली बातों के बारे में बता रही हैं अनीता सहरावत।

खनक की अगले महीने शादी है। यानी समय चूंकि नजदीक है, इसलिए घर में तैयारियों का माहौल है। इसके बावजूद वह अपनी क्लास के लिए जाती है, जहां वह मेहमाननवाजी के गुर सीख रही है। मसलन, मेहमान कितने तरह के होते हैं, उनका कैसे स्वागत करते हैं, उनकी आवभगत में किन-किन चीजों का ध्यान रखना है। इसके अलावा, घर की साज-सज्जा, मेहमानों के स्वागत से लेकर उनके खानपान के अलावा मेजबान का आचार-व्यवहार कैसा हो, मेहमानों के साथ सहजता का माहौल कैसे बनाएं वगैरह। दरअसल, शादी के लिए आॅनलाइन जोड़े मिलवाने वाली कंपनियां अब मेजबानी के लिए भी विशेषज्ञों की सेवा मुहैया कराने लगी हैं। मौजूदा दौर में मेजबानी अब सभ्यता के सलीके से आगे बढ़ कर कला हो गई है। हालांकि यह कोई मुश्किल काम नहीं है। अक्सर साधारण-सी दिखने वाली छोटी-मोटी बातों को हम नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे मेजबानी तो खराब होती ही है, मेहमान भी हमारी एक खराब छवि के साथ लौटते हैं। दोस्तों, रिश्तेदारों या अनजान मेहमानों के लिए हमारी मेहमाननवाजी ही हमारे व्यक्तित्व की पहचान होती हैं। हमारा सलीका हमारे व्यवहार के बारे में बोलता है। अतिथि सत्कार को हमारे शास्त्रों में सेवा कहा गया है। मेहमान को देवता के बराबर का दर्जा दिया गया है जो हमारे पास भाव से आता है। हम लोगों से कैसे मिलते हैं, लोग हमारी किस छवि को अपने साथ लेकर जाते हैं। हमारी मेहमाननवाजी इसी का आईना है।

मेजबानी की तैयारी

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तो वे कौन-सी बातें हों सकती हैं, जिनका ध्यान रखने से हमारी मेजबानी हमारे मेहमानों के लिए यादगार हो जाए? मौके के हिसाब से तैयारियां और मेजबानी हो। साधारण पारिवारिक भेंट, व्यावसायिक मुलाकात या घर में पार्टी के लिए जमावड़े के इंतजाम अलग-अलग होंगे। घर की साफ-सफाई पहले ही निपटा लें, सारे सामान सलीके से व्यवस्थित कर लें। मेहमान सबसे पहले आपके घर में इन्हीं बातों पर गौर करते हैं। शहरों में चूंकि भीड़ बढ़ रही है, ऐसे में किसी के घर का पता ढूंढ़ना भी कई बार मशक्कत का काम होता है। इसलिए घर का पता, वैकल्पिक फोन नंबर मेहमानों को कम से कम दो दिन पहले जरूर दे दें, ताकि उन्हें पहुंचने में दिक्कत न हो। इसके अलावा, एक जरूरी बात यह है कि मेहमान को अपना कार्यक्रम पहले से बताएं कि आपका निमंत्रण कैसा है। आपने केवल जलपान की व्यवस्था की है या दोपहर और रात के खाने की भी तैयारी हैं। आमतौर पर हिचक की वजह से मेजबान यह कह नहीं पाता और मेहमान पूछ नहीं पाता। कई बार कुछ वजहों से मेहमान देरी से पहुंचते हैं। ऐसे में जलपान और खाने का समय एक ही हो चुका होता है। ऐसी स्थिति के लिए आप तैयार नहीं हैं, तो किरकिरी तय है। इसलिए बेहतर हो कि मेहमान के आने का समय पूछ लें।

स्वागत का इंतजाम

मेजबान के रूप में आपका अच्छा दिखना बेहद जरूरी है। पहनावा भी मौके के मुताबिक हो। ध्यान रखें कि आप मेजबान हैं और आपको मेहमानों का खयाल रखना है। लेकिन बहुत भारी-भरकम पहनावे से भी बचें। अगर बच्चे हैं तो उन्हें भी ठीक से तैयार करें। जन्मदिन, सालगिरह जैसे मौके छोड़ कर कोशिश करें कि मेहमानों को ऐसे दिन बुलाएं जब सभी मेहमान इकट्ठा होे सकें। मौका आम हो या खास, सभी मेहमानों का स्वागत खुद करें। सभी लोगों से गर्मजोशी और आत्मीयता से मिलें। पारिवारिक मौकों पर कोशिश करें कि स्वागत के समय परिवार भी साथ हो। अगर समारोह, निजी या व्यावसायिक मुलाकात न हो तो बच्चों को भी स्वागत में जरूर शामिल करें। रिश्ते और उम्र के लिहाज से ही लोगों से मिलें, मान-सम्मान देने में हिचकें बिल्कुल नहीं। इससे न केवल बच्चे भी आचार-व्यवहार सीखते हैं, बल्कि मेहमानों पर भी आपके व्यवहार और उत्साह का अलग प्रभाव जाता है। घर के बाकी सदस्यों से परिचय कराना न भूलें। बैठने के लिए खुद कहें। जलपान से पहले बाथरूम जाकर तरोताजा होने के लिए जरूर पूछें। कई बार लोग दूसरे के घर पर पहुंचते ही इस बारे में पूछने में असहज महसूस करते हैं। बाथरूम साफ-सुथरा रखें, खुशबू के लिए फ्रेशनर्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। जरूरी सामान जैसे तौलिया, साबुन की भी व्यवस्था रखें। मेहमान अगर रात में रुकते हैं तो भी बाथरूम में जरूरी सामान ब्रश, तौलिया, शैंपू और अन्य सामान जरूर रखें।

सहजता का साथ

मेहमानों के साथ बिल्कुल सहज और खुश रहें और गैरजरूरी औपचारिकता से बचें। तभी मेहमान भी आपके साथ का आंनद ले पाएंगे। एक अच्छे मेजबान की पहचान है कि माहौल खुशनुमा बनाए रखें। गंभीर विषयों पर चर्चा और बहस से बचें। न तो बनावटी खुशी जाहिर करें और न ही बेकार की गंभीरता ओढ़ें। अगर महिला मेजबान हैं तो भी भूमिका सिर्फ रसोई तक सीमित न करें। मेहमानों के साथ समय जरूर बिताएं, क्योंकि मेहमान सिर्फ खाना खाने या आपकी आवभगत के लिए आपके घर नहीं आते हैं। अतिथि अगर आपके लिए कोई उपहार लेकर आए हैं तो इसे बड़े ही प्यार से स्वीकार करें और इसकी प्रंशसा भी करें, भले ही आपको वह चीज पसंद हो या नहीं। नुक्ताचीनी न करें। ये तो कतई न जताएं कि आप कितने समद्ध हैं। विदा करते हुए मेहमानों को आप भी कुछ भेंट जरूर करें। इससे उन्हें भी लगेगा कि आपने उन्हें प्यार से स्वीकार किया है।

खानपान की शुरुआत तरल पदार्थ से करें। मौसम के हिसाब से ठंडा-गर्म पेय चुनें। खाने और नमकीन की तैयारियां पहले से रखें। अगर खाने पर बुला रहे हैं तो अपनी पंसद का खाना न परोसें। जो उपलब्ध है, उसमें मेहमानों की पंसद पहले पूछ लें। बच्चों के लिए अलग तैयारी करें। उनकी पंसद के स्नैक्स या नमकीन और खाना जरूर रखें। लोग ज्यादा हों तो खाना बनाने के बजाय बाहर से मंगा लेना भी एक अच्छा विकल्प है। इससे मेहमानों को देने के लिए समय भी ठीक से मिल सकेगा। खाना परोसने संबंधी तैयारियां पहले ही कर लें, क्योंकि मेहमानों के सामने टेबल लगाना अटपटा लगता है। कई मेहमान जल्दबाजी में होते हैं। ऐसे में सलीके से खाना परोसना, खिलाना कई बार टेढ़ी खीर हो जाता है। इसलिए घर के दूसरे सदस्यों की मदद लेने से न हिचकें, क्योंकि अगर मेहमान ज्यादा हैं तो सब कुछ तरीके से निपटाना मुश्किल हो जाता है और कई बार जरूरी चीजें परोसना ही भूल जाते हैंं। खाना मेहमानों के साथ ही खाएं। इससे अतिथि आपके अपनेपन को महसूस करेगा।

शिष्टाचार की कसौटी

सबके बच्चे शरारती होते हैं। ऐसे में शालीनता बनाए रखें। अक्सर बड़ों की पार्टी में बच्चे ऊबने लगते हैं। इसलिए हो सके तो बच्चों को अलग कमरे में व्यस्त करें, ताकि बड़े और छोटे, दोनों ही सहज रह सकें। इसके अलावा, मेहमान ऊबें नहीं या कई बार साथ में बच्चे होने की वजह से हम टीवी चला कर छोड़ देते हैं। लेकिन ये खराब शिष्टाचार की पहचान हैं। अतिथि हमारे घर टीवी कार्यक्रम देखने नहीं आते हैं, बल्कि यह एक-दूसरे के साथ समय बिताने का मौका होता है। बच्चों को भी यह बात पहले से समझा कर रखें, मेहमानों के सामने बच्चों को डांटने से बचें। मौका अगर पार्टी का है तो मनोरंजन का इंतजाम अपनी सहूलियत और जेब के हिसाब से रखें। अतिथि अगर रात मे रुकने वाले हैं तो इसके लिए भी पुख्ता इंतजाम रखें। बिस्तर साफ-सुथरे हों, कमरे मे पानी का इंतजाम हो। सुबह नाश्ते की तैयारी भी समय से करें। सारी आवभगत के बाद मेहमानों की विदाई हमारे शिष्टाचार की असली परख होती है। मेहमानों को निपटाएं नहीं। उनके खुद ही निकलने का इंतजार करें। वापसी तोहफा जरूर दें। बच्चों को चॉकलेट या खिलौने दे सकते हैं। खासतौर पर यह कहना न भूलें कि आपने उनके साथ का भरपूर आंनद लिया। फिर दोबारा आने के लिए जरूर कहें। गाड़ी तक छोड़ने जाएं। यकीन मानिए, मामूली-सी महसूस होने वाली इन कुछ बातों के साथ आपके मेहमान आपकी मेजबानी के कायल होंगे।