In this article, we will share MP Board Class 12th Hindi Solutions Chapter 12 हिमालय और हम Pdf, These solutions are solved subject experts from the latest edition books. Show हिमालय और हम पाठ्य-पुस्तक पर आधारित प्रश्नहिमालय और हम लघु उत्तरीय प्रश्न Himalaya Aur Hum Question Answer MP Board Class 12th प्रश्न 1. हिमालय और हम कविता का सारांश MP Board Class 12th प्रश्न 2. Himalaya Aur Ham MP Board Class 12th प्रश्न 3. हिमालय और हम दीर्घ उत्तरीय प्रश्न Himalaya Aur Hum MP Board Class 12th प्रश्न 1.
हिमालय और हम कविता का प्रश्न उत्तर MP Board Class 12th प्रश्न 2. हिमालय और हम भाव-पल्लवन Himalaya Aur Hum Ka Bhavarth MP Board Class 12th प्रश्न 1. हिमालय और हम भाषा-अनुशीलन Himalaya Aur Hum Poem Question Answer MP Board Class 12th प्रश्न 1. Himalaya Aur Hum Question Answers MP Board Class 12th प्रश्न 2. Himalaya Aur Hum Poem Summary In Hindi MP Board Class 12th प्रश्न 3.
हिमालय और हम योग्यता-विस्तार प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. हिमालय और हम परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नI. वस्तुनिष्ठ प्रश्न – प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. II. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों के आधार पर कीजिए –
उत्तर:
III. निम्नलिखित कथनों में सत्य असत्य छाँटिए –
उत्तर:
IV. निम्नलिखित के सही जोड़े मिलाइए – प्रश्न 1. उत्तर: (i) (ग) V. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दीजिए – प्रश्न
1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. हिमालय और हम लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. हिमालय और हम दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2.
प्रश्न 3. प्रश्न 4. हिमालय और हम कवि-परिचय प्रश्न 1. आपके काव्य स्वर राष्ट्रीय चेतना से ओत-प्रोत हैं और संस्कृति के प्रति गौरव-भाव हैं। आप मानवता को स्वर देने वाले कवि हैं। प्रकृति और मानवीय अनुभूतियों का अंतःसंबंध आपके गीतों में लोकचेतना का संस्पर्श पाकर सहज हो गया है। राष्ट्रीय भावों के जागरण में उनके काव्य का महत्त्वपूर्ण योगदान है। सन् 1963 में आपका देहांत हो गया। साहित्यिक विशेषताएँ: रचनाएँ: भाषा-शैली: हिमालय और हम पाठ का सारांश प्रश्न 1. हिमालय की प्राकृतिक छटा भारत के बाह्य व आंतरिक सौंदर्य को व्यक्त करने में भी समर्थ है। प्रभात और संध्या की लालिमा हिमालय के प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ भारतीय चिंतन के उस पक्ष को भी व्यक्त करती है, जिसमें सुख-दुख को समान भाव से ग्रहण किया जाता है। हिमालय के आँगन में ही सबसे पहले बान का उदय हुआ और यहीं वेदों की ऋचाएँ गूंजी। भारत की मनीषा हिमालय की छाया में प्रसारित होती है। हिमालय की अडिगता और हिमालय का निश्चय ही प्रत्येक भारतवासी के स्वभाव में निहित है इसलिए, वह मृत्युंजयी है। हिमालय तूफानों से लड़ने में समर्थ है। यह कविता हिमालय के माध्यम से भारतीय जीवन-शक्ति को प्रकट करती है। हिमालय और हम संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या प्रश्न 1. शब्दार्थ:
प्रसंग: व्याख्या: हिमालय पर्वत की ऊँचाई बहुत अधिक होने के कारण ऐसा लगता है मानो उसका सर आसमान को छू रहा है और उसके चरण पाताल की गहराई में समाए हुए हैं। भाव यह है कि हिमालय पर्वत आकाश-पाताल दोनों की सीमाओं को अपने में समेटे हुए है। हिमालय पर्वत का मन गंगा के बचपन की भाँति पवित्र और निर्मल है। पवित्र गंगा का उद्गम ही हिमालय से हुआ है। हिमालय पर्वत का तन विभिन्न रंग और आकार वाली वनस्पतियों से ढका हुआ है। मुख अत्यधिक ऊँचाई पर होने के कारण वनस्पतियों से रहित है और केवल बर्फ से ढका हुआ है। जो भी हिमालय के आश्रय में आता है उसमें भी हिमालय की भाँति दृढ़ता – और विशालता आ जाती है। इसी कारण वह भी अपना मस्तक किसी के सामने नहीं झुकाता। ऐसे पर्वतराज हिमालय से हम भारतीयों का रिश्ता भी कुछ ऐसी ही है। विशेष:
काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर प्रश्न (i) प्रश्न (ii) प्रश्न (iii) काव्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर प्रश्न (i) प्रश्न (ii) प्रश्न 2. शब्दार्थ:
प्रसंग: व्याख्या: हिमालय की चोटियों में ऐसी विलक्षण अलौकिक शक्ति है कि यहाँ पर जैसा प्रातःकाल का दृश्य दिखाई देता है, वैसा ही सायंकाल का भी। दूसरे शब्दों में, जिस प्रकार हिमालय पर्वत का प्राकृतिक सौंदर्य प्रातःकाल और सायंकाल दोनों में समान होता है उसी प्रकार भारतीय भी समान भाव से सुख और दुख को ग्रहण करते हैं। भारतवर्ष की धरती का हर जवान भी जीवन व मृत्यु को समान भाव से अपनाता है। देश की रक्षा में तत्पर हर जवान मृत्यु का वरण कर अमर हो जाता है। हिमालय की तरह भारतीय जवान भी अमर है क्योंकि वह जीवन-मृत्यु पर सोच-विचार या चिंतन नहीं करते। भारत का प्रत्येक निवासी सुख-दुख और उत्थान-पतन को समरसता से अपनाता है। पर्वतों के राजा हिमालय से भारतीयों का ऐसा ही अटूट संबंध और रिश्ता है। विशेष:
काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर प्रश्न (i) प्रश्न
(ii) प्रश्न (iii) काव्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर प्रश्न (i) प्रश्न (ii) प्रश्न 3. शब्दार्थ’:
प्रसंग: व्याख्या: हिमालय की गोद में बसा भारत और दूसरे देश भी इससे निकलने वाली नदियों के कारण हरे-भरे हैं। इस देश का प्रत्येक मौसम (ऋतु) संदेश से भरा होता है; अर्थात् प्रत्येक ऋतु में भारतीयों को कोई-न-कोई संदेश मिलता है। वेदों की रचना भी इसकी गोद में हुई थी और आज भी लोग ज्ञान की साधना के लिए हिमालय की ओर जाते हैं। दूसरे शब्दों में, वेदों की रचना हिमालय के चरणों में बैठकर ही हुई थी। पर्वतराज हिमालय से हम भारतीयों का कुछ ऐसा संबंध है। विशेष:
काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर प्रश्न (i) प्रश्न (ii) काठ्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर प्रश्न (i) प्रश्न 4. शब्दार्थ:
प्रसंग: व्याख्या: “कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, अनेक हिंसक आक्रमणकारियों (मुसलमानों और अंग्रेजों) ने हम पर हमले किए किंतु दुख-यातनाएँ देकर, हमारे तन को लहूलुहान करके भी वे हमारे मन को मार न सके; अर्थात् भारतीय कभी भी हिंसा के दम पर पराजित नहीं हुए। तन पर अत्याचार सहने के बावजूद मन से नहीं हारे। कवि कहता है कि इसका मुख्य कारण हमारी अति पावनी नदी गंगा है, जिसका गंगाजल पीकर भारतीय हर दुख-दर्द को हँसकर झेल लेते हैं। हिमालय पर्वत से निकलने वाली गंगा नदी का जल जो भी पी लेता है, वह दुख में भी हँसता है। इस प्रकार गंगा नदी के कारण हिमालय के साथ हमारा अटूट संबंध है, जो अपने अमृत तुल्य जल का पान करा भारतवासियों को भी अमर बना देती है। विशेष:
काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर प्रश्न (i) प्रश्न (ii) काव्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर प्रश्न (i) प्रश्न (ii) प्रश्न 5. शब्दार्थ:
प्रसंग: व्याख्या: जब-जब भी शासन ने भारत की जनता को विपत्ति में डाला और दुख दिए, तब-तब ही जनता की विपत्तियों को दूर करने के लिए और दुःखों से छुटकारा दिलाने के लिए लाखों सत्याग्रही घर-बार की चिंता छोड़कर निकल पड़े। हिमालय पर्वत की छाया में आकर बड़े से बड़े तूफान भी कमजोर पड़ जाते हैं। उनमें – चिरागों अर्थात् दीपकों को भी बुझाने की शक्ति नहीं रहती। हम भारतवासियों का हिमालय पर्वत से ऐसा ही कुछ संबंध है। विशेष:
काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर प्रश्न (i)
प्रश्न (ii) हिमालय की प्रभात और संध्या की क्या विशेषता है?हिमालय की चोटी पर प्रभात बहोत ही सुशोभित और मनमोहक होती है इसकी चोटी पर सूर्य की पहली किरण लालिमा बिखेर देती है और पुरे वातावरण में एक सदाबहार सी आ जाती है जब सूर्य की किरणें वृक्षों के मध्य से हिमालय के बर्फीली चोटियों पर पड़ती है तब सूर्य की किरणें एक दिव्य ज्योति की तरह दिखाई पढ़ती है.
हिमालय बादल और तूफानों का क्या हश्र करता है?बादल जब हिमालय से टकराते हैं तो पानी के रूप में बरस पड़ते हैं जबकि तूफ़ान हिमालय की विशाल चोटियों के समाप्त हो जाते हैं। हिमालय हमें परिस्थितियों से लड़ने और हर मुश्किल घड़ी में अडिग, अविचल रहने का संदेश देता है। हम दुख में भी सबका साथ दें और जरूरतमंदों को आसरा दें, यही हिमालय हमें सिखाता है।
हिमालय को सकल धरती का ताज क्यों कहा गया है?क इसकी चोटी इतनी ऊँची है कि संपूर्ण धरती के ताज के समान लगती है। इसलिए इसे सकले धरती का ताज कहा गया है। Date Page. ग) हिमालय और भारतवासियों में यह समानता है कि दोनों ही अडिग और अविचल हैं।
हिमालय और भारतवासियों में क्या समानता है?Answer. Answer: हिमालय पर्वत पर जिस प्रकार प्रभात और संध्या की लालिमा समान होती, दूसरे शब्दों में, हिमालय का सौंदर्य दोनों समय एक समान होता है, उसी प्रकार भारतीय सुख-दुख हो समान भाव से ग्रहण करते हैं। हिमालय पर्वत की भाँसि भारतवासी भी अटल, अडिग और अविचल हैं।
|