सत्ता की साझेदारी का क्या मतलब होता है? - satta kee saajhedaaree ka kya matalab hota hai?

इसे सुनेंरोकेंदिए गए उद्धरण में से सत्ता की साझेदारी के युक्तिपरक कारण है वो है कि भ्रष्टाचार कम करने के और प्रशासनिक कुशलता को बढ़ाने का एक उपाय पंचायतों को अधिकार देना भी है। इनमें से जो तर्क सत्ता के बँटवारे के पक्ष में हैं उनकी पहचान करें और नीचे दिए कोड से अपने उत्तर का चुनाव करें। (ग)निर्णय लेने की प्रक्रिया को अटका देती है।

नैतिक कारण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंनैतिक कारण- लोकतंत्र में वह सरकार वैधानिक होती है जिसमे सभी लोग व्यवस्था से जुड़े होते है। सरकार लोकतंत्र को उदारवादी बनाने के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयत्न करती है। कानून इस तरह बनाए जाते है जिससे की किसी की भी धार्मिक आस्था और विश्वासों को ठेस न पहुँचे।

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सत्ता की साझेदारी के रूप कौन कौन से हैं?

इसे सुनेंरोकेंसत्ता की साझेदारी के रूप शासन के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का बँटवारा: सत्ता के विभिन्न अंग हैं; विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका। इन अंगों के बीच सत्ता के बँटवारे से ये अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हैं। इस तरह के बँटवारे को सत्ता का क्षैतिज बँटवारा कहते हैं।

सत्ता के बंटवारे के विवेकपूर्ण और नैतिक कारण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंभारतीय संदर्भ में सत्ता की हिस्सेदारी का एक उदाहरण देते हुए इसका एक युक्तिपरक और एक नैतिक कारण बताएँ। उत्तर: युक्तिपरक कारण: विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सौहार्द्र और शांति बनाये रखना। नैतिक कारण: लोकतंत्र की आत्मा को अक्षुण्ण रखना।

सत्ता के बंटवारे के पक्ष में निम्न तर्कों में कौन सा तर्क सही नहीं है I *?

इसे सुनेंरोकेंथम्मन- जिन समाजों में क्षेत्रीय, भाषायी और जातीय आधार पर विभाजन हो सिर्फ़ वही सत्ता की साझेदारी जरूरी है। मथाई- सत्ता की साझेदारी सिर्फ़ बड़े देशों के लिए उपयुक्त है जहाँ क्षेत्रीय विभाजन मौजूद होते हैं। औसेफ- हर समाज में सत्ता की साझेदारी की जरूरत होती है भले ही वह छोटा हो या उसने सामाजिक विभाजन न हों।

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सत्ता के बंटवारे के कितने कारण हैं?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न 3:- (1) सत्ता की साझेदारी सरकार के विभिन्न अंगों के बीच होती है। (2) सरकार के विभिन्न स्तरों पर सत्ता की साझेदारी होती है। (3) सत्ता की साझेदारी विभिन्न सामाजिक समूहों, भाषायी और धार्मिक समूहों के बीच होती है। (4) सत्ता की साझेदारी राजनैतिक दलो, दबाव समूहों एवं सामाजिक आन्दोलनों द्वारा होती है ।

व्यक्ति के नैतिक पतन का प्रमुख कारण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंनैतिक पतन के कई कारण हो सकते हैं। नैतिक लोग जो पावर में अल्प संख्या में है उनकी चलती नहीं। धन को अत्यधिक महत्व दिया जाना जिसके कारण लोग अनैतिक तरीकों से पैसा कमाने को बुरा नहीं मानते। स्त्री को सम्मान नहीं देना जिसके कारण समाज पतन में जा रहा है।

नैतिक रूप से गिरने का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंजब हम यह सोचते हैं की मानव अपने निहित स्वार्थों के लिए कितना गिर सकता है. तो यह गिरावट हमें पातळ के भी अंदर ले कर चली जाती है। ये गिरावट हर क्षेत्र में नज़र आती है।

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इसे सुनेंरोकेंदिए गए उद्धरण में से सत्ता की साझेदारी के युक्तिपरक कारण है वो है कि भ्रष्टाचार कम करने के और प्रशासनिक कुशलता को बढ़ाने का एक उपाय पंचायतों को अधिकार देना भी है।

प्र 5 आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग अलग तरीके क्या हैं?

इसे सुनेंरोकें(i) शासन की विभिन्न अंगों, जैसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बँटवारा रहता है। विधायिका का काय कानून का निर्माण करना, कार्यपालिका का कार्य शासन का संचालन करना तथा न्यायपालिका का कार्य कानून का उल्लंघन करने वालों को दंड देन होता है। इसमें हर अंग एक-दूसरे पर अंकुश रखता है।

शासन के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का बँटवारा: सत्ता के विभिन्न अंग हैं; विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका। इन अंगों के बीच सत्ता के बँटवारे से ये अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हैं। इस तरह के बँटवारे को सत्ता का क्षैतिज बँटवारा कहते हैं।

इस तरह के बँटवारे से यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसी भी एक अंग के पास असीमित शक्ति नहीं रहती है। इससे विभिन्न संस्थानों के बीच शक्ति का संतुलन बना रहता है।

सत्ता के उपयोग का अधिकार कार्यपालिका के पास होता है, लेकिन कार्यपालिका संसद के अधीन होती है। संसद के पास कानून बनाने का अधिकार होता है, लेकिन संसद को जनता को जवाब देना होता है। न्यायपालिका स्वतंत्र रहती है। न्यायपालिका यह देखती है कि विधायिका और कार्यपालिका द्वारा सभी नियमों का सही ढ़ंग से पालन हो रहा है।

विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बँटवारा: भारत एक विशाल देश है। इतने बड़े देश में सरकार चलाने के लिए सत्ता की विकेंद्रीकरण जरूरी हो जाता है। हमारे देश में सरकार के दो मुख्य स्तर होते हैं: केंद्र सरकार और राज्य सरकार। पूरे राष्ट्र की जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर होती है, तथा गणराज्य की विभिन्न इकाइयों की जिम्मेदारी राज्य सरकारें लेती हैं। दोनों के अधिकार क्षेत्र में अलग अलग विषय होते हैं। कुछ विषय साझा लिस्ट में रहते हैं।

सामाजिक समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा: हमारे देश में विविधता भरी पड़ी है। इस देश में अनगिनत सामाजिक, भाषाई, धार्मिक और जातीय समूह हैं। इन विविध समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा जरूरी हो जाता है। इस प्रकार के बँटवारे का एक उदाहरण है, समाज के पिछ्ड़े वर्ग के लोगों को मिलने वाला आरक्षण। इस प्रकार के आरक्षण से पिछ्ड़े वर्ग का सरकार में सही प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाता है।

सत्ता की साझेदारी का मतलब क्या होता है?

सत्ता की साझेदारी ऐसी शासन व्यवस्था होती है जिसमें समाज के प्रत्येक समूह और समुदाय की भागीदारी होती हैसत्ता की साझेदारी ही लोकतंत्र का मूलमंत्र है। लोकतांत्रिक सरकार में प्रत्येक नागरिक की हिस्सेदारी होती है, जो भागीदारी के द्वारा संभव हो पाती है

सत्ता की साझेदारी क्या है और इसके क्या क्या लाभ है?

satta ki sajhedari se aap kya samajhte hain in hindi सत्ता की साझेदारी एक ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें समाज के प्रत्येक समुदाय ओर नागरिक की हिस्सेदारी होती है। इसे सत्ता की साझेदारी के नाम से जानते हैं। सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र का आधार है। अर्थात लोकतंत्र का मूल तत्व है।

सत्ता की साझेदारी के दो कारण क्या है?

Solution : सत्ता की साझेदारी के दो कारण होते हैं। एक है समझदारी भरा कारण और दूसरा है नैतिक कारण

सत्ता की साझेदारी किसकी आत्मा है?

<br> (ii) लोकतंत्र की आत्मा-सत्ता की साझेदारी वास्तव में लोकतंत्र की आत्मा है। लोकतंत्र का अर्थ ही होता है कि जो लोग इस शासन-व्यवस्था के अंतर्गत हैं, उनके बीच सत्ता को बाँटा जाए और ये लोग इसी ढरें से रहें।