प्रिय विद्यार्थी, Show
कबीर के अनुसार : प्रेमी ढ़ूँढ़त मैं फिरौ प्रेमी मिले न कोई प्रेमी का यहाँ तात्पर्य ईश्वर से है जिसे प्रेमी रूपी भक्त सच्चे मन से ढ़ूँढ़ने की कोशिश करता है। एक बार जब एक प्रेमी दूसरे प्रेमी से मिल जाता है तो संसार की सारी कड़वाहट अमृत में बदल जाती है, जीवन का उद्देश्य पूर्ण जाता है । आभार। विषयसूची काव्यास में विष और अमृत किसका प्रतीक है?इसे सुनेंरोकेंकबीर द्वारा रचित दोहे की इन पंक्तियों में विष मानव के अंदर व्याप्त बुराइयों जैसे काम, क्रोध, लोभ, मोह, असत्य, हिंसा आदि का प्रतीक है। जबकि अमृत ईश्वर की भक्ति के कारण मिलने वाले आनंद का प्रतीक है। प्रेमी को प्रेमी मिले सब अमृत हुए काव्यांश में विष और अमृत किसका प्रतीक है?इसे सुनेंरोकेंकबीरदास जी कहते हैं कि जब आत्मा को एक बार परमात्मा के मिलन का आनंद प्राप्त हो जाता है तो फिर उसे छोड़कर कहीं अन्यत्र जाना उसके लिए असंभव है। . जब आत्मा रूपी प्रेमी का परमात्मा रूपी प्रेमी से मिलन हुआ तो आत्मा रूपी प्रेमी के सारे विष (सांसारिक दुख, कष्ट) अमृत अर्थात् अलौकिक सुख में परिवर्तित हो गए। उपर्युक्त साखी में अमृत किसका प्रतीक है? इसे सुनेंरोकेंयदि एक ईश्वर भक्त को दूसरा ईश्वर भक्त मिल जाता है तो समस्त विषय-वासना रूपी विष अमृत में परिणत हो जाता है। अर्थात कह सकते है कि मैं (अहंकार) ईश्वर को ढूँढ रहा था परन्तु अहंकार के कारण ईश्वर कि प्राप्ति नहीं हो रही थी। पर जब ईश्वर की प्राप्ति होती है तो अहंकार और उससे उत्पन्न समस्त दुर्गुण (विष) अमृत में बदल गए। कबीर के अनुसार विष कब अमृत बन जाता है?इसे सुनेंरोकेंमानव में छिपे पाप, बुरी भावना, विषय वासना रूपी विष उस समय अमृत बन जाते हैं, जब एक परम भक्त दूसरे परम भक्त से मिल जाता है। उस समय सभी प्रकार के अंधेरे समाप्त हो जाते हैं, मन के विकार दूर हो जाते हैं। कबीर की साखियाँ में हंस किसका प्रतीक है?इसे सुनेंरोकेंहंस जीवात्मा के प्रतीक हैं। वे मानसरोवर अर्थात् मेन रूपी सरोवर को छोड़कर अन्यत्र इसलिए जाना चाहते हैं क्योंकि उसे प्रभु भक्ति का आनंद रूपी मोती चुगने को मिल रहे हैं। मानसरोवर किसका प्रतीक है? इसे सुनेंरोकेंमित्र मानसरोवर ह्दय का प्रतीक है और हंस साधक का प्रतीक है। कबीर दास जी ने ज्ञान के लिए किसका रूपक प्रस्तुत किया है?इसे सुनेंरोकेंउत्तर: कबीर दास जी ने आँधी के रूपक द्वारा हृदय में ज्ञानोदय से होने वाले परिवर्तनों का बड़ा रोचक वर्णन प्रस्तुत किया है। मन में सारे दुर्गुणों का निवास अज्ञान के संरक्षण में ही होता है, परन्तु जब साधु या साधक की साधना से ज्ञान की प्रवेश होता है तो सारे दुर्गुण स्वतः ही हृदये से दूर हो जाते हैं। प्रेमी को प्रेमी मिले से क्या होता है?इसे सुनेंरोकेंप्रेमी कौं प्रेमी मिले सब विष अमृत होई। प्रेमी को ढ़ूँढ़ने से भी पाना मुश्किल होता है। यहाँ पर प्रेमी का मतलब ईश्वर से है जिसे प्रेमी रूपी भक्त सच्चे मन से ढ़ूँढ़ने की कोशिश करता है। एक बार जब एक प्रेमी दूसरे प्रेमी से मिल जाता है तो संसार की सारी कड़वाहट अमृत में बदल जाती है। अमृत और विष किसका प्रतीक है? इसे सुनेंरोकेंAnswer: विष दुख, दर्द, पीड़ा एवं अशांति प्रतीक है। वहि अमृत सुख, शांति का प्रतीक है। यहां पर मैदा किसका प्रतीक है?इसे सुनेंरोकेंदोहे में राम और काशी हिंदू धर्म का प्रतीक हैं। यहाँ काबा और रहीम मुस्लिम धर्म का प्रतीक हैं। मोट चून-बुराइयों का तथा मैदा-अच्छाइयों का प्रतीक है। विष और अमृत किसका प्रतीक है?विष से अमृत करे का क्या अर्थ है? इसे सुनेंरोकेंविष से अमृत करे मतलब… ये शरीर विष के समान है, इसमें दुर्गुण ही दुर्गुण भरे हुए हैं, इन दुर्गुणों को अमृतरूपी सद्गुणों में केवल गुरु ही बदल सकता है। इसलिये गुरु ही है जो विष रूपी दुर्गुण युक्त शरीर को अमृत रूपी सद्गुणयुक्त शरीर में बदलता है, अर्थात गुरु ही विष को अमृत करता है। शीश दिए जो गुरु मिले तो भी सस्ता जान।
जब प्रेमी को प्रेमी मिल जाता है तब क्या होता है?प्रेमी कौं प्रेमी मिले सब विष अमृत होई। प्रेमी को ढ़ूँढ़ने से भी पाना मुश्किल होता है। यहाँ पर प्रेमी का मतलब ईश्वर से है जिसे प्रेमी रूपी भक्त सच्चे मन से ढ़ूँढ़ने की कोशिश करता है। एक बार जब एक प्रेमी दूसरे प्रेमी से मिल जाता है तो संसार की सारी कड़वाहट अमृत में बदल जाती है।
प्रेमी को प्रेमी मिले सब विष अमृत होई का व्यास में विष और अमृत किसका प्रतीक है?This is Expert Verified Answer. कबीर द्वारा रचित दोहे की इन पंक्तियों में 'विष' मानव के अंदर व्याप्त बुराइयों जैसे काम, क्रोध, लोभ, मोह, असत्य, हिंसा आदि का प्रतीक है। जबकि 'अमृत' ईश्वर की भक्ति के कारण मिलने वाले आनंद का प्रतीक है।
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