नया साल हम क्यों मनाते हैं? - naya saal ham kyon manaate hain?

न्यू साल क्यों मनाते हैं?...


नया साल हम क्यों मनाते हैं? - naya saal ham kyon manaate hain?

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लिखे जो न्यू ईयर मनाया जाता है वह 1 जनवरी से जब नए साल की शुरुआत होती है तब मनाया जाता है तो जब पुराना साल खत्म हो गया जब एक नया साल की बिल्कुल नई डेट शुरू हुई है पूरे 12 महीने नए प्रकार की शुरू है यह माना जाता है कि उसको हम बनाने चाहिए जिससे कि उसको इतिहास क्या है यह कोई अलग अलग रहा हे होती है सबकी लेकिन जो हम मनाते हैं आमतौर हो इसलिए नया साल है उसको एक नई शुरुआत की तरह जिससे कि आने वाले जो 12 महीने हैं 2018 के अंडर में अच्छी शुरुआत मोटिवेशन काम कर सके इसलिए शुरुआत में मनाया जाता है

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नया साल हम क्यों मनाते हैं? - naya saal ham kyon manaate hain?

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  • न्यू साल कभी भी - new saal kabhi bhi
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नई दिल्ली: कुछ दिनों में हम नए साल 2022 में प्रवेश कर जाएंगे. आज से 10 दिन बाद 2021 को अलविदा कहते हुए पूरी दुनिया नए साल 2022 का खुले दिल से स्वागत करेगी. सभी की यही चाहत होगी कि नया साल खुशियां लेकर आए. साथ ही लोगों की यह मनोकामना जरूर होगी कि कोरोना महामारी का 2022 में अंत हो जाए. पूरी दुनिया 31 दिसंबर को मध्यरात्रि 12 बजे के बाद पुराने साल को अलविदा करते हुए नए साल का स्वागत करती है. अब यहां पर यह जान लेना भी जरूरी है कि हम हर साल जनवरी में ही नया साल क्यों मनाते हैं. आइये आपको बताते हैं इसके पीछे का इतिहास...

1 जनवरी को नहीं मनाते थे नया साल

आपको बता दें कि सदियों तक नया साल 1 जनवरी को नहीं मनाया जाता था. यह कभी 25 मार्च तो कभी 25 दिसंबर को मनाया जाता था. सबसे पहले रोम के राजा नूमा पोंपिलस ने रोमन कैलेंडर में बदलाव किए थे. कैलेंडर में जनवरी को पहला माना गया. इस बदलाव से पहले तक मार्च को पहला महीना माना जाता था.

जनवरी महीने का नाम कैसे पड़ा?

अब आपको बताते हैं जनवरी महीने का नाम कैसे पड़ा. जनवरी का नाम जानूस (Janus) पर रखा गया है. जानूस को रोम में शुरुआत का देवता माना जाता है.

मार्च के नाम के पीछे का इतिहास

मार्च का नाम मार्स (mars) पर पड़ा है. मार्स को युद्ध का देवता माना गया है. सबसे पहले इजाद हुए कैलेंडर में सिर्फ 10 महीने ही होते थे. वहीं, एक साल में 310 दिन होते थे, सप्ताह भी 8 दिनों का होता था.

310 की जगह 365 दिन

रोमन कैलेंडर में रोम के अगले शासक जूलियस सीजर ने कुछ बदलाव किए. उन्होंने 1 जनवरी से नए साल की शुरुआत की. जूलियस कैलेंडर में साल में 12 महीने किए गए. जूलियस सीजर ने खगोलविदों से मुलाकात के बाद जाना कि पृथ्वी 365 दिन और छह घंटे में सूर्य की परिक्रमा लगाती है. इसे ध्यान में रखते हुए जूलियन कैलेंडर में साल में 310 की जगह 365 दिन किया गया. 

लीप ईयर कैसे और किसने बनाया

वहीं बचे हुए 6 घंटे को लीप ईयर का कॉन्सेप्ट दिया गया. हर 4 साल में यह 6 घंटे मिलकर 24 घंटे हो जाते हैं, यानी एक दिन. इसे देखते हुए हर चौथे साल फरवरी को 29 दिन का किया गया और इस साल को लीप ईयर का नाम दिया गया.

ग्रेगोरियन कैलेंडर

पोप ग्रेगरी ने 1582 में जूलियन कैलेंडर में लीप इयर को लेकर त्रुटि निकाली. सेंट बीड नाम के धर्म गुरु ने उस वक्त बताया कि एक साल में 365 दिन और 6 घंटे न होकर 365 दिन 5 घंटे और 46 सेकंड होते हैं. रोमन कैलेंडर में बदलाव करते हुए नया कैलेंडर पेश किया गया. तब से 1 जनवरी को नए साल की मनाया जाने लगा.

भारत में नया साल

भारत में नया साल अलग-अलग जगह स्थानीय रिवाज के हिसाब से भी मनाया जाता है. नए साल की ज्यादातर तिथियां मार्च या अप्रैल के महीने में पड़ती हैं. पंजाब में नया साल बैसाखी के रूप में 13 अप्रैल को मनाया जाता है. सिख धर्म को मानने वाले इसे नानकशाही कैलेंडर के अनुसार मार्च में होली के दूसरे दिन मनाते हैं. जैन धर्म के लोग नए साल को दिवाली के अगले दिन मनाते हैं. यह भगवान महावीर स्वामी की मोक्ष प्राप्ति के अगले दिन से शुरू होता है.

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नया साल क्यों मनाई जाती है?

पोप ग्रेगरी ने साल 1582 में जूलियन कैलेंडर में लीप ईयर को लेकर गलती खोजी थी। उस समय के मशहूर धर्म गुरू सेंट बीड ने बताया कि एक साल में 365 दिन, 5 घंटे और 46 सेकंड होते हैं। इसके बाद रोमन कैलेंडर में बदलाव किया गया और नया कैलेंडर बनाया गया। तब से ही 1 जनवरी को नया साल मनाया जाने लगा।

हिन्दू नव वर्ष कब और क्यों मनाया जाता है?

हिंदू नववर्ष को विक्रम संवत या नव संवत्सर कहते हैं. इसका प्रारंभ सम्राट विक्रमादित्य ने किया था, जो चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरु होता है. आज हिंदू नववर्ष 2079 या विक्रम संवत 2079 का प्रारंभ हुआ है. हिंदू नववर्ष को विक्रम संवत, नव संवत्सर, गुड़ी पड़वा, उगाड़ी आदि नामों से भी जाना जाता है.

हिंदुओं का नया साल कब से शुरू होता है?

हिंदू नववर्ष यानी विक्रम संवत 2079 की शुरुआत शनिवार, 2 अप्रैल से होने जा रही है. हेमाद्रि के ब्रह्म पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी ने पृथ्वी की रचना चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन की थी. इसलिए पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नववर्ष शुरू हो जाता है.

हिन्दू धर्म का नया साल कब होता है 2022?

नई दिल्ली, Hindu New Varsh 2022: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ हिंदू नववर्ष की शुरुआत हो रही है। इतना ही नहीं नया संवत्सर 2079 भी इसी दिन लग रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार 2 अप्रैल, शनिवार का दिन कई मायनों में खास होने वाला है।