Solutions For All Chapters Aroh Class 11 Show पद के साथप्रश्न 1: कबीर की दृष्टि में ईश्वर एक है। इसके समर्थन में उन्होंने क्या तर्क दिए हैं? 1. संसार में सब जगह एक ही पवन व जल है। प्रश्न 2: मानव शरीर का निर्माण किन पंच तत्वों से हुआ है? उत्तर- मानव शरीर का निर्माण निम्नलिखित पाँच तत्वों से हुआ है- 1. अग्नि प्रश्न 3: जैसे बाढ़ी काष्ट ही कार्ट अगिनि न
कार्ट कोई। उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियों का अर्थ है कि बढ़ई काठ (लकड़ी) को काट सकता है, पर आग को नहीं काट सकता, इसी प्रकार ईश्वर घट-घट में व्याप्त है अर्थात् कबीर कहना चाहते हैं कि जिस प्रकार आग को सीमा में नहीं बाँधा जा सकता और न ही आरी से काटा जा सकता है, उसी प्रकार परमात्मा हम सभी के भीतर व्याप्त है। यहाँ कबीर का आध्यात्मिक पक्ष मुखर हो रहा है कि आत्मा (ईश्वर का रूप) अजर-अमर, सर्वव्यापक है। आत्मा को न मारा जा सकता है, न यह जन्म लेती है, इसे अग्नि जला नहीं सकती और पानी भिगो नहीं सकता। यह सर्वत्र व्याप्त है। प्रश्न 4: कबीर ने अपने को दीवाना क्यों कहा है? उत्तर- यहाँ ‘दीवाना’ का अर्थ है-पागल। कबीरदास ने परमात्मा का सच्चा रूप पा लिया है। वे उसकी भक्ति में लीन हैं, जबकि संसार बाहय आडंबरों में उलझकर ईश्वर को खोज रहा है। अत: कबीर की भक्ति आम विचारधारा से अलग है इसलिए वह स्वयं को दीवाना कहता है। प्रश्न 5: कबीर ने ऐसा क्यों कहा है कि संसार बौरा गया है? उत्तर- कबीर संसार को सच्चाई (परम तत्व की सर्वव्यापकता) के विषय में बताते हैं तो संसारी लोग उन्हें मारने के लिए भागते हैं और झूठी बातों पर विश्वास करते हैं। संसार का यह व्यवहार कबीर को बड़ा ही अजीब लगता है। इसलिए वे कहते हैं कि संसार बौरा गया है। प्रश्न 6: कबीर ने नियम और धर्म का पालन करने वाले लोगों की किन कमियों की ओर संकेत किया है? उत्तर- कबीर ने नियम और धर्म का पालन करने वाले लोगों की निम्नलिखित कमियों की ओर संकेत किया है- 1. प्रात:काल स्नान करने वाले, पत्थरों, वृक्षों की पूजा करने वाले अंधविश्वासी हैं। वे धर्म के सच्चे स्वरूप को नहीं पहचान पाते तथा आत्मज्ञान से वंचित रहते हैं। प्रश्न 7: अज्ञानी गुरुओं की शरण में जाने पर
शिष्यों की क्या गति होती है? प्रश्न 8: बाहय आडंबरों की अपेक्षा स्वयं (आत्म) को पहचानने की बात किन पंक्तियों में कही गई है? उन्हें अपने शब्दों में लिखें। टोपी पहिरे माला पहिरे, छाप तिलक अनुमाना। इसका अर्थ यह है कि हिंदू-मुसलमान-दोनों धर्म के बाहरी स्वरूप में उलझे रहते हैं। कोई टोपी पहनता है तो कोई माला पहनता है। माथे पर तिलक व शरीर पर छापे लगाकर अहकार दिखाते हैं। वे साखी-सबद आदि गाकर अपने आत्मस्वरूप को भूल जाते हैं। लघूत्तरात्मक प्रश्नप्रश्न 1: ‘हम तो एक एक करि जामा’ – पद का प्रतिपादय स्पष्ट करें। उत्तर- इस पद में कबीर ने परमात्मा को सृष्टि के कण-कण में देखा है, ज्योति रूप में स्वीकारा है तथा उसकी व्याप्ति चराचर संसार में दिखाई है। इसी व्याप्ति को अद्वैत सत्ता के रूप में देखते हुए विभिन्न उदाहरणों के द्वारा रचनात्मक अभिव्यक्ति दी है। कबीरदास ने आत्मा और परमात्मा को एक रूप में ही देखा है। संसार के लोग अज्ञानवश इन्हें अलग-अलग मानते हैं। कवि पानी, पवन, प्रकाश आदि के उदाहरण देकर उन्हें एक जैसा बताता है। बाढ़ी लकड़ी को काटता है, परंतु आग को कोई नहीं काट सकता। परमात्मा सभी के हृदय में विद्यमान है। माया के कारण इसमें अंतर दिखाई देता है। प्रश्न 2: ‘सतों देखो जग बौराना-पद का प्रतिपादय स्पष्ट करें। प्रश्न 3: ईश्वर के स्वरूप के विषय में कबीर क्या कहते हैं? प्रश्न 4: परमात्मा को पाने के लिए कबीर किन दोषों से दूर रहने की सलाह देते हैं? प्रश्न 5: कबीर पाखंडी गुरुओं के संबंध में क्या टिप्पणी करते हैं? प्रश्न 6: कबीर की दृष्टि में किन लोगों को आत्मबोध नहीं होता? उत्तर- कबीर का मानना है कि वे लोग आत्मबोध नहीं पा सकते जो बाहय आडंबरों में उलझे रहते हैं। वे सत्य पर विश्वास न करके झूठ को सही मानते हैं। धर्म के ठेकेदार लोगों को पाखंड के द्वारा ईश्वर प्राप्ति का मार्ग बताते हैं, जबकि वे सभी गलत हैं। उनके तरीकों से अह भाव का उदय होता है; जबकि ईश्वर की प्राप्ति सहज भाव से प्राप्त की जा सकती है। कबीर ने संसार को पागल क्यों कहा है उत्तर?कबीर जग को पागल इसलिए कहते हैं कि यदि सच कहते है तो यह संसार मारने के लिए दौड़ता है और झूठ कहते है तो विश्वास कर लेता है। कबीर ने ऐसा क्यों कहा है कि संसार बौरा गया है? कबीर ने ऐसा इसलिए कहा है कि क्योंकि संसार के लोग सच को सहन नहीं कर पाते और न उस पर विश्वास करते हैं।
1 कबीर ने संसार को बौराया हुआ क्यों कहा है ?`?कबीर ने ऐसा क्यों कहा है कि संसार बौरा गया है? उत्तर:- कबीरदास इस संसार को बौराया हुआ अर्थात् पागलपन की स्थिति तक पहुँचा हुआ बताते हैं। उनका ऐसा मानना इसलिए है क्योंकि संसार के लोग झूठी बातों पर तो विश्वास कर लेते हैं और सच कहने पर मारने के लिए दौड़ते है ऐसे लोगों को सत्य और असत्य का ज्ञान नहीं है।
कबीर ने अपने को दीवाना क्यों कहा है कबीर ने ऐसा क्यों कहा है कि संसार बौरा गया है?कबीर ने स्वयं को दीवाना इसलिए कहा है, क्योंकि वह निर्भय है। उसे किसी का कुछ भी कहना व्यापता नहीं है। वह ईश्वर के सच्चे स्वरूप को पहचानता है। वह ईश्वर का सच्चा भक्त है, अत: दीवाना है।
II कबीर ने संसार को बौराया हुआ क्यों कहा है III कवि को पृथ्वी कैसी लगती है?कबीर ने संसार को 'बौराया हुआ' इसलिए कहा है क्योंकि संसार के लोग सच सहन नहीं कर पाते और न उसपर विश्वास करते हैं। उन्हें झूठ पर विश्वास हो जाता है। कबीर संसार के लोगों को ईश्वर और धर्म के बारे में सत्य बातें बताता है, ये सब बातें परम्परागत ढंग से भिन्न है, अत: लोगों को अच्छी नहीं लगती।
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