Mahatma Gandhi death anniversary 2022: 30 जनवरी 1948 को Nathuram Godse ने राष्ट्रपिता Mahatma Gandhi की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद Nathuram Godse को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था लेकिन अदालती कार्रवाई से पहले उसे कहां रखा गया था, इस बात की जानकारी शायद ही किसी को हो। दरअसल Nathuram Godse को जनाक्रोश से बचाने के लिए मुंबई में छिपाकर रखा गया था। मुंबई में सीएसटी के पास स्पेशल ब्रांच की इमारत के एक कमरे में Nathuram Godse को दो हफ्ते तक रखा गया था। इतिहासकार दीपक राव के अनुसार क्राइम ब्रांच ने जानबूझकर Nathuram Godse को सामान्य लॉकअप में नही रखा था। पुलिस को शक था कि Mahatma Gandhi की हत्या से आक्रोशित भीड़ Nathuram Godse को तलाश कर रही थी। इसलिए उसे स्पेशल ब्रांच के रिकॉर्ड रूम में रखा गया था, ताकि किसी को शक भी न हो। Show मुंबई शहर के बीचों बीच बनी स्पेशल ब्रांच की इमारत में स्थित एक हजार वर्गफीट का यह कमरा कई वर्षों तक इतिहास के पन्नों से गुम था। दरअसल महात्मा गांधी की हत्या की जांच कर रही टीम यह नहीं चाहती थी कि किसी भी प्रकार का जनाक्रोश भड़के। इसलिए नाथूराम गोडसे को सजा मिलने के बाद भी इस कमरे को रहस्य में ही रहने दिया गया। कहां है कमरे की लोकेशन गोडसे को मुंबई स्पेशल ब्रांच इमारत के जिस कमरे में रखा गया था, वह भूतल में स्थित है और 'सी विंग' के नाम से जाना जाता है। गांधीजी की हत्या के तुरंत बाद गोडसे को दिल्ली से मुंबई लाया गया था और यहां रखा गया था। इतिहासकार दीपक राव के अनुसार जिस कमरे में गोडसे को रखा गया था, पहले वहां जमशेद दोराब नागरवाला का दफ्तर हुआ करता था, जो उन दिनों स्पेशल ब्रांच पुलिस के उपायुक्त थे। गांधीजी की हत्या के तुरंत बाद उन्हें दिल्ली पुलिस का अधीक्षक बनाकर जांच का जिम्मा सौंपा गया था। पांव छूकर पद लेने की परिपाटी हमारी पार्टी में नहीं, JDU अध्यक्ष ललन सिंह की कार्यकर्ताओं को हिदायत कहां हैं स्पेशल ब्रांच का यह कमरा स्पेशल ब्रांच का रिकॉर्ड रूम मुंबई में सीएसटी के नजदीक म्यूनिसिपल स्ट्रीट नंबर 12, बदरुद्दीन तयबजी मार्ग, जिसे जिम्नेसियम रोड भी कहते हैं, पर स्थित है। यहां एक बड़ा हॉल है, जिसमें स्पेशल ब्रांच द्वारा एकत्रित दस्तावेजों को रखा जाता है। वर्तमान में यहां बैठने वाले अधिकारियों में से किसी को भी इसके इतिहास के बारे में कोई जानकारी नहीं है। यहां तक कि उन्हे यह भी नहीं पता है कि जिस इमारत में वो आज काम कर रहे हैं, वहां किसी समय नाथूराम गोडसे को कैद करके रखा गया था। Weather Update: राजधानी दिल्ली में 4 डिग्री तक गिरा तापमान, अगले 24 घंटों में शीतलहरी का अलर्ट इतिहासकार दीपक राव के अनुसार ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि नाथूराम गोडसे से संबंधित अधिकांश दस्तावेजों को गोपनीय श्रेणी में रखा गया है और उसकी जानकारी किसी को नहीं है। राव के अनुसार गांधीजी की हत्या की जांच कर रहे नागरवाला ने जानबूझकर गोडसे को क्राइम ब्रांच के सामान्य लॉकअप में नहीं रखा था बल्कि उसके बगल में स्थित रिकॉर्ड रूम में रखा था, ताकि गांधी जी की हत्या से आक्रोशित लोगों को शक न हो कि गोडसे मुंबई में है। यहां तक कि उसे पूछताछ और जांच के लिए यहीं से पुणे और ठाणे भी ले जाया जाता था। PM Modi Brother Accident: कर्नाटक में पीएम मोदी के भाई की कार का एक्सीडेंट, पूरा परिवार घायल यह भी पढ़ेंइतिहासकार दीपक राव और नागरवाला अच्छे दोस्त होने के साथ ही साथ पड़ोसी भी थे। राव के अनुसार, नागरवाला ने उन्हें बताया था कि 17 फरवरी 1948 की सुबह उन्हें दिल्ली से फोन आया था और उन्हें बताया गया था कि वो गांधी जी की हत्या की जांच करेंगे। बाद में 1 मई 1960 को नागरवाला गुजरात के पहले आईजी नियुक्त किए गए थे और उन्होंने 13 वर्ष तक इस पद पर सेवाएं दी थीं। अपने रिटायरमेंट के बाद नागरवाला ने दीपक राव को बताया था कि गोडसे को मुंबई लाने का फैसला उन्होंने ही लिया था। जांच पूरी होने और गोडसे की सजा मुकर्रर होने के बाद नागरवाला को मुंबई लाए जाने संबंधी सभी सबूतों को मिटा दिया गया था। आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर OBC वर्ग को आरक्षण दिलाएगी सरकार: सीएम योगी आदित्यनाथ यह भी पढ़ेंमुंबई पुलिस के एक पूर्व एडिशनल कमिश्नवर के मुताबिक उन्हें अपनी पोस्टिंग के दौरान इस बात का पता चला था कि गोडसे को मुंबई स्पेशल ब्रांच में रखा गया था। ऐसा इसलिए किया गया था, क्योंकि गांधीजी की हत्या के बाद देश की जनता में आक्रोश था और कई शहरों में दंगे भी हो रहे थे। ऐसे में अगर किसी को यह पता चल जाता कि गोडसे मुंबई में है तो यहां भी स्थिति बिगड़ सकती थी। इसलिए नागरवाला ने सारे सबूतों को हटवा दिया था। इस केस से संबंधित सभी दस्तावेज और केस डायरियों को भी भारत सरकार के आदेश के तहत क्लासीफाइड घोषित करते हुए सुरक्षित कर दिया गया था। इस संबंध में जब पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लै से बात की गई तो उन्हों ने कहा ‘अधिकांश गोपनीय फाइलें नेशनल आर्काइव में रखी गई हैं। इसमें गांधीजी और सुभाष चंद्र बोस से संबंधित दस्तावेज भी हैं और इनकी संख्या लाखों में है।‘ पिल्लै ने यह बताया कि केवल वही दस्तावेज गृह मंत्रालय के रिकॉर्ड में रखे गए हैं, जो संवेदनशील हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अधिकांश दस्तावेजों को गोपनीय रखने की अवधि 30 वर्ष है। लेकिन गांधीजी की हत्या से संबंधित दस्तावेजों के लिए भारत सरकार ने विशेष आदेश जारी किए थे। 27500 दस्तावेज नेशनल आर्काइव से मिली जानकारी के अनुसार उनके पास सन 1880 से लेकर 1948 तक के गांधी जी से संबंधित 27500 दस्तावेज हैं। इसमें उनकी हत्या के ट्रायल से संबंधित कागजात भी शामिल हैं। क्या हुआ था गोडसे का 22 जून 1948 को लाल किले में बनाई गई विशेष अदालत में गोडसे और गांधी जी की हत्या की साजिश में शामिल बाकी लोगों के खिलाफ सुनवाई शुरू हुई। ट्रायल आठ महीने चला और 10 फरवरी 1949 को जस्टिस आत्म चरण ने अपना फैसला सुनाया था। आठ लोगों को हत्या की साजिश का दोषी माना गया था। बाकियों को विस्फोटक सामग्रियां रखने का दोषी पाया गया था। गोडसे और आप्टे को मौत की सजा दी गई थी, जबकि बाकी छह को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। फांसी से पहले क्या बोले थे गोडसे?उनसे गोडसे ने कहा था कि तुम्हारे पिताजी की मृत्यु का मुझे बहुत दुख है। महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे को 15 नवंबर 1949 को एक अन्य षडयंत्रकारी नारायण आप्टे को फांसी दी गई थी। नाथूराम गोडसे का शव सरकार ने परिजन को नहीं दिया था।
नाथूराम गोडसे की अंतिम इच्छा क्या थी?इस मौके पर हम आपको उनके हत्यारे और पुणे में कभी टेलरिंग का काम करने वाले नाथूराम गोडसे की अंतिम वसीयत के बारे में बताने जा रहे हैं। गोडसे की अंतिम इच्छा आज भी अधूरी है, जिसमें उन्होंने अपनी राख सिंधु नदी में विर्सजित करने की बात कही थी।
गोडसे ने गांधीजी को क्यों मारा?फिर जुलाई 1947 को तो गोडसे, उसके साथियों और एक एक हिंदूवादी नेताओं ने तो इसके लिए शोक दिवस तक मना डाला। ऐसा इस वजह से क्योंकि तमाम संगठनों के साथ ही गोडसे मानता था कि भारत के बंटवारे और तब जो साम्प्रदायिक हिंसा हुई उसमें लाखों हिन्दुओं के मारे जाने के जिम्मेदार महात्मा गांधी हैं।
नाथूराम गोडसे को क्या सजा दी गई?Mahatma Gandhi death anniversary 2022: गोडसे और आप्टे को मौत की सजा दी गई थी, जबकि बाकी छह को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
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