इसे सुनेंरोकेंअकबर ने यह महसूस किया कि सभी धर्मों का एक ही उद्देश्य है। अतः उसने सर्वधर्म समन्वय अर्थात सब धर्मों की अच्छी बातें लेने का मार्ग पकड़ा। इसी को उसने ‘सुलह कुल’ कहा। Show
अकबर की सुलह ए कुल की नीति पर विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिये?इसे सुनेंरोकेंसुलह-ए-कुल. की नीति धार्मिक सहिष्णुता की नीति थी। यह नीति विभिन्न धर्मों के अनुयाययिों में अन्तर नहीं करती। थी अपितु इसका केन्द्र बिन्दु था—नीतिशास्त्र की एक व्यवस्था, जो सर्वत्र लागू की जा सकती थी और जिसमें केवल सच्चाई, न्याय और शांति पर बल था। पढ़ना: सैंडविच कैसे लगाते हैं? अकबर ने सुलह ए कुल की नीति कब अपनाई?इसे सुनेंरोकेंदीन-ए-इलाही 1582 ईस्वी में मुगल सम्राट अकबर द्वारा एक सोच थी जिसमें सभी धर्मों के मूल तत्वों को डाला, इसमे प्रमुखता हिंदू एवं इस्लाम धर्म थे। सुलह ए कुल की नीति किसकी थी? इसे सुनेंरोकेंसही उत्तर अकबर है। अकबर ने “सुलह-ए-कुल” का विचार पेश किया, जिसका अर्थ सार्वभौमिक शांति है। इसका उद्देश्य अकबर के राज्य में विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच भेदभाव करना नहीं था। सुलह ए कुल की नीति क्या थी इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए? इसे सुनेंरोकें1570 के दशक में अकबर के शासन काल में विभिन्न धर्मों के गुरुओं के साथ चर्चा करके अकबर ने सुलह-ए-कुल की सार्वभौमिक धार्मिक शांति नीति अपनाई। इस नीति के तहत सभी धर्मों में भेदभाव ना करते हुए सहिष्णुता का विचार बनाया गया। यह विचार नैतिकता की प्रणाली पर केंद्रित था। इसमें ईमानदारी, न्याय और शांति जैसे व्यवस्था लागू थी। सुलह ए कुल की नीति क्या थी क्या यह मुगल काल की जरूरत थी इस पर अपने?इसे सुनेंरोकें➲ सुलह ए कुल की नीति के अंतर्गत अकबर बादशाह ने राज्य के अलग-अलग धर्मों के बीच सार्वभौमिक शांति स्थापित करने के लिए भेदभाव रहित नीति अपनाई थी। 1570 के दशक में अकबर के शासन काल में विभिन्न धर्मों के गुरुओं के साथ चर्चा करके अकबर ने सुलह-ए-कुल की सार्वभौमिक धार्मिक शांति नीति अपनाई। पढ़ना: मैंगनीज का अर्थ क्या है? अकबर की धार्मिक नीति Drishti IAS?इसे सुनेंरोकेंविभिन्न धर्मों के बीच मतभेद की खाई को भरने के लिये अकबर ने 1582 में नया धर्म दीन-ए-इलाही चलाया। यह एक ईश्वर में विश्वास करता था। इसमें सभी धर्मों के अच्छे तत्त्व समाहित थे। इसका आधार तर्कसंगत था। अकबर की दूसरी राजधानी?इसे सुनेंरोकेंचित्तौड़ और रणथंभौर पर अपनी सैन्य जीत के बाद, अकबर ने सूफी संत सलीम चिश्ती को सम्मानित करने के लिए अपनी राजधानी को आगरा (प्रथम) से एक नए स्थान पर स्थानांतरित करने का फैसला किया। उन्होंने शहर का नाम फतेहाबाद रखा, जिसे बाद में फतेहपुर सीकरी (दूसरा) कहा गया। अकबरनामा एवम् बादशाहनामा के लेखन पर टिप्पणी लिखिए? इसे सुनेंरोकेंअकबरनामा फारसी में लिखा गया था, जो मुगलों की साहित्यिक भाषा है। इसमें अकबर के जीवन और समय का विस्तृत और विस्तृत विवरण शामिल है। बादशाह नामा (सम्राट शाहजहाँ का क्रॉनिकल) मुगल सम्राट, शाहजहाँ के शासनकाल के आधिकारिक इतिहास के रूप में लिखी गई कृतियों की एक शैली है। चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। सुलह ए कुल या मुगल साम्राज्य के एकीकरण का एक स्रोत है इसके अंतर्गत सम्राट सभी जातीय और धार्मिक समुदायों से ऊपर माना जाता था वह इन सभी के बीच समझौता करता था और शांति की अपील करते थे अबुल फजल सुलह ए कुल क्या आदर्श को प्रबुद्ध शासन की आधारशिला बताता है इसमें सभी का धार्मिक स्वतंत्रता लेकिन राज्य सत्ता को हानि पहुंचाने का किसी को अधिकार नहीं था sulah a kul ya mughal samrajya ke ekikaran ka ek srot hai iske antargat samrat sabhi jatiye aur dharmik samudayo se upar mana jata tha vaah in sabhi ke beech samjhauta karta tha aur shanti ki appeal karte the abul fazal sulah a kul kya adarsh ko prabuddh shasan ki adharshila batata hai isme sabhi ka dharmik swatantrata lekin rajya satta ko hani pahunchane ka kisi ko adhikaar nahi tha अकबर ने विभिन्न धर्मो के सामंजस्य एवं शान्ति पर विशेष बल दिया। वह सार्वभौमिक ओर शान्ति की नीति को क्रियान्वित करना चाहता था। अपनी प्रजा की प्रार्थनाएं सुनने के लिए वह हर समय तैयार रहता था। उनकी इच्छाओं की पूर्ति बड़ी उदारता पूर्वक करता था। सुलह कुल के सिद्धातं का कलेवर अत्यंत व्यापक था, भारत को राजनीतिक रूप से जोड़न, विशेषकर राजपूतों को वृहत भारत के कलेवर में शामिल करने के लिए इसका प्रयोग किया गया था।
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