इस पाठ के माध्यम से लेखक ने सिंधु घाटी सभ्यता और उसकी ऐतिहासिकता का वर्णन किया है। जिसने सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताएं का विवेचन किया है और बताया है, कि सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों की प्राप्ति के बाद हमें क्या-क्या जानकारी मिली। सिंधु घाटी सभ्यता अपने तत्कालीन स्वरूप में कैसी थी।ओम थानवी एक पत्रकार और लेखक हैं, जो अनेक तरह के निबंध और लेख आदि लिख चुके हैं। वह अनेक पत्र-पत्रिकाओं में संपादक के तौर पर भी कार्य कर चुके हैं। वह सिंधु घाटी सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) पर आधारित लेखन के लिए विशेषज्ञ माने जाते हैं | Show पाठ संदर्भ : ‘अतीत में दबे पाँव’ लेखक – ओम थानवी, (कक्षा – 12 पाठ – 3, वितान)
इस पाठ के पाठ के अन्य प्रश्न उत्तर…सिंधु घाटी सभ्यता का कोई लिखित साक्ष्य नहीं मिला है, सिर्फ अवशेषों के आधार पर ही धारणा बनाई है। इस लेख में मोहनजोदड़ो के बारे में जो धारणा व्यक्त की गई है, क्या आपके मन में उससे कोई भी धारणा या भाव भी पैदा होता है? इन संभावनाओं पर कथा समूह में चर्चा करें। इस पाठ में एक ऐसे स्थान का वर्णन है, जिसे बहुत कम लोगों ने देखा होगा। परंतु इससे आपके मन में उस नगर की एक तस्वीर बनती है। किसी ऐसे इतिहासिक स्थल, जिसको आपने नजदीक से देखा हो, का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। ‘टूटे-फूटे खंडहर, सभ्यता और संस्कृति के इतिहास के साथ-साथ धड़कती जिंदगियों के अनछुए समयों का भी दस्तावेज होते हैं।’ – इस कथन का भाव स्पष्ट कीजिए। यह सच है कि यहां किसी आंगन की टूटी फूटी सीढ़ियां अब आपको कहीं नहीं ले जातीं, वह आकाश की तरफ अधूरी रह जाती हैं, लेकिन उन अधूरे पायदान पर खड़े होकर अनुभव किया जा सकता है कि आप दुनिया की छत पर हैं, वहाँ से आप इतिहास को नहीं, उसके पार झांक रहे हैं। इस कथन के पीछे लेखक का क्या आशय है? पुरातन के किन चिन्हों के आधार पर हम कह सकते हैं कि – ”सिंधु सभ्यता ताकत से शासित होने की अपेक्षा समझ से अनुशासित सभ्यता थी।” सिंधु घाटी की खूबी उसका सौंदर्य बोध है, जो राज पोषित या धर्म पोषित ना होकर समाज पोषित था, ऐसा क्यों कहा गया? ‘सिंधु-सभ्यता ताकत से शासित होने की अपेक्षा समझ से अनुशासित सभ्यता थी?” अथवा ‘सिंधु-सभ्यता ताकत से शासित होने की अपेक्षा समझ से अनुशासित सभ्यता थी”-अतीत में दबे पाँव के आधार पर उत्तर दीजिए। उत्तर – प्रश्न 4: अथवा मुअनजो-दड़ो की सभ्यता पूर्ण विकसित सभ्यता थी, कैसे? पाठ के आधार पर उदाहरण देकर पुष्ट कीजिए। उत्तर – प्रश्न 5: उत्तर- प्रश्न 6: उत्तर- प्रश्न 7: अथवा क्या सिंधु वाडी सभ्यता कां जल-संस्कृति कह सकते हैं? कारण सहित उतार दीजिए। उत्तर- प्रश्न 8: अथवा “सिंधु मार्टा की सभ्यता लेवल अवशषां‘ के आधार पर बनाई गई एक धारणा जा “-इस विचार के पक्ष या विपक्ष में अपने विचार प्रकट र्काजिए। उत्तर-
I. बोधात्मक प्रशनप्रश्न 1: उत्तर – प्रश्न 2: उत्तर – प्रश्न 3: उत्तर – प्रश्न 4: उत्तर – प्रश्न 5: उत्तर – प्रश्न 6: उत्तर – प्रश्न 7: उत्तर –
प्रश्न 8: अथवा ‘मुअनजो-दड़ो की नगर-योजना आज की सक्टर-माका कॉलोनियों के नीरस नियोजन की अपेक्षा ज्यादा रचनात्मक है। ”-टिप्पणी कीजिए। उत्तर – प्रश्न 9: अथवा मुअनजो-दड़ो की सभ्यता को ‘लों-प्रोफाइल सभ्यता’ क्यों कहा जाता हैं? उत्तर –
प्रश्न 10: उत्तर –
प्रश्न 11: उत्तर – प्रश्न 12: उत्तर – प्रश्न 13: उत्तर – II. निबंधात्मक प्रश्नप्रश्न 1: उत्तर – प्रश्न 2: उत्तर – प्रश्न 3: उत्तर – प्रश्न 4: उत्तर – प्रश्न 5: उत्तर –
प्रश्न 6: अथवा ‘अतीत में दबे पाँव” के आधार पर उस युग की सभ्यता और सस्कृति के विषय में अपने विचार प्रस्तुत कीजिए। उत्तर – प्रश्न 7: उत्तर – प्रश्न 8: उत्तर – बौदध स्तूप – मुअनजो-दड़ो के सबसे ऊँचे चबूतरे पर बड़ा बौद्ध स्तूप है। 1992 ई. में राखलदास बनर्जी ने इसी बौद्ध स्तूप की खुदाई करते हुए सिंधु-सभ्यता के बारे में जाना। इस चबूतरे को विद्वान ‘गढ़’ कहते हैं। |