गंगा और शांतनु के बीच क्या समझौता हुआ था और क्यों हुआ था? - ganga aur shaantanu ke beech kya samajhauta hua tha aur kyon hua tha?

प्रतापी राजा प्रतीप गंगा के किनारे तपस्या कर रहे थे। उनके तप, रूप और सौंदर्य पर मोहित होकर गंगा उनकी दाहिनी जंघा पर आकर बैठ गईं और कहने लगीं, 'राजन! मैं आपसे विवाह करना चाहती हूं। मैं जह्नु ऋषि की पुत्री गंगा हूं।'

इस पर राजा प्रतीप ने कहा, 'गंगे! तुम मेरी दाहिनी जंघा पर बैठी हो, जबकि पत्नी को तो वामांगी होना चाहिए, दाहिनी जंघा तो पुत्र का प्रतीक है अतः मैं तुम्हें अपने पुत्रवधू के रूप में स्वीकार कर सकता हूं।' यह सुनकर गंगा वहां से चली गईं।'

जब महाराज प्रतीप को पुत्र की प्राप्ति हुई तो उन्होंने उसका नाम शांतनु रखा। प्रतापी राजा प्रतीप के बाद उनके पुत्र शांतनु हस्तिनापुर के राजा हुए और इसी शांतनु से गंगा का विवाह हुआ। गंगा से उन्हें 8 पुत्र मिले जिसमें से 7 को गंगा नदी में बहा दिया गया और 8वें पुत्र को पाला-पोसा। उनके 8वें पुत्र का नाम देवव्रत था। यह देवव्रत ही आगे चलकर भीष्म कहलाया।

गंगा और शांतनु के बीच समझौता हुआ था कि शांतनु कभी गंगा को किसी कार्य को करने से नहीं रोकेगें और उनसे किसी भी प्रकार का प्रश्न नहीं पूछेगें। शांतनु, गंगा से विवाह करना चाहते थे। गंगा  ने विवाह के लिए शर्त रखी थी। अतः राजा शांतनु गंगा की शर्त मान गए और उनका विवाह हो गया।

Ganga Dusshera 2022 Kahani: गंगा ने क्यों अपने 7 पुत्रों को बहा दिया था नदी में, राजा शांतनु से विवाह के लिए रखी थी ये शर्त

Ganga Dusshera 2022 Kahani: गंगा ने क्यों अपने 7 पुत्रों को बहा दिया था नदी में, राजा शांतनु से विवाह के लिए रखी थी ये शर्त

Happy Ganga Dushhera 2022: हिंदू धर्म में गंगा दशहरा का विशेश महत्व है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने की परंपरा है। मान्यता है कि इस दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

गंगा और शांतनु के बीच क्या समझौता हुआ था और क्यों हुआ था? - ganga aur shaantanu ke beech kya samajhauta hua tha aur kyon hua tha?

Saumya Tiwariलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीThu, 09 Jun 2022 10:23 AM

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Maa Ganga and Raja shantanu story: आज 9 जून 2022, गुरुवार को गंगा दशहरा है। हिंदू धर्म में गंगा जल का विशेष महत्व है। इसे मांगलिक व शुभ कार्यों में प्रयोग किया जाता है। इतना ही नहीं गंगा नदी को मां का स्थान भी प्राप्त है। लेकिन महाभारत के अनुसार, मां गंगा ने अपने ही 7 पुत्रों को नदी में बहाकर जान ले ली थी। जानें मां गंगा से जुड़ी पौराणिक कथाएं-

राजा शांतनु के सामने विवाह के लिए रखी ये शर्त-

राजा शांतनु को मां गंगा से प्रेम हो गया। जब शांतनु ने विवाह करने की इच्छा जाहिर की तो गंगा मान गईं। लेकिन देवी गंगा ने राजा शांतनु के सामने विवाह करने के लिए एक शर्त रखी। उनकी शर्त थी कि उन्हें कभी रोका-टोका नहीं जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो वह उन्हें छोड़कर चली जाएंगी। राजा ने शर्त स्वीकार कर ली थी।

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गंगा ने क्यों अपने सात पुत्र नदी में बहाए-

विवाह के बाद जब देवी गंगा मां बनीं तो उन्होंने अपनी संतान गंगा में बहा दी। जब भी देवी गंगा किसी संतान को जन्म देती उसे तुरंत नदी में बहा देती थीं। इस तरह से उन्होंने अपने सात पुत्र नदी में बहा दिए। लेकिन राजा शांतनु को दिए गए वचन के कारण गंगा से कोई प्रश्न नहीं करता था। 

जब राजा शांतनु ने मां गंगा से पूछा प्रश्न-

जब देवी गंगा ने आठवें पुत्र को जन्म दिया तब भी मां गंगा उसे नदी में बहाने निकल गईं। तब राजा शांतनु खुद को रोक न सकें। उन्होंने गंगा को रोक कर पूछ लिया कि आखिर वह हर संतान को नदी में क्यों बहा देती हैं? तब गंगा ने कहा कि आपने अपना वचन तोड़ दिया अब मुझे आपको छोड़कर जाना होगा। आप संतान के लिए दिया गया वचन भूल गए। अब ये संतान आपके पास रहेगी और आपसे दूर।

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श्राप से बचाने के लिए संतान को दी मृत्यु-

मां गंगा ने राजा शांतनु के प्रश्न का जवाब दिया कि आखिर उन्होंने क्यों अपने पुत्र नदी में बहाए। देवी ने बताया कि उनके आठों पुत्र सभी वसु थे जिन्हें वशिष्ठ ऋषि ने श्राप दिया था।  इनका जन्म ही हर पल दुख सहने के लिए हुआ था। जीवन भर संतान को कष्ट सहने से बचाने के लिए उन्हें गंगा में प्रवाहित कर मुक्त कर दिया। मां गंगा के आठवें पुत्र पितामह भीष्म बनें, जिन्हें कोई सुख प्राप्त नहीं हुआ। उन्हें हर कदम पर कष्ट झेलने पड़े और अंत में कठिन मृत्यु प्राप्त हुई।

यह आलेख धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।

महाभारत में राजा शांतनु और गंगा का विवाह हुआ था और उस विवाह से उन्हें आठ पुत्रों की प्राप्ति हुई थी, जिनमें से एक भीष्म थे। राजा शांतनु और गंगा के विवाह की कहानी के अनुसार वे पिछले जन्म में स्वर्ग लोक में थे, और इंद्र के आदेश की वजह से दोनों को धरती पर जन्म लेना पड़ा था। पुराने कर्मों की वजह से गंगा शांतनु के आगे प्रकट हुईं और शांतनु उनसे प्रेम करने लगे और विवाह कर लिया।

राजा शांतनु और गंगा का विवाह

हमनें पिछले ब्लॉग में पढ़ा कि दुष्यंत और शकुन्तला के मिलन से सम्राट भरत का आगमन हुआ। आगे पढ़ते हैं राजा शांतनु और गंगा के मिलन के बारे...

राजा भरत के पांच बेटे थे। जब वे बड़े हुए, तो भरत ने उन सब पर विचार करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि वे अच्छे राजा नहीं बन सकते। पहली बार किसी राजा ने ऐसी समझदारी की बात की थी कि सिर्फ राजा का बेटा होना - राजा बनने के लिए काफी नहीं है। उन्होंने यह तय किया कि सिर्फ राजा के घर पैदा होने से कोई राजा बनने के योग्य नहीं हो जाता। उनकी इस बात को बहुत महत्व दिया गया, क्योंकि पहली बार दुनिया में राजा का चुनाव जन्म के आधार पर नहीं गुणों के आधार पर हो रहा था। यह भी एक वजह है कि उनके नाम पर इस देश का नाम रखा गया।

भरत अपने मानसिक संतुलन, निष्पक्षता और सब को साथ लेकर चलने, सबको समाहित करने की भावना के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने अपने बच्चों को ही राजा बनने के योग्य नहीं समझा और एक योग्य राजा की तलाश में लग गए। उन्होंने वृहस्पति के नाजायज पुत्र विरथ, जो वृहस्पति के भाई की पत्नी ममता से पैदा हुआ था, को अपना उत्तराधिकारी चुना। वृहस्पति ने ममता के साथ जबरन संबंध स्थापित किया था, जिसका मतलब है कि विरथ बलात्कार का नतीजा था। इस युवक को भरत ने राजा के रूप में चुना। विरथ एक महान राजा साबित हुआ और उसने बहुत बुद्धिमानी के साथ राज किया।

महाभिषक का पतन

विरथ के चौदह‍ पीढ़ी बाद, शांतनु हुए। शांतनु पांडवों और कौरवों के परदादा थे। पिछले जन्म में उनका नाम महाभिषक था। वह पूर्ण सिद्ध हो कर देवलोक चले गए थे। एक दिन, जब वह इंद्र के दरबार में अपने स्थान पर बैठे थे, तभी देवी गंगा वहां आईं।

भरत अपने मानसिक संतुलन, निष्पक्षता और सब को साथ लेकर चलने, सबको समाहित करने की भावना के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने अपने बच्चों को ही राजा बनने के योग्य नहीं समझा और एक योग्य राजा की तलाश में लग गए।

वह पल भर के लिए बेखबर हुईं तो उनका पल्लू गिर गया और अनजाने में उनके शरीर का ऊपरी भाग नग्न हो गया। उन दिनों की आचार संहिता के मुताबिक सभी पुरुषों ने अपनी आंखें नीची कर लीं, जबकि महाभिषक जो देवलोक में नए थे, उन्हें घूरते रहे।

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इस अनुचित आचरण और असभ्यता को देखकर इंद्र ने महाभिषक से कहा, ‘तुम देवलोक में रहने के अयोग्य हो। तुम्हें वापस जाकर फिर से इंसान के रूप में जन्म लेना होगा।’ फिर उन्होंने गंगा को देखा तो ध्यान दिया कि वह तवज्जो मिलने का आनंद उठाती हुई प्रतीत हो रही थीं। इंद्र ने गंगा से कहा, ‘यह पूरी तरह अनुचित है। तुम्हें भी वापस जाकर एक इंसान के रूप में जन्म लेना होगा। तुम्हें इंसान की सारी पीड़ाओं और सुखों को भोगना होगा। जब तुम अहंकार से मुक्त हो जाओगी, तब तुम वापस आ सकती हो।’

शांतनु और गंगा का मिलन

महाभिषक का शांतनु के रूप में पुनर्जन्म हुआ। किसी समय वह गंगा से मिले। उन्हें अपना पिछला जन्म याद नहीं था, मगर गंगा को याद था। गंगा ने उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की मगर राजा होने के कारण, वह इधर-उधर भटक रहे थे। शांतनु एक अच्छे शिकारी थे। जब वह शिकार पर जाते, तो उसमें इतने खो जाते कि शिकार उनके लिए पूजा बन जाता। एक बार कई हफ़्तों तक वे गंगा के तट पर शिकार करते रहे, और शिकार में पूरी तरह खोये रहे। नदी पास से ही बह रही थी, मगर वह मछुआरे नहीं, एक शिकारी थे। उनका ध्यान शिकार पर रहता था। उन्होंने नदी पर कोई ध्यान नहीं दिया। गंगा इंतजार करती रहीं।

आम तौर पर जब भी उन्हें भूख, प्यास लगती या किसी चीज की जरूरत होती, तो उनके सेवक उनके सामने वह पेश कर देते। मगर एक दिन, शांतनु को तेज प्यास लगी और आस-पास कोई सेवक नहीं था। फिर उन्होंने नदी पर ध्यान दिया और गंगा को खोजने लगे। गंगा नदी से स्त्री रूप में प्रकट हुईं। जैसे ही शांतनु ने गंगा को देखा, वह एक बार फिर प्रेम में पड़ गए। उन्होंने गंगा से विवाह करने की विनती की। गंगा तैयार हो गयी, पर गंगा ने एक शर्त रखी – “मैं आपसे शादी करुँगी पर चाहे मैं कुछ भी करूं, आप कभी मुझसे ये नहीं पूछेंगे कि मैं वैसा क्यों कर रही हूँ” ।

क गंगा और शांतनु के बीच क्या समझौता हुआ था और क्यों?

गंगा और शांतनु के बीच समझौता हुआ था कि शांतनु कभी गंगा को किसी कार्य को करने से नहीं रोकेगें और उनसे किसी भी प्रकार का प्रश्न नहीं पूछेगें। शांतनु, गंगा से विवाह करना चाहते थे। गंगा ने विवाह के लिए शर्त रखी थी। अतः राजा शांतनु गंगा की शर्त मान गए और उनका विवाह हो गया।

शांतनु द्वारा शर्त तोड़ने पर गंगा ने क्या किया?

सम्भवत: राजा शांतनु ने गंगा को यह वचन दिया होगा कि वे गंगा के किसी भी कार्य में हस्तक्षेप नहीं करेंगे तथा उसकी इच्छा का सम्मान करेंगे। Q. इस पुस्तक में से कोई पाँच मुहावरे चुनकर उनका वाक्यों में प्रयोग करो।

गंगा के जाने पर शांतनु पर क्या प्रभाव पड़ा?

गंगा के जाने का शांतनु पर क्या प्रभाव पड़ा ? उत्तर. गंगा के इस प्रकार रूठकर जाने से शांतनु का मन सांसारिकता से हट गया। उन्होंने स्वयं को भोग-विलास से अलग कर लिया।

शांतनु और गंगा से उत्पन्न आठवें पुत्र का क्या नाम था?

देवी गंगा से देवव्रत नाम का पुत्र हुआ।