विप्लव-गान पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तरविप्लव-गान लघु उत्तरीय प्रश्न Show प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. विप्लव-गान दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न
2. प्रश्न 3.
विप्लव-गान भाव विस्तार/पल्लवन प्रश्न.
उत्तर: 1. “प्रलयंकारी आँख खुल जाए” से तात्पर्य है-सामाजिक परिवर्तन के लिए प्रलयंकारी, क्रान्ति का आना बेहद जरूरी है। उससे ही आमूलचूल अपेक्षित परिवर्तन सम्भव है। 2. “अंधे मूढ़ विचारों की वह अचल शिला विचलित हो जाए” में कवि यह संदेश देना चाहता है कि साधारण नहीं अपितु परम्परागत रूढ़ियाँ प्रलयंकारी क्रान्ति. से ही जड़ समेत हो जाएँगी। 3. “कायरता काँपे, गतानुगति विचलित हो जाए।” 4. व्याख्या विप्लव-गान भाषा अध्ययन प्रश्न 1. प्रश्न 2. विप्लव-गान योग्यता विस्तार प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. विप्लव-गान परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तरविप्लव-गान लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. विप्लव-गान दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1.
प्रश्न 2. प्रश्न 3. साथ ही गीतों की तान छेड़ने एवं कायरता से परिपूर्ण भावों का उन्मूलन करने के लिए अपनी क्रान्ति भावना का प्रसार करने की प्रेरणा दी है। इस कविता के रचनाकार ने इस कविता में शान्ति के मार्ग से हटकर क्रान्ति का प्रलयकारी आह्वान किया है। इस कविता में प्रकृत की भीषण और ध्वंसकारी छवियों का चित्रण है। इस प्रकार कवि इस गीत में थर्रा देने वाला परिदृश्य निर्मित करने में सफल है। विप्लव-गान कवि-परिचय प्रश्न 1. रचनाएँ: महत्त्व: विप्लव-गान पाठ का सारांश प्रश्न 1. कवि ने कवि को संबोधित करते हुए उसे क्रान्ति का अग्रदूत बताकर समाज में उलट-फेर कर देने के लिए आह्वान किया है। कवि को उत्साहित करते हुए कह रहा है-वह ऐसी गीतों की रचना कर गुमगुनाए कि प्राणों के लाले पड़ जाएँ, नाश और सत्यानाश का धुआँधार संसार में छा जाए। भस्मसात सब कुछ हो जाए, पाप-पुण्य का भेद मिट जाए, आकाश का वक्षस्थल फट जाए, तारे टूक-टूक हो जाएँ, कायरता काँपने लगे, रूढ़ियाँ समाप्त हो जाएँ, अन्धविश्वास की अटलता डगमगा जाए, अन्तरिक्ष में नाश करने वाली बिजली की तड़क होने लगे, नियमों-उपनियमों के सामाजिक बंधन टूट जाएँ, विश्वम्भर की पोषक की वीणा के.तार चुप हो जाएँ, शान्ति का दण्ड टूट जाए, शंकर का सिंहासन काँप उठे और चारों ओर नाश-नाश और महानाश की प्रलयंकारी दृश्य उपस्थित हो जाए। संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या विप्लव-गान प्रश्न 1. शब्दार्थ:
प्रसंग: व्याख्या: विशेष:
पद्यांश पर आधारित काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी
प्रश्नोत्तर
उत्तर: 2. प्रस्तुत पद्यांश का भाव-सौन्दर्य सरल किन्तु अद्भुत है। भावों की ओजस्विता में क्रमबद्धता, प्रवाहमयता और सरसता है। रोचकता के साथ-साथ भावोत्पादकता इसकी सर्वप्रधान विशेषता है। कुछ तान सुनाने के कथ्य को उथल-पुथल मचा देने वाले भावों की योजना निश्चय ही चमत्कार उत्पन्न कर रही है। 3. कवि कवि को क्रान्ति के सूत्रधार के रूप में देखना चाहता है। पद्यांश पर आधारित विषयवस्तु से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
उत्तर:
प्रश्न 2. शब्दार्थ:
प्रसंग: पूर्ववत्! व्याख्या: विशेष:
पद्यांश पर आधारित काव्य-सौन्दर्य से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
उत्तर: 1. प्रस्तुत पद्यांश में क्रान्तिकारी परिवर्तन की भयानकता को चित्रित करने का प्रयास किया गया है। इसके लिए प्रस्तुत हुए भावों की योजना प्रभावशाली रूप में है। चूंकि कथ्य भयानक परिवर्तन का है, फलस्वरूप तदनुरूप भाषा-शैली को अपनाया गया है। शब्द-योजना उच्चस्तरीय तत्सम शब्द की है। 2. प्रस्तुत पद्यांश में साधारण क्रान्तिकारी परिवर्तन की नहीं, अपितु भयानक क्रान्तिकारी परिवर्तन की भाव-योजना प्रस्तुत की गई है। यह प्रस्तुति बहुत ही ओजमयी, प्रवाहमयी और उत्साहमयी है। इसमें निरन्तरता, क्रमबद्धता, विविधता और मुख्यता जैसी अद्भुत विशेषताएँ हैं। फलस्वरूप यह अधिक रोचक और आकर्षक बमै गई है। 3. प्रस्तुत पद्यांश का मुख्य भाव है-भयानक और विविधतापूर्ण क्रान्तिकारी दृश्य का हृदयस्पर्शी चित्रण करना। पद्यांश पर आधारित
विषयवस्तु से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
उत्तर:
प्रश्न 3. शब्दार्थ:
प्रसंग – पूर्ववत्। व्याख्या: विशेष:
पद्यांश पर आधारित काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर
उत्तर: 1. प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने सभी प्रकार के सामाजिक बंधनों को तोड़ने के लिए समूल क्रान्तिकारी परिवर्तन का उल्लेख किया है। इसके लिए कवि प्रतीकात्मक और दृष्टान्त शैली के द्वारा जो चित्र खींचा है, वह न केवल आकर्षक है, अपितु भाववर्द्धक भी है। चूँकि भयानक और अपूर्व क्रान्तिकारी परिवर्तन का विषय है। इसलिए इसे नपे-तुले, ठोस और सटीक शब्द को परोसकर भयानक रस से रोचक बना दिया गया है। 2. प्रस्तुत पद्यांश के भावों की प्रस्तुति विषयानुसार है। भयानक और अपूर्व क्रान्तिकारी परिवर्तन को चित्रांकित करने के लिए भावों की योजना प्रसंगानुसार है। उपयुक्तता और सटीकता को लिए हुए ये भाव क्रमानुसार और कथ्यानुसार हैं। कुल मिलाकर प्रस्तुत पद्यांश का भाव-सौन्दर्य देखते ही बनता है। 3. ‘शान्ति दण्ड टूटे, उस महारुद्र का सिंहासन थर्राए’ से कवि का आशय है-क्रान्ति का स्वरूप प्रलयंकारी हो जिससे वह असम्भव को सम्भव कर सके। पद्यांश पर आधारित विषयवस्तु से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Solutionsकवि समाज में उथल पुथल क्यों मचाना चाहता है?Answer: कवि अपनी कविता के माध्यम से नवयुवकों से अह्वान करना चाहता है। कवि कैसी तान सुनना चाह रहा है। Answer: कवि ऐसी तान सुनाना चाह रहा है जिससे चारों ओर उथल-पुथल मच जाए यानी क्रांति का आगमन हो जाए।
विप्लव गायन कविता में कवि अपने स्वर में कठोरता क्यों लाता है?Solution : कवि अपने स्वर में कठोरता इसलिए लाता है ताकि वह देशवासियों को नवीनता की ओर अग्रसर कर सके।
विप्लव गायन कविता के कवि कौन हैं इस कविता में कौन से भाव व्यक्त हो रहे हैं?विप्लव गायन पाठ सार
कवि बालकृष्ण शर्मा ' नवीन ' जी ने अपनी इस कविता में लोगों से सामाजिक बुराईयों और पाखंडों की ज़ंजीरें तोड़कर प्रगति के मार्ग पर बढ़ने का आह्वान किया है। विप्लव गायन कविता में कवि एक ऐसा गीत गाने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं , जो समाज में क्रांति पैदा करे और जिससे परिवर्तन की शुरुआत हो।
विप्लव गायन के कवि कौन हैं *?उत्तर: “विप्लव गायन”, गीत के रचयिता, बालकृष्ण शर्मा, 'नवीन' है।
|