जिन शब्दों की सीमा बांधी जाती है उसे क्या कहते? - jin shabdon kee seema baandhee jaatee hai use kya kahate?

Shabd kise kahate hainनमस्कार दोस्तों, हिंदी भाषा में हम अक्सर व्याकरण का इस्तेमाल करते हैं। व्याकरण में सबसे पहली और सबसे छोटी इकाई होती है शब्द। क्या आप जानते हैं की शब्द किसे कहते है?

  • शब्द किसे कहते हैं ? | Shabd kise kahate hain
  • शब्द की परिभाषा क्या होती है?
  • शब्द के भेद
    • प्रयोगों के आधार पर शब्द के भेद
      • सामान्य शब्दावली के शब्द
      • तकनीकी या पारिभाषिक शब्दावली के शब्द
      • रचना/व्युत्तपत्ति के आधार पर शब्द के भेद
      • रूढ़ शब्द
      • यौगिक शब्द
      • योगरूढ़ शब्द
    • अर्थ के आधार पर शब्दो के भेद
      • विलोम शब्द
      • अनेकार्थी शब्द
      • पर्यायवाची शब्द
    • उत्पत्ति के आधार पर शब्दों के भेद
      • तत्सम शब्द
      • तद्भव शब्द
      • देशज शब्द
      • विदेशज शब्द

एक या एक से अधिक वर्णों से बनी हुई स्वतंत्र अर्थपूर्ण ध्वनि शब्द कहलाती है। किसी भाषा में अनेक अर्थपूर्ण शब्दों का प्रयोग किया जाता है तब वह एक वाक्य का रूप लेकर पूर्ण अभिव्यक्ति करने में योग्य हो पाता है। 

शब्द समय की तरह बदलता रहता है अर्थात शब्द निरंतर बदलता रहता है और यह स्थाई नहीं होते शब्द परिवर्तनशील होते हैं, शब्द समाजिक वातावरण और आवश्यकता के अनुसार जुड़ते और बिखरते रहते हैं और एक समय बाद विलुप्त होते जाते हैं।

उदाहरण सेर, सवा सेर,कुंटल,तोला, मासा आदि का प्रयोग किया जाता था लेकिन आज वह शब्द गायब से हो गए है अर्थात अब प्रयोग में नही आते।

एक से अधिक शब्द के मेल से पद का निर्माण होता है और पद के मेल से वाक्य का निर्माण होता हैं।

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शब्द की परिभाषा क्या होती है?

दो या दो से ज्यादा वर्णमाला के ऐसे वर्ण जो आपस में मिलकर एक नए स्वतंत्र अर्थपूर्ण ध्वनि की उत्पन्न करते हैं,ऐसे वर्णों के मिलन से शब्द की उत्पत्ति होती है। 

यदि हम आसान और सरल भाषा में समझने की कोसिस करें तो शब्दों में दो या दो से अधिक वर्णमाला वर्ण मिले होते हैं। वर्णमाला के संयोग से शब्द का अर्थ अलग अलग निकलकर सामने आता है।

शब्द के भेद

शब्दों को मुख्यरूप से चार भागों में विभाजित किया गया है। अब आइए जानते है की शब्दों को 

किस प्रकार और किसके आधार पर विभाजित किया गया है।

प्रयोगों के आधार पर शब्द के भेद

ऐसे बहुत सारे शब्द है जिनका प्रयोग समाज की  स्थिति और भौगोलिक स्थिति के आधार पर किया जाता है। जैसा कि हमें पता है की शब्द हमेशा बदलते रहते है और प्रयोगों के आधार पर शब्दों को मुख्यता तीन हिस्सों में बांटा गया है।

सामान्य शब्दावली के शब्द

अर्थ की दृष्टिकोण से किसी भाषा की शब्दावली दो प्रकार की होती है सामान्य शब्दावली और पारिभाषिक शब्दावली। ऐसे शब्द जो किसी विशेष ज्ञान के क्षेत्र में एक निश्चित अर्थ में प्रयुक्त होते हैं वह पारिभाषिक शब्द होते हैं और जो शब्द एक निश्चित अर्थ में प्रयुक्त नहीं होते वह सामान्य शब्द होते। 

जिन शब्दों की सीमाएं बांधी नही जा सकती वह शब्द सामान्य शब्दावली के अंतर्गत आते है। इस शब्दावली के शब्द का प्रयोग सामान्य बोलचाल का इस्तेमाल,किसी विशेष व्यक्ति और किसी ग्रुप के लिए किया जाता है।

साधारतौर पर हम अपने समाज में इस शब्दावली का प्रयोग करते है। सामान्य हिंदी भाषा का प्रारंभिक स्वरूप है क्योंकि बच्चा सबसे पहले इसी भाषा रूप को सीखता है।

उदाहरणस्वरूप- कामकाज,बाजार,दुकान,खाना, आदि

तकनीकी या पारिभाषिक शब्दावली के शब्द

टेक्निकल शब्द ऐसे शब्द होते है जिनका प्रयोग शिक्षा, ज्ञान, विज्ञान, बिजनेस आदि के क्षेत्रों में किया जाता है,ऐसे शब्द तकनीकी शब्दावली के शब्द को दर्शाते हैं। इस शब्दावली का दूसरा नाम पारिभाषिक शब्द है, टेक्निकल शब्द ऐसे शब्दों को कहते हैं। 

जो सामान्य व्यवहार की भाषा के शब्द न होकर भौतिकी, रसायन, प्राणिविज्ञान, दर्शन, गणित, इंजीनियरी, विधि, कॉमर्स, मनोविज्ञान, भूगोल आदि ज्ञान-विज्ञान के अलग अलग फील्ड के स्पष्ट शब्द होते है। ऐसे शब्दवाली की अर्थ सीमा सुनिश्चित और परिभाषित होती है।

उदाहरणस्वरूप- कंप्यूटर,इंटरनेट,इंस्टीट्यूट आदि।

रचना/व्युत्तपत्ति के आधार पर शब्द के भेद

रचना या व्युत्पत्ति के आधार पर शब्दो को मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित किया गया है।

रूढ़ शब्द, यौगिक शब्द और योगरूढ़ शब्द।

रूढ़ शब्द

जो शब्द अपनी स्वतंत्र स्थिति को दर्शाते हैं,उनमें किसी अन्य शब्द का मिलन नहीं होता है अर्थात किसी दूसरे शब्द का उनके मिलन में हस्ताक्षेप नही होता है और जिस शब्द के टुकड़े करने से  उसका कोई अर्थ न निकले वे सभी शब्द रूढ़ शब्द को संबोधित करते है। जैसे- गाय, भैंस, बैल, भेड़, बकरी इत्यादि।

यौगिक शब्द

ऐसे शब्द जो कम से कम दो शब्दों के सहयोग से बने हो वह यौगिक शब्द कहलाते है अर्थात् संधि, समास, उपसर्ग व प्रत्यय आदि की प्रक्रिया से बने हुए शब्द यौगिक शब्द को संबोधित करते है। जैसे- दूधवाला, स्वागत, इत्यादि।

योगरूढ़ शब्द

ऐसे शब्द जो दो या दो से ज्यादा शब्दों के संयोग से बने हों और किसी विशेष अर्थ को प्रदर्शित करते है। जब कोई यौगिक शब्द किसी विशेष अर्थ में प्रमाणित हो जाता है तब उसे योगरूढ़ शब्द कहते हैं। बहुव्रीहि समास का प्रत्येक उदाहरण योगरूढ़ शब्द की सीरीज में शामिल किया जाता है। खग, नग, जलज, जलद, लम्बोदर इत्यादि।

अर्थ के आधार पर शब्दो के भेद

अर्थ के आधार पर शब्दों को बहुत भागों में बांटा गया है(जैसे व्यंजन शब्द लक्षक शब्द,वाचक शब्द,सार्थक शब्द, निरर्थक शब्द इत्यादि)

उनमें से कुछ इस प्रकार है।

विलोम शब्द

विलोम का मतलब होता है उल्टा। जब किसी शब्द का उल्टा या विपरीत अर्थ दिया जाता है उस शब्द को विलोम शब्द कहते हैं अथार्त एक दूसरे के विपरीत या उल्टा अर्थ देने वाले शब्दों को विलोम शब्द कहते हैं। इसे विपरीतार्थक शब्द भी बोला जाता हैं। जैसे भाई – बहन , राजा -रानी , वर-वधू , लड़का-लडकी आदि

अनेकार्थी शब्द

ऐसे शब्द जिनके एक से अधिक अर्थ निकलते है वह अनेकार्थी शब्द कहलाते है। यदि दूसरे शब्दों में बोला जाए तो, जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ उत्पन्न होते हैं, उन्हें अनेकार्थी शब्द कहते है। 

जैसे मूल- पूँजी, एक नक्षत्र, जड़, कन्द, आरम्भ आदि

पर्यायवाची शब्द

यदि एक ही शब्द के एक से अधिक अर्थ निकले उसे पर्यायवाची शब्द कहते है। अर्थात किसी शब्द-विशेष के लिए प्रयोग होने वाले समानार्थक शब्दों को पर्यायवाची शब्द कहते हैं। पर्यायवाची शब्द को समानार्थक शब्द भी कहा जाता है,लेकिन भाव में एक-दूसरे से बिलकुल अलग अलग होते हैं। जैसे :- उजाला – प्रकाश,किरण

खून – रक्त

उत्पत्ति के आधार पर शब्दों के भेद

उत्पत्ति के आधार पर शब्दों को चार मुख्य रूप से बांटा गया है।

तत्सम शब्द

तत्सम शब्द तद् + सम के संयोग से बना है। यहाँ तद् का मतलब (उसके) तथा सम का मतलब (समान) है। अर्थात् सभी भाषा की एक मूल भाषा होती है तथा उस मूल भाषा के समान प्रयोग होने वाले शब्द तत्सम शब्द कहलाते है।

ऐसे शब्द जो संस्कृत के समान ही हिन्दी में प्रयुक्त होते हैं वे शब्द तत्सम शब्द कहलाते हैं। जैसे – आम्र, सूर्य, चन्द्र, इत्यादि।

तद्भव शब्द

तद्भव शब्द तद्+भव के संयोग से निर्माणित हुआ है। यहाँ तद् का अभिप्राय (उससे) तथा भव का अभिप्राय (उत्पन्न होने वाला) होता है। अर्थात् ऐसे शब्द जो अपनी मूल भाषा संस्कृत से उत्पन्न होते हैं लेकिन उनका उच्चारण करते समय उसमे अन्तर आ जाए वे तद्भव शब्द कहलाते है। जैसे – आम, सूरज, चाँद, आग, खेत इत्यादि।

देशज शब्द

देशज शब्द देश + ज के मिलन से बना है। यहाँ देश का मतलब (क्षेत्र) से है और ज का मतलब (जन्म देने वाला) से है। अर्थात् ऐसे शब्द जो किसी स्थान विशेष के लोगों द्वारा अपनी जरूरत अनुसार बना लिए जाते है तथा सीमित क्षेत्र में ही प्रयोग किए जाते हैं उन्हें देशज शब्द कहते हैं।

जैसे – खिचड़ी, पेट, खचाखच, गड़बड़, ऊबड़-खाबड़ इत्यादि।

विदेशज शब्द

विदेशज का मतलब ही होता है अन्य देश में जन्म लेने वाला। अर्थात् ऐसे शब्द जो भारत देश से अलग किसी अन्य देश की भाषा में उत्पन्न हुए  लेकिन आज उनकों हिन्दी भाषा का हिस्सा बना लिया गया है और वे हिन्दी में इतने घुल मिल गए है कि उन्हें हिन्दी से जुदा नहीं किया जा सकता वे सभी शब्द विदेशज शब्द कहलाते है।

जैसे- पेन, कॉफी, चाक,बैंक टेलीफोन,केबल,ड्राफ्ट चेक आदि। 

यह थी कुछ सामान्य जानकारी Shabd kise kahate hain के बारे में. 

जिन शब्दों का कोई निश्चित अर्थ होता है उसे क्या कहते हैं?

शब्द जिन शब्दों का कोई अर्थ होता है, उन्हें सार्थक शब्द कहते हैं 1 जैसे – कलम, तोता, चिड़िया आदि । निरर्थक शब्द जिन शब्दों का कोई अर्थ नहीं होता है, उन्हें निरर्थक शब्द कहते हैं

जिन शब्दों का अर्थ समान होता है उसे क्या कहते हैं?

पर्यायवाची शब्द: समान अर्थ बताने वाले शब्द पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं

जिन शब्द का क्या आशय है?

जीन, डी एन ए के न्यूक्लियोटाइडओं का ऐसा अनुक्रम है, जिसमें सन्निहित कूटबद्ध सूचनाओं से अंततः प्रोटीन के संश्लेषण का कार्य संपन्न होता है। यह अनुवांशिकता के बुनियादी और कार्यक्षम घटक होते हैं। यह यूनानी भाषा के शब्द जीनस से बना है। जीन आनुवांशिकता की मूलभूत शारीरिक इकाई है।

जिन शब्दों के टुकड़े करने पर कोई अर्थ नहीं निकलता उन्हें कौन से शब्द कहते हैं *?

Answer. Answer: )रूढ़ शब्द :- जो शब्द हमेशा किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हो तथा जिनके खण्डों का कोई अर्थ न निकले, उन्हें 'रूढ़' कहते है।