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भाषा परिवार कितने प्रकार के होते हैं?इसे सुनेंरोकेंभाषा परिवार का वर्गीकरण और संख्या ग्रियर्सन के अनुसार भारत में 6 भाषा-परिवार, 179 भाषाएँ और 544 बोलियाँ हैं। भारोपीय परिवार: उत्तरी भारत में बोली जानेवाली भाषाएँ। द्रविड़ परिवार: तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम। भारत में कितने प्रकार की भाषा परिवार पाए जाते हैं?अनुक्रम
भारत में सबसे बड़ा भाषा परिवार कौन सा है?इसे सुनेंरोकेंभारत-यूरोपीय भाषा-परिवार (भारोपीय भाषा परिवार) यह समूह भाषाओं का सबसे बड़ा परिवार है और सबसे महत्वपूर्ण भी है क्योंकि अंग्रेज़ी,रूसी, प्राचीन फारसी, हिन्दी, पंजाबी, जर्मन, नेपाली – ये तमाम भाषाएँ इसी समूह से संबंध रखती हैं। इसे ‘भारोपीय भाषा-परिवार’ भी कहते हैं। भाषा परिवार से आप क्या समझते हैं? इसे सुनेंरोकेंआपस में संबंधित भाषाओं को भाषा परिवार कहा जाता है इसके लिए कुछ वैज्ञानिक आधार माने गए हैं जिसके तहत एक भाषा एक परिवार मे अपना स्थान रखती है। भारत में मुख्य 4 भाषा परिवार है– 1 भारोपीय 2चीनी तिब्बती 3 द्रविड़ 4 आस्टिक । भाषायी आधार पर भारत देश को कितने भागों में बांटा गया है? इसे सुनेंरोकेंआयोग की रिपोर्ट के आधार पर वर्ष 1956 में पारित राज्य पुर्नगठन अधिनियम द्वारा भाषायी आधार पर 14 राज्यों तथा 6 केंद्रशासित प्रदेशों का गठन हुआ। भाषा को कितने भागों में बांटा गया है?इसे सुनेंरोकेंइसकी तीन शाखाएँ हैं – पूर्वी, मध्यवर्ती और पश्चिमी। भारत में कितनी बोलियाँ बोली जाती है?इसे सुनेंरोकेंभारत में कितनी बोलियां हैं एक जनगणना के नवीनतम विश्लेषण के अनुसार, भारत में 19,500 या बोलियाँ मातृभाषा के रूप में बोली जाती हैं। यह 121 भाषाएँ हैं जो भारत में 10,000 या अधिक लोगों द्वारा बोली जाती हैं, जिनकी जनसंख्या 121 करोड़ है। आरोपी परिवार की भाषा कौन कौन सी है?इसे सुनेंरोकेंइस भाषा परिवार की प्रमुख भाषाएँ संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, हिन्दी, बंगाली, फ़ारसी, ग्रीक, लेटिन, अंग्रेज़ी, रूसी, जर्मन, पुर्तग़ाली और इतालवी इत्यादि हैं। पहाड़ी भाषा कौन सी है? इसे सुनेंरोकेंवर्तमान पहाड़ी भाषाएं राजस्थानी से बहुत मिलती हैं। विशेषतया मध्य पहाड़ी का संबंध जयपुरी से और पश्चिमी पहाड़ी का संबंध मारवाड़ी से अधिक है। परंतु पहाड़ी हिन्दी में मुख्य रूप से पश्चिमी पहाड़ी और मध्य पहाड़ी को ही माना जाता है। मध्य पहाड़ी के अंतर्गत कुमायूँनी और गढ़वाली बोलियाँ आती हैं। भारत में कितने भाषा परिवार पाए जाते हैं? इसे सुनेंरोकेंभारत में संसार के चार भाषा परिवारों-भारोपीय, द्रविड, तिब्बत-बर्मी और आग्नेय की अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। हिन्दी तथा उत्तर भारत की अधिकांश भाषाएँ (गुजराती, सिंधी, कश्मीरी; उड़िया, असमिया, उर्दू, मराठी, पंजाबी, बांग्ला आदि) आर्य परिवार की भाषाएँ मानी जाती हैं। भारतीय भाषा को कितने प्रमुख वर्गों में बांटा गया है?इसे सुनेंरोकेंसामान्यत: उत्तर भारत में बोली जाने वाली भारोपीय भाषा परिवार की भाषाओं को आर्य भाषा समूह, दक्षिण की भाषाओं को द्रविड़ भाषा समूह, ऑस्ट्रो-एशियाटिक परिवार की भाषाओं को मुंडारी भाषा समूह तथा पूर्वोत्तर में रहने वाले तिब्बती-बर्मी, नृजातीय भाषाओं को चीनी-तिब्बती (नाग भाषा समूह) के रूप में जाना जाता है। भाषा के कितने रूप में विभाजित किया गया है?इसे सुनेंरोकेंअधिक व्यापक दृष्टिकोण के आधार पर उन्होंने हिंदी प्रदेश की बोलियों को पांच उपभाषा खंडों में विभाजित किया है। उपभाषा वर्ग हैं- 1. मागधी वर्ग-इसमें मैथिली, मगही, भोजपुरी आती हैं। भारोपीय भाषा परिवार विश्व में बोली जाने वाली भाषाओं में सर्वप्रमुख भाषा परिवार है। इसके बोलने वालों की संख्या विश्व में सबसे ज़्यादा है। इस भाषा परिवार की प्रमुख भाषाएँ संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, हिन्दी, बंगाली, फ़ारसी, ग्रीक, लेटिन, अंग्रेज़ी, रूसी, जर्मन, पुर्तग़ाली और इतालवी इत्यादि हैं। भारत में 4 भाषा–परिवार
विस्तृत क्षेत्रभारत में आदिवासियों द्वारा भारोपीय भाषा परिवार की भाषाएँ हिन्दी भाषी प्रदेशों में विशेष रूप से बोली जाती हैं। हिन्दी भाषा-भाषी क्षेत्रों के अतिरिक्त अन्य भारोपीय भाषाओं के क्षेत्र गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान हैं। यहाँ पर पाये जाने वाले आदिवासी भी भारोपीय परिवार की ही भाषाएँ बोलते हैं। आदिवासी भाषाओं में भारोपीय भाषा परिवार की सबसे अधिक व्यवहृत भाषा 'भीली' है, जो मुख्य रूप से भीलों और उसके उपवर्गों द्वारा तो व्यवहार में लाई ही जाती है, पर भील क्षेत्र के गैर आदिवासी भी इसका प्रयोग करते हैं। 'भीली' बोलने वालों की संख्या सन 1961 में 24,39,611 आँकी गई थी। भील, मीणा और मिलाला जहाँ भीली भाषा का प्रयोग करते हैं, वहीं भुंइयाँ, भुमिया, कुमार, धोबा और हल्बा छत्तीसगढ़ी बोलते हैं। अगरिया, बिंझवार और कोल भी हिन्दी भाषा का प्रयोग करते हैं। चकमा बाङ्मला भाषा का प्रयोग करते हैं तथा ब्रह्मपुत्र की घाटी की कुछ जनजातियाँ असमिया भाषा का प्रयोग करते हैं। भारोपीय भाषाओं को व्यवहृत करने वाले अधिकतर आदिवासी कोल समूह के हैं। इनके बाद द्रविड़ और मंगोल जाति के आदिवासियों का क्षेत्र आता है। विशेषताएँभारोपीय भाषा परिवार की कुछ विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
टीका टिप्पणी और संदर्भबाहरी कड़ियाँसंबंधित लेख
मुख्य भाषा परिवार कितने हैं?भाषा परिवार का वर्गीकरण और संख्या
ग्रियर्सन के अनुसार भारत में 6 भाषा-परिवार, 179 भाषाएँ और 544 बोलियाँ हैं। भारोपीय परिवार: उत्तरी भारत में बोली जानेवाली भाषाएँ। द्रविड़ परिवार: तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम।
भारत में दो मुख्य भाषा परिवार कौन से हैं?सामान्यत: उत्तर भारत में बोली जाने वाली भारोपीय भाषा परिवार की भाषाओं को आर्य भाषा समूह, दक्षिण की भाषाओं को द्रविड़ भाषा समूह, ऑस्ट्रो-एशियाटिक परिवार की भाषाओं को मुंडारी भाषा समूह तथा पूर्वोत्तर में रहने वाले तिब्बती-बर्मी, नृजातीय भाषाओं को चीनी-तिब्बती (नाग भाषा समूह) के रूप में जाना जाता है।
भारत की भाषाओं को कितने परिवार में बांटा गया है?भारतीय भाषाओं को 4 प्रमुख वर्गों में बाँटा गया है।
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