हरसिंगार का फूल किस देवता को चढ़ाया जाता है - harasingaar ka phool kis devata ko chadhaaya jaata hai

हिंदू धर्म में पूजा पाठ में फूलों का विशेष महत्व है. मान्यता है कि भगवान को फूल अर्पित करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. सभी देवताओं को कुछ फूल विशेष प्रिय होते हैं. हम आपको बता रहे हैं कि किस भगवान को कौन सा फूल प्रिय होता है.

भगवान गणेश गणेश भगवान प्रथम पूजनीय देव हैं. भगवान गणेश को दूर्वा सबसे अधिक प्रिय है. गणेश भगवान की पूजा में तुलसी निषेध होती है. तुलसी को छोड़कर आप कोई भी फूल भगवान गणेश को चढ़ा सकते हैं.

भगवान शिव भगवान शिव को धतूरे के फूल,  हरसिंगार, व नागकेसर के सफेद पुष्प, सूखे कमल गट्टे, कनेर, कुसुम, आक, कुश के फूल प्रिय होते हैं.

भगवान शिव की पूजा में तुलसी और केवड़े का पुष्प नहीं चढ़ाना चाहिए.

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भगवान विष्णु

भगवान विष्णु को तुलसी सबसे अधिक प्रिय है. तुलसी के अलावा विष्णु भगवान को कमल, मौलसिरी, जूही, कदंब, केवड़ा, चमेली, अशोक, मालती, वासंती, चंपा, वैजयंती के पुष्प भी चढ़ाए जाते हैं.

विष्णु जी की पूजा में आक, धतूरा, शिरीष, सहजन, सेमल, कचनार और गूलर निषेध हैं.

भगवान श्री कृष्ण

भगवान श्री कृष्ण को कुमुद, करवरी, चणक, मालती, पलाश व वनमाला के फूल प्रिय होते हैं. उनकी पूजा में ये फूल चढ़ाने चाहिए.

भगवती गौरी  मां भगवती को बेला, सफेद कमल, पलाश, चंपा के फूल प्रिय होते हैं. भगवान शंकर को चढ़ने वाले सभी फूल मां को अतिप्रिय होते हैं.

माता लक्ष्मी मां लक्ष्मी का सबसे प्रिय कमल का फूल है. मां को लाल गुलाब और पीले फूल भी पसंद होते हैं.

हनुमान जी हनुमान जी की पूजा में आप अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी फूल का इस्तेमाल कर सकते हैं. लाल फूल, गेंदा फूल हनुमान जी को प्रिय होते हैं.

भगवान श्री राम और माता सीता भगवान श्री राम और माता सीता को आपनी पसंद के अनुसार कोई भी फूल अर्पित कर सकते हैं.

मां सरस्वती मां सरस्वती को सफेद और पीले रंग के फूल अतिप्रिय होते हैं. मां सरस्वती की पूजा में सफेद गुलाब का इस्तेमाल करना चाहिए.

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    अद्भुत वृक्ष के जानें क्‍या-क्‍या गुण

    5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भगवान राम के मंदिर के लिए भूमि पूजन के लिए अयोध्या पहुंचे तो भगवान राम की नगरी के रक्षक हनुमानजी के दरबार में सबसे पहले पधारे। हनुमानगढ़ी में मोदी ने हनुमानजी की पूजा की और भूमि पूजन स्थल पर पारिजात का पौधा लगाया। लेकिन सवाल उठता है कि मोदी ने पारिजात का पौधा ही क्यों लगाया। दरअसल जब आप इस रहस्य की तह में जाएंगे तो पाएंगे कि यह बहुत ही सूझ-बूझ से लिया गया फैसला था।

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    पारिजात का माता सीता से नाता

    दरअसल पारिजात ऐसा पेड़ जिसके बारे में पुराणों में उल्लेख मिलता है कि यह सागर मंथन से प्राप्त हुआ दिव्य वृक्ष है जिसे स्वर्ग से धरती पर लाया गया। इस वृक्ष के साथ भगवान राम और देवी सीता के बनवास के दिनों की यादें भी जुड़ी हुई हैं। माता सीता बनवास के दिनों में इस वृक्ष के फूलों को चुनकर माला गूंथती थीं और श्रृंगार किया करती थीं। इसलिए इस फूल को श्रृंगार हार और हरसिंगार के नाम से भी जाना जाता है। माता सीता को पारिजात के फूल बहुत ही प्रिय हैं। कहते हैं इसके फूलों से माता लक्ष्मी और उनके अवतारों सीता और रुक्मणी की पूजा की जाए तो घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है। मोदी ने हनुमानजी की पूजा की, राम मंदिर के लिए भूमि पूजन किया तो देवी सीता की अनुकंपा के लिए पारिजात का रोपण किया।

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    इन नामों से भी पुकारते हैं पार‍िजात को

    पारिजात का रहस्य बस इतना ही नहीं है। पारिजात का हिंदू धर्म में विशेष और पवित्र स्थान है और इसे अनेक नामों से जाना जाता है। पारिजात को श्रृंगार हार, हरसिंगार, शिउली और शेफाली के नाम से भी पुकारा जाता है। पार‍िजात का वानस्‍पतिक नाम ‘निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस’ है। वहीं अंग्रेजी में इसे नाइट जैस्मीन कहते हैं। स्वर्ग की अप्सरा को भी इससे बड़ा लगाव था। वह इस पेड़ के पास थकान मिटाने आया करती थीं। आयुर्वेद भी इस बात को मानता है कि इसके फूलों में स्ट्रेस दूर करने की क्षमता है और इसमें कई दिव्य औषधिय गुण भी पाए जाते हैं।

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    ऐसे हुआ पारिजात का सृष्टि में आगमन

    कथा के अनुसार पारिजात वृक्ष की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी और यह देवताओं को मिला था। स्वर्ग में इंद्र ने अपनी वाटिका में इसे लगा दिया था। ऐसी कथा है कि एक बार भगवान श्रीकृष्ण और देवी रुक्मणी साथ बैठे थे तभी नारद मुनि वहां आए और पारिजात की माला भगवान श्रीकृष्ण को भेंट की। श्रीकृष्ण ने वह माला रुक्मणी को दे दी। इस पर नारद मुनि ने कहा कि इस हार को धारण करके आप कान्हा की सभी रानियों से सुंदर लग रही हैं। यह बात सत्यभामा तक पहुंची तो वह जिद करने लगीं कि उन्हें स्वर्ग से पारिजात का वृक्ष चाहिए।

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    पारिजात को लगा है इंद्र का शाप

    पत्नी की जिद पूरी करने के लिए श्रीकृष्ण को देवलोक पर आक्रमण करना पड़ा। इंद्र नहीं चाहते थे कि स्वर्ग की संपदा धरती पर जाए। लेकिन श्रीकृष्ण सामने थे तो मना भी नहीं कर सकते थे। श्रीकृष्ण जब इसे धरती पर लेकर आने लगे तो इंद्र से रहा नहीं गया और उन्होंने शाप दे दिया कि पारिजात के फूल बस रात में खिलेंगे और सुबह बिखर जाएंगे। इसलिए पारिजात के फूल सूर्योदय से पहले ही गिर जाते हैं।

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    धरती पर ग‍िरे फूलों से भी होती है पूजा

    यूं तो पूजा में जमीन पर ग‍िरे हुए फूलों का प्रयोग नहीं किया जाता है। लेक‍िन पारिजात के फूलों को लेकर ऐसा नहीं है। पारिजात के बिखरे फूलों को चुनकर ही देवी देवताओं को अर्पित किया जाता है। दरअसल स्वर्ग से पारिजात को लाने के बाद कान्हा ने चतुराई से इस वृक्ष को ऐसे लगाया कि पेड़ तो सत्यभामा के आंगन में रहा लेकिन फूल सारे रुक्मणी के आंगन में ही गिरते रहे। इन्हें चुनकर ही देवी अपना श्रृंगार किया करती थीं। इसलिए इसके फूलों को चुनकर ही पूजा में प्रयोग करने का विधान है।

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    पारिजात एक दिव्य प्रेमिका

    पारिजात को लेकर एक कथा ऐसी भी है कि यह एक राजकुमारी थी जिसे सूर्य से प्रेम हो गया था। लेकिन सूर्य ने इन्हें अपनाने से मना कर दिया। प्रेम में पारिजात ने शरीर का त्याग कर दिया और इसकी चिता से एक पौधा निकला जिसके फूल रात में खिलकर अपनी सुगंध से मन को मोह को लेते हैं। लेकिन सुबह सूर्य के निकलने से पहले ही बिखर जाते हैं। कहते हैं वह राजकुमारी ही पारिजात के वृक्ष के रूप में प्रकट हुई थी जैसे वृंदा की चिता की राख से तुलसी की उत्पत्ति हुई थी।

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    सेहत के ल‍िए भी अत्‍यंत लाभकारी है पार‍िजात

    पार‍िजात पूजा-पाठ या फिर सुख-समृद्धि के ल‍िहाज से ही नहीं बल्कि सेहत के ल‍िए भी अत्‍यंत लाभकारी है। इन दिनों कोविड से लड़ने के लिए इम्युनिटी बढ़ाने की सलाह दी जाती है। पारिजात के पत्तों और छालों का सेवन इस मामले भी लाभकारी है। आयुर्वेद के अनुसार पारिजात के 15 से 20 फूलों या इसके रस का सेवन करने से हृदय संबंधित परेशान‍ियों से राहत म‍िलती है। लेक‍िन यह उपाय क‍िसी आयुर्वेद‍िक च‍िक‍ित्‍सक की सलाह पर ही अपनाएं। इसके अलावा कहते हैं क‍ि इसके फूलों की सुगंध से स्‍ट्रेस भी कम होता है। पार‍िजात की पत्तियों और छालों को उबालकर पीने से सर्दी जुकाम से राहत मिलती है, बुखार में भी यह लाभकारी है। उदर संबंधी रोग सहित कई अन्य रोगों में भी पारिजात को गुणकारी माना गया है।

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पारिजात के फूल कौन से भगवान को चढ़ाए जाते हैं?

पारिजात के फूल को भगवान हरि के श्रृंगार और पूजन में प्रयोग किया जाता है, इसलिए इस मनमोहक और सुगंधित पुष्प को हरसिंगार के नाम से भी जाना जाता है. हिन्दू धर्म में इस वृक्ष का बहुत महत्व माना जाता है.

किस देवी देवता को कौन सा फूल चढ़ाना चाहिए?

मां काली - इनको गुड़हल का फूल बहुत पसंद है। मान्यता है की इनको 108 लाल गुड़हल के फूल अर्पित करने से मनोकामना पूर्ण होती है। मां दुर्गा- इनको लाल गुलाब या लाल अड़हुल के पुष्प चढ़ाना श्रेष्ठ है। मां सरस्वती- विद्या की देवी मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए सफेद या पीले रंग का फूल चढ़ाए जाते हैं।

कौन सा फूल भगवान को नहीं चढ़ाना चाहिए?

भगवान राम को अर्पित न करें ये फूल धर्म शास्त्रों के अनुसार, भगवान राम की पूजा में कनेर के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए

शंकर भगवान को कौन से फूल पसंद है?

भगवान शिव भगवान शिव को धतूरे के फूल, हरसिंगार, व नागकेसर के सफेद पुष्प, सूखे कमल गट्टे, कनेर, कुसुम, आक, कुश के फूल प्रिय होते हैं. भगवान शिव की पूजा में तुलसी और केवड़े का पुष्प नहीं चढ़ाना चाहिए. भगवान विष्णु को तुलसी सबसे अधिक प्रिय है.