मेसोपोटामिया की संस्कृति का विश्व इतिहास में क्या महत्व है? - mesopotaamiya kee sanskrti ka vishv itihaas mein kya mahatv hai?

Show

इतिहास प्रैक्टिस प्रश्न

  • होम
  • इतिहास प्रैक्टिस प्रश्न

  • मेसोपोटामियाई सभ्यता और सिंधु घाटी सभ्यता के मध्य उपस्थित मुख्य समानताओं और अंतरों को रेखांकित कीजिये।

    13 May, 2020

    उत्तर :

    मेसोपोटामिया सभ्यता का विकास दजला एवं फरात नदियों के किनारे, वर्तमान इराक और कुवैत के क्षेत्र में हुआ। वहीं सिंधु सभ्यता भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर भाग में विकसित हुई। मेसोपोटामिया सभ्यता (3200-600 ई. पूर्व) और सिंधु सभ्यता (2500-1500 ई. पूर्व) कालक्रम में काफी समय तक परस्पर समानांतर चली।

    दोनों सभ्यताओं के मध्य उपस्थित समानताएँ

    • घरों का निर्माण दोनों ही सभ्यताओं में धूप में सुखाई हुई ईंटों से किया गया।
    • तीर का उपयोग एवं फाँसे द्वारा उपकरणों का निर्माण दोनों में ही देखने को मिलता है।
    • दोनों सभ्यताओं में ही अर्थव्यवस्था मुख्यत: कृषि और व्यापार पर निर्भर थी।
    • प्राथनाएँ एवं अनुष्ठान में भी समानता दिखती है।
    • समान प्रकार के मृदभांडों का प्रयोग किया गया।
    • सिंचाई व्यवस्था, लेखन व्यवस्था, पहिये वाले वाहनों का दोनों में समान प्रकार से उपयोग किया गया।
    • दोनों सभ्यताओं के समाजों में समारोह के लिये स्तुतिगान की प्रथा थी।

    प्रमुख असमानताएँ

    • नगर नियोजन
      • मेसोपोटामिया में महलों और पैतृकों को समर्पित मंदिरों के चारों ओर नगरों का निर्माण होता था, जबकि सिंधु सभ्यता में दुर्ग के पूर्वी भाग में नगरों का निर्माण हुआ जो अधिक सुनियोजित एवं ग्रिड प्रणाली में बसाए गए थे।
      • मेसोपोटामिया सभ्यता में अधिकांश लोग नगरों और कस्बों में रहते थे, वहीं सिंधु समाज में अधिकांश लोग गाँवों में रहते थे।
      • मेसोपोटामिया सभ्यता में शहरों को रक्षित करने के लिये, वहीं सिंधु सभ्यता में घरों को संरक्षित करने के लिये दीवारों का निर्माण किया गया।
    • मेसोपोटामिया सभ्यता में हथियारों के रूप में कुल्हाड़ियों, चाकू, तलवारों एवं कवच का उपयोग किया गया। वहीं दूसरी तरफ सिंधु समाज में मेसोपोटामिया की अपेक्षा अधिक शांतिपूर्ण था। इसलिये उनके द्वारा कृषि कार्यों के लिये उपयुक्त औजारों का ही अधिक निर्माण किया गया। सिंधु सभ्यता से भालों के निर्माण के साक्ष्य मिले हैं।
    • मेसोपोटामिया अर्थव्यवस्था मूल्यवान पत्थरों के व्यापार द्वारा संचालित थी, वहीं सिंधु सभ्यता की अर्थव्यवस्था कपास, शिल्प वस्तुएँ एवं आभूषणों के व्यापार द्वारा संचालित थी।
    • मेसोपोटामियाई लोग प्रमुख रूप से जूट का उत्पादन करते थे एवं उसका उपयोग तेल, जाली निर्माण एवं कपड़े के रूप में किया जाता था। वहीं सिंधु सभ्यता में खाने वाला सामान्य फलों और सब्जियों का उत्पादन किया जाता था।
    • भाषा एवं साहित्य में भी दोनों के मध्य पर्याप्त असमानताएँ विद्यमान है। मेसोपोटामियाई सभ्यता से प्राचीनतम लेखन व्यवस्था के साक्ष्य मिले हैं, जिसमें ‘न्यायिक साहित्य’ की प्रधानता है। वहीं सिंधु लिपि अभी तक पढ़ी नहीं जा सकी है।
    • तकनीक के इस्तेमाल में भी दोनों में अंतर है। मेसोपोटामिया में सबसे पहले पहिये का निर्माण हुआ। वहीं सिंधु समाज में माप-तौल की व्यवस्था, समान प्रकार के अनुपात वाली ईंटों का निर्माण एवं अधिकांश कृषि में प्रयुक्त तकनीकें अनूठे उदाहरण हैं।
    • धर्म के मामले में मेसोपोटामिया के लोगों द्वारा विश्वास किया जाता था कि प्रत्येक शहर भगवान द्वारा संरक्षित है। यहाँ पिरामिडों को स्वर्ग और पृथ्वी के मध्य संपर्क के विश्वास के रूप में निर्मित किया गया। मेसोपोटामियाई समाज में प्रत्येक शहर का अपना पैतृक भगवान होता था।

    वहीं सिंधु समाज में पेड़-पौधों और प्रकृति की पूजा मुख्यत: की जाती थी। यहाँ मातृदेवी की पूजा के साक्ष्य मिले हैं, जबकि मेसोपोटामिया के विपरित यहाँ मंदिरों के कोई साक्ष्य प्राप्त नहीं हुए।

    • मेसोपोटामियाई समाज प्रमुखत: पितृसत्तात्मक था, वहीं सिंधु सभ्यता में मातृसत्तात्मक समाज के साक्ष्य मिले हैं।
    • मेसोपोटामियाई समाज एक पुजारी वर्ग के शासक द्वारा शासित किया जाता था, वहीं सिंधु सभ्यता में शासक वर्ग के सिद्धांत की अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।

    कालक्रम की समानांतरता और आपसी व्यापारिक संपर्कों के कारण हमें दोनों सभ्यताओं के समाज और अर्थव्यवस्था में कुछ समानताएँ देखने को मिलती हैं फिर भी सभ्यताओं की अपनी विशिष्ट स्थानिक विशिष्टताओं के कारण उनमें पर्याप्त असमानताओं का होना भी उतना ही स्वाभाविक है।

×

मेसोपोटामिया की संस्कृति का विश्व इतिहास में क्या महत्व है? - mesopotaamiya kee sanskrti ka vishv itihaas mein kya mahatv hai?

History of Mesopotamia in Hindi-

मेसोपोटामिया की सभ्यता का जन्म इराक की दजला एवं फरात नदियों के मध्य क्षेत्र में हुआ था| इस सभ्यता के दो प्रमुख देवताओं के नाम शमाश एवं अनु  थे| मेसोपोटामिया सभ्यता के तीन प्रमुख केंद्र सुमेरिया, बेबीलोनिया और असीरिया थे| 

मेसोपोटामिया के क्षेत्र का एक महान ऐतिहासिक महत्व है, क्योंकि यह वहाँ था कि कृषि का जन्म और विकास  किया जाने लगा, यहीं पर पहले शहरों की स्थापना हुई और सबसे पहली सभ्यताएँ दिखाई दीं।

इतिहासकार बताते हैं कि मेसोपोटामिया में सभ्यता 5000 ईसा पूर्व के आसपास दिखाई दी थी, हालांकि कुछ लेखकों का कहना है कि यह 3500 ईसा पूर्व में था, इसके क्षेत्र को दो अलग-अलग क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है: 

  • ऊपरी मेसोपोटामिया- यहाँ पर असीरिया के निवासी रहते थे|
  • निचला मेसोपोटामिया- यहाँ पर सुमेरिया और बेबीलोनिया के निवासी रहते थे|

मेसोपोटामिया का इतिहास विभिन्न सभ्यताओं के बीच युद्धों से भरा हुआ था| इन्ही युद्धों के कारण कई साम्राज्य यहाँ पर उत्पन्न हुए और उनका पतन भी हुआ|

मेसोपोटामिया की सभ्यता की उत्पत्ति का इतिहास

दजला और फरात नदियों के पास की भूमि खेती के लिए बहुत उपयुक्त थी। हर साल इन नदियों में बढ़ आती थी जिससे भूमि की उर्वरता में वृद्धि होती थी। हालांकि, इस क्षेत्र में एक समस्या थी: बारिश की कमी। इसका मतलब था कि जब तक क्षेत्र के निवासियों ने पानी के प्रवाह को नियंत्रित करना नहीं सीखा, तब तक कृषि का प्रारम्भ शुरू नहीं किया जा सकता था।

इतिहासकारों में मतभेद है और कुछ इतिहासकार इस बात की पुष्टि करते हैं कि पहले कृषि समुदाय लगभग 7000 ईसा पूर्व में मेसोपोटामिया के क्षेत्र के उत्तर में स्थित थे, दूसरी ओर, दक्षिण में वे 5500 ईसा पूर्व तक प्रकट नहीं हुए थे।

आगे चलकर दक्षिणी मेसोपोटामिया में सुमेर के निवासियों ने सिंचाई नहरों, बांधों और तालों का निर्माण शुरू किया। वे कई उत्पादों को विकसित करने में सक्षम हो गए थे और जनसंख्या में भी काफी वृद्धि हुई थी।

इतिहासकारों ने मेसोपोटामिया के इतिहास को अलग-अलग साम्राज्यों के साथ अलग-अलग अवधियों में विभाजित किया है: सुमेरियन, बेबीलोनियन, असीरियन और नियो-बेबीलोनियन साम्राज्य।

मेसोपोटामिया की सभ्यता कहाँ उत्पान हुई थी?

मेसोपोटामिया, जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, मध्य पूर्व में दजला और फरात नदियों के बीच स्थित है। भौगोलिक दृष्टि से यह अरब प्रायद्वीप के उत्तर में स्थित है। पहली सभ्यताओं वाले क्षेत्र की सीमा पूर्व में ईरान, उत्तर में अनातोलिया (आज के तुर्की) और पश्चिम में सीरिया से लगती है।

मेसोपोटामिया सभ्यता की अर्थव्यवस्था

कई विशेषज्ञ मानते हैं कि उचित अर्थव्यवस्था का विकास मेसोपोटामिया की सभ्यता में ही हुआ था| उनकी सभ्यताओं के चार हजार से अधिक वर्षों के इतिहास के दौरान आर्थिक परिस्थितियां भिन्न-भिन्न थीं। इसके अलावा, ये गतिविधियाँ निरंतर युद्धों और आक्रमणों के संदर्भ में हुईं। 

मेसोपोटामिया की सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं

मेसोपोटामिया की सभ्यता की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन निम्न है-

कानूनों का निर्माण एवं उनका संग्रह-

बेबीलोनिया के शासक हम्मूराबी को प्रथम कानून निर्माता की संज्ञा दी गई है| हम्मूराबी ने सर्वप्रथम कानूनों का निर्माण करवाया और इसके साथ ही साथ उसने इन कानूनों का संग्रह भी करवाया था| कानूनों के निर्माण एवं संग्रह को हम्मूराबी की विधि संहिता कहा जाता है| हम्मूराबी की इस विधि संहिता में सभी वर्गों के लोगों के लिए समान अधिकारों की व्यवस्था की गई थी|

मेसोपोटामिया की सभ्यता का सामाजिक जीवन

अन्य सभ्यताओं की भांति मेसोपोटामिया का समाज  भी तीन वर्गों में विभाजित था- उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग एवं निम्न वर्ग|

 उच्च वर्ग में शासक, उच्च अधिकारी, पुरोहित एवं  सामंतों का स्थान हुआ करता था|  मध्यमवर्ग में किसान, शिल्पकार एवं व्यापारी वर्ग के लोग आते थे जबकि निम्न वर्ग में दास लोगों का स्थान हुआ करता था||

मेसोपोटामिया की सभ्यता का धार्मिक जीवन 

मेसोपोटामिया की सभ्यता  का धार्मिक जीवन बहुत ही उच्च कोटि का था और इस समाज के लोगों का अनेक देवी देवताओं में विश्वास था| मेसोपोटामिया की सभ्यता के प्रमुख देवता शमाश ( सूर्य देवता), एनलिल (वायु देवता), नन्नार ( चंद्र देवता) , अनु ( आकाश देवता) आदि थे| 

मेसोपोटामिया के लोग अपने देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिए पशुओं की बलि चढ़ाते थे|

मेसोपोटामिया सभ्यता के अंतर्गत प्रत्येक नगर में एक प्रधान मंदिर हुआ करता था, उस मंदिर का देवता नगर का संरक्षक माना जाता था| इस सभ्यता के लोग अंधविश्वासी होते थे| इस सभ्यता के लोग भूत प्रेत, जादू टोना, ज्योतिष एवं भविष्यवाणियों पर विश्वास रखते थे|

इस सभ्यता में नगर के संरक्षक देवता के लिए नगर में किसी ऊंचे स्थान परंतु के बने चबूतरे पर मंदिर का निर्माण करवाया जाता था इस मंदिर को जिगुरत कहा जाता था|

कृषि एवं व्यापार

मेसोपोटामिया की सभ्यता के लोगों का प्रमुख व्यवसाय कृषि था| हालांकि, बारिश की कमी ने नदी घाटियों से दूर की भूमि में खेती करना बहुत मुश्किल बना दिया। इस कारण से, क्षेत्र के निवासियों को एक कुशल सिंचाई प्रणाली का निर्माण करना पड़ा जो उनकी भूमि पर पानी ला सके।

सिंचाई में सुधार के लिए उन लोगों ने अपनी तकनीकी में विकास किया| मेसोपोटामिया के लोग पहिया और हल के आविष्कारक थे। दोनों के प्रयोग से वे भूमि को अधिक आसानी से जोतने में सक्षम थे।

इनके उत्पादों में अनाज (जौ, गेहूं, राई या तिल), जैतून के पेड़, खजूर या अंगूर थे।

कृषि के अतिरिक्त यह लोग पशुपालन का भी कार्य करते थे| इस सभ्यता के लोग धातु, लकड़ी, मिट्टी, हाथी के दांत की कलात्मक वस्तुएं बनाते थे और इन वस्तुओं का व्यापार वह अन्य देशों के साथ करते थे|

ऐसा माना जाता है कि यहां के लोगों ने व्यापारिक लेन-देन के लिए नापतोल के बांटो एवं सिक्कों का भी निर्माण किया था|

सुमेरियों ने व्यापार मार्ग स्थापित किए जो उस समय के लिए दूर के स्थानों तक पहुँचे। इस प्रकार, यह ज्ञात है कि वे सीरिया और भारत पहुंचे। आम तौर पर, वे मेसोपोटामिया में उत्पादित उत्पादों का आदान-प्रदान कच्चे माल, जैसे लकड़ी, पत्थर या धातु के लिए करते थे।

धातुकर्म

मेसोपोटामिया में तांबे या कांसे जैसी धातुओं का इस्तेमाल बहुत पहले ही होने लगा था। ज्यादातर समय, इन धातुओं का उपयोग मजबूत हथियार बनाने के लिए किया गया था। उनका उपयोग काम के उपकरण बनाने के लिए भी किया जाता था।

3500 ईसा पूर्व के आसपास कांस्य अधिक उपयोग में आने लगा था । यह तांबा-टिन का मिश्र धातु होता है और अन्य धातुओं की तुलना में अधिक मजबूत था और इसका उपयोग उपकरण, हथियार या आभूषण के लिए किया जाता था। 

लेखन कला और साहित्य का विकास

कृषि एवं व्यापार के अतिरिक्त मेसोपोटामिया की सभ्यता में लेखन एवं साहित्य का विकास सराहनीय है| इस सभ्यता में लेखन कला का आविष्कार विश्व को प्रमुख देन मानी जाती है| इस सभ्यता के लोगों ने जिस लिपि का विकास किया उसे कीलाकार लिपि के नाम से जाना जाता है|

विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति

मेसोपोटामिया की सभ्यता के लोगों ने कृषि, व्यापार  एवं लेखन कला के अतिरिक्त विज्ञान के क्षेत्र में भी काफी प्रगति की थी| इस सभ्यता के  लोगों ने खगोल शास्त्र, ज्योतिष, गणित एवं विज्ञान के क्षेत्र में बहुत अधिक प्रगति की थी| 

पुरुषों और महिलाओं के बीच समान अधिकार

यद्यपि मेसोपोटामिया का समाज पूरी तरह से पदानुक्रमित था, इसके कानूनों ने कई मायनों में पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता को सुनिश्चित किया।

पुरुषों के बराबर महिलाओं को दिए गए सबसे महत्वपूर्ण अधिकारों में भूमि के मालिक होने, तलाक का अनुरोध करने और प्राप्त करने, व्यापारी बनने या अपना खुद का व्यवसाय स्थापित करने का अधिकार था।

मेसोपोटामिया की सभ्यता के धर्म और देवता 

मेसोपोटामिया में बसने वाली विभिन्न सभ्यताओं के लोग अपने-अपने देवता पर विश्वास रखते थे। एक सामान्य पहलू यह था कि सभी धर्म बहुदेववादी थे, अर्थात सभी धर्मों में एक से ज्यादा देवताओं को माना जाता था। इसका मतलब है कि वे विभिन्न प्रकार के देवताओं की पूजा करते थे।

जैसा कि ग्रीक पौराणिक कथाओं में है, मेसोपोटामिया के देवताओं का आचरण पूरी तरह से मानवीय रूप और आचरण की तरह ही था। अर्थात वे खाना खाते थे, शादी करते थे, आपस में युद्ध करते थे और उनके बच्चे भी हुआ करते थे । हालांकि, पुरुषों के विपरीत, ये देवता अमर माने जाते  थे और उनके पास महान शक्तियां थीं।

सामान्य तौर पर, मेसोपोटामिया के निवासी अपने देवताओं से डरते थे। ये बहुत प्रतिशोधी थे और इंसानों की बात माने बिना क्रूर होने से नहीं हिचकिचाते थे। ये राजा को भी दंड देते थे, इसलिए राजा हमेशा देवताओं से किसी भी काम करने की सलाह लेते थे।

मेसोपोटामिया की संस्कृति

जैसा कि अर्थव्यवस्था या राजनीति के क्षेत्र में विकास हुआ था, उसी प्रकार मेसोपोटामिया में संस्कृति के क्षेत्र में भी विकास हुआ था। सबसे महत्वपूर्ण विकास लेखन का विकास था।

पहले, लेखन का उपयोग केवल आधिकारिक दस्तावेजों में किया जाता था, विशेषकर खातों को रखने के लिए। बाद में, इसका उपयोग घटनाओं, कहानियों, किंवदंतियों या आपदाओं को दर्शाने के लिए किया जाने लगा।

मूर्तिकला 

मेसोपोटामिया की मूर्तिकला में इसके देवता और शासक मुख्य विषय थे। प्रत्येक काम पूरी तरह से व्यक्तिगत था और इसमें अक्सर प्रतिनिधित्व किए गए चरित्र का नाम शामिल होता था।

सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकें स्मारकीय , स्टील, तामचीनी ईंटें और मुहर थीं। मनुष्य का चित्रण भी किया जाता था। कुछ स्थानों पर बड़े सांडों का चित्रण भी किया गया था।

मेसोपोटामिया की सभ्यता के राजा 

इस सभ्यता में राजा ने मेसोपोटामिया की राजनीति में सारी शक्ति अपने पास जमा कर ली। ज्यादातर मामलों में, माना जाता था कि सम्राट सीधे देवताओं के पास  से उतरा था। राजाओं ने खुद को जो उपाधियाँ दीं, उनमें "ब्रह्मांड के राजा" या "महान राजा" की उपाधियाँ प्रमुख थीं।

तीन सबसे महत्वपूर्ण सम्राट सरगोन द ग्रेट, गिलगमेश और हम्मुराबी थे। सिंहासन का उत्तराधिकार पहले पुरुष बच्चे को मिला।

राजा के नीचे, सख्त सामाजिक पदानुक्रम में, उच्च पुजारी, सेना, व्यापारी, आम जनता और अंत में दास थे

यह भी जाने —

बेबीलोनिया की सभ्यता
असीरिया की सभ्यता
सिंधु घाटी की सभ्यता
चीन की सभ्यता
सुमेरिया की सभ्यता

मेसोपोटामिया सभ्यता के बारे में क्या महत्वपूर्ण है?

मेसोपोटामिया नाम ग्रीक शब्द मेसोस से लिया गया है, जिसका अर्थ है मध्य और पोटामोस, जिसका अर्थ है नदी। मेसोपोटामिया यूफ्रेट्स और टाइग्रिस नदियों के बीच में स्थित एक जगह है जो अब इराक का हिस्सा है। यह सभ्यता प्रमुख रूप से अपनी समृद्धि, शहरी जीवन, विशाल साहित्य, गणित और खगोल विज्ञान के लिए जाना जाता है।

मेसोपोटामिया की विश्व को क्या क्या देन है?

विश्व को मेसोपोटामिया की निम्नलिखित देन है... मेसोपोटामिया के लोगों ने कांच के बर्तन भी सबसे पहले बनाए। षटदाशमिक प्रणाली का आविष्कार भी मेसोपोटामिया की सभ्यता में हुआ था। मेसोपोटामिया की सभ्यता में लोगों ने सबसे पहले नहर बनाई जो पूरे साल सिंचाई के काम आती तथा जल परिवहन के लिए प्रयोग में लाई जाती थी।

मेसोपोटामिया की सभ्यता की क्या विशेषता है?

मेसोपोटामिया एक *नगरीय सभ्यता* थी। प्रारम्भ में यहाँ नगर राज्य थे परन्तु बाद में सारगन प्रथम , हेम्मूराबी,सारगन द्वितीय,सेनाक्रीब तथा असुर बनीपाल जैसे सम्राटों के काल में विशाल साम्राज्यों की भी स्थापना हुई। मेसोपोटामिया के लोग अपने भोजन में *गेहूँ तथा जौ की रोटी , दूध , दही, मक्खन ,फल* आदि का प्रयोग करते थे।

मेसोपोटामिया के इतिहास के स्रोत क्या क्या है?

मेसोपोटामिया (Mesopotamia) में कई स्थलों पर खुदाई हुई है फलस्वरूप इसके इतिहास के स्रोत के रूप में इमारतों, मूर्तियों, कब्रों, औजारों के अवशेष प्राप्त हैं। इसके अलावा हजारों की संख्या में लिखित दस्तावेज उपलब्ध हैं।