कम वर्षा के क्या कारण है? - kam varsha ke kya kaaran hai?

वर्षा कम होने के क्या कारण है?...


कम वर्षा के क्या कारण है? - kam varsha ke kya kaaran hai?

कम वर्षा के क्या कारण है? - kam varsha ke kya kaaran hai?

2 जवाब

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मेट्रो रंग- नई दुनिया, 28 जून 2011

कम वर्षा के क्या कारण है? - kam varsha ke kya kaaran hai?
बच्चों, बारिश कैसे आती है, यह जानने से पहले यह याद रखो कि हवाएं हमेशा उच्च वायुदाब से कम वायुदाब वाले इलाके की ओर चलती हैं। गर्मी के दिनों में भारत के उत्तरी मैदान और प्रायद्वीपीय पठार भीषण गर्मी से तपते हैं और यहां निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है। इसके उलट दक्षिण में हिंद महासागर ठंडा रहता है। ऐसी भीषण गर्मी के कारण ही महासागर से नमी लेकर हवाएं भारत के दक्षिणी तट से देश में प्रवेश करती हैं।

जून के करीब केरल तट और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में मानसून सक्रिय हो जाता है। हमारे देश में वर्षा ऋतु के अमूमन तीन या चार महीने माने गए हैं। दक्षिण में ज्यादा दिनों तक पानी बरसता है। यानी वहां वर्षा ऋतु ज्यादा लंबी होती है जबकि जैसे-जैसे हम दक्षिण से उत्तर की ओर जाते हैं तो वर्षा के दिन कम होते जाते हैं। कभी ऐसा भी होता है कि मानसून से पहले ही देश के कुछ हिस्सों में बारिश हो जाती है। ऐसा इन जगहों पर बहुत ज्यादा निम्न दबाव और स्थानीय दशाओं के कारण होता है। मानसून जब आने वाला होता है तो तेज उमस होती है और हवाओं का चलना रुक जाता है। ऐसी स्थिति में अचानक मौसम बदलता है और घनघोर काले बादल आकर छा जाते हैं और बरसते हैं। इसे मौसम विज्ञानी 'मानसून प्रस्फोट' कहते हैं।

भारत में मानसून की दो शाखाएं

हमारे देश भारत में मानसून की दो शाखाएं होती हैं। एक अरब सागर से उठने वाली और दूसरी बंगाल की खाड़ी से। जब अरब सागर से उठने वाली हवाएं भारत के तटीय प्रदेशों पर पहुंचती हैं तो पश्चिमी घाट से टकराकर पश्चिमी तटीय भागों में तेज बारिश करती है। यही कारण है कि मुंबई जैसे तटीय शहरों में बहुत तेज और लगातार बारिश होती है लेकिन इन घाटों को पार करने के बाद जब ये मानसूनी हवाएं नीचे उतरती हैं तो इनका तापमान बढ़ जाता है और ये शुष्क होने लगती हैं। इस कारण प्रायद्वीपीय पठार के आंतरिक भाग बारिश से वंचित रह जाते हैं। इसलिए इन भागों को 'रेनशेडो एरिया' भी कहा गया है। यही वजह है कि तटीय शहर मंगलौर में वर्षा 280 सेंटीमीटर तक होती है, जबकि बेंगलुरू में केवल 50 सेमी तक ही वर्षा होती है।

हेलो फ्रेंड्स आप मेरे प्रश्न दिया हुआ है कि कम वर्षा का क्या प्रभाव होगा ठीक है अगर हम बात करें कि कम वर्षा से जो है क्या होता है तो देखे कम वर्षा जो है होने से सूखा जो है पड़ता है ठीक है तो यहां पर गर्म बात करें कि अगर तुम वर्षा होती है तो सूखा जो है पड़ता है कहीं पर तो बात करें अगर कि अगर हमारा जो वर्षा है वह हमारा किसी खास जो है क्षेत्र में अधिक तथा दूसरे क्षेत्र में अगर कम होती है तो और सब जो है औसत पर अगर बात करें उसका जो प्रभाव है वह हमारा अधिक जो है नहीं दिखाई देता परंतु अगर हमारा अलग-अलग क्षेत्र में इसका जो प्रभाव अलग अलग हो सकता है कि कहीं कहीं हमारा जो है सूखा हो सकता है और जो अन्य क्षेत्र है वहां हमारा जहां पर ज्यादा जो है वर्षा हुई है तो वहां पर हमारा जो है बाढ़ की स्थिति बन सकती है यहां पर अगर हम देखें कि यहां पर हमें भुला गया है कि कम वर्षा का क्या प्रभाव होगा तो

कमर जो है कम वर्षा कम वर्षा जो है कम वर्षा होने से होने से जो है सूखा सूखा पड़ेगा ठीक है अगर हमारा जो है वर्षा जो है कम होती है या होती नहीं तो यहां पर हमारा जो है क्या हो जाएगा सुखा पड़ेगा क्योंकि क्योंकि इसका कारण भी लिख लेते हैं कि क्योंकि जो है अगर जो है 1 वर्ष 1 वर्ष या इससे 1 वर्ष या इससे अधिक समय ठीक है इससे अधिक समय जो है समय तक जो की वर्षा वर्षा ना होना

यहां पर हम क्या कहेंगे कि क्योंकि अगर 1 वर्ष या इससे अधिक समय तक वर्षा जो है ना हो ना उस क्षेत्र में जो है ख्याल आता है यानी कि यहां पर हम बात करेंगे यहां पर में पूछा हुआ था कि जो है कम वर्षा का क्या प्रभाव होगा तो वहां पर हम लिखेंगे सूखा पड़ेगा ठीक है यहां पर हमारा जो कि क्या होगा सूखा पड़ेगा यहां से यह हमारा जो की बात करें इस प्रश्न का उत्तर हो जाएगा यहां पर ठीक है थैंक यू

वर्षा कम होने का क्या कारण है?

धरती पर मौजूद पानी से जलवाष्प का निर्माण होता है जो वाष्पीकरण के द्वारा होता है एवं संघनन द्वारा जलवाष्प द्रव अवस्था में निरंतर परिवर्तित होता रहता है। बढ़ती जनसंख्या के कारण जलवाष्प की मात्रा पृथ्वी के वायुमंडल में लगातार परिवर्तित हो रही है जिसके कारण बारिश में कमी की समस्या देखी जा सकती है।

राजस्थान में वर्षा कम होने के क्या कारण है?

राजस्थान में मानसून की सर्वप्रथम दक्षिण पश्चिम शाखा का प्रवेश करती है अरावली पर्वतमाला के मानसून की समानांतर होने के कारण राजस्थान में कम तथा अनियमित वर्षा होती है।

वर्षा से क्या हानि है?

वर्षा की हानियां — बहुत अधिक वर्षा होने से सड़कों पर पानी जमा हो जाता है जिससे यातायात के आवागमन में असुविधा होती है। वर्षा में हर जगह कीचड़ ही कीचड़ जमा हो जाता है और से गंदगी बढ़ती है।