वेदांत कॉलेज का फोकस क्या था? - vedaant kolej ka phokas kya tha?

बिरला प्रिसीजन टेक्नोलॉजी किस तरह पीएम नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत कैंपेन में हिस्सा ले रही है इस पर वेदांत बिरला ने बताया कि इन दिनों हम अपनी पांचवी योजना पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं जिसमें हम लोग खेती और हार्डवेयर के उपकरण का उत्पाद बढ़ा रहे हैं।

नई दिल्ली, जेएनएन। पीएम नरेंद्र मोदी के आत्म निर्भर भारत कैंपेन से जुड़ने के लिए बिरला प्रिसीजन टेक्नोलॉजीज के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर वेदांत बिरला ने स्पेशल प्लान बनाया है। उन्‍होंने कंपनी की भविष्‍य की प्‍लानिंग, लॉकडाउन और अध्‍यात्‍म से जुड़े विषयों पर फोकस किया है।

बिरला प्रिसीजन टेक्नोलॉजी किस तरह पीएम नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत कैंपेन में हिस्सा ले रही है, इस पर वेदांत बिरला ने बताया कि इन दिनों हम अपनी पांचवी योजना पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं जिसमें हम लोग खेती और हार्डवेयर के उपकरण का उत्पाद बढ़ा रहे हैं। अभी तक इन उपकरणों का आयात चीन से होता था।

पांच साल बाद आप बिरला प्रिसीजन टेक्नोलॉजीज को कहां देखते हैं और उसके लिए क्या कदम उठा रहे हैं? इस सवाल पर वेदांत कहते हैं, 'जैसा कि मैंने आपको बताया कि हम अपनी कंपनी के जरिए भारत में ग्रामीण और हार्डवेयर सेक्टर को अधिक मजबूती प्रदान करना चाहते हैं। इसके लिए हम एक नया प्लांट भी लगा रहे हैं। हम भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर को और बेहतर बनाने में मुख्य भूमिका निभाना चाहते हैं। इसके अलावा इस समय हमारी स्थिति जो ऑटोमोटिव क्षेत्र में है, उसे भी बढ़ाना चाहते हैं।'

लॉक डाउन में आपकी सबसे बड़ी सीख क्या रही और सबसे मुश्किल और सबसे खुशहाल पल कौन सा रहा है? इस पर वेदांत बिरला ने बताया, 'इस लॉकडाउन में मेरी सबसे बड़ी सीख आंतरिक सुख (इनर पीस) की प्राप्ति रही। इससे मेरे जीवन के हर क्षेत्र में खुशियां भर गईं। सबसे कठिन पल तब था जब लॉकडाउन की घोषणा हुई थी और हमें हमारे सारे प्लांट्स रातोंरात बंद करने पड़े थे। खुशहाल पल की बात की जाए तो वह परिवार के साथ बिताया समय था।'

वेदांत बिरला एक योग प्रेमी भी हैं। उन्‍होंने बताया कि इन दिनों योग क्‍यों जरूरी है और इसका लाभ क्‍या है। वह कहते हैं, 'योग से लाभ यह है कि यह जीवन के हर क्षण में आनंद की अनुभूति कराता है। शारीरिक तौर पर सेहतमंद रखता है। हमारे आंतरिक स्वभाव को भी मजबूत करता है। ये सारी चीजें इस कठिन समय में जरूरी हैं, इसलिए योग जरूरी है।

क्‍या आप स्पिरिचुअल फाउंडेशन का हिस्सा हैं? इस सवाल पर बिरला ने कहा, 'मैं सभी आध्यात्मिक मार्गों का आदर करता हूं लेकिन मेरे हिसाब से सबसे अच्छा आर्ट ऑफ लिविंग है। वे योगा, प्राणायाम, ध्यान और ज्ञान के जरिए आपके जीवन में आध्यात्मिक और भौतिक संसार में दक्षता से कार्य करने का ज्ञान देते हैं।'

बातचीत के दौरान बिरला ने यह भी बताया कि वह योग और अध्यात्म को युवाओं में किस प्रकार बढ़ाना चाह रहे हैं। वह कहते हैं, 'इस लॉकडाउन में हमने बहुत से इंजीनियरिंग कॉलेजों और अपने इंडस्ट्रियल साइट्स के लोगों को संबोधित करते हुए उन्हें अध्यात्म और योग के बारे में जानकारी प्रदान की। उन्हें इसके लिए प्रोत्साहित किया है। लोगों ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा भी लिया है। उनके द्वारा दिखाई गई प्रतिक्रिया हमारे लिए काफी उत्साहवर्धक रही।'

यह पूछे जाने पर कि जिन लोगों को अभी भी आध्यात्मिक दुनिया का ज्ञान नहीं है, उनके लिए आप क्या कहना चाहते हैं, इस पर वेदांत ने कहा, 'अगर कोई व्यक्ति अपनी चिंता और डर के ऊपर ज्यादा ध्यान देता है तो उसको आध्यात्मिक ज्ञान की प्रप्ति देरी से होगी लेकिन अगर कोई व्यक्ति अपनी जिंदगी पूरे उत्साह, ऊर्जा और खुशी के साथ जीता है तो उसे अपनी दैनिक दिनचर्या में अध्यात्म के लिए जरूर समय निकालना चाहिए।'

बिरला ने बताया कि मैं बिरला परिवार की छठवीं पुश्त का हिस्सा हूं। इस वक्त मैं बिरला प्रिसीजन टेक्नोलॉजीज का चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर भी हूं। यह एक पब्लिकली लिस्टेड कंपनी है जिसके ऑटोमोटिव क्षेत्र में पूरे भारत में पांच फैक्‍ट्रियां हैं। इसके अलावा मैं बिरला ब्रदर्स मंडल, बिरला परिवार के इन्वेस्टमेंट वेहिकल और कृष्ण अर्पण ट्रस्ट का भी सदस्य हूं जो नॉन प्रॉफिट यूनिवर्सिटी और कॉलेज चलाता है।

Edited By: Sanjeev Tiwari

नागपुर के 15 वर्षीय स्कूली छात्र वेदांत देवकाते ने वह कर दिखाया है जो दिग्गज सॉफ्टवेयर, आईटी पेशेवर नहीं कर सकते थे. अपनी मां के पुराने लैपटॉप पर इंस्टाग्राम ब्राउज़ करते समय, उन्हें एक वेबसाइट डेवलपमेंट कॉन्टेस्ट मिला. उन्होंने घर मे बिना किसी को बताए प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और दो दिनों में 2,066 लाइनों मी कोडिंग की. अमेरिका की एक कंपनी को उसके द्वारा की गई कोडिंग पसंद आई और उन्होंने वेदांत को जॉब ऑफर कर दिया.

Nagpur Ramna Maruti area Vedanta Raju Devkaate a 15-year-old student has achieved such a feat that at the age of 15, he has got a job offer from a US company with a package of Rs 33 lakh.

महाराष्ट्र कॉमन एडमिशन टेस्ट (MHCET) लाॅ के नतीजों में राजधानी के वेदांत उपाध्याय ने देश में दसवां स्थान प्राप्त किया है. वेदांत को एशिया के सबसे पुराने लॉ कॉलेजों में शामिल मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में दाखिला पाने का अवसर मिलेगा. यह वही कॉलेज है, जहां से राम जेठमलानी जैसे जाने-माने कानूनविद पढ़ कर निकले हैं.

लखनऊ : महाराष्ट्र कॉमन एडमिशन टेस्ट (MHCET) लाॅ के नतीजों में राजधानी के वेदांत उपाध्याय ने देश में दसवां स्थान प्राप्त किया है. वेदांत को एशिया के सबसे पुराने लॉ कॉलेजों में शामिल मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में दाखिला पाने का अवसर मिलेगा. यह वही कॉलेज है जहां से राम जेठमलानी जैसे जाने-माने कानूनविद पढ़कर निकले हैं. पूरे देश में राजधानी का मान बढ़ाने वाले वेदांत उपाध्याय के साथ ईटीवी भारत में शनिवार को खास बातचीत की. इस दौरान वेदांत ने अपनी सफलता के मंत्र साझा किए.

वेदांत लखनऊ के आशियाना क्षेत्र में रहते हैं. यहां के द मिलेनियम स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की. पिता अवणेंद्रा कुमार उपाध्याय गृह मंत्रालय में कार्यरत हैं. उनकी मां उर्मिला उपाध्याय लखनऊ के एसकेडी अकैडमी में इकोनॉमिक्स की टीचर हैं. वेदांत बताते हैं कि उन्होंने 8वीं के बाद ही कानून के क्षेत्र में अपना करियर बनाने का फैसला कर लिया था. दसवीं में 97% अंक मिले थे. उस दौरान सभी ने कहा कि साइंस लेकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करनी चाहिए या मेडिकल की तैयारी करनी चाहिए. वेदांत कहते हैं, मैंने तो पहले से ही तय कर रखा था कि कानून के क्षेत्र में ही कैरियर बनाना है. मम्मी-पापा ने भी मेरे इस फैसले का स्वागत किया.

MHCET परीक्षा में वेदांत को मिला देश में दसवां स्थान

वेदांत बताते हैं कि उन्होंने 11वीं में ह्यूमैनिटीज के विषय लेकर विधि के क्षेत्र में जाने के लिए तैयारी शुरू कर दी. इस दौरान सुबह 5 बजे से दिनचर्या शुरू होती. रात 7:30 बजे तक पढ़ाई करने के बाद 8 बजे स्कूल के लिए निकलते. 2:30 बजे स्कूल की छुट्टी के बाद कोचिंग के लिए भागते. रात 8 बजे तक वापस घर पहुंचने के बाद 1 घंटा सोना और फिर 9:30 से सेल्फ स्टडी शुरू करना. यह पढ़ाई रात करीब 1 से 1:30 बजे तक चलती. वेदांत बताते हैं कि इससे पहले वह क्लैट में भी शामिल हो चुके थे, लेकिन अच्छी रैंक न मिलने के कारण उन्होंने दोबारा तैयारी करने का फैसला किया. नाकामी को कभी भी अपनी तैयारी पर हावी नहीं होने दिया. उसी का नतीजा है कि आज देश ही नहीं बल्कि एशिया के सबसे पुराने लॉ कॉलेज में दाखिला पाने का मौका मिला. वेदांत बताते हैं कि उन्होंने 11वीं के दौरान विषय चुनने में काफी सावधानी बरती. लक्ष्य निर्धारित था. ऐसे में उन विषयों को चुनाव जिन से सवाल लॉ ऐडमिशन टेस्ट में पूछे जाते हैं इसलिए तैयारी का दबाव कम हो गया. परीक्षा से कुछ समय पहले 12वीं की पढ़ाई करते और बाकी समय लाॅ एडमिशन टेस्ट की तैयारी पर फोकस रहता था. वह सलाह देते हैं कि इस क्षेत्र में तैयारी के दौरान काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन, जरूरी है कि हम अपना संयम और धैर्य बनाए रखें.

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