उद्धव श्रीकृष्ण का सन्देश लेकर गोपियों को सांत्वना देने और समझाने आए थे। कृष्ण ने उद्धव को कहा था कि वह योगी हैं, अत: योग का उपदेश करके गोपियों का सही मार्गदर्शन करें। उन्हें सांसारिक मोह से मुक्त होकर मुक्ति के मार्ग पर चलने का सन्देश दें। उद्धव ने यही किया। उन्होंने गोपियों को समझाने की चेष्टा की कि कृष्ण के वियोग में दुखी होना छोड़, वे निराकार ईश्वर की उपासना करें। Show परन्तु गोपियों को उद्धव का योग-उपदेश तनिक भी नहीं भाया। उन्होंने उद्धव से कह दिया कि उनका योग का सन्देश उन्हें कड़वी ककड़ी जैसा लग रहा है। अत: इस योग रूपी व्याधि को उन्हें ही सिखाएँ जिनके मनं अस्थिर अथवा चंचल हैं। यह योग हम नारियों के लिए एक रोग या झंझेटे के समान है। भला स्त्रियाँ योगियों के समान लंगोट लगाकर शरीर पर भस्म मल कर तथा जटाएँ बढ़ाकर कैसे रह सकती हैं। योग रूपी व्याधि से बचने के लिए ही वे उद्धव से अनुरोध करती हैं-“जोग-कथा, पालागौं ऊधो, ना कहु बारम्बार ।” उद्धव के मुख से योग सन्देशों को बार-बार सुनकर गोपियाँ अत्यन्त व्यथित हो गई हैं। यही कारण है जिसके कारण गोपियों ने योग को ‘व्याधि’ कहा है। लघु-उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 2. आपके द्वारा पठित सूरदास के पदों में किस रस की प्रधानता है? इसमें कौन-कौन प्रमुख पात्र हैं? प्रश्न 3. गोपियों के अनुसार प्रीति की नदी में किसने पैर नहीं रखा है और उन्हें उसकी दृष्टि में क्या अभाव दिखाई दे रहा
है? प्रश्न 4. उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किससे की गई है? प्रश्न 5. सूरदास की गोपियाँ स्वयं को ‘भोली’ क्यों कहती हैं ? प्रश्न
6. गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान (बड़भागी) कहने के पीछे क्या व्यंग्य निहित है ? प्रश्न 7. गोपियाँ उद्धव को भाग्यवान क्यों कहती हैं? प्रश्न 8. ”चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही“ पंक्ति का भाव सूरदास के पद के आधार पर प्रसंग सहित स्पष्ट कीजिए। प्रश्न 9. अब इन ”जोग सँदेसनि सुनि सुनि बिरहिनि बिरह दही।“ पंक्ति का भाव स्पष्ट करते हुए बताइए कि बिरहिनि कौन है जो विरह में दग्ध हो रही हैं? प्रश्न 10. ‘मरजादा न लही’ के माध्यम से कौन-सी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है? प्रश्न 11.
उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया ? प्रश्न 12. गोपियाँ उद्धव की बातों से निराश क्यों हो उठीं? प्रश्न 14. ‘सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यों करुई ककरी’ पंक्ति
में गोपियों के कैसे मनोभाव दर्शाए गए हैं? प्रश्न 15. गोपियों ने कृष्ण के प्रति अपने प्रेमभाव की गहनता को किस प्रकार प्रकट किया है? सूरदास-रचित पदों के आधार पर स्पष्ट कीजिए। प्रश्न 16. गोपियों का योग-साधना के प्रति दृष्टिकोण कैसा है? प्रश्न 17. कृष्ण को ‘हारिल की लकड़ी’ कहने से गोपियों का क्या आशय है? प्रश्न 18. ‘जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह-कान्ह जकरी’। इस पंक्ति द्वारा गोपियों की किस मनः स्थिति का वर्णन किया गया है ? प्रश्न 19. गोपियों ने ‘व्याधि’ और ‘करुई ककरी’ जैसे शब्दों का प्रयोग किसके लिए और क्यों किया? प्रश्न 20. गोपियों का मन किसने चलते समय चुरा लिया था? अब वे क्या चाहती हैं? प्रश्न 21. गोपियाँ किसकी प्रतीक हैं? श्रीकृष्ण के प्रति उनका प्रेम-भाव क्या सिद्ध
करता है? प्रश्न 22. दूसरों को नीति की सीख देने वाले कृष्ण स्वयं अनीति का आचरण करने लगे। गोपियों ने ऐसा क्यों कहा है? प्रश्न 23. गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए, जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं ? प्रश्न 24. गोपियों के अनुसार एक अच्छे राजा का धर्म क्या होना चाहिए ? गोपियों ने किस पर व्यंग्य किया है और क्यों?व्यंग्यात्मकता-गोपियाँ व्यंग्य करने में प्रवीण हैं। उनकी भाग्यहीनता को भाग्यवान कहकर व्यंग्य करती हैं कि तुमसे बढ़कर और कौन भाग्यवान होगा जो कृष्ण के समीप रहकर उनके अनुराग से वंचित रहे। सहृदयता-उनकी सहृदयता उनकी बातों में स्पष्ट झलकती है।
गोपियों के लिए व्याधि का आशय क्या है?गोपियों के लिए व्याधि (बीमारी ) उद्धव के योग संदेश है।
गोपियां उद्धव से कहती है कि ये तुम्हारे योग संदेश हमारे लिए एक बीमारी है जिसे न कभी हमने सुना , न भोगा तथा न ही इसका इलाज पता है। वे कहती है कि हमें ये योग संदेश न दो, ये हमारी समझ से बाहर है। गोपियां उद्धव तरह तरह के उदाहरण देकर उलाहने दे रही है।
गोपियों की विरह व्यथा क्यों बढ़ गई थी?Answer: क्योंकि कृष्णा खुद ना आकर उद्धव को उनसे मिलने के लिए भेजा और उद्धव ने गोपियों को योग संदेश दिया jo गोपियों के लिए कड़वी ककरी के समान था। उद्धव के इस वाक्यों से गोपियों की विरह अग्नि और भड़क उठी।
गोपियों ने बड़भागी किसे और क्यों कहा है?गोपियों ने उद्धव को इसलिए बड़भागी कहा है क्योंकि उद्धव श्रीकृष्ण के प्रेम से दूर हैं। उन्हें कृष्ण का प्रेम अपने बंधन में न बाँध सका।
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