वित्त विधेयक और वित्त विधेयक में क्या अंतर है? - vitt vidheyak aur vitt vidheyak mein kya antar hai?

कोई विधेयक धन विधेयक है या वित्त विधेयक इसका निश्चय लोक सभा अध्यक्ष ही अन्तिम रूप से निर्धारित करता है और यह निर्धारण दोनों के मध्य निम्नलिखित भेदों के आधार पर किया जाता है.

धन विधेयक और वित्त विधेयक में अंतर

  1. धन विधेयक (विनियोग विधेयक) पारित होने के साथ सरकार को राज कोष से धनराशि खर्च करने का अधिकार मिल जाता है, किन्तु इस व्यय की पूर्ती के लिए वित्तीय साधनों की प्राप्ति कर प्रस्तावों द्वारा सम्भव होती है। इस प्रकार संसद के समक्ष वित्त विधेयक प्रस्तुत किया जाता है।
  2. धन विधेयक राज्य सभा में पुनःस्थापित नहीं किया जा सकता और उसे राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से केवल लोक सभा में प्रस्तुत किया जाता है जबकि वित्त विधेयक वित्तमन्त्री के द्वारा लोक सभा में ही प्रस्तुत किया जाता है।
  3. धन विधेयक में प्रायः कोई परिवर्तन नहीं किया जाता जबकि वित्त विधेयक में बहस के दौरान सदस्यों द्वारा करों की दरों में परिवर्तन के लिए संशोधन प्रस्तुत किये जाते हैं।
  4. धन विधेयकों के सम्बन्ध में लोकसभा को उसे पारित करने की अन्तिम शक्ति प्राप्त होती है। धन विधेयक पर असहमति होने पर निचले सदन (लोक सभा) को उच्च सदन (राज्य सभा) की इच्छाओं की अवहेलना करने की पूरी शक्ति है जबकि वित्त विधेयक के सम्बन्ध में असहमति होने पर संविधान ने सदन के दोनों सदनों के बीच सहमति बनाने के लिए अनुच्छेद (188) के तहत दोनों सदनों की संयुक्त बैठक का प्राविधान किया है।
  5. कोई विधेयक धन विधेयक तभी होगा जब वह अनुच्छेद (110) के अन्तर्गत दी गई उपबन्धों के अन्तर्गत आता होगा। जबकि वित्त विधेयक सरकार द्वारा आगामी. वर्ष के लिए जिन वित्तीय प्रस्तावों को पेश किया जाता है उन्हें वित्त विधेयक कहते हैं।

    2. धन विधेयक में केवल अनुच्छेद 110 में दिए गए विषय शामिल होते हैं जबकि वित्त विधेयक में अनुच्छेद 110 के विषयों के साथ-साथ साधारण विधान के अन्य विषय भी शामिल होते हैं।

    3. चूंकि धन विधेयक का विषय क्षेत्र वित्त विधेयक से सीमित होता है अतः प्रत्येक धन विधेयक वित्त विधेयक होता है जबकि प्रत्येक वित्त विधेयक धन विधेयक नहीं होता है।

    4. धन विधेयक को राज्य सभा में पेश नहीं किया जा सकता जबकि संचित निधि से धन निकालने से सम्बंधित वित्त विधेयक को संसद के किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है। अन्य वित्त विधेयकों को केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है।

    5. धन विधेयक के मामले में राज्यसभा केवल अपनी सिफारिश दे सकती है, उसे संशोधित या नामंजूर नहीं कर सकती जबकि वित्त विधेयक के मामले में राज्यसभा उसमें संशोधन कर सकती है तथा नामंजूर कर सकती है।

    6. धन विधेयक केवल लोकसभा द्वारा पारित किया जाता है जबकि वित्त विधेयक दोनों सदनों द्वारा पारित किया जाता है।

    7. धन विधेयक की दशा में संयुक्त बैठक का प्रावधान नहीं है जबकि वित्त विधेयक की दशा में संयुक्त बैठक का प्रावधान है।

    8. धन विधेयक राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से ही लोकसभा में पेश किया जाता है जबकि केवल वैसे वित्त विधेयक जिसमें अनुच्छेद 110 के साथ अन्य विषय हों, को राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति आवश्यक होती है। शेष वित्त विधेयक को राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति आवश्यक नहीं है।

    9. धन विधेयक को राष्ट्रपति पुनर्विचार के लिए नहीं लौटा सकता जबकि वित्त विधेयक को राष्ट्रपति द्वारा पुनर्विचार के लिए लौटाया जा सकता है।

    10. धन विधेयक पर विचार करने के लिए राष्ट्रपति की सिफारिश नहीं चाहिए जबकि वित्त विधेयक पर चर्चा करने के लिए सदनों को राष्ट्रपति की सिफारिश आवश्यक है।

    दोस्तों आज की पोस्ट में आपको एक अहम विषयवस्तु धन विधेयक और वित्त विधेयक में अंतर(Difference between Money Bill and Finance Bill) के बारे में बताएँगे

    धन विधेयक और वित्त विधेयक में अंतर(dhan vidheyak aur vitt vidheyak mein antar)

     

    धन विधेयकवित्त विधेयक1. धन विधेयक को पारित करने की प्रक्रिया अनु. 109 में दी गयी है।1. वित्त विधेयक को पारित करने की प्रक्रिया अनुच्छेद 117 में दी गयी है।2. धन विधेयक में सिर्फ अनु. 110 में निर्दिष्ट विषय आते हैं।2. वित्त विधेयक में अनु. 110 में निर्दिष्ट विषय तथा कुछ अन्य विषय भी होते है।3. धन विधेयक का विषय क्षेत्र वित्त विधेयक की अपेक्षा सीमित होता है, अतः प्रत्येक वित्त विधेयक धन विधेयक नहीं होता है।3. वित्त विधेयक धन विधेयक से व्यापक होता है, अतः प्रत्येक धन विधेयक वित्त विधेयक होता है।4. धन विधेयक को राज्यसभा में पेश नहीं किया जा सकता है।4. अनु. 117 (3) के अधीन आने वाले वित्त विधेयक को छोङकर अन्य वित्त विधेयकों को भी राज्यसभा में पेश नहीं किया सकता है।5. धन विधेयक को राज्यसभा 14 दिन के अन्दर सिफारिश सहित या रहित लौटा दिया जाता है।5. वित्त विधेयक को दोनों सदनों द्वारा पारित किया जाता है।6. धन विधेयक को राष्ट्रपति की सिफारिश पर ही लोकसभा में पेश किया जाता है।6. अनु. 117 (3) के अन्तर्गत आने वाले वित्त विधेयक के लिए राष्ट्रपति को सिफारिश आवश्यक नहीं। इसके अलावा अन्य वित्त विधेयक भी राष्ट्रपति की सिफारिश पर संसद के किसी भी सदन में पेश किये जा सकते है।7. धन विधेयक के सम्बन्ध में संयुक्त बैठक का प्रावधान नहीं है।7. वित्त विधेयक के सम्बन्ध में संयुक्त बैठक बुलायी जा सकती है।8. धन विधेयक को राष्ट्रपति पुनर्विचार के लिए नहीं लौटा सकता है। वह उस पर अनुमति देने के लिए बाध्य है।