वाराणसी, जागरण संवाददता। आम तौर पर लोग भोजन के अंत में मीठा या गुड़ खाते हैं और इसे आयुर्वेद के अनुसार बताते हैं पर सच पूछें तो यह आयुर्वेद की अवधारणा के विपरीत है। आयुर्वेदीय भोजन विधि पहले अदरक और सेंधा नमक खाने की बात करती है। इसके बाद गुड़ या मधुर पदार्थ खाकर भोजन शुरू करने का नियम बताती है। ऋतु के अनुसार भोजन में सब्जियां और दाल, चावल, बाटी चोखा आदि को संपूर्ण आहार बताते हुए अंत में कटु तिक्त रस वाले पदार्थाें को खाने की सलाह दी गई है। Show Gyanvapi Masjid Case : ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े सभी मामलों को एक साथ करने को लेकर आज होगी सुनवाई यह भी पढ़ेंबीएचयू के आयुर्वेद विभाग के वैद्य सुशील दुबे बताते हैं कि एक बार अंत में भी मधुर रस युक्त पदार्थ खाने चाहिए और भोजन करने के बाद छाछ या मट्ठा पीना चाहिए। वैद्य सुशील दुबे बताते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार, ‘भोजनाग्रे सदा पथ्यंलवणार्द्रकभक्षणम्, अग्निसन्दीपनंरुच्यंजिह्वाकण्ठविशोधनम्’। यानी भोजन करने के प्रथम सर्वदा सेंधा नमक के साथ अदरक खाना हितकारी होता है। क्योंकि यह अग्नि को दीप्त करने वाला, रुचिकारक, जिह्वा तथा कंठ का शोधन करने वाला होता है। वह कहते हैं कि इसके बाद पूर्व ‘पूर्वमधुरमश्नीयान्मध्येअम्ललवणौरसौ’ यानी भोजन में सर्वप्रथम मधुर पदार्थों को ग्रहण करना चाहिए। मध्य में अम्ल एवं लवण रस वाले पदार्थ खाने चाहिए। ऋतु के अनुसार उत्पन्न सब्जियों का सेवन करना हितकर होता है। Agnipath Army Recruitment : गाजीपुर, भदोही और चंदौली के अभ्यर्थियों ने दिखाया दम, 671 हुए सफल यह भी पढ़ेंपूर्वांचल के व्यक्तियों की प्रकृति के अनुरूप बाटी-चोखा, दाल-चावल सबसे बेहतर एवं स्वास्थ्यवर्धक है। बाटी की जगह रोटी का भी सेवन कर सकते हैं। वह बताते हैं कि भोजन के अंत में कटु-तिक्त प्रधान आहार रस द्रव्यों का सेवन करना चाहिए। हींग, मरीच, पंचकोल (पिप्पलीमूल, चव्य, चित्रक और शुुंठी) आदि कटु रस वाले खाद्य पदार्थ हैं। तिक्त रस अन्य पदार्थाें को स्वादिष्ट और रुचिकर बनाताा है। इससे भोजन में रुचि बढ़ती है। तिक्त रस वाले पदार्थ विषैले प्रभाव, पेट के कीड़ों कुष्ठ, खुजली, बेहोशी, जलन, प्यास, त्वचा के रोगों, मोटापे व मधुमेह आदि को दूर करते हैं। अंत में दाहोत्पादक लवण, कटुत तथा उष्ण पदार्थ जो मनुष्य खाता है, उसके दाहकमता रूपी दोष को दूर करने के लिए मधुर रस युक्त पदार्थाें को खोकर ही भोजन समाप्त करना चाहिए। अदरक (Benefits Of Ginger) से सभी लोग परिचित हैं. भोजन के पूर्व अदरक को कतरकर नमक मिलाकर खाने से भूख खुलती है. रुचि उत्पन्न होती है. आहार का पाचन होता है. इसके सेवन से कफ़ और वायु की बीमारी नहीं होती. अदरक का मुरब्बा, पाक, चटनी, अचार आदि भी बनाया जाता है. गांवों में इसका उपयोग घरेलू औषधि के रूप में भी किया जाता है. अदरक गले से जुड़ी किसी भी समस्या में बहुत फायेदमंद होता है। अदरक हर रसोई में आपको हर रसोई में बड़ी आसानी से मिल जाएगा। यह डाइजेशन को ठीक रखता है और पेट की बीमारियों में भी फायदेमंद है। पर क्या आप जानते हैं कि अदरक के टुकड़े के साथ जरा सा नमक खाने से इसका फायदा दोगुना हो जाता है और कफ या बलगम की समस्या से तुरंत राहत मिलती है। क्या करता है अदरक? अदरक, श्वास नली के संकुचन में हो परेशानी से निजात दिलाता है है, जिससे सूखी खांसी से निपटने में मदद मिलती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गले और सांस लेने वाली नली में जमा टॉक्सिन को साफ करता है और कफ को बाहर निकालता है। यही नहीं अदरक में ऐसे गुण भी पाए जाते हैं, जो अस्थमा और ब्रोंकाइटिस को दूर करने में लाभदायक होते हैं। यदि अदरक में नमक मिला दिया जाए तो इसकी ताकत दोगुनी बढ़ जाती है क्योंकि नमक गले में फसे म्यूकस को निकालने में तेजी से मदद भी करता है और बैक्टीरियल ग्रोथ को भी रोकता है। अदरक और नमक अदरक को छील कर धो लें और छोटे पीस में काटें। फिर उस पर थोड़ा सा नमक छिड़के। अब इसे चबाएं और इसका रस निगल लें। उसके बाद शहद चाटना ना भूलें जिस्से इसका स्वाद गायब हो जाए। अदरक और नमक को एक साथ चबाने से बहुत ज्यादा असर होता है। इसका स्वाद बहुत कसैला होता है इसलिए बहुत से लोग इस तरह इसे नहीं खा पाते इसलिये आप चाहें तो इसका काढ़ा बनाकर भी पी सकते हैं। यह भी पढ़ें: जानें अदरक के स्वास्थ्य लाभ अदरक का काढा काढ़ा बनाकर भी पीने से उतना ही फायदो होगा तो अगर आप इसे ऐसे ही चबाने में असमर्थ है तो परेशान न हों। इसे बनाने के लिये एक गिलास खौलते हुए पानी में थोड़े से अदरक के टुकड़े डालें और चुटकीभर नमक मिलाएं। फिर पानी को आधा हो जाने तक खौलाएं और गैस बंद कर दें। फिर इसे छान कर रख लें और जब यह पीने लायक ठंडा हो जाए तब इसे पी लें। इससे आपका कफ, बलगम, खांसी और जुकाम आदि से तो राहत मिलेगी ही और पेट भी साफ रहेगा जिससे आप से सभी तरह की बीमारियां कोसों दूर रहेंगी। ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें हेल्थ समाचार की और अन्य ताजा-तरीन खबरें इंदौर। खान-पान को लेकर बहुत भ्रांतियां हैं। क्या खाएं, क्या नहीं खाएं, किस तरह खाएं आदि। अगर रोगों से बचना है तो सबसे ज्यादा जरूरी है कि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर हो और यह तब ही हो सकता है, जब आप वात,कफ और पित्त को संतुलित रखें। इसमें जठराग्नि को बेहतर रखना बहुत जरूरी है। जठराग्नि जिससे पाचनतंत्र बेहतर होता है, उसे जाग्रत रखने के लिए आप खाना खाने के 15 मिनट पहले थोड़े से अदरक में सेंधा नमक मिलाकर खाएं। आयुर्वेद का यह नुस्खा दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ.परमेश्वर अरोड़ा ने शहर आगमन पर हुई मुलाकात में साझा किया। वे एक निजी कंपनी के च्यवनप्राश की जानकारियां देने शहर आए थे। इस दौरान उन्होंने रोगों से बचाव और रोगों को दूर करने के बारे में चरक संहिता और आयुर्वेद के अनुसार जानकारियां दीं। उन्होंने आयुर्वेद के सिद्धांत को समझाते हुए कहा कि आयुर्वेद सबसे पहले स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा की बात कहता है और इसके बाद रोग के निदान पर आता है। इसलिए जो स्वस्थ हैं, वे स्वस्थ बने रहने पर ध्यान दें। स्वस्थ रहने के लिए ऋतु संधि काल में विशेष ध्यान रखने का गुर बताया। जब एक ऋतु जाती है तो उसके अंतिम सात दिन और जब दूसरी ऋतु आती है तो उसके शुरुआती सात दिन इस तरह से ये कुल 14 दिनों का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। ऐसे में सुपाच्य, मौसम के अनुरूप और औषधीय युक्त पदार्थ लें। वर्तमान में हम खानपान में क्वालिटी, क्वांटिटी और कॉम्बिनेशन का ध्यान नहीं रख रहे हैं। ऋतु संधि काल में इसका विशेष ध्यान रखें और खाने का समय व तरीका सुधारें। चार संतरे के बराबर एक आंवला, इसे जरूर खाएं इम्युनिटी सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए विटामिन सी सबसे बेहतर उपाय है। विटामिन सी बेशक संतरा, नींबू, इमली जैसे खट्टे फलों में मिलता है, लेकिन इसका सबसे उत्तम स्त्रोत आंवला है। चार संतरे के बराबर एक आंवले में विटामिन सी होता है। अन्य खट्टे फलों की अपेक्षा आंवले में विटामिन सी 20 गुना ज्यादा होता है। आंवला भले ही सूख चुका हो, मगर उसका विटामिन सी खत्म नहीं होता। इसलिए च्यवनप्राश में आंवला ही डाला जाता है और उसके साथ औषधियां मिलाई जाती हैं। Indore Kapeesh Dubey Column: कांग्रेस में बढ़ती संजय शुक्ला की अहमियत यह भी पढ़ेंइस औषधि से दूर हो सकती है खांसी डॉ. अरोड़ा ने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार सितोपलादि चूर्ण से हर प्रकार की खांसी दूर की जा सकती है। यह चूर्ण घर पर भी बनाया जा सकता है। जितनी मात्रा में मिश्री लें उससे आधी मात्रा में तुगाश्री (वंशलोचन) लें, तुगाश्री से आधी मात्रा में पिपली इसकी आधी मात्रा में इलायची और इलायची की आधी मात्रा में दालचीनी लें। इनके चूर्ण को मिलाकर शहद के साथ खाएं। इसके अलावा यदि जठराग्नि मंद पड़ गई है तो उसे दुरुस्त करने के लिए सौंठ, कालीमिर्च और पिपली को समान मात्रा में लेकर उसका पाउडर नींबू पर लगाकर चाटें। Bharat Jodo Yatra: सुरक्षा में सेंध, राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में आई जेएनयू छात्रा का सामान चोरी अदरक और नमक खाने से क्या होता है?अदरक और नमक का एक साथ सेवन करने से पेट की समस्या से आराम मिलता है. ये गैस की परेशानी को दूर करता है साथ ही गैस से होने वाली परेशानी को दूर भगाता है जैसे पथरी(stone) की परेशानी, ज्यादा गैस बनने से चेस्ट पेंन की भी समस्या होती है आदि.
सेंधा नमक खाने से क्या नुकसान होता है?सेंधा नमक के नुकसान – Side Effects of Rock Salt in Hindi
सेंधा नमक की अधिक मात्रा ब्लड प्रेशर के लेवल को हाई कर सकता है। ऐसे लोग जिन्हें एडिमा की समस्या है, उन्हें भी सेंधा नमक का इस्तेमाल सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर ही करनी चाहिए। सेंधा नमक की अधिक मात्रा सूजन का कारण बन सकती है ।
कच्चा अदरक खाने से क्या फायदा है?कच्ची अदरक में प्रचूर मात्रा में विटामिन ए, विटामिन डी, विटामिन, आयरन जिंक और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व पाये जाते हैं, जिसके सेवन से कई बीमारियां दूर होती हैं. वहीं कच्चे अदरक का सेवन करने से सर्दी-खांसी जैसे वायरल इंफेक्शन से काफी हद तक बचा जा सकता है.
सेंधा नमक खाने से क्या लाभ होता है?सेंधा नमक में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो हाई ब्लड प्रेशर, हर्ट अटैक, कोलेस्ट्रॉल और दूसरी कई बीमारियों से लड़ने का काम करते हैं। जिससे दिल स्वस्थ रहता है और पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेट करता रहता है। अपने दिल को स्वस्थ रखने के लिए आप सेंधा नमक का सेवन कर सकते हैं।
|