विज्ञान शिक्षण से आप क्या समझते हैं? - vigyaan shikshan se aap kya samajhate hain?

इसे सुनेंरोकेंविज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि प्रकृति के क्रमबद्ध एवं सुव्यवस्थित ज्ञान को विज्ञान कहते है। या किसी भी वस्तु के बारे में विस्तृत ज्ञान को ही विज्ञान कहते हैंं।

विज्ञान क्या है विज्ञान की भाषा का विचार व्यक्त कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंजिस विज्ञान के अन्तर्गत वर्णनात्मक, ऐतिहासिक और तुलनात्मक अध्ययन के सहारे भाषा की उत्पत्ति, गठन, प्रकृति एवं विकास आदि की सम्यक् व्याख्या करते हुए, इन सभी के विषय में सिद्धान्तों का निर्धारण हो, उसे भाषा विज्ञान कहते हैं। ऊपर दी गई सभी परिभाषाओं पर विचार करने से ज्ञात होता है कि उनमें परस्पर कोई अन्तर नहीं है।

अर्थ विज्ञान में किसका अध्ययन होता है?

इसे सुनेंरोकेंपरिचय भाषा के दायरे में शब्दों और वाक्यों के तात्पर्य का अध्ययन अर्थ-विज्ञान कहलाता है। सीमेंटिक्स यह पता लगाता है कि अर्थ-ग्रहण का यह अंतर पैदा करने में भाषा कैसे काम करती है।

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विज्ञान शिक्षण से आप क्या समझते है?

इसे सुनेंरोकेंविज्ञान एक उपक्रम है जिसमें ज्ञान किसी भी विषय-वस्तु के सामान्य स्तर अथवा साधारण स्तर से कठिन की ओर व सूक्ष्म से स्थूल की ओर चलता है। विज्ञान शिक्षण को और प्रभावी बनाने व अधिक से अधिक लोगों की समझ के स्तर में लाने के लिए जरूरी है कि इसे मनुष्य के दैनिक जीवन से व साथ ही उसके चारों ओर के पर्यावरण से जोड़ा जाए।

शिक्षण उद्देश्य से आप क्या समझते हैं जीव विज्ञान शिक्षण के प्रमुख उद्देश्य क्या है?

इसे सुनेंरोकेंवैज्ञानिक दृष्टिकोण:- जीव विज्ञान की शिक्षा का मुख्य उद्देश्य बालकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न करना तथा उसके विकास के लिये उपयुक्त अवसर देना है। प्रयोग परीक्षण अथवा भलीभांति निरीक्षण किए हुए स्वीकार नही करना चाहिए। लिये आवश्यक हो, उसी जानकारी को अपना लक्ष्य बनाना चाहिए। एक सफल साधन है।

विज्ञान क्या है सरल उत्तर?

इसे सुनेंरोकें(what is science definition in hindi) विज्ञान की परिभाषा क्या है? “प्रकृति में उपस्थित वस्तुओं के क्रमबद्ध अध्ययन से ज्ञान प्राप्त करने और उस ज्ञान के आधार पर वस्तु की प्रकृति और व्यवहार जैसे गुणों का पता लगाने को ही विज्ञान कहते है।

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अभिव्यक्ति की संरचना में कितने पक्ष होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंप्रस्तावना भाषा संरचनात्मक की अवधारणा फ्रांसीसी भाषा-वैज्ञानिक फर्दिनो द सस्यूर ने भाषा के तीन पक्ष स्वीकार किए हैं- (1) व्यक्तिगत, (2) सामाजिक तथा (3) सामान्य या सर्वव्यापक। किन्तु ये तीनों पक्ष भाषा के तीन स्तरों पर प्रयोग से संबद्ध हैं। सही अर्थों में बोध (अनभूति) और अभिव्यंजना (अभिव्यक्ति) भाषा के पक्ष हैं।

इस लेख में विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य ( Objectives of Science Teaching ) विषय से सम्बन्धित सभी जानकारी दी गयी है । अतः आप इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें ,  तो चलिए आगे जानते है इन सभी प्रश्नों के बारे में. ” प्रश्नोत्तर “।

विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य ( Objectives of Science Teaching )

Table of Contents

  • विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य ( Objectives of Science Teaching )
    • ( 1 ). ज्ञान ( Knowledge )
    • ( 2 ). समझ या सूझ ( Understanding )
    • ( 3 ). योग्यताएँ ( Abilities )
    • ( 4 ). कौशल ( Skill )
    • ( 5 ). रुचि ( Interest )
    • ( 6 ). अभिवृत्तियाँ ( Attitudes )
    • ( 7 ). वैज्ञानिक विधि में प्रशिक्षण ( Training in Scientific Method )
    • ( 9 ). प्रशंसात्मक क्षमताएँ ( Appreciation )
    • ( 10 ). अवकाश का सदुपयोग ( Use of Leisure )
    • ( 11 ). व्यावहारिक प्रयोग ( Application )
    • ( 12 ). अच्छे जीवन – यापन के लिए ( For Better Living )

शिक्षाविदों की मान्यता है कि उद्देश्य सार्थक और उपयोगी हों , व्यावहारिक हों , जो बालकों को आगामी जीवन में एक अच्छा नागरिक बनाने में सहायक हो सकें । उद्देश्य इस प्रकार के होने चाहिए जिनमें समय एवं परिस्थिति के अनुकूल परिवर्तन भी किया जा सके और विद्यार्थी तथा शिक्षक दोनों के लिए हितकारी साबित हो सके । विज्ञान शिक्षण के लिए निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखते हुए उद्देश्य होने चाहिए ;

( 1 ). ज्ञान ( Knowledge )

विज्ञान शिक्षण का सबसे मुख्य उद्देश्य ज्ञान है । क्योंकि बिना ज्ञान के और दूसरे उद्देश्य निरर्थक हो जाते हैं । इसलिए विज्ञान के लिए ज्ञान प्राप्ति के उद्देश्य पर अधिक बल दिया जाता है ।

अत: विज्ञान के विद्यार्थियों में निम्नलिखित प्रकार का ज्ञान अवश्य होना चाहिए —

( i ). दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाले विज्ञान के मूलभूत सिद्धान्तों और विचारों का ज्ञान ।
( ii ). विज्ञान के आधुनिक आविष्कार तथा वैज्ञानिक साहित्य को समझने का पूर्ण ज्ञान ।
( iii ). विज्ञान की विभिन्न शाखाओं के पारस्परिक सम्बन्धों का ज्ञान ।
( iv ). मनुष्य के लिए पशु विज्ञान तथा वनस्पति के महत्त्व का ज्ञान ।
( v ). मानव शरीर की रचना व उसकी क्रियाओं तथा उसके वर्तमान वातावरण का ज्ञान ।
( vi ). वैज्ञानिक तथ्यों , मान्यताओं , प्रतीकों , नामावली तथा सिद्धान्तों का सही ज्ञान ।
( vii ). प्राकृतिक प्रक्रियाओं का ज्ञान ।

( 2 ). समझ या सूझ ( Understanding )

विज्ञान विषय को समझने के लिए विद्यार्थियों में इस प्रकार की समझ होनी चाहिए कि वे वैज्ञानिक तथ्यों , मान्यताओं , सिद्धान्तों और पदार्थों को स्पष्ट कर सकें , उनकी सही ढंग से व्याख्या कर सकें तथा एक – दूसरे से सम्बन्धित तथ्यों , प्रक्रियाओं तथा पदार्थों में भेद कर सकें । इसके अतिरिक्त विद्यार्थियों में इतनी सूझबूझ भी होनी चाहिए कि वे रेखाचित्रों , सूचियों , चार्टों , सूत्रों तथा प्रयोगों का सही विश्लेषण कर सकें , अशुद्ध कथनों , प्रक्रियाओं तथा मान्यताओं में अशुद्धियाँ निकाल सकें और सूचियों , प्रतीकों तथा सूत्रों को एक – दूसरे रूप में परिवर्तित कर सकें ।

( 3 ). योग्यताएँ ( Abilities )

विज्ञान का उद्देश्य विद्यार्थियों में कुछ योग्यताओं का विकास करना भी है । वैज्ञानिक योग्यताएँ – समस्या को खोजना , समस्या से सम्बन्धित 17 तथ्यों को एकत्रित करना , उनको संगठित करना , अभिव्यक्त करना , विश्लेषण करना , निष्कर्ष निकालना , प्राप्त प्रदत्तों से भविष्य की घोषणा करना , वैज्ञानिक मेले , प्रदर्शनियों , संगोष्ठियों , कार्यशालाओं आदि का आयोजन करना , विज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करना , तर्क करना , विभिन्न प्रकार के यन्त्रों , उपकरणों आदि के उपयोग में लाने की क्षमता ये सभी वैज्ञानिक योग्यताएँ हैं ।

( 4 ). कौशल ( Skill )

विज्ञान शिक्षण से विद्यार्थियों में विभिन्न प्रकार के कौशलों के विकास की आशा की जाती है । विद्यार्थियों में उपकरण तथा मशीन को प्रयोग करने , उनको प्रयोग के लिए व्यवस्थित करने , विज्ञान के नमूने , रासायनिक पदार्थों को सुरक्षित रखने तथा नमूनों और उपकरणों आदि की उचित आकृतियाँ बनाने की योग्यता होनी चाहिए । इसके साथ उनमें मॉडलों तथा प्रयोगों को तुरन्त तैयार करने की जानकारी होनी चाहिए और प्रयोगात्मक ढाँचे ( Experimental Setup ) तथा प्रक्रिया में अशुद्धियाँ तलाश करने की योग्यता होनी चाहिए ।

( 5 ). रुचि ( Interest )

विज्ञान शिक्षक के द्वारा विद्यार्थियों में ऐसी प्रेरणा भरनी चाहिए कि वे विज्ञान के साहित्य को पढ़ें , वैज्ञानिकों के चित्र , सूचनाएँ आदि एकत्रित करें । विज्ञान शिक्षण का उद्देश्य विद्यार्थियों में प्रकृति के प्रति , उपलब्धियों के प्रति अधिक ज्ञान प्राप्ति के लिए वैज्ञानिक साहित्य के प्रति , नवीन अनुसंधानों और खोजों को जानने की रुचि उत्पन्न करता है । विज्ञान से सम्बन्धित स्थानों का भ्रमण , विज्ञान क्लबों , प्रदर्शनियों , विज्ञान योजनाओं पर कार्य करने , विवादपूर्ण पहलुओं पर आलोचनाएँ करना , प्रतियोगिताएँ आयोजित करना , वैज्ञानिक तथ्यों , चित्रों , सूचनाओं आदि का संग्रह करना सभी कार्य वैज्ञानिक रुचियाँ ही हैं जिनको विकसित करना विज्ञान शिक्षण का महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है । इस प्रकार की रुचियाँ ही हैं जिनको विकसित करना विज्ञान शिक्षण का महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है । इस प्रकार की रुचियों से विद्यार्थियों में अच्छी आदतों का विकास होता है । वे सत्य में विश्वास , ईमानदारी , आत्मविश्वास , सहनशीलता , धैर्य , सहयोग आदि सामाजिक रूप से स्वीकृत नैतिक मूल्यों को स्वत : ही सीख जाते हैं ।

( 6 ). अभिवृत्तियाँ ( Attitudes )

विद्यार्थियों में वैज्ञानिक अभिवृत्तियों का विकास विज्ञान शिक्षण की सबसे महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ हैं । अतः विज्ञान शिक्षण प्रत्यक्ष तथा व्यवस्थित होना चाहिए । वैज्ञानिक अभिवृत्तियों के अन्तर्गत व्यवहार के वे गुण आते हैं ,जिनसे व्यक्ति अलग ही पहचाना जा सकता है ।

वैज्ञानिक अभिवृत्ति से सम्पन्न व्यक्ति के लक्षण निम्नलिखित हैं —

( i ). उसको अपने ऊपर विश्वास होता है तथा वह संकीर्णता से दूर होता है ।
( ii ). अपने निर्णयों को अन्ध – विश्वासों पर नहीं बल्कि प्रमाणित तथ्यों पर आधारित करता है ।
( iii ). दूसरे के विचारों को सम्मान देता है तथा अपने विचारों को साक्ष्यों के आधार पर बदलने के लिए तैयार रहता है ।
( iv ). अपने चारों ओर की वस्तुओं के सम्बन्ध में क्यों ? क्या ? प्रश्नों के उत्तरों को जानने के लिए उत्सुक रहता है ।
( v ). वह निष्पक्ष तथा सत्य पर आधारित निर्णय लेता है ।
( vi ). समस्या समाधान के लिए सुनिश्चित प्रक्रिया को अपनाता है ।
( vii ). किसी भी परिणाम को अन्तिम नहीं समझता है ।
( viii ). आडम्बरों में विश्वास नहीं करता है बल्कि तथ्यों में विश्वास रखता है ।
( ix ). नवीनतम तथा प्रमाणित तथ्यों के आधार पर विविध प्रक्रियाओं को अपनाता
( x ). मानव कल्याण के लिए विज्ञान का समर्थन करता है ।

( 7 ). वैज्ञानिक विधि में प्रशिक्षण ( Training in Scientific Method )

वह विधि जिसे वैज्ञानिक अपनाते हैं , वैज्ञानिक विधि कहलाती है । वैज्ञानिक किसी भी समस्या के हल के लिए एक सुनिश्चित प्रक्रिया का उपयोग करते हैं जिससे उस समस्या का सही हल निकल सके तथा परिणामों को जीवन की अन्य परिस्थितियों के उपयोग में लाया जा सके । वैज्ञानिक विधि का प्रशिक्षण विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य है ताकि वे समस्या के खोजने , उसे परिभाषित करने , सम्बन्धित प्रदत्तों व तथ्यों का संग्रह कर उन्हें नियोजित करना , अभिव्यक्त करना , परिकल्पनाओं को निर्मित कर उनका सत्यापन करना और अन्त में निष्कर्षों पर पहुँच सकें । ये सभी पद वैज्ञानिक अभिवृत्ति , वैज्ञानिक आदतों व कौशलों को विकसित कर बहुआयामी चिन्तन को जन्म देते हैं ।

( 8 ). व्यवसाय तथा विशिष्ट क्षेत्र के लिए आधार प्रदान करना ( To Form Basis , Vocation And Specialization )

विज्ञान के महत्त्व को स्वीकारते हुए इसे विद्यालयी कार्यक्रम का अभिन्न अंग माना गया है । अतः विज्ञान का प्रमुख उद्देश्य है कि माध्यमिक स्तर पर विद्यार्थियों के विशिष्ट क्षेत्र व व्यवसाय का आधार प्रदान कर दें । क्षेत्र विशेष की उच्च शिक्षा का मार्ग माध्यमिक स्तर की शिक्षा ही निर्धारित करती है । अतः विज्ञान के विविध विषयों तथा अनुभव प्रशिक्षणों का ज्ञान आवश्यक है जिससे विद्यार्थी अपने व्यवसाय का चयन कर सकें तथा भावी उच्च शिक्षा की दिशा निश्चित कर सकें ।

( 9 ). प्रशंसात्मक क्षमताएँ ( Appreciation )

विज्ञान शिक्षण बालकों में विज्ञान की खोजें , वैज्ञानिकों की मार्मिक घटनाएँ , उनके साहसिक कार्य , रोमांस की कहानियाँ , वैज्ञानिकों की जीवन – कथाएँ , मानव जाति की प्रगति की कहानी तथा वैज्ञानिक विकास का इतिहास आदि को बताकर शिक्षा के द्वारा प्रशंसात्मक दृष्टिकोण उत्पन्न करता है । इससे बालक विज्ञान के महत्त्व को समझते हैं । उन्हें आधुनिक संसार में विज्ञान रोचक इतिहास को पढ़कर वैज्ञानिक तथा तकनीक की प्रगति के ज्ञान से आनन्दक अनुभूति होती है । उनमें वैज्ञानिक सिद्धान्तों तथा अनुसन्धानों को समझने और की लालसा उत्पन्न होती है ।

( 10 ). अवकाश का सदुपयोग ( Use of Leisure )

विज्ञान के बालकों में प्रयोगात्मक कौशल को विकसित करने के लिए अवकाश के समय उनके अध्यापक साधारण वस्तुओं का उनकी रुचि के अनुसार निर्माण करना सिखाते हैं । अपने रोचक कार्य के रूप में साबुन , मोमबत्ती , स्याही , पॉलिश सौन्दर्य प्रशाधन आदि वस्तुएँ बनाते हैं । यह उनकी रुचि के अनुसार होता है और अवकाश के समय इन वस्तुओं का निर्माण करते हैं । इसके अलावा वे कई रचनात्मक तथा आविष्कारक काम भी करने लगते हैं । इस प्रकार वे अवकाश के समय का सदुपयोग करते हैं । घर में काम आने वाली छोटी – छोटी वस्तुओं का निर्माण ऐसे समय में हँसते – हँसते करते रहते हैं । इस प्रकार की क्रियाएँ उनमें व्यावहारिकता और ज्ञान का विकास करती हैं ।

( 11 ). व्यावहारिक प्रयोग ( Application )

आधुनिक युग में विज्ञान शिक्षण द्वारा बालकों में प्रयोगात्मक योग्यताओं का विकास करना चाहिए ताकि वे विज्ञान से बनी वस्तुओं का उपयोग अपने व्यावहारिक जीवन में कर सकें । इसके लिए विद्यार्थियों को विभिन्न तथ्यों , प्रक्रियाओं , सिद्धान्तों तथा वस्तुओं के प्रयोग के बारे में पूर्ण जानकारी होनी चाहिए । जैसे – बिजली का समुचित प्रयोग , उसके उपकरणों की जानकारी , उनका घर में प्रयोग , फ्यूज आदि को ठीक करना आदि , जीवन में काम आने वाले यन्त्रों को प्रयोग करने की पूरी विधि से अवगत होना चाहिए ।

( 12 ). अच्छे जीवन – यापन के लिए ( For Better Living )

विज्ञान बालकों को नये – नये वैज्ञानिक आविष्कार , स्वस्थ रहने के नये तौर – तरीके , साफ रहने की विधि , शरीर को वातावरण के अनुकूल हृष्ट – पुष्ट कैसे रख सकते हैं आदि सभी बातों से परिचित कराता है । प्रदूषण को कैसे रोका जाये , जीवन को इससे कैसे सुरक्षित रखा जाये आदि जीवन सम्बन्धी सभी बातें बतायी जाती हैं । इन बातों की पूर्ण जानकारी होने से मनुष्य तरह – तरह की बीमारियों से अपने जीवन को बचा सकता है और जीवनभर आराम और सुख पूर्ण व्यतीत कर सकता है ।

विज्ञान में शिक्षण क्या है?

विज्ञान शिक्षण का प्रमुख उद्देश्य यह है कि विद्यार्थियों को यह समझाया जाए कि विज्ञान का संबंध केवल पुस्तक तथा प्रयोगशाला तक ही सीमित नहीं है बल्कि उसका संबंध दैनिक जीवन में भी है। विज्ञान का शिक्षण तभी सफल हो सकता है जब विज्ञान शिक्षण दैनिक जीवन की क्रियाओं पर आधारित हो।

विज्ञान शिक्षण से आप क्या समझते हैं प्रकृति एवं क्षेत्र का वर्णन कीजिए?

विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो कि किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैंविज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है।

विज्ञान शिक्षण का मुख्य उद्देश्य क्या है?

विज्ञान शिक्षण का सबसे मुख्य उद्देश्य ज्ञान है । क्योंकि बिना ज्ञान के और दूसरे उद्देश्य निरर्थक हो जाते हैं । इसलिए विज्ञान के लिए ज्ञान प्राप्ति के उद्देश्य पर अधिक बल दिया जाता है ।

हमारे जीवन में विज्ञान शिक्षण की क्या महत्व है?

विज्ञान ने मनुष्यों को तमाम रोग-व्याधियों से मुक्ति दी है और असंख्य दैनिक सुविधाओं से लैश भी किया है। विज्ञान को मनुष्य का वफादार नौकर की संज्ञा दिया जा सकता है जो जीवन भर हमारे आदेशों का पालन करता रहता है। वहीं दूसरी तरफ यदि विज्ञान रूपी शक्ति का हम दुरुपयोग करें तो यह क्षण भर में विनाश का मंजर भी ला सकता है।