मानवीय करुणा की दिव्य चमक (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न) Show
प्रश्न 1,'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' पाठ में किस महापुरुष का वर्णन है? यह विशेषण उनकी किन विशेषताओं को दर्शाता है? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।'मानवीय करुणा की दिव्य-चमक' पाठ में हिंदी के प्रसिद्ध विद्वान एवं महापुरुष फादर कामिल बुल्के का वर्णन है। फादर कामिल बुल्के के लिए यह विशेषण उनकी करुणा भरे हृदय की विशालता को दर्शाता है। लेखक ने लिखा है कि “उनको देखना करुणा के निर्मल जल में स्नान करने जैसा था। वास्तव में, उनमें अत्यधिक ममता, अपनत्व अपने हर प्रियजन के लिए
उमड़ता रहता था। वे स्वयं कष्ट सहकर भी दूसरों के दुखों को दूर करते थे। प्रतिकूल एवं विषम परिस्थितियों में भी दिल से जुड़े लोगों का साथ कभी नहीं छोड़ते थे। लेखक की पत्नी और पुत्र की मृत्यु पर फादर के मुख से सांत्वना के जादू भरे शब्द इस बात के प्रमाण है। उनके अंदर मानवीय करुणा की अपार भावनाओं के मौजूद रहने के कारण ही उनके लिए 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' विशेषण का प्रयोग किया गया है। प्रश्न 2.फ़ादर कामित बुल्के के अभिन्न भारतीय मित्र का नाम पठित पाठ के आधार पर लिखिए तथा बताइए कि उनकी परस्पर भिन्नता का कौन-सा तथ्य प्रस्तुत पाठ में परिलक्षित हुआ है?पठित पाठ के आधार पर कहा जा सकता है कि डॉ० रघुवंश फ़ादर कामिल बुल्के के अभिन्न मित्र थे। फादर कामिल बुल्के के पास उनकी माँ की चिट्ठियाँ आती थीं, जिन्हें वे डॉ० रघुवंश को दिखाते थे। इसके अतिरिक्त, उनकी मृत्यु होने के बाद दिल्ली में कश्मीरी गेट के निकलसन कब्रगाह में एक छोटी-सी नीली गाड़ी में से उनका ताबूत कुछ पादरी, रघुवंश जी का बेटा और उनके परिजन
राजेश्वर सिंह उतार रहे थे। उनकी मृत्यु पर डॉ० रघुवंश एवं उनका परिवार बहुत अधिक दुखी था। प्रश्न 3.फादर कामिल बुल्के के हिंदी प्रेम को प्रकट करने वाले दो प्रसंगों का वर्णन कीजिए।फ़ादर कामिल बुल्के के हिंदी प्रेम को प्रकट करने वाला पहला प्रसंग उनके धर्माचार की पढ़ाई के बाद हिंदी विषय में आगे की पढ़ाई करने से संबंधित है। धर्माचार की पढ़ाई के बाद उन्होंने कलकत्ता (कोलकाता) से बी०ए० और इलाहाबाद से एम०ए० किया। अपना शोध प्रबंध प्रयाग विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में रहकर 1950 ई० में पूरा किया- 'रामकथा : उत्पत्ति और विकास'। इसी समय उन्होंने मातरलिंक के प्रसिद्ध नाटक ‘ब्लू बर्ड' का 'नील पंछी' नाम से हिंदी रूपांतरण भी किया। पढ़ाई के बाद वे सेंट जेवियर्स कॉलेज, राँची में हिंदी एवं संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष हो गए। यहीं उन्होंने अपना प्रसिद्ध अंग्रेजी-हिंदी कोश तैयार किया तथा बाइबिल का अनुवाद भी किया। इसके अतिरिक्त, अपने हिंदी प्रेम के कारण ही वे 'परिमल' जैसी साहित्यिक संस्था के सक्रिय सदस्य रहे। उन्हें हिंदी की उपेक्षा पर बहुत दुख होता था और हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने में उन्होंने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। प्रश्न 4.फादर बुल्के संन्यासी थे, परन्तु पारंपरिक अर्थ में हम उन्हें संन्यासी क्यों नहीं कह सकते? 2015फादर बुल्के एक संन्यासी थे, परंतु पारंपरिक अर्थ में हम उन्हें संन्यासी नहीं कह सकते क्योंकि संन्यासी के रूप में उनकी एक नवीन छवि ही हमारे सामने उभरकर आती है। वे परंपरागत ईसाई पादरियों या भारतीय संन्यासियों से भिन्न थे। वे संकल्प से संन्यासी थे, मन से नहीं। उनका जीवन नीरस नहीं था। व्यवहार और कर्म से संन्यासी होते हुए भी अपने परिचितों के साथ वे गहरा लगाव रखते थे। वे सभी के परिवारों में आते-जाते रहते थे, उत्सवों एवं समारोहों में भाग लेते थे तथा पुरोहित की तरह आशीष देते थे। दुःख की स्थिति में वे लोगों को सांत्वना देते थे, उनके प्रति सहानुभूति प्रकट करते थे। संकट की स्थिति में वे देवदार वृक्ष के समान खड़े रहते थे। वे आत्मनिर्भरता के उद्देश्य से कॉलेज में अध्ययन एवं अध्यापन भी करते थे। इस तरह उनकी छवि परंपरागत संन्यासी की तरह नहीं थी। प्रश्न 5.फादर बुल्के की जन्म भूमि कहाँ थी और उनके अपनी जन्म भूमि के प्रति क्या भाव थे? 2014फादर बुल्के की जन्मभूमि थी- रेम्सचैपल । उनकी अपनी जन्मभूमि के प्रति अगाध श्रद्धा थी एवं अपार प्रेम था। यद्यपि वे अपने देश में अधिक समय तक नहीं रहे, परंतु फिर भी उनके मन में अपने देश की याद निरंतर बनी रही। वे अपनी
जन्मभूमि को अत्यंत सुंदर मानते थे। अपनी जन्मभूमि उन्हें अत्यंत प्रिय थी। प्रश्न 6.फादर बुल्के को ज़हरबाद से क्यों नहीं मरना चाहिए था? अपने शब्दों में लिखिए।फादर बुल्के की मृत्यु ज़हरबाद अर्थात गैंग्रीन से हुई। उनके शरीर में फोड़े का जहर फैल गया था। लेखक ने जब यह समाचार सुना तो वे उदास हो गए। उन्होंने फ़ादर कामिल बुल्के के लिए यह कहा कि उन्हें ज़हरबाद से नहीं मरना चाहिए था क्योंकि फ़ादर की
रगों में तो दूसरों के लिए मिठास भरे अमृत के सिवाय कुछ भी नहीं था। वे आजीवन दूसरों के दुखों को दूर करने का प्रयत्न करते रहे। वे सभी के प्रति सहानुभूति एवं करुणा का भाव रखते थे। उनके लिए ज़हर का विधान होना ही नहीं चाहिए था। उन जैसे परोपकारी, वात्सल्यमय तथा मानवीय करुणा से ओत-प्रोत व्यक्ति को ऐसी कष्टकर मृत्यु नहीं मिलनी चाहिए थी। लेखक इसे फादर बुल्के के प्रति अन्याय मानते हैं। प्रश्न 7.लेखक को फादर बुल्के बड़े भाई और पुरोहित जैसे क्यों लगते थे? 2012फादर बुल्के हर अवसर पर लेखक के पास उपस्थित रहते थे। उनके घरेलू उत्सवों, संस्कारों में फ़ादर बड़े भाई और पुरोहित की भूमिका में होते और अपना स्नेहाशीष देते। दुख और विपदा के समय वे लेखक को संभालते और उन्हें सांत्वना देते थे। लेखक के बच्चे के मुख में पहली बार अन्न भी फ़ादर ने ही डाला था। उनकी आँखों में सदैव लेखक के प्रति वात्सल्य की भावना भरी रहती थी। दुख की कठिन स्थिति में फ़ादर का सहयोग उन्हें शांति
प्रदान करता था। प्रश्न 8.‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक' नामक पाठ से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक' पाठ से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि फादर जैसे अनुकरणीय चरित्र को अपने जीवन में लागू करना चाहिए। दया, करुणा, ममता, सहयोग, सद्भावना जैसे मानवीय मूल्यों को अपने भीतर विकसित करना चाहिए। हमें भारतीयता की महानता, अपनी मातृभाषा हिंदी के प्रति दायित्व और गौरव को जन-जन में जागृत करना
चाहिए। हिंदी के प्रसार एवं विकास में अपना भरपूर योगदान देना चाहिए। प्रश्न 9.फादर कामिल बुल्के के बचपन में उनकी माँ ने उनके विषय में क्या भविष्यवाणी की थी? वह सत्य सिद्ध कैसे हुई? 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' पाठ के आधार पर लिखिए।फ़ादर कामिल बुल्के के बचपन में उनकी माँ ने उनके विषय में यह भविष्यवाणी की थी कि यह लड़का तो हाथ से गया। उनकी यह भविष्यवाणी भविष्य में सत्य सिद्ध हुई । फ़ादर कामिल
बुल्के ने इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष में अपनी पढ़ाई छोड़ दी। वे संन्यास लेना चाहते थे। उन्होंने अपने धर्म गुरु के पास पहुँचकर अपनी संन्यास लेने की इच्छा को व्यक्त किया और साथ ही भारत जाने की शर्त भी रखी। उनकी शर्त स्वीकार कर ली गई और वे भारत आ गए। प्रश्न 10.रेम्सचैपल में फ़ादर के परिवार में कौन-कौन था? उनके संबंध उनसे कैसे थे?रेम्सचैपल में फ़ादर का भरा-पूरा परिवार था। परिवार में माता-पिता, दो
भाई और एक बहिन थे। पिता और भाइयों के प्रति उन्हें बहुत लगाव नहीं था। पिता व्यवसायी थे। एक भाई पादरी था और दूसरा भाई काम करता था। उनकी बहिन सख्त एवं जिद्दी थी, जिसकी बहुत देर से शादी हुई थी। उन्हें अपने परिवार में केवल माँ की बहुत याद आती थी और अक्सर उनके पत्र उन्हें आते रहते थे। प्रश्न 11.फादर बुल्के भारतीयता में पूरी तरह रच-बस गए। ऐसा उनके जीवन में कैसे संभव हुआ होगा? अपने विचार लिखिए।फ़ादर बुल्के भारतीयता में पूरी तरह से रच-बस गए थे। उनका जन्म रेम्सचैपल (बेल्जियम) में हुआ था परंतु भारत में आकर बस जाने के उपरांत उनमें कोई उनके देश का नाम पूछता, तो वह उसे भारत ही बताते थे। उन्होंने भारत में आकर हिंदी और संस्कृत को केवल पढ़ा ही नहीं, अपितु संस्कृत के कॉलेज में विभागाध्यक्ष भी रहे। उन्होंने प्रसिद्ध अंग्रेज़ी-हिन्दी शब्दकोष भी लिखा। भारतीय संस्कृति के महानायक राम और रामकथा को उन्होंने अपने शोध का विषय चुना तथा ‘रामकथा : उत्पत्ति और विकास' पर शोध प्रबंध लिखा। फादर बुल्के हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने के इच्छुक थे। वास्तव में वह भारतीयता के अभिन्न अंग थे। प्रश्न 12.‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक' पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि फादर की उपस्थिति में ऐसा क्यों लगता था कि जैसे किसी ऊँचाई पर देवदार की छाया में खड़े हो ।'फ़ादर बुल्के मानवीय व नैतिक गुणों से ओत-प्रोत थे। उनके मन में सबके प्रति कल्याण की भावना थी। वे स्नेह, करुणा, वात्सल्य जैसे गुणों से दूसरों का दुख दूर कर देते थे।
उन्होंने कभी क्रोध नहीं किया। उनका हृदय ममता व प्यार से भरा रहता था। इन गुणों के कारण फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगती थी। फादर बुल्के की जन्मभूमि कहाँ थी और उन को अपनी जन्मभूमि के प्रति क्या भाव थे?फादर कामिल बुल्के की जन्म भूमि बेल्जियम की वह यूरोप के देश बेल्जियम के रहने वाले थे। बेल्जियम की रेम्सचैपल नामक जगह पर उनका जन्म हुआ था। फादर कामिल बुल्के की अपनी जन्म भूमि बेल्जियम के प्रति अगाध श्रद्धा थी।
फादर बुल्के की जन्मभूमि कहाँ थी उनके परिवार में कौन कौन था?उत्तर: फ़ादर बुल्के भारतीयता में पूरी तरह से रच-बस गए थे। उनका जन्म रेम्सचैपल (बेल्जियम) में हुआ था परंतु भारत में आकर बस जाने के उपरांत उनमें कोई उनके देश का नाम पूछता, तो वह उसे भारत ही बताते थे। उन्होंने भारत में आकर हिंदी और संस्कृत को केवल पढ़ा ही नहीं, अपितु संस्कृत के कॉलेज में विभागाध्यक्ष भी रहे।
फादर बुल्के की जन्मभूमि का क्या नाम था 1 Point?Question 6. फादर बुल्के की जन्मभूमि का क्या नाम था ? फ़ादर बुल्के की जन्म भूमि का नाम रेम्स चैपल है।
फादर का जन्म स्थान कौन सा है?नॉकके-हेइस्ट, बेल्जियमकामिल बुल्के / जन्म की जगहnull
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