जहरबाद रोग क्या होता है और किन महापुरूष की जहरबाद से मृत्यु हो गई थी? - jaharabaad rog kya hota hai aur kin mahaapuroosh kee jaharabaad se mrtyu ho gaee thee?

मवेशियों के लिए घातक जहरबाद

Publish Date: Wed, 26 Jun 2013 12:44 AM (IST)Updated Date: Wed, 26 Jun 2013 12:45 AM (IST)

ज्ञानपुर (भदोही) : जहरबाद यानी गर्मी व वर्षाऋतु के संधिकाल में जहरीली हो चुकी घासों व चरी के सेवन से मवेशियों के अंदर उत्पन्न जहर उनके लिए घातक साबित हो सकता है। सावधानी बरतें नहीं तो जहां पशुओं की समस्या बढ़ेगी तो पशु पालक व किसानों को पशुधन का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा.आर बी मौर्य ने बताया कि गर्मी व वर्षाऋतु के संधिकाल में कतिपय घास व चरी में पाए जाने वाले हाइड्रोसायनिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। बताया कि इससे प्रभावित चारे के सेवन से पशुओं में जहर फैल जाता है। यदि समय से उपचार नहीं मिला तो उनकी मौत भी हो जाती है।

रोग पीड़ित पशु के लक्षण

-पशु लड़खड़ाने लगता है।

-सांस लेने में दिक्कत होती है, सांस की गति बढ़ जाती है।

-आंख से पानी व मुंह से लार गिरने लगता है। आंख की पुतली बढ़ जाती है।

क्या करें प्राथमिक उपचार

-जहरबाद (हाइड्रोसायनिक एसिड) से प्रभावित पशुओं को खूब नहलाएं।

-सोडियम थायोसल्फेट का घोल पिलाएं।

-अतिशीघ्र विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह लेकर दवा दें।

किसमें बढ़ता है हाइड्रोसायनिक एसिड

-अविकसित, सूखे व बारिश में बढ़ते पौधों में।

-गर्मी के कारण मुरझाए पौधों में।

-नाइट्रोजन खाद व रसायनिक खरपतवार नाशक के अधिक प्रयोग से।

क्या बरतें सावधानी

-घास व चरी को शाम के समय काटकर भिगो देना चाहिए। इससे एसिड का प्रभाव कम हो जाता है।

-संधिकाल में पशुओं को चरने के लिए नहीं छोड़ना चाहिए।

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