चांडाल योग हो तो क्या करे - chaandaal yog ho to kya kare

नई दिल्ली: इंसान की कुंडली में कई शुभ और अशुभ योग बनते हैं. ये योग ग्रहों के संयोग से बनते हैं. शुभ योग का जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. वहीं अशुभ योग लाइफ में कई प्रकार की मुश्किलें खड़ा करते हैं. ऐसा ही एक योग गुरु, राहु और केतु के मिलने से बनता है. इसे गुरु चांडाल योग कहते हैं. कुंडली का गुरु चांडाल दोष के क्या नुकसान हैं और इसे शांत करने के लिए क्या करना चाहिए, इसे जानते हैं.   

-अगर कुंडली के पहले घर में गुरु और राहु एकसाथ बैठे होते हैं. तो इंसान का चरित्र संदिग्ध हो होने लगता है. साथ ही व्यक्ति अनैतिक रुप से धन कमाने में लगा रहता है. 

-यदि कुंडली के दूसरे घर में गुरु चांडाल योग बनता है तो ऐसे में व्यक्ति धनवान तो होता है. लेकिन भोग-विलास में धन खर्च करता है. इसके अलावा गुरु कमजोर होने से व्यक्ति नशे में डूबा रहता है. 

-कुंडली के तीसरे घर में गुरु और राहु के मिलने से इंसान पराक्रमी और साहसी होता है. लेकिन गलत कार्यों में कुख्यात हो जाता है. साथ ही व्यक्ति सट्टे, जुए आदि से धन कमाने की कोशिश करता है. 

क्या उपाय करें

गुरु चांडाल दोष से छुटकारा पाने के लिए जातक को गुरु और राहु का शांति पाठ करवाएं. इसके अलावा माता-पिता की सेवा करनी चाहिए. घर या किसी मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा करने से गुरु चांडाल दोष का नकारात्मक प्रभाव कम होता है. सोमवार के दिन दो मुखी रुद्राक्ष धारण करना भी लाभकारी होता है. साथ ही भगवान गणेश की नियमित पूजा गुरु चांडाल दोष से छुटकारा दिलाता है. बृहस्पति मंत्र 'ओम ब्रां ब्रीं ब्रौं सः गुरवे नमः' का रोजाना जाप करना चाहिए. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

गुरु चांडाल योग नाम ही सुनकर ऐसा लगता है कि यह कोई खतरनाक चीज है। दरअसल ज्योतिष शास्त्र में कई अशुभ योगों की चर्चा की गई है उनमें यह भी एक अशुभ योग है जो गुरु के अशुभ प्रभाव में होने पर किसी व्यक्ति की कुंडली में बनता है। अपने नाम के अनुसार यह योग लोगों को कष्ट देने वाला है। इस योग के कारण जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों को कठिनाई आती है। देखिए यह अशुभ गुरु चांडाल योग कैसा बनता है, कैसा है इस योग का प्रभाव, कैसे बचें इस इस अशुभ गुरु चांडाल योग से….

इस तरह बनता है कुंडली में गुरु चांडाल योग
आपकी जन्मपत्री में किसी भी भाव में राहु के साथ गुरु भी स्थित होने पर गुरु चांडाल नामक योग बन जाता है। यह योग जिस भाव में होता है यानी कुंडली के जिस घर में होता है उस भाव के शुभ फलों में कमी कर देता है। वैसे कुंडली के अलग- अलग भावों में इसका फल थोड़ा बदल जाता है। यहां पर देखने वाली बात यह भी होती है कि गुरु और राहु के अंश और वह किस राशि में स्थित हैं, अगर गुरु की डिग्री पॉवरफुल है तो यह योग कमजोर हो जाता है। ऐसी स्थिति में यह अशुभ योग कुंडली में होने पर भी बहुत प्रतिकूल नहीं होता है।

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ऐसे अशुभ है गुरु चांडाल योग का प्रभाव
जब किसी व्यक्ति की कुंडली के लग्न में गुरु और राहु साथ बैठे हों तो ऐसा व्यक्ति पूजा- पाठ में रुचि नहीं रखता है, यह भोग विलास में ज्यादा रुचि लेते हैं। इनकी पूजा पाठ भी होता है तो बस दुनिया को दिखाने के लिए कि यह भी पूजा पाठ करते हैं। जातक भ्रमित और शक्की हो सकता है। वहीं अगर यह योग दूसरे भाव (धन भाव) में हो तो व्यक्ति की खानपान की आदतें ठीक नहीं होंगी। ऐसे लोग सिगरेट, गुटखा के शौकीन हो सकते हैं। कुंडली के पंचम भाव में यह योग अगर बनता है तो जातक को उच्च शिक्षा में बाधा का सामना करना पड़ता है या यूं कहे कि उच्च शिक्षा अधूरी रह जाती है, अगर कुंडली में अन्य शुभ ग्रहों का इन्हें सहयोग मिल पाता है।

तो नौकरी में टिक नहीं पाते लोग
सप्तम भाव में इस योग की युति से जातक को वैवाहिक जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। पार्टनरशिप में धोखा मिल सकता है। इसलिए अगर कुंडली में सप्तम भाव में यह योग बन रहा हो तो पार्टनरशिप में काम न करें या करें भी तो बहुत सतर्क रहें। कुंडली के दशम भाव (कर्म भाव) में गुरु चांडाल योग बन रहा हो तो जातक को नौकरी और व्यापार में कठिन परिश्रम करना पड़ता है और उसे अपने व्यापार को बार-बार बदलना पड़ता है, नौकरी भी स्थायी नहीं रह पाती है। एकादश भाव में यह दोष होने से जातक की आमदनी कम होती है और खर्चा ज्यादा होता है. साथ ही कई बार उसे अपनी आय के साधनों को बदलना पड़ता है।

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गुरु चांडाल योग कुंडली में, आजमाएं ये उपाय

1- माथे पर नित्य केसर, हल्दी का तिलक लगाएं।
2- गुरुवार को पीले वस्त्र पहनकर पीली वस्तुओं का दान करें।
3- माता- पिता और गुरुजनों का सम्मान करें।
4- प्रत्येक मंगलवार को हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ कीजिए।
5- राहु ग्रह के मंत्र ‘ओम रां राहवे नमः’ का जप करें।
6- बहते हुए जल में सात बुधवार सूखा नारियल प्रवाहित करें।
7- राहु संबंधित वस्तुओं का दान करें।

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गुरु-चाण्डाल योग है विनाशकारी, कैसे बचें इसके दुष्प्रभाव से ?

डिजिटल डेस्क, भोपाल। अनेक ज्योतिषीय दोषों में कुछ ऐसे महान दोष भी शामिल हैं, जो किसी भी जातक के जीवन को नर्क से भी बदतर बना देते हैं। ऐसे में उस जातक को कहीं भी सहारा नहीं मिलता और वह बेहद परेशान हो जाता है। साढ़ेसाती, कालसर्प दोष, मंगल दोष आदि से भी बढ़कर दोष तब जन्म लेता है जब देवगुरु बृहस्पति के साथ या दृष्टि संबंध बनाता हुआ राहु मौजूद हो।

क्या है गुरु चांडाल योग ? 

ज्योतिष में कई ऐसे योग होते हैं जिनका मनुष्य पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन्हीं में से एक है गुरु-चांडाल योग। राहु और केतु दोनों छाया ग्रह हैं और अशुभ भी। यह दोनों ग्रह जिस भाव में या जिस ग्रह के साथ हों उस भाव सबंधी अनिष्ठ फल दर्शाते हैं। राहु और गुरु जब साथ होते हैं या फिर एक-दूसरे को किन्हीं भी भावों में बैठकर देखते हों, तो गुरु चाण्डाल योग का निर्माण होता है। यह योग किसी भी इंसान के लिये अच्छा नहीं होता है। उस व्यक्ति को जीवनभर परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

जिस जातक के जन्मांग में यह योग होता है वह निराशावादी और आत्मघाती स्वभाव वाला होता है। जिस जातक की कुंडली में गुरु चांडाल योग यानि कि गुरु-राहु की युति हो तो वह व्यक्ति क्रूर, धूर्त, मक्कार, दरिद्र और कुचेष्टाओं वाला होता है। ऐसा व्यक्ति गुरुजनों का भी अपमान करता है खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए गुरु का अपमान भी करने से पीछे नहीं हटता। ऐसा जातक धर्म और शास्त्रों का इस्तेमाल सिर्फ अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए करता है।

ऐसा व्यक्ति षडयंत्र करने वाला, ईर्ष्या-द्वेष, छल-कपट आदि दुर्भावना रखने वाला एवं कामुक प्रवृत्ति का होता है, गुरु चांडाल योग होने पर जातक को कोई न कोई शारीरिक मानसिक विकृति होती है। अत: उस व्यक्ति के साथ रहने वाला इंसान भी उससे परेशान रहता है। गुरु-चांडाल दोष को दूर करने के कई सारे उपाय होते हैं, जिन्हें करने से आप इस दोष से मुक्त हो सकते हैं। हम आपको बताएंगे कि किन उपायों को करने से आप इस दोष से मुक्त हो सकते हैं।


गुरु चांडाल दोष को दूर करने के उपाय

  • अगर कुंडली या गोचर कुंडली में इस योग का प्रभाव हो तो राहु का जप-दान करें। योग्य गुरु की शरण में जाकर सेवा करें और आशीर्वाद प्राप्त करें। वाणी पर नियंत्रण रखें। व्यवहार में सामाजिकता लाएं। निर्णय लेते समय बड़ों की राय अवश्य लें। माता-पिता व वृद्धों का सम्मान करें।
     
  • राहु हनुमत आराधना से डरता है इसलिये हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करें। और हो सके तो सप्ताह में 1 बार संगीतमय सुन्दरकांड का पाठ करें या करवाएं।
     
  • गाय को हरी घास खिलाएं और गरीबों को दान दें।
     
  • गणेशजी और शिव जी की उपासना और मंत्र जाप करें।
     
  • बरगद के पेड़ की जड़ में कच्चा दूध डालें।
     
  • किसी योग्य व्यक्ति से राहु शांति का उपाय अवश्य करवाएं।
     
  • भगवान शिव की आराधना नियमित रूप से करें। प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर जलाभिषेक करें।
     
  • अगर गुरु चांडाल दोष गुरु या गुरु के मित्र की राशि या गुरु की उच्च राशि में बने तो उस स्थिति में राहु को शांत करने का उपाय करना होगा, ताकि गुरु हमें अच्छा फल दे सके।
     
  • अगर ये दोष गुरु की शत्रु राशि में बन रहा हो तो गुरु और राहु दोनों के उपाय करने होंगे। गुरु-राहु से संबंधित मंत्र-जाप, पूजा, हवन तथा दोनों से सम्बंधित वस्तुओं का दान करना होगा।
     
  • गुरु की मजबूती के लिए केले का पूजन करें लाभ होगा। केला पूजन से श्रीहरि प्रसन्न होते हैं और राहु को भय होता है। 

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आरएनटीयू के भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केंद्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

डिजिटल डेस्क, भोपाल। प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केंद्र मानविकी एवं उदार कला संकाय रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल के तत्वाधान में विश्वरंग 2022 के अंतर्गत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें विश्व के विभिन्न देशों से बुद्धिजीवी साहित्यकार व शिक्षाविद सम्मिलित हुए। संगोष्ठी का विषय था "यूरोप के देशों में हिंदी और भारतीय संस्कृति"।

इस विषय पर सर्वप्रथम बेल्जियम से सम्मिलित हुए कपिल कुमार जी ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि 27 वर्ष पूर्व जब वे बेल्जियम आए थे तो संवाद कायम करने के लिए तीन भाषाओं का अध्ययन किया। लेकिन फिर भी हिन्दी और भारतीय संस्कृति को सहेजकर रखा ताकि अपनी आने वाली पीढ़ी को वह विरासत सौंप सके। अपने विचारों को समाप्त करते हुए उन्होंने कहा कि वेदों की भूमि से निकलने वाला ज्ञान ही सर्वव्यापी होगा।

ब्रिटेन से सम्मिलित हुई डॉ. वंदना मुकेश ने बताया कि कैसे हिंदी और भारतीय संस्कृति को जीवित रखने में यूरोप में धर्मस्थल कैसे महती भूमिका अदा करते हैं। वहाँ होने वाले धार्मिक आयोजन अपनी संस्कृति को अक्षुण्ण रखते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी भाषा को जीवित रखने में हिन्दी फिल्मों का भी महत्वपूर्ण योगदान है।

स्वीडन से जुड़े हाइन्स वरनर वेसलर ने कहा कि यूरोप के देशों में हिंदी और भारतीय संस्कृति को लोग जानना और पढ़ना चाहते हैं। वहाँ इंडोलॉजी, तुलनात्मक भाषा शास्त्र को लेकर लोगों में रुचि बढ़ी है। संस्कृत, प्राकृत और हिंदी को काफी लोग पढ़ना चाहते हैं। पुर्तगाल से सम्मिलित हुए डॉ. शिव कुमार सिंह ने कहा कि पुर्तगाल और भारत के सदैव अच्छे संबंध रहे हैं। संस्कृत और हिंदी के प्रति भी काफ़ी रुचि है। गीता का अनुवाद भी पुर्तगाली भाषा में हो चुका है। जर्मनी से सम्मिलित हुए रामप्रसाद भट्ट जी ने जर्मनी में हिन्दी भाषा के विकास और उसकी बढ़ती अहमियत पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता संतोष चौबे जी, कुलाधिपति रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने की। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पुष्पिता अवस्थी नीदरलैंड थी।  

मानविकी एवं उदारकला संकाय की अधिष्ठाता डॉ.संगीता जौहरी के स्वागत उदबोधन के साथ गोष्ठी का आरंभ हुआ। प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केंद्र की समन्वयक डॉ. मौसमी परिहार ने कार्यक्रम में आभार वक्तव्य दिया। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केंद्र के सलाहकार डॉ जवाहर कर्णावट ने किया।

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लोकप्रिय पेरेंटिंग एंड अर्ली चाइल्डहुड लर्निंग कोच डॉ. पल्लवी राव चतुर्वेदी ने कैडबरी बॉर्नविटा की पहल 'तैयारी जीत की' के तहत पेरेंटिंग पर अपनी पहली किताब 'योर पार्टनर इन पेरेंटिंग' की प्रस्तुत

डिजिटल डेस्क, भोपाल। भारत की सबसे तेजी से बढ़ती पेरेंटिंग रिसोर्स ऑर्गनाइजेशन'गेट सेट पेरेंट विद पल्लवी' की संस्थापक और प्रसिद्ध पेरेंटिंग एवं अर्ली चाइल्डहुड लर्निंग कोच डॉ. पल्लवी राव चतुर्वेदीने हाल ही में 'योर पार्टनर इन पेरेंटिंग' शीर्षक से एक ई-बुक प्रस्तुत की है जो कि कैडबरी बॉर्नविटा की वेबसाइट 'तैयारी जीत की' पर उपलब्ध कराई जा रही है। यह 7-14 साल के बच्चों वाले माता-पिता के लिए एक पेरेंटिंग बाइबल का कार्य करेगी।

इस ई-बुक का उद्देश्य अभिभावकों को अपने बच्चों के लिए एक मजबूत नींव का निर्माण करते हुए पेरेंटिंग की चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराने के साथ उन्हें सशक्त बनाना है। प्रभावी पालन-पोषण के लिए ई-बुक में 4 महत्वपूर्ण विषयों को शामिल किया गया है जिनमें मानसिक स्वास्थ्य, शारीरिक स्वास्थ्य, पोषण स्वास्थ्य और शिक्षा शामिल हैं।

डॉ पल्लवी पेरेंट्स को अपने दिमाग को खुले रखने और सामाजिक दबावों के आगे झुके बिना अपनी समझ के अनुसार कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। 'योर पार्टनर इन पेरेंटिंग' पेरेंट्स को प्रेरित करने का प्रयास करती है, और साथ ही आत्मनिरीक्षण को बढ़ावा देती है ताकिउन्हें पालन-पोषण की अपनी यात्रा के लिए बेहतर तरीके से तैयार कर सकें।

#TayyariParentsKi पेरेंटिंग कोच के रूप में अपने वर्षों के अनुभव की झलक डॉ पल्लवी ने अपनी इस पुस्तक में दिखाई है जो माता-पिता के लिए दृढ़ता, लचीलापन और धीरज में निहित प्रेरणा के रूप में कार्य करती हैं और हर दिन बच्चों को सफलता के लिए तैयार करने के प्रयास में सहायक बनती है। पुस्तक का उद्देश्य माता-पिता में अपने बच्चे की आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने की क्षमता को समझने के लिए विश्वास पैदा करना है।

पुस्तक पर बात करते हुए डॉ. पल्लवी राव चतुर्वेदी ने कहा, “कैडबरी के बोर्नविटा जैसे ब्रांड के साथ कार्य करना एक सम्मान की बात है जिसने हमेशा प्रगतिशील पेरेंटिंग को आगे बढ़ाया है। उनके साथ कार्य करना एक बेहतरीन अनुभव है। अपने बच्चे के साथ हर माता-पिता की पेरेंटिंग की यात्रा अनोखी और चुनौतियों से भरी होती है। हम गेट सेट पेरेंट के माध्यम से माता-पिता के साथ इसी पहलू पर काम कर रहे हैं ताकि उन्हें जानकारियां देकर और जागरुक बनाकर सचेत पेरेंटिंग के लिए सक्षम बनाया जा सके। पेरेंटिंग कोच के रूप में हमारे कार्य ने कई अभिभावकों को दैनिक चुनौतियों निपटने और सकारात्मक पेरेंटिंग को बढ़ावा देने में मदद की है। मेरी किताब इन्हीं सीखों को सामने रखने का एक प्रयास है, जो मुझे विश्वास है कि माता-पिता को वास्तविक जीवन की स्थितियों में मदद करेगी। 'योर पार्टनर इन पेरेंटिंग' उपलब्धियों, चुनौतियों और पेरेंटिंग के प्रयासों पर अधिक प्रभावी ढंग से ध्यान केंद्रित करते हुए बच्चों की आत्मविश्वास से पूर्ण और स्वस्थ परवरिश को बढ़ावा देती है तथा सकारात्मक पालन-पोषण की नींव रखती है।

डॉ. पल्लवी के साथ सहयोग पर बात करते हुए विकासदीप कात्याल, मार्केटिंग डायरेक्टर, जीसीबीएम, मोंडेलेज़ इंडिया ने कहा, ''बच्चों के लिए भारत का सबसे पसंदीदा हेल्थ ड्रिंक होने की अपनी सात दशक लंबी विरासत के साथबॉर्नविटा वास्तव में माता-पिता के साथ साझेदारी करने के उद्देश्य को आगे बढ़ा रहा है जिससे वे अपने बच्चों की वास्तविक क्षमता को अनलॉक कर सकें। “तैयारी जीत की... वेबसाइट का मंच उन माता-पिता के लिए बनाया गया है जो अपने बच्चों को आज की दुनिया की चुनौतियों के लिए तैयार करने के तरीकों की तलाश कर रहे हैं।

हमने डॉ पल्लवी राव चतुर्वेदी के साथ कई वर्षों के पेरेंटिंग के अनुभव और आधुनिक माता-पिता-बच्चे के संबंधों की गतिशीलता में उनकी अनूठी अंतर्दृष्टि से लाभ उठाने के लिए भागीदारी की है। उनकी पुस्तक 'योर पार्टनर इन पेरेंटिंग'7-14 वर्ष के बीच बच्चों के माता-पिता के लिए एक संसाधन के रूप में कार्य करेगी। वास्तव में बोर्नविटा के उद्देश्यसकारात्मक और प्रगतिशील पेरेंटिंग पर ध्यान देने के साथ माता-पिता और बच्चों को उनकी “तैयारी जीत की” में मदद करता है।

“तैयारी जीत की” पेरेंटिंग सपोर्ट के लिए कैडबरी बॉर्नविटा का एक प्लेटफॉर्म है, जो लगातार आगे बढ़ने की फिलॉसफी में विश्वास करते हुए जो मां-बच्चे के रिश्तों को विकसित करने और बच्चों को जीवन में जीतने में मदद करता है। उनके हालिया वायरल अभियान 'फोर्स्ड पैक्स' ने समाज के हर बच्चे की व्यक्तिगत क्षमता को पहचानने और उसका पोषण करने के लिए एक मजबूत संदेश भेजा है। पेरेंटिंग पर केंद्रित यह प्लेटफॉर्म माता-पिता को अपने बच्चों को लगातार दबाव के बावजूद उनकी वास्तविक क्षमता का एहसास कराने के लिए तैयार करने में मदद करता है।
ई-बुक डाउनलोड करने के लिए लिंक पर क्लिक करें: https://www.tayyarijeetki.in/download-e-book/

लेखक की प्रोफ़ाइल के लिंक पर क्लिक करें: https://docs.google.com/document/d/1gcUeIm9JP6tZCWmn0rOFXugn2RLP1xI6O30pkp8ZeYo/edit?usp=sharing

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आईसेक्ट द्वारा प्राणिक हीलिंग पर विशेष सत्र का आयोजन

डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहित करते हुए कार्य क्षमता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आईसेक्ट द्वारा अपने एम्पलॉइज के लिए प्राणिक हीलिंग पर विशेष सत्र का आयोजन किया गया। इसमें ऑडियो विजुअल के माध्यम से ट्रेनर और सलाहकार निकुंज डिडवानिया ने ऊर्जा क्या होती है, ऊर्जा के स्त्रोत क्या है, ऊर्जा को महसूस कैसे करते है एवंऊर्जा विज्ञान का डेमो सेशनदेते हुए विभिन्न जानकारियां साझा की। उन्होंने बताया कि प्राणिक हीलिंग की प्रक्रिया स्वस्थ जीवन प्रदान करने के साथ व्यक्गित और व्यावसायिक उन्नति का रास्ता भी खोलती है। इससे शरीर एवं पर्यावरण की ऊर्जा का प्रयोग कर शारीरिक एवं मानसिक क्षमता का विकास किया जा सकता है, निर्णय लेने की क्षमता में सुधार किया जा सकता है, करियर ग्रोथ को बढ़ाया जा सकता है, आपसी संबंधों को सुधारने में भी सहायक है। इस दौरान आईसेक्ट संस्थान समूह से 35 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया और प्राणिक हीलिंग को जाना। 

आईसेक्ट की इस पहल पर बात करते हुए निदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने सभी प्रतिभागियों को बधाई दी और आगे भी ऐसी व्यक्तित्व विकास उन्मुख कार्यक्रमों को आयोजित करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराया। इस विशेष सत्र के आयोजन में आईसेक्ट कॉर्पोरेट एचआर टीम से अर्चना जैन और अभिषेक यादव का सहयोग रहा। 
 

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नवागंतुकों के लिए फ्रेशर पार्टी का हुआ आयोजन

डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग में सत्र 2022 - 23 के लिये प्रवेशित छात्र - छात्राओं के स्वागत में रंगारंग  कार्यक्रम - " फ्रेशर पार्टी 2022 - 23" का आयोजन किया गया। संस्था की परम्पराओं को निभाते हुये कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुई।

कार्यक्रम में उपस्थित संस्था के ग्रुप संचालक डॉ. देवेंद्र सिंह ने मुख्य अतिथि सुश्री अदिती चतुर्वेदी, सभी प्राध्यापकों, अभिभावकों एवं छात्र - छात्राओं इत्यादि का स्वागत किया।  उन्होंने कहा की सभी छात्रों को अनुशासन में रह कर ही अपनी पढ़ाई करना चाहिए तथा प्रायोगिक शिक्षा पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए और अपने जीवन में उन्नति के शिखर पर पहुंचना चाहिए।

मुख्य अतिथि सुश्री अदिती चतुर्वेदी ने सभी नवागंतुक छात्र - छात्राओं का स्वागत किया तथा उन्हें बधाई दी कि वे अपने जीवन के सबसे अच्छे समय से गुजर रहे है और इस मोड़ पर सिर्फ अनुशासन व लगन से अपने आगामी भविष्य को सँवार सकते हैं। आगे उन्होंने कहा कि छात्रों को स्वयं से ईमानदार रहना होगा तथा पढ़ाई को सर्वोपरि रखते हुए अपने लक्ष्य को बनाना व पाना होगा। उन्होंने आईसेक्ट ग्रुप के बारे में संझिप्त में बताते हुए कहा कि नवागंतुक छात्रों ने प्रतिष्ठित स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश लेकर अपने भविष्य को संवारने की एक उत्तम पहल की है।

इस दौरान कार्यक्रम में छात्र - छात्राओं ने गायन, नृत्य, नाटक इत्यादि की प्रस्तुति दी जिनका मूल्यांकन अनुभवी शिक्षकों के पैनल द्वारा किया गया। सभी प्रतिभागी छात्रों ने पूरे उत्साह से समारोह में हिस्सा लिया। कार्यक्रम में अलग-अलग विधाओं में छात्र–छात्राओं को पुरस्कृत भी किया गया। इसमें बतौर मिस्टर फ्रेशर गोपाल पवार (बीई- सीएस), मिस फ्रेशर मुस्कान गौर (बीई-सीएस), बेस्ट परफॉर्मेंस मेल नीतेश राजपूत (एमबीए), बेस्ट परफॉर्मेंस फीमेल मुस्कान चौहान (बीई- सीएस), बेस्ट पर्सनेलिटी मेल आलेख (एमसीए), बेस्ट पर्सनेलिटी फीमेल श्रेया ओगले (एमबीए), बेस्ट टैलेंट मेल – सुजल चौधरी (डिप्लोमा- ईएक्स), बेस्ट टैलेंट फीमेल शिवानी चौहान (बीई - सीएस) और सांत्वना पुरस्कार अभिलाषा दुबे तथा प्रतिक्षा ठाकुर को नाट्य प्रस्तुति के लिए दिया गया।

कार्यक्रम में उपस्थित सहायक संचालक पिछड़ा वर्ग श्री अनिल सोनी ने सभी प्रवेशित छात्र- छात्राओं को बधाई दी और बताया कि पढ़ाई क साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेना भी अति आवश्यक है जिससे छात्रों का सर्वांगीम व्यक्तित्व का विकास होता है। साथ ही स्वयं पर विश्वास भी बढ़ता है। कार्यक्रम में उपस्थित टैगोर अंतरराष्ट्रीय कला एवं संस्कृति केंद्र के संचालक श्री विनय उपाध्याय ने छात्र-छात्रों का मनोबल बढ़ाया। विनय उपाध्याय को आवाज के जादूगर के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने बड़े ही उत्कृष्ट अंदाज में छात्र-छात्राओं को संबोधित किया।

कार्यक्रम का आयोजन संस्था की टी. एंड पी. संचालिका डॉ. मोनिका सिंह द्वारा किया गया। मंच संचालन छात्र - छात्राओं ने बड़े ही सुचारू रूप से किया। इस कार्यक्रम में स्कोप ग्रुप के सभी सहयोगी संस्थानों के प्राचार्य व प्राध्यापक भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में डॉ. मोनिका सिंह ने सभी छात्र- छात्रो को बधाई दी तथा उनके आगामी भविष्य के लिए शुभाशीष भी दी।

चांडाल योग की शांति कैसे करें?

गुरु चांडाल योग का उपाय 'गुरु चांडाल' योग के प्रभाव को कम करने के लिए माथे पर रोजाना केसर, हल्दी का तिलक लगाना चाहिए। गुरुवार को पीले वस्त्र पहनकर पीली वस्तुओं का दान करना चाहिए। गुरुजनों का आर्शीवाद प्राप्त कर उनका आदर करना चाहिए। इसके अलावा राहु के मंत्रों का जाप करें

गुरु चांडाल योग की पूजा कैसे होती है?

गुरु चांडाल दोष से छुटकारा पाने के लिए जातक को गुरु और राहु का शांति पाठ करवाएं. इसके अलावा माता-पिता की सेवा करनी चाहिए. घर या किसी मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा करने से गुरु चांडाल दोष का नकारात्मक प्रभाव कम होता है. सोमवार के दिन दो मुखी रुद्राक्ष धारण करना भी लाभकारी होता है.

गुरु चांडाल योग में कौन सा रत्न पहने?

नीलम : ऐसा माना जाता है की गुरु चांडाल दोष से मुक्ति पाने के लिए नीलम रत्न पहनना बहुत ही शुभ फलदायक है।

चांडाल दोष में क्या होता है?

चांडाल दोष ब्राह्मण के श्राप का परिचायक होता है। शनि चांडाल दोष जातक को अचानक पतन के मार्ग पर ले जाता है। अंगारक चांडाल योग के कारण जातक को जमीन-जायदाद के कारण कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ते हैं। सूर्य आत्मकारक ग्रह होकर जब चांडाल दोष में आता है, तब उस जातक पर मरे हुए लोगों की छाया का प्रभाव होता है।