भारत में सर्वाधिक ज्वारीय शक्ति उत्पादक तटीय क्षेत्र निम्नलिखित में से कौन-सा है?This question was previously asked in Show
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Answer (Detailed Solution Below)Option 3 : खम्भात तट Free UPSC Civil Service Prelims General Studies Mock Test 100 Questions 200 Marks 120 Mins सही उत्तर खम्भात तट है। Key Points ज्वारीय ऊर्जा:
भारत सरकार के अनुमानों के अनुसार, देश में 8,000 MW ज्वारीय ऊर्जा की क्षमता है।
खंभात की खाड़ी
Latest MPSC State Service Updates Last updated on Nov 24, 2022 MPSC State Services Mains Exam Notice 2022 Out on 11th November 2022 The application process will begin on 14th November 2022 and will continue till 28th November 2022. MPSC State Service Exams 2022 Prelims Results had been released on the official website on 4th November 2022. Candidates who have qualified for the Prelims will be now going for the Mains Exam, which is scheduled between 21st to 23rd January 2023. MPSC has released the MPSC Revised Exam Pattern. Now, the mains exam will be conducted for 1750 marks instead of 800 marks. There will be 9 Papers in the mains examination.
सेंट मोलो का ज्वार-केन्द्र ज्वारीय शक्ति या ज्वारीय ऊर्जा जल विद्युत का एक रूप है जो ज्वार से प्राप्त ऊर्जा को मुख्य रूप से बिजली के उपयोगी रूपों में परिवर्तित करती है। समुद्र में आने वाले ज्वार-भाटा की उर्जा को उपयुक्त टर्बाइन लगाकर विद्युत शक्ति में बदल दिया जाता है। इसमें दोनो अवस्थाओं में विद्युत शक्ति पैदा होती है - जब पानी ऊपर चढ़ता है तब भी और जब पानी उतरने लगता है तब भी। इसे ही ज्वारीय शक्ति (tidal power) कहते हैं। यह एक अक्षय उर्जा का स्रोत है। ज्वारीय शक्ति का अभी भी बहुत कम उपयोग आरम्भ हो पाया है किन्तु इसमें भविष्य के लिये अपार उर्जा प्रदान करने की क्षमता निहित है। ज्वार-भाटा के आने और जाने का समय काफी सीमा तक पहले से ही ज्ञात होता है जबकि इसके विपरीत पवन उर्जा और सौर उर्जा का पूर्वानुमान अपेक्षाकृत कठिन कार्य है। ज्वार के उठने और गिरने से शक्ति उत्पन्न होने की ओर अनेक वैज्ञानिकों का ध्यान समय समय पर आकर्षित हुआ है और उसको काम में लाने की अनेक योजनाएँ समय समय पर बनी हैं। पर जो योजना आज सफल समझी जाती है, वह ज्वार बेसिनों का निर्माण है। ये बेसिन बाँध बाँधकर या बराज बनाकर समुद्रतटों के आसपास बनाए जाते हैं। ज्वार आने पर इन बेसिनों को पानी से भर लिया जाता है, फिर इन बेसिनों से पानी निकालकर जल टरबाइन चलाए जाते और शक्ति उत्पन्न की जाती है। अब तक जो योजनाएँ बनी हैं वे तीन प्रकार की है। एक प्रकार की योजना में केवल एक जलबेसिन रहता है। बाँध बाँधकर इसे समुद्र से पृथक् करते हैं। बेसिन और समुद्र के बीच टरबाइन स्थापित रहता है। ज्वार उठने पर बेसिन को पानी से भर लिया जाता है और जब ज्वार आधा गिरता है तब टरबाइन के जलद्वार का खोलकर उससे टरबाइन का संचालन कर शक्ति उत्पन्न करते हैं। एक अन्य बेसिन में ज्वार के उठने और गिरने दोनों समय टरबाइन कार्य करता है। जल नालियों द्वारा बेसिन भरा जाता है और दूसरी नालियों से टरबाइन में से होकर खाली किया जाता है। दूसरे प्रकार की योजना में प्राय: एक ही क्षेत्रफल के दो बेसिन रहते हैं। एक बेसिन ऊँचे तल पर, दूसरा बेसिन नीचे तल पर होता है। दोनों बेसिनों के बीच टरबाइन स्थापित रहता है। उपयुक्त नालियों से दोनों बेसिन समुद्र से मिले रहते हैं तथा सक्रिय और अविरत रूप से चलते रहते हैं। ऊँचे तलवाले बेसिन को उपयुक्त तूम फाटक (Sluice gates) से भरते और नीचे तलवाले बेसिन के पानी को समुद्र में गिरा देते हैं। तीसरे प्रकार की योजना में भी दो ही बेसिन रहते हैं। यहाँ समुद्र से बेसिन को अलग करनेवाली दीवार में टरबाइन लगी रहती है। एक बेसिन से पानी टरबाइन में आता और दूसरे बेसिन से समुद्र में गिरता है। दोनों बेसिनों के शीर्ष स्थायी रखे जाते हैं। एक बेसिन से पानी टरबाइन में आता और दूसरे बेसिन से समुद्र में गिरता है। दोनों बेसिनों के शीर्ष स्थायी रखे जाते हैं। बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
भारत में सर्वाधिक ज्वारीय शक्ति उत्पादन तटीय क्षेत्र कौन सा है?Detailed Solution. सही उत्तर खम्भात तट है।
भारत में कौन सा स्थान ज्वारीय तरंगों द्वारा ऊर्जा उत्पादन के लिए आदर्श स्थिति प्रदान करता है?Detailed Solution. सही उत्तर खंभात की खाड़ी (कैम्बे) है।
ज्वारीय भित्ति कहाँ उत्पन्न होती है?ज्वार-भित्ति (Tidal Bore) -
महासागरीय ज्वारीय लहरों के प्रभाव से नदियों के जल के एक दीवार के रूप में ऊपर उठ जाने पर ज्वारीय भित्ति का निर्माण होता है। भारत की हुगली नदी में ज्वारीय भित्ति का निर्माण सामान्यतया होता रहता है।
ज्वारीय शक्ति किसका उदाहरण है?ज्वारीय शक्ति या ज्वारीय ऊर्जा जल विद्युत का एक रूप है जो ज्वार से प्राप्त ऊर्जा को मुख्य रूप से बिजली के उपयोगी रूपों में परिवर्तित करती है। समुद्र में आने वाले ज्वार-भाटा की उर्जा को उपयुक्त टर्बाइन लगाकर विद्युत शक्ति में बदल दिया जाता है।
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