शमी के पेड़ कैसे होते हैं? - shamee ke ped kaise hote hain?

शमी का पौधा (Shami Plant) घर में लगाने से कई तरह के फायदे मिलते हैं। हर कोई चाहता है कि उसका घर खूबसूरत दिखे। हरे पौधे व पेड़ घरों की सुंदरता को बढ़ाते हैं। वे न केवल हवा को शुद्ध करते हैं बल्कि कई चमत्कारिक लाभ भी देते हैं। कुछ पौधे सौभाग्य और समृद्धि को आकर्षित करते हैं। शमी का पौधा (Shami Plant) ऐसा ही एक पौधा है।

हर पेड़ की खुबियां अलग-अलग होती है। हर पौधे के आकार, रंग, सुगंध, फल व फूल सभी विभिन्न प्रभावों के कारण अलग-अलग ग्रहों से जुड़े होते हैं। हालांकि, कुछ पौधों को पवित्र भी माना जाता है। उदाहरण के लिए तुलसी की पूजा लगभग हर हिंदू घर में की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इसमें फेंगशुई पौधों की तरह घर से सभी नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने की शक्ति होती है। इसी तरह शमी के पौधे (Shami Plant) की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है।

शमी के पौधे की पहचान कैसे करें?

शमी, जिसे White Kutch के नाम से भी जाना जाता है, भारत का औषधीय पौधा है। शमी के पौधे का वानस्पतिक नाम (Botanical Name of Shami Plant) Acacia polyacantha Willd है। शमी का पौधा हिंदी (Shami plant in hindi) में चिक्कुर (Chikkur) के नाम से जाना जाता है।

शमी पौधे की पहचान कैसे करें (How to Identify Shami plant): यह एक मध्यम आकार का पेड़ होता है जिसकी शाखाएं सफेद-प्यूब्सेंट तथा छाल सफेद होती है जिसपर पेपर फ्लेक्स में पपड़ी पड़ जाती है। इसके फूल धीमी गति से बढ़ते हैं, हल्के पीले से लगभग सफेद रंग के होते हैं, और फल सिरे पर त्रिकोण होने के साथ सपाट होते हैं, आधार पर एक पतला डंठल होता है।

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फूल लगा हुआ शमी का पौधा

शमी के पौधे की देखभाल कैसे करें

  1. सूरज की रोशनी: शमी के पौधों (Shami Plant) को खासकर अंकुरण के वक्त बहुत अधिक प्रकाश की आवश्यकता होती है। पौधे को छायादार जगह पर भरपूर रोशनी के साथ रखें।

  2. तापमान: शमी के पौधे (Shami Plant) को अंकुरण हेतु न्यूनतम तापमान 9-20 डिग्री सेल्सियस की आवश्यकता होती है। हालांकि, जैसे-जैसे पौधा बढ़ता है, वे मजबुत होते जाते हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे अधिक गर्मी वाले राज्यों में, ये पौधे सूरज की रोशनी को सहन नहीं कर पाते। ऐसे क्षेत्रों में पौधों को छाया में रखना चाहिए।

  3. प्रूनिंग (छंटाई): भले ही शमी के पौधे (Shami Plant) की छंटाई करने जरुरत नहीं होती है, लेकिन इन पौधों की छंटाई करना अच्छा रहता है, क्योंकि इससे पौधों का विकास तेजी से होता है। इसलिए पौधों की छंटाई करें और सभी सूखे पत्तों और फूलों को हटा दें।

  4. पानी देना: थोड़ा बड़ा हो जाने पर, इन पौधों को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है। यह अधिक गर्मी में भी रह सकता है। इसलिए, ऊपरी मिट्टी सूख जाने के बाद, फिर से पानी दें। हालांकि, अंकुरण के दौरान, आपको पौधे को नम रखना चाहिए। यह सुनिश्चित करना जरुरी है कि पानी मिट्टी के हर हिस्से तक पहुंचे।

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घर के लिए शमी का पौधा

शमी के पौधे के फायदे (Shami Plant Benefits)

शमी के पौधे के फायदे (Shami plant benefits) से हम सभी वाकिफ हैं। यह धार्मिक महत्व के साथ-साथ अपने ज्योतिषीय एवं औषधीय लाभों के लिए भी जाना जाता है।

  • यह पौधा तुलसी के पौधे जितना ही फायदेमंद होता है। इसके फल, पत्ते, जड़ और जूस को चढ़ाने से शनि देव के प्रतिकूल प्रभाव को कम किया जा सकता है।

  • घर में शमी का पेड़ (Shami tree) लगाने से सुख, शांति व धन की प्राप्ति होती है, साथ ही यह नकारात्मक ऊर्जा से भी बचाता है।

  • औषधि के क्षेत्र में इस पौधे का बहुत महत्व है। कई बीमारियों जैसे मानसिक विकार, सिज़ोफ्रेनिया, श्वसन मार्ग के संक्रमण, दाद, दस्त, प्रदर, आदि के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

  • पौधे के विभिन्न भागों का इस्तेमाल कई औषधीय उद्देश्यों के लिए किया जाता है। सूखी छाल को अल्सर के उपचार में इस्तेमाल किया जाता है, और पिसी हुई छाल का काढ़ा गले में खराश और दांत दर्द में राहत देता है। इसके पत्तों की औषधि का इस्तेमाल एंटीसेप्टिक और पेचिश में किया जाता है।

  • इसके पत्तों के रस का इस्तेमाल आंत में मौजूद परजीवी कृमियों को मारने हेतु किया जाता है। फली का इस्तेमाल मूत्रजननांगी विकारों के इलाज के लिए किया जाता है।

शमी के पेड़ कैसे होते हैं? - shamee ke ped kaise hote hain?

शमी के पौधे की पत्तियों का इस्तेमाल औषधीय प्रयोजनों हेतु किया जाता है

शमी का पौधा कैसे उगाएं

शमी के पौधे को आप दो तरह से उगा सकते हैं, कटिंग और बीज के ज़रिए। शमी के पौधे को कटिंग एवं बीजों से उगाना सबसे आसान है। आपको बस कुछ आसान बातों का ध्यान रखना है।

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शमी के पौधे को कटिंग विधि के ज़रिए उगाना

चरण 1: ऐसा पौधा ढूंढे जिससे आप कोई तना काटकर कटिंग इसका इस्तेमाल करेंगे। इन कटिंग के लिए पौधे के तनों को 45° के कोण पर काटें। ऐसी संभावना है कि सभी कटिंग नहीं बढ़ेंगी, इसलिए आपको कम से कम तीन से चार तने काटने चाहिए।

चरण 2: इन कटिंग को बोने हेतु तैयार करने के लिए, तने के किनारों से सभी पत्तियों को हटा दें। अंकुरण के दौरान पत्तियां मिट्टी में दब जाएंगी, और किनारों को ट्रिम करने से तेजी से विकास होता है। ऊपर से पत्ते न तोड़ें। 

चरण 3: कटिंग तैयार होने के बाद उन्हें रूटिंग हार्मोन में डुबोएं। अगर आप सिंथेटिक रूटिंग हार्मोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं, तो आप तीन भाग एलोवेरा जेल और एक भाग शहद को मिलाकर घर पर इसे बना सकते हैं। रूटिंग हार्मोन रूटिंग प्रक्रिया को तेज करेगा।

चरण 4: पोटिंग मिक्स बनाने के लिए समान मात्रा में दोमट मिट्टी, खाद और रेत मिलाएं। नली के छेद से रेत को निकलने से रोकने हेतु एक बर्तन लें। आप बर्तन के तल पर कोई पत्थर रख सकते हैं। उसके बाद, कंटेनर के निचले तीसरे भाग में पॉटिंग मिक्स डालें।

चरण 5: बर्तन तैयार हो जाने के बाद, अपनी उंगलियों या किसी अन्य लंबी, नुकीली वस्तु का इस्तेमाल करके मिश्रण में छेद करें। तने के अंतिम सिरे को रूटिंग हार्मोन से लेपित किया जाना चाहिए। अब आप कटिंग को गमले में रख सकते हैं और मिट्टी को भर सकते हैं। पौधे को अच्छी तरह से पानी दें।

शमी के पौधे को बीज के ज़रिए उगाना

  • नजदीकी नर्सरी से शमी के पौधे के बीज खरीदें

  • इसे बोने से पहले, कम से कम 12 से 24 घंटे तक भिगोना चाहिए

  • बीज की बाहरी परत या कोट को धीरे से खुरचें ताकि भ्रूण को नुकसान न पहुंचे

  • बीज को गमले की मिट्टी में गाड़ दें और इसे धीरे से ढंक दें (ऊपर का चरण 4 देखें)

  • अंकुरण के लिए गमले को सीधी और तेज रोशनी में रखें।

शमी पौधे का धार्मिक महत्व

हिंदू धार्मिक ग्रंथों में वर्णित दो पौधों के शनि के प्रभाव को कम करने में सहायक माना गया है। ये हैं शमी और पीपल के पेड़। ऐसा माना जाता है कि इन दो पेड़ों की पूजा करने से शनि के प्रभाव को कम किया जा सकता है। शनि के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के लिए व्यक्ति को घर के आसपास शमी का पेड़ (Shami Plant) लगाना चाहिए। इसके अलावा, शमी के पौधे (Shami Plant) के फूल और पत्तियों का इस्तेमाल शनि के नकारात्मक प्रभावों को कम करने हेतु किया जा सकता है।

रामायण में भी शमी पौधे (Shami Plant) का महत्व बताया गया है। रावण के खिलाफ युद्ध शुरु करने से पहले, भगवान राम ने एक शमी के वृक्ष की पूजा की थी। इसी तरह, जब अर्जुन ने अपने वनवास के दौरान बृहन्नल का रूप धारण किया, तो उन्होंने महाभारत के अनुसार अपने दिव्य गांडिव धनुष को शमी के वृक्ष पर छिपा दिया था।

शमी के पत्तों का इस्तेमाल भगवान गणपति और देवी दुर्गा की पूजा हेतु भी किया जाता है। नवरात्रि के दसवें दिन इस पेड़ की विशेष रूप से पूजा की जाती है। जो हिंदू इस पौधे की पूजा करते हैं वे हर शनिवार को शमी के पौधे (Shami Plant) के नीचे दीपक जलाते हैं। दशहरा के दसवें दिन मराठों ने इस पेड़ के पत्ते पर तीर चलाए और गिरते पत्ते को अपनी पगड़ी में रखा था। महाभारत के अनुसार, पांडवों ने अपने वनवास का तेरहवां वर्ष विराट राज्य में भेष बदलकर बिताया था।

विराट जाने से पहले, उन्होंने एक वर्ष तक इस पेड़ पर अपने दिव्य हथियारों को लटकाए रखा। एक साल बाद जब वे लौटे तो उन्होंने पाया कि उनके सभी हथियारों शमी के पेड़ की शाखाओं पर सुरक्षित हैं। उन्होंने पेड़ को नमन किया और जाते समय पेड़ को धन्यवाद दिया। पूजा पाठ में इस पौधे की पत्तियां भी महत्वपूर्ण हैं। कहा जाता है कि किसी भी अच्छे काम हेतु घर से निकलने से पहले सबसे पहले इस पौधे को देखना चाहिए।

शमी के पौधे के बारे में क्या कहता है वास्तु?

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के आस-पास के पौधे और पेड़ सकारात्मकता को बढ़ाते हैं। वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, अगर शनि आपकी कुंडली को प्रभावित करता है, तो आपको घर में शमी का पेड़ (Shami Plant) लगाना चाहिए। शमी का पौधा वास्तु के अनुसार दक्षिण दिशा में होना चाहिए। सीधी धूप न होने पर इसे पूर्व या उत्तर पूर्व में रखें। अगर ऐसा नहीं हो सकता, तो शमी का पौधा बाहर लगाएं, ताकि जब भी आप घर से बाहर निकलें तो यह आपके दाहिने ओर हो।

वास्तु के जानकार शमी का पौधा लगाने हेतु उपयुक्त समय और दिन को बताते हैं। अगर शनि की साढ़े साती या ढैया हो तो हर शनिवार को रात के समय शमी के पेड़ के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इस पेड़ को लगाने हेतु शनिवार का दिन सबसे अच्छा माना जाता है। क्योंकि शमी का पेड़ शनि महादेव को दर्शाता है, इसलिए घर में शमी के पेड़ का स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। वास्तु विशेषज्ञ की सलाह का पालन करके आप आसानी से घर में उचित पेड़-पौधे लगा सकते हैं।

शमी का पौधा कहां लगाएं?

  • शमी का पौधा (Shami Plant) काफी शुभ माना जाता है जिसे गमले में लगाना चाहिए या अपने घर के मुख्य द्वार के पास रखना चाहिए। 

  • जिनके घर में पहले से ही शमी का पौधा है, वे पौधे को सूखा अवश्य रखें। 

  • शमी का पौधा (Shami Plant) मुख्य द्वार के पास या बाहर लगाते समय यह दाहिनी ओर हो। 

  • अगर आप शमी का पौधा छत पर रखना चाहते हैं तो इसे दक्षिण दिशा में रखना चाहिए। अगर दक्षिण दिशा में पर्याप्त धूप नहीं आती है तो आप शमी का पौधा पूर्व दिशा में रख सकते हैं। 

  • शमी के पौधे को साफ और सूखे स्थान पर गाएं। पौधे को कूड़ेदान या नाली के पास नहीं रखना चाहिए। 

  • क्योंकि शमी का पौधा शुभ होता है इसलिए इसकी रोज पूजा करें, इसके पास दीपक जलाएं तथा जल चढ़ाएं। 

शमी के पौधे की पूजा करने की विधि

शमी का पौधा लगाकर करें शनि के दुष्प्रभाव को दूर

अब आप शमी के पौधे, इसके लाभ तथा इसका धार्मिक महत्व समझ गए हैं, इसलिए आपको यह जानना चाहिए कि इसकी पूजा कैसे की जाती है। हर शनिवार को शमी के पौधे के नीचे दीपक (दीया) अवश्य जलाना चाहिए। प्रतिदिन भगवान शिव को शमी का पत्ता अर्पित करना भी शुभ माना जाता है।

इसके अलावा शमी के पौधे को रोजाना नहाने से पहले पानी देना जरूरी है। शमी के पौधे की पत्तियों का भी विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि जब आप किसी अच्छे काम या अवसर की तलाश में घर से बाहर निकलते हैं तो शमी के पौधे को देखना सौभाग्य लाता है।

शमी के पौधे की नित्य पूजा करने से भी सभी प्रकार के कष्ट नष्ट हो जाते हैं। यह सभी समस्याओं को दूर करता है तथा धन में भी वृद्धि करता है। स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो या शनि के कारण दुर्घटना हो रही हो तो शमी के पौधे की लकड़ी को काले धागे में लपेटकर धारण करें। 

शमी के पौधे को अन्य भाषाओं में क्या कहते हैं?

शमी का पौधा मिमोसैसी (Mimosaceae) संघ से संबंधित है। शमी के पौधे का वानस्पतिक नाम (Botanical Name of Shami Plant) प्रोसोपिस सिनेरिया (Prosopis Cineraria) है, और अन्य भाषाओं में इसके निम्नलिखित नाम हैं:

हिंदी : शमी, चिक्कुर (Chikkur), खेजड़ी

अंग्रेजी : प्रोसोपिस सिनेरिया

संस्कृत : शमी, शिव, मंगल्या, सत्तुफल, तुंगा, केशहात्री, लक्ष्मी, शिवफल

कन्नड़ : पेरामबाई, बन्नी, तकीते

उड़िया : खोदिरो, शमी, सोमी

कोंकणी : ज़ेम्बी, शमी

तमिल : परंबाई, कालीसम, जम्बू

तेलुगु : जांबी, जम्मी चेट्टू

गुजराती : खामड़ी, खिजादो, हमरा

पंजाबी : जंडी, जंडी

मलयालम : वम्मी, परमपु

बंगाली : शमी, सोमी

मराठी : सौंदर, शेमी, सोमी

अरबी : ग़फ़ी

उर्दू : जांडी, कांदी

शमी का पौधा (Shami Plant) - कुछ महत्वपूर्ण बातें

शमी का पौधे (Shami Plant) काफी महत्वपूर्ण है और प्राचीन काल से इसकी पूजा की जाती रही है। घर में सकारात्मकता और समृद्धि लाने के साथ-साथ यह उसकी खूबसूरती में भी इजाफा करता है। साथ ही यह आपके घर के लिए सबसे अच्छे पौधों में से एक है।

असली शमी के पौधे की पहचान कैसे करें?

शमी का वृक्ष 9-18 मीटर ऊंचा, मध्यमाकार और हमेशा हरा रहता है। इसके वृक्ष में कांटे होते हैं। इसकी शाखाएं पतली, झुकी हुई और भूरे रंग होती हैं। इसकी छाल भूरे रंग की, फटी हुई, तथा खुरदरी होती है।

शमी वृक्ष का दूसरा नाम क्या है?

छोंकरा (उत्तर प्रदेश), जंड (पंजाबी), कांडी (सिंध), वण्णि (तमिल), शमी, सुमरी (गुजराती) आते हैं। इसका व्यापारिक नाम कांडी है। यह वृक्ष विभिन्न देशों में पाया जाता है जहाँ इसके अलग अलग नाम हैं।

असली शमी का पौधा कौन सा है?

असली शमी का पौधा ज्यादातर नई डांगी पत्तों की जड़ से ही लेता है। एक डांगी में अनेकों पत्ते होते हैं। जिससे वहां डंठल गांठ जैसा दिखने लगता है। और वहीं से नई डांगी निकलती है।

शमी का पेड़ लगाने से घर में क्या होता है?

शमी का पौधे लगाने से को घर में बरकत आती है कभी भी पैसों की कमी नहीं रहती है. इस पौधे को लगाने से घर का वास्तु दोष भी दूर होता है. इसके प्रभाव से घर की सारी बाधाएं दूर होती हैं. रोज शमी की पूजा करने से विवाह संबंधी दिक्कतें भी दूर होती हैं.