अनुलोम विलोम कैसे किया जाता है? - anulom vilom kaise kiya jaata hai?

अनुलोम विलोम कैसे किया जाता है? - anulom vilom kaise kiya jaata hai?

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Anulom Vilom: अनुलोम विलोम प्रणायाम सेहत के लिए फायदेमंद है.

खास बातें

  • अनुलोम विलोम कई रोगों से लड़ने में कारगर माना जाता है.
  • पढ़ें अनुलोम विलोम के फायदों (Anulom Vilom Benefits) के बारे में.
  • अनुलोम विलोम करने से फेफड़े मजबूत होते हैं.

Anulom Vilom Pranayam: योग के फायदे जान कर लोग अब इसकी तरफ बढ़ रहे हैं. कुछ लोग तो ऐसे हैं जो जिम छोड़कर योगा को अपना रहे हैं. लोगों का मानना है कि जिम से शरीर के किसी खास अंग की ही एक्सरसाइज हो पाती है, लेकिन योग से बॉडी के सारे पार्ट्स की एक्सरसाइज हो जाती है. इस कारण जिम में पसीना बहाने से बेहतर है कि आप घर बैठे अपना समय भी बचाए और बिना किसी तकलीफ के बेहतर शरीर भी पा सकें. इन्हीं में से एक है अनुलोम विलोम प्रणायाम (Anulom Vilom in Hindi) . अनुलोम विलोम कई रोगों से लड़ने में कारगर माना जाता है. अस्थमा पीडि़त इस आसन से लाभ पा सकते हैं. तो चलिए आज आपको बताते हैं अनुलोम विलोम के फायदों (Anulom Vilom Benefits) के बारे में और इसे करने के सही तरीके की जानकारी देते हैं. योग करने से आपके शरीर का डाइजेशन भी सही रहता है और शरीर तभी फिट रह सकता है जब आपकी बॉडी का डाइजेशन सही हो. योग करने से आपको समय पर भूख लगती है और समय पर खाना खाने आपका डाइजेशन भी बेहतर बना रहता है. अपने आपको फिट रखने के लिए आप  कई तरह के योगासन कर सकते हैं, लेकिन कहा जाता है कि प्राणायाम के ढ़ेरों फायदे हैं. प्राणायाम करने से दमा, एलर्जी, साइनोसाइटिस,पुराना नजला, जुकाम आदि रोगों से निजात पाया जा सकता है. तो चलिए आज आपको बताते हैं योग के फायदों के बारे में- 

कैसे करें अनुलोम विलोम प्राणायाम स्टेप बाई स्टेप

अनुलोम विलोम कैसे किया जाता है? - anulom vilom kaise kiya jaata hai?

How to Do Anulom Vilom: अनुलोम विलोम कई रोगों से लड़ने में कारगर माना जाता है. 

1. सबसे पहले चौकड़ी मार कर बैठें. 
2. इसके बाद दाएं अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका पकड़ें और बाई नासिका से सांस अंदर लें लीजिए.
3. अब अनामिका अंगुली से बाई नासिका को बंद कर दें. 
4. इसके बाद दाहिनी नासिका खोलें और सांस बाहर छोड़ दें.
5. अब दाहिने नासिका से ही सांस अंदर लें और उसी प्रक्रिया को दोहराते हुए बाई नासिका से सांस बाहर छोड दें.
नोट- दूसरी बार में आप जिस नासिका से सांस छोड़ रहे हैं उसी से दोबारा सांस को अंदर लेकर दूसरी नासिका से छोड़ना है. 

अनुलोम विलोम कैसे किया जाता है? - anulom vilom kaise kiya jaata hai?

अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे जानकार आप आज ही इसे शुरू कर देंगे.

अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे

1. अनुलोम विलोम करने से फेफड़े मजबूत होते हैं.
2. इससे बदलते मौसम में शरीर जल्दी बीमार नहीं होता. 
3. अनुलोम विलोम प्राणायाम करके आप वजन कम कर सकते हैं. जी हां, यह पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाता है, जिससे कि आप अतिरिक्त कैलोरी को भी जल्दी बर्न कर सकते हैं.
4. अनुलोम विलोम मसल्स के लिए भी अच्छा माना जाता है.
5. अनुलोम विलोम प्राणायाम तनाव या डिप्रेशन को दूर करने के लिए अच्छा है.
6. अनुलोम विलोम करने का फायदा आपके लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे दिल को भी मिलता है. यह दिल के लिए अच्छा है.
7. कई योग गुरुओं का यह भी मानना है कि अनुलोम विलोम प्राणायाम गठिया के लिए भी फायदेमंद है.

अनुलोम-विलोम एक ऐसा प्राणायाम है, जिसे करना काफी आसान होता है। बावजूद इसके कई लोग इसे गलत तरीके से करते हैं और उन्हें इसका पता ही नहीं होता। ऐसे में अनुलोम-विलोम करने का फायदा नहीं मिल पाता। बस तो इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम यहां अनुलोम विलोम प्राणायाम की विधि बता रहे हैं। यहां अनुलोम विलोम के फायदे और नुकसान की जानकारी भी मौजूद है। साथ ही अनुलोम विलोम प्राणायाम से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण टिप्स भी बताए गए हैं।

शुरू करते हैं लेख

इस लेख की शुरुआत में अनुलोम विलोम प्राणायाम क्या होता है, यह जानते हैं।

  • अनुलोम विलोम प्राणायाम क्या है – Anulom Vilom in Hindi
  • अनुलोम विलोम प्राणायाम करने का तरीका – Anulom Vilom Steps in Hindi
  • अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे – Anulom Vilom Pranayama Benefits in Hindi
  • अनुलोम विलोम करने के लिए कुछ और टिप्स – Other Tips for Anulom Vilom in Hindi

अनुलोम-विलोम एक तरह का प्राणायाम है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण श्वसन क्रिया को माना जाता है। इस प्राणायाम को प्राचीन समय से किया जा रहा है। कहा जाता है कि भारतीय ऋषि स्वयं को निरोग रखने के लिए इस प्रकार की योग क्रियाओं का अभ्यास किया करते थे। अनुलोम-विलोम को अंग्रेजी में अल्टरनेट नॉस्ट्रिल ब्रीथिंग एक्सरसाइज कहते हैं, जिसमें नाक के एक छिद्र से गहरी सांस लेना और फिर दूसरे छिद्र से धीरे-धीरे सांस छोड़ना होता है (1)।

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आइए, अब जानते हैं अनुलोम विलोम प्राणायाम की विधि के बारे में।

अनुलोम विलोम प्राणायाम करने का तरीका – Anulom Vilom Steps in Hindi

मन में सवाल है कि अनुलोम विलोम कैसे करें, तो सबसे पहले दिन के किसी निश्चित पहर का चुनाव करना होगा। सुबह का वक्त योगाभ्यास करने का आदर्श समय माना जाता है। सुबह की ताजी हवा में अनुलोम-विलोम ज्यादा कारगर साबित हो सकता है। चाहें तो शाम के वक्त भी प्राणायाम का अभ्यास कर सकते हैं। अब नीचे क्रमबद्ध अनुलोम-विलोम करने का तरीका जानिए।

  • किसी साफ जगह का चुनाव करें और वहां योग मैट या कोई साफ चादर बिछाएं।
  • ध्यान रहे कि अनुलोम-विलोम के लिए दाएं हाथ के अंगूठे और दाएं हाथ की मध्य उंगली को ही काम में लाया जाएगा।
  • अब पद्मासन की मुद्रा में बैठना होगा यानी बाएं पैर के पंजे को अपने दाईं जांघ पर और दाएं पैर के पंजे को बाईं जांघ पर रखें।
  • पद्मासन की मुद्रा में जो नहीं बैठ सकते, वो सुखासन मुद्रा में बैठ सकते हैं।
  • अगर किसी के लिए जमीन पर बैठना मुश्किल है, तो कुर्सी पर बैठ सकते हैं।
  • कमर सीधी रखें और अपनी दोनों आंखें बंद कर लें।
  • एक लंबी गहरी सांस लें और धीरे से छोड़ दें। इसके बाद खुद को एकाग्र करने की कोशिश करें।
  • इसके बाद अपने दाहिने (सीधे) हाथ के अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका को बंद करें और बाईं नासिका से धीरे-धीरे गहरी सांस लें।
  • सांस लेने में जोर न लगाएं, जितना हो सके उतनी गहरी सांस लें।
  • अब दाहिने हाथ की मध्य उंगली से बाईं नासिका को बंद करें और दाईं नासिका से अंगूठे को हटाते हुए धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
  • कुछ सेकंड का विराम लेकर दाईं नासिका से गहरी सांस लें।
  • अब दाहिने अंगूठे से दाहिनी नासिका को बंद करें और बाईं नासिका से दाहिनी हाथ की मध्य उंगली को हटाकर धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
  • इस प्रकार अनोम-विलोम प्राणायाम का एक चक्र पूरा हो जाएगा।
  • एक बार में ऐसे पांच से सात चक्र कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को रोज करीब 10 मिनट कर सकते हैं।

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ऊपर हमने बताया अनुलोम विलोम कैसे करें। अब हम अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे बता रहे हैं।

अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे – Anulom Vilom Pranayama Benefits in Hindi

अब यहां हम विस्तार से बता रहे हैं कि अनुलोम विलोम करने से कौन-कौन सी शारीरिक समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। अनुलोम विलोम के फायदे कुछ इस तरह हो सकते हैं।

1. मधुमेह

मधुमेह के मरीजों के लिए अनुलोम विलोम के फायदे देखे गए हैं। एक वैज्ञानिक अध्ययन के दौरान पाया गया है कि रोजाना पांच से दस मिनट अनुलोम विलोम करने से टाइप 2 डायबिटीज से राहत मिल सकती है। साथ ही रिसर्च में यह भी दिया है कि प्राणायाम के अभ्यास से रक्त ग्लूकोज का स्तर कम हो सकता है (2)। अनुलोम विलोम भी एक प्रकार का प्राणायाम ही है, इसलिए मधुमेह की स्थिति में अनुलोम विलोम फायदेमंद हो सकता है।

2. हृदय स्वास्थ्य

हृदय रोगों से बचने के लिए भी अनुलोम विलोम प्राणायाम के लाभ हो सकते हैं। यह प्रणायाम हृदय की बीमारी और हार्ट ब्लॉकेज से बचाव कर सकता है। साथ ही हाई ब्लड प्रेशर जैसे हृदय रोग के जोखम को भी कम करने में सहायक माना जाता है (3)। हृदय के मरीजों के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम इसलिए भी फायदेमंद है, क्योंकि यह हृदय की क्षमता को बढ़ा सकता है (2)।

3. गठिया

अनुलोम विलोम प्राणायाम गठिया जैसे रोग में भी कारगर है। एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, योगासन करने से जोड़ों में सुबह होने वाली ऐंठन और सूजन से राहत मिल सकती है। साथ ही रिसर्च में यह भी कहा गया है कि योगाभ्यास को अकेले करने की जगह मसाज थेरेपी के साथ करने पर ज्यादा प्रभावकारी परिणाम नजर आ सकते हैं (4)।

4. माइग्रेन

माइग्रेन के लिए भी अनुलोम विलोम के लाभ देखे जा सकते हैं (3)। यह एक प्रकार का सिरदर्द है, जो पूरे सिर या आधे सिर में होता है। यह माइग्रेन, अवसाद और चिंता की वजह से भी होता है (5)। इससे राहत पाने के लिए अनुलोम-विलोम प्राणायाम किया जा सकता है। वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, ब्रीथिंग एक्सरसाइज से अवसाद और चिंता दूर हो सकती है, जिससे माइग्रेन पर नियंत्रण पाया जा सकता है (6)।

5. एकाग्रता

अनुलोम विलोम योगा का एक काम एकाग्रता बढ़ाना भी है। खासकर, विद्यार्थी अपने कंसन्ट्रेशन पावर को मजबूत करने के लिए इस ब्रीथिंग एक्सरसाइज का अभ्यास कर सकते हैं। दरअसल, अनुलोम-विलोम प्राणायाम नर्वस सिस्टम को नियंत्रित करने के साथ-साथ मस्तिष्क की न्यूरोनल गतिविधियों में सुधार हो सकता है। इससे एकाग्रता बढ़ाने में मदद मिल सकती है (2)।

4. वजन कम करने में सहायक

अनुलोम विलोम के चमत्कार वजन को नियंत्रित करने के लिए भी देखे जा सकते हैं। यह ब्रीथिंग एक्सरसाइज शरीर में चर्बी या फैट की मात्रा को नियंत्रित करने का काम करती है। इससे आसानी से बढ़ते वजन के पर्सेंटेश को काबू किया जा सकता है (2)।

5. कब्ज कम करने के लिए

कब्ज जैसी पेट संबंधी समस्याओं के लिए भी अनुलोम विलोम के फायदे देखे जा सकते हैं। दरअसल, नेशनल हेल्थ पोर्टल (एनएचपी) की वेबसाइट पर प्रकाशित जानकारी के अनुसार, अनुलोम विलोम प्राणायाम कब्ज से निजात दिला सकता है। इस प्राणायाम का लाभ इसे सही तरीके से करने से ही मिलता है, इसलिए किसी अनुभवी योग प्रशिक्षक का मार्गदर्शन जरूर लें (7)।

6. डिटॉक्स करने में सहायक

अनुलोम विलोम के फायदे में शरीर को डिटॉक्स करना भी शामिल है। कई बार खान-पान में बरती गई लापरवाही शरीर में विषाक्तता का कारण बन जाती है। शरीर की इस विषाक्तता को दूर करने या डिटॉक्स रखने के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम किया जा सकता है। रिसर्च के अनुसार, प्राणायाम न सिर्फ शरीर को डिटॉक्स करता है, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में भी अहम भूमिका निभा सकता है (8)।

7. रखता है शांत

खुद को शांत रखने के लिए मन-मस्तिष्क का शांत रहना जरूरी है। प्राणायाम ऐसी योग प्रक्रिया है, जो  मानसिक रूप से शांत कर सकती है। वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, ब्रीथिंग एक्सरसाइज का नियमित अभ्यास चिंता और अवसाद से दूर रखने का काम करता है (9)। साथ ही मस्तिष्क की कार्यक्षमता भी बढ़ सकती है (2)। तनाव मुक्त रहने के लिए भी रोजाना अनुलोम-विलोम प्राणायाम कर सकते हैं (10)।

8. रक्त संचार

शरीर में रक्त संचार को बेहतर करने के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे देखे जा सकते हैं। एक वैज्ञानिक शोध के मुताबिक, इस योग के दौरान होने वाली श्वसन क्रिया से शरीर के रक्त संचार और ब्लड फ्लो में सुधार हो सकता है (11)। साथ ही इसके नियमित अभ्यास से सिस्टोलिक रक्तचाप (SBP) और डायस्टोलिक रक्तचाप (DBP) को कम कर सकता है (10)।

9. त्वचा की चमक

अनुलोम विलोम के चमत्कार त्वचा पर भी नजर आ सकते हैं। अनुलोम विलोम योग को करने से शरीर को पूरी तरह से डिटॉक्स करने में मदद मिल सकती है (8)। जब शरीर से टॉक्सिन बाहर निकल जाता है, तो डैमेज स्किन सेल्स को रिपेयर करने व त्वचा की इलास्टिसिटी को बढ़ा सकता है। इससे त्वचा को भी लाभ हो सकता है (12)। बस तो त्वचा की चमक बढ़ाने के लिए प्राणायाम कर सकते हैं।

लेख में बने रहें

आगे जानते हैं कि अनुलोम विलोम योगा के दौरान किस तरह की सावधानियों को ध्यान में रखना चाहिए।

अनुलोम विलोम करने के लिए कुछ और टिप्स – Other Tips for Anulom Vilom in Hindi

अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे और अनुलोम-विलोम कैसे करें, जानने के बाद अनुलोम-विलोम से जुड़ी सावधानियां पढ़ते हैं।

  • शाम की तुलना में सुबह आठ बजे से पहले अनुलोम विलोम के फायदे ज्यादा मिलते हैं।
  • अगर कोई पहली बार अनुलोम-विलोम कर रहा हैं, तो किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में यह योगाभ्यास करें। इससे अनुलोम विलोम के नुकसान से बचा जा सकता है।
  • अनुलोम-विलोम का अधिक लाभ पाने के लिए खानपान पर ध्यान रखें।
  • यह जरूर सुनश्चित कर लें कि अनुलोम-विलोम करने के स्टेप सही हों।
  • अनुलोम विलोम के नुकसान से बचने के लिए गंभीर हृदय रोगी, रक्तचाप रोगी और गर्भवतियां डॉक्टरी परामर्श के बाद ही अभ्यास करें।

आज दुनिया भर में अनुलोम-विलोम को करने वालों की संख्या काफी बढ़ गई है। लोगों के बीच में इसके प्रसिद्ध होने का मुख्य कारण इससे होने वाले फायदे ही हैं। यह हर व्यक्ति के लिए फायदेमंद हो सकता है। बस इसे सही तरीके से किया जाना चाहिए। साथ ही इसे करने से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए, जिसके बारे में ऊपर बताया है। अब हम अनुलोम विलोम से जुड़े कुछ सवालों के जवाब दे रहे हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या अनुलोम विलोम खतरनाक है?

जी नहीं, एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए अनुलोम विलोम करना खतरनाक नहीं होता। हां, अगर किसी को कोई गंभीर समस्या है, तो उनके लिए यह हानिकारक साबित हो सकता है। ऐसी स्थिति में अनुलोम विलोम डॉक्टर की सलाह पर ही करें।

अनुलोम विलोम प्राणायाम किसे नहीं करना चाहिए?

अगर किसी ने हाल ही में श्वसन तंत्र संबंधित किसी तरह की सर्जरी कराई है, तो उसे अनुलोम विलोम नहीं करना चाहिए। साथ ही उच्च रक्तचाप से पीड़ित, गंभीर हृदय रोगी और गर्भवतियों को डॉक्टर की सलाह पर ही यह योग करना चाहिए।

अनुलोम विलोम और नाड़ी शोधन में कौन सा बेहतर है?

अनुलोम विलोम प्राणायाम और नाड़ी शोधन योग दोनों ही अपने जगह पर बेहतर हैं। कुछ लोगों पर अनुलोम विलोम का असर जल्दी दिखाई दे सकता है, तो कुछ लोगों पर नाड़ी शोधन का। दरअसल, अनुलोम विलोम के समय श्वास को रोककर रखने की जरूरत नहीं होती, जबकि नाड़ी सोधन के दौरान श्वास को अधिक से अधिक समय तक भीतर रोककर रखना होता है।

मुझे सबसे पहले क्या करना चाहिए, अनुलोम विलोम या कपालभाति?

कपालभाति और अनुलोम विलोम के फायदे तभी होतो है जब इसे सही तरीके से किया जाए। इसके लिए सबसे पहले कपालभाती और फिर अनुलोम विलोम करना चाहिए।

क्या सोने से पहले अनुलोम विलोम कर सकते हैं?

जी हां, रात के समय अनुलोम विलोम किया जा सकता है। अगर सोने से थोड़ी देर पहले ही भोजन किया है, तो इस योग को नहीं करना चाहिए। इसे करने से कम-से-कम 4 घंटे पहले तक किसी तरह के खाद्य पदार्थ का सेवन न करें।

संदर्भ (Sources)

  1. Endoscopic evaluation of therapeutic effects of “Anuloma-Viloma Pranayama” in Pratishyaya w.s.r. to mucociliary clearance mechanism and Bernoulli’s principle
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3968697/
  2. Therapeutic Role of Yoga in Type 2 Diabetes
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6145966/
  3. Quantitative Measurement of Anulom Vilom Pranayam by Color Patch Detection
    https://www.academia.edu/17620252/Quantitative_Measurement_of_Anulom_Vilom_Pranayam_by_Color_Patch_Detection
  4. THE CLINICAL SIGNIFICANCE OF ONE YEAR OF YOGA PRACTICE ON BIOCHEMICAL
    IMMUNOLOGICAL AND INFLAMMATORY MARKERS IN RHEUMATOID ARTHRITIS PATIENTS
  5. Migraine
    https://medlineplus.gov/migraine.html
  6. Yogic Breathing Instruction in Patients with Treatment-Resistant Generalized Anxiety Disorder: Pilot Study
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6329222/
  7. Constipation (Vibandha)
    https://www.nhp.gov.in/constipation-vibandha_mtl
  8. Effect of Modified Slow Breathing Exercise on Perceived Stress and Basal Cardiovascular Parameters
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5769199/
  9. Yogic Breathing Instruction in Patients with Treatment-Resistant Generalized Anxiety Disorder: Pilot Study
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6329222/
  10. Effect of fast and slow pranayama on perceived stress and cardiovascular parameters in young health-care students
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3734635/
  11. Yoga, pranayama with herbal crude extracts can be increase the body immune system against corona virus: A Review
    https://www.ijsdr.org/papers/IJSDR2102022.pdf
  12. SAY YES TO WARM FOR REMOVE HARM: AMAZING WONDERS OF TWO STAGES OF WATER
    https://www.ejpmr.com/home/abstract_id/220

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अनुलोम विलोम कैसे किया जाता है? - anulom vilom kaise kiya jaata hai?

अनुज जोशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीकॉम और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन में एमए किया है। अनुज को प्रिंट... more

अनुलोम विलोम कितनी देर तक करना चाहिए?

आप दस मिनट तक इसका अभ्यास सुबह या शाम खाली पेट कर सकते हैं. सुबह पाँच-दस बार इसका अभ्यास नियमित रूप से करना चाहिए. अनुलोम-विलोम प्राणायाम के अभ्यास से हम अतिरिक्त शुद्ध वायु भीतर लेते हैं और कार्बन डाईऑक्साइड यानी दूषित वायु बाहर निकाल देते हैं. इससे रक्त की शुद्धि होती है.

अनुलोम विलोम से कौन सा रोग दूर होता है?

जागरण संवाददाता, सिरसा : अनुलोम विलोम प्राणायाम श्वासों पर आधारित योग है। योगीगण इसे नाड़ी शोधक प्राणायाम भी कहते है। इस प्राणायाम के अभ्यासी को वृद्धावस्था में भी गठिया, जोड़ों का दर्द व सूजन आदि शिकायतें नहीं होती

अनुलोम विलोम करने का सही तरीका क्या है?

कैसे करें यह अभ्यास इस आसन को करने के लिए भी सबसे पहले शरीर को एकदम से सीधा रखते हुए ध्यानपूर्वक में बैठ जाएं। बाएं हाथ से ज्ञान मुद्रा बनाकर दाएं हाथ के अंगूठे से दाईं नासिका को बंद करें और बाईं नासिका से श्वास भरें। अब बाई नासिका बंद करें और दाईं नासिका से श्वास छोड़ें। इस क्रिया को अब दूसरी नाक से दोहराएं।

अनुलोम विलोम के क्या फायदा है?

फेफड़े शक्तिशाली होते है।.
सर्दी, जुकाम व दमा की शिकायतों से काफी हद तक बचाव होता है।.
हृदय बलवान होता है।.
गठिया के लिए फायदेमंद है।.
मांसपेशियों की प्रणाली में सुधार करता है।.
पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है।.
तनाव और चिंता को कम करता है।.
पूरे शरीर में शुद्ध ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है।.