झाँसी की रानी की समाधि को अंतिम लीलास्थली क्यों कहा गया है? - jhaansee kee raanee kee samaadhi ko antim leelaasthalee kyon kaha gaya hai?

इस समाधि में छिपी हुई है, एक राख की ढेरी |
जल कर जिसने स्वतंत्रता की, दिव्य आरती फेरी ||
यह समाधि यह लघु समाधि है, झाँसी की रानी की |
अंतिम लीलास्थली यही है, लक्ष्मी मरदानी की ||

यहीं कहीं पर बिखर गई वह, भग्न-विजय-माला-सी |
उसके फूल यहाँ संचित हैं, है यह स्मृति शाला-सी |
सहे वार पर वार अंत तक, लड़ी वीर बाला-सी |
आहुति-सी गिर चढ़ी चिता पर, चमक उठी ज्वाला-सी |

बढ़ जाता है मान वीर का, रण में बलि होने से |
मूल्यवती होती सोने की भस्म, यथा सोने से ||
रानी से भी अधिक हमे अब, यह समाधि है प्यारी |
यहाँ निहित है स्वतंत्रता की, आशा की चिनगारी ||

इससे भी सुन्दर समाधियाँ, हम जग में हैं पाते |
उनकी गाथा पर निशीथ में, क्षुद्र जंतु ही गाते ||
पर कवियों की अमर गिरा में, इसकी अमिट कहानी |
स्नेह और श्रद्धा से गाती, है वीरों की बानी ||

बुंदेले हरबोलों के मुख हमने सुनी कहानी |
खूब लड़ी मरदानी वह थी, झाँसी वाली रानी ||
यह समाधि यह चिर समाधि है , झाँसी की रानी की |
अंतिम लीला स्थली यही है, लक्ष्मी मरदानी की ||

विषयसूची

  • 1 झाँसी की रानी कविता का विषय क्या है?
  • 2 बंगाल की रानी कौन थी?
  • 3 झांसी की रानी कविता में रानी के संग आई हुई सखियों के क्या नाम थे?
  • 4 राजवंशों ने भृकुटी तानी थी का क्या अर्थ है?
  • 5 झांसी की रानी को मरवाने में किसका हाथ था?
  • 6 झांसी की रानी लक्ष्मीबाई कौन थी?

झाँसी की रानी कविता का विषय क्या है?

इसे सुनेंरोकेंझाँसी की रानी हिंदी भाषा की कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखी गयी एक कविता है। कविता का विषय 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाली, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई और उनके द्वारा अंग्रेजों के साथ लड़ा गया युद्ध है।

बंगाल की रानी कौन थी?

इसे सुनेंरोकेंकौन थीं रानी रासमणि? बंगालनिवासी रानी रासमणि का जन्म 28 सितंबर 1793 को केवट समुदाय में हुआ था. उनके माता-पिता मछली पकड़ कर घर चलाते थे. एक छोटे समुदाय से होने की वजह से उनके परिवार को कभी समाज में सम्मान की नज़रों से नहीं देखा गया.

झाँसी की रानी की समाधि को अंतिम लीलास्थली क्यों कहा गया है?

इसे सुनेंरोकेंभावार्थ – कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान रानी लक्ष्मीबाई की समाधि के विषय में कहती हैं कि इस समाधि में राख की एक ढेरी छिपी है। वह जलकर अमर हो गई। उसने स्वतंत्रता की बलिवेदी पर मिटकर अपनी चिता की ज्वाला के रूप में चमकती हुई सुन्दर आरती की। यह छोटी समाधि उस वीरांगना लक्ष्मीबाई की अंतिम लीलास्थली है।

लक्ष्मीबाई कहाँ की रानी थी?

इसे सुनेंरोकेंऔर बन गईं झांसी की रानी वर्ष 1850 को उनका विवाह झांसी के महाराजा गंगाधर राव के साथ हो गया और वे झांसी की रानी बन गयी। विवाह पश्चात उनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया।

झांसी की रानी कविता में रानी के संग आई हुई सखियों के क्या नाम थे?

इसे सुनेंरोकेंविजय मिली, पर अंग्रेज़ों की फिर सेना घिर आई थी, अबके जनरल स्मिथ सन्मुख था, उसने मुँह की खाई थी, काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थीं, युद्ध क्षेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी, 2021-22 Page 8 76 वसंत पर, पीछे ह्यूरोज़ आ गया, हाय!

राजवंशों ने भृकुटी तानी थी का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंराजवंशों ने = राजा-महाराजाओं ने। भृकुटी = भौंहें (क्रोध में भर उठे थे)। गुमी हुई = खोई हुई। फिरंगी = अंग्रेजों ने।

सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म कब हुआ था?

16 अगस्त 1904सुभद्रा कुमारी चौहान / जन्म तारीख

सुभद्रा कुमारी चौहान की मृत्यु कब हुई?

15 फ़रवरी 1948सुभद्रा कुमारी चौहान / मृत्यु तारीख

झांसी की रानी को मरवाने में किसका हाथ था?

इसे सुनेंरोकेंअंग्रेज़ों की तरफ़ से कैप्टन रॉड्रिक ब्रिग्स पहला शख़्स था जिसने रानी लक्ष्मीबाई को अपनी आँखों से लड़ाई के मैदान में लड़ते हुए देखा.

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई कौन थी?

इसे सुनेंरोकेंरानी लक्ष्मीबाई (जन्म: 19 नवम्बर 1828 – मृत्यु: 18 जून 1858) मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी और 1857 की राज्यक्रान्ति की द्वितीय शहीद वीरांगना (प्रथम शहीद वीरांगना रानी अवन्ति बाई लोधी 20 मार्च 1858 हैं) थीं।

झांसी के राजा की मृत्यु के समय उसकी कितनी संतान थी?

इसे सुनेंरोकेंबता दें कि लक्ष्मी बाई ने एक पुत्र को जन्म दिया लेकिन दुर्भाग्यवश चार माह बाद ही उसकी असमय मृत्यु हो गई। उनके पति और राजा गंगाधर राव काफी बीमार रहने लगे थे। रानी ने राज्य को उसका उत्तराधकारी दिलाने के लिए दामोदर को 5 साल की उम्र में गोद लिया था।

मणिकर्णिका का जन्म कब हुआ था?

19 नवंबर 1828रानी लक्ष्मीबाई / जन्म तारीख

विषयसूची

  • 1 रानी अंग्रेजों से लड़ते हुए कहाँ पहुँच गई थी?
  • 2 अंग्रेजों का मित्र कौन था?
  • 3 झाँसी की रानी की समाधि को अंतिम लीलास्थली क्यों कहा गया है?
  • 4 झांसी की रानी की मौत कब हुई?

रानी अंग्रेजों से लड़ते हुए कहाँ पहुँच गई थी?

इसे सुनेंरोकेंभारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ी गई 1857 की जंग में सबसे बड़ी आहुति ग्वालियर में ही हुई थी। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की शहादत इसी शहर में हुई थी।

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी यह पंक्तियां किसकी है?

इसे सुनेंरोकेंकविता रचकर अमर हुईं सुभद्रा कुमारी चौहान हममें शायद ही कोई ऐसा हो, जो इन पंक्तियों के जादू से वाकिफ ना हो. जी हां, यह पंक्तियां हैं मशहूर कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की.

अंग्रेजों का मित्र कौन था?

इसे सुनेंरोकेंग्वालियर के सशक्त थे. ग्वालियर के सशक्त थे. लार्ड डलहौज़ी की डॉक्ट्रिन of लैप्स का शिकार ये राजघराना भी बना था जैसे की झाँसी और सातारा आदि के राजघराने भी शिकार बने. लेकिन सही वक़्त पर ये अंग्रेजो का साथ देने के कारण और रानी झाँसी के खिलाफ युद्ध मे भाग लेने के कारण अंग्रेजो के मित्र राजा बन गए.

लड़ाई सरकार कौन थी?

इसे सुनेंरोकेंओरछा की रानी लड़ाई सरकार रानी के विरोध में थीं। इधर, जनरल ह्यूरोज ने किले पर आक्रमण कर दिया, तो उधर 20 ह़जार सैनिकों के साथ झाँसी आ रहे तात्या टोपे का रास्ता ओरछा (टीकमगढ़) सैन्य प्रमुख नत्थे खाँ ने रोक लिया। नोटक्षीर पर दोनों के बीच घमासान हो गया।

झाँसी की रानी की समाधि को अंतिम लीलास्थली क्यों कहा गया है?

इसे सुनेंरोकेंयह छोटी समाधि उस वीरांगना लक्ष्मीबाई की अंतिम लीलास्थली है। भावार्थ – रानी लक्ष्मीबाई टूटी हुई विजयमाला के समान इसी समाधि के आस-पास स्वर्ग सिधार गई। उनकी हड्डियों के अवशेष (फूल) यहीं पर इकट्ठे हैं, मानो यह समाधि उनका स्मृति स्थल हो। उस वीरांगना ने अंग्रेजों के अनेक हमले मरने तक सहन किए।

डलहौजी ने झांसी पर क्या कार्यवाही की?

इसे सुनेंरोकेंरानी लक्ष्मीबाई ने दामोदार राव को झांसी का राजा मानने के लिए लार्ड डलहौजी को पत्र लिखे थे। ये पत्र लंदन की ब्रिटिश लाइब्रेरी में मिले हैं। हालांकि रानी के पत्र लिखने के बाद भी डलहौजी ने दामोदर राव को झांसी का उत्तराधिकारी नहीं माना और हमला बोल दिया। 18 जून को रानी लक्ष्मीबाई का शहदत दिवस है।

झांसी की रानी की मौत कब हुई?

इसे सुनेंरोकेंरानी लक्ष्मीबाई (जन्म: 19 नवम्बर 1828 – मृत्यु: 18 जून 1858) मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी और 1857 की राज्यक्रान्ति की द्वितीय शहीद वीरांगना (प्रथम शहीद वीरांगना रानी अवन्ति बाई लोधी 20 मार्च 1858 हैं) थीं।

झांसी की रानी की सखियों के नाम क्या थे?

इसे सुनेंरोकेंझांसी की मुट्ठी भर सेना ने रानी को सलाह दी कि वह कालपी की ओर चली जाएं. झलकारी बाई और मुंदर सखियों ने भी रणभूमि में अपना खूब कौशल दिखाया.

झाँसी की रानी की समाधि को चिर समाधि क्यों कहा गया है?

व्याख्या: कवयित्री का मानना है कि झाँसी की रानी की इस समाधि में राख की एक ऐसी ढेरी छिपी हुई है जिसने स्वयं जलकर आज़ादी की लड़ाई का आगाज़ किया था। यह छोटी सी समाधि है, झाँसी की रानी की समाधि है। यह उनके अंतिम युद्ध की वीरता का स्थान है। यह उस मर्दों के समान लड़ने वाली रानी लक्ष्मीबाई की समाधि है।

रानी लक्ष्मीबाई की समाधि में क्या छिपी हुई है?

प्रश्न १. (क) रानी की समाधि में किस प्रकार की राख की ढेरी छिपी है? उत्तर: रानी की समाधि में स्वाधीनता की चिनगारी की राख की ढेरी छिपी है।

कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई की समाधि को स्मृतिशाला क्यों कहा है?

Answer: यहीं कहीं पर बिखर गई वह भग्न विजयमाला-सी। उसके फूल यहीं संचित हैं, है यह स्मृतिशाला-सी।

रानी लक्ष्मीबाई की समाधि रानी से भी अधिक प्यारी कैसे है?

भावार्थ : जिस प्रकार स्वर्ण-भस्म, सोने से भी मूल्यवान होती है, उसी प्रकार युद्ध में वीरगति पाने से वीर योद्धा का मान-सम्मान बढ़ जाता है। हमें अब रानी लक्ष्मी की समाधि, उनसे भी अधिक प्रिय लगती है। क्योंकि इसमें स्वाधीनता की आशा की चिंगारी निहित है।